6,10,11 गोमेद रत्न और बीमारी

राहु जब 6,10,11भावों में होता है तो यह जातक को बहुत शुभ फल प्रदान करता है, जातक शत्रुओं का नाश करता है, उसे कोई बीमारी नहीं होती, वह बहुत साहसी और मजबूत मनोबल का होता है और व्यक्ति धन कमाते हुए धनवान भी होता है। राहु का रत्न गोमेद आपको नकारात्मक उर्जाओ से दूर रखता है, गोमेद धारण करने से रोगों और बीमारियों से छुटकारा मिलता है, आइये जाने 6,10,11 गोमेद रत्न और बीमारी

  • Name : Hessonite Gomed(राहु का रत्न गोमेद)
  • Colour: Brown
  • Origin: Shri Lankan, India, African
  • Ideal For: Rings, Lockets

अंग्रेजी के Hassonite को हिंदी में गोमेद कहा जाता है।

गोमेद रत्न और बीमारी

चमकदार, दाग रहित, लाल-भूरा गोमेद सर्वोत्तम माना जाता है और लाभ भी देता है, इसलिए गोमेद की अच्छी क्वालिटी का ध्यान जरूर रखना चाहिए। अच्छी क्वालिटी का गोमेद धन-दौलत की वृद्धि करता है, जबकि घटिया क्वालिटी, दागी, खुरदुरा गोमेद धन, स्वास्थय और वीर्य का नाश करता है। इसलिए अगर गोमेद पहने तो अच्छी क्वालिटी का ही पहने अन्यथा मत पहने। गोमेद कोई बहुत कीमती रत्न नहीं है, अच्छी क्वालिटी का गोमेद भी दो ढाई हजार रूपए तक मिल जाता है।

गोमेद विचलित बुद्धि, मनोरोग, कमजोर मानसिकता को दूर करने में बहुत लाभकारी होता है। चिड़चिड़ापन, अत्यधिक गुस्सा, मन का भटकाव गोमेद धारण करने से कम होते है। आयुर्वेदशास्त्र में गोमेद को कफ नाशक, पित्त नाशक, क्षय रोग में लाभकारी, आंखों के रोगों में लाभकारी, याददाशत खोने, बुद्धि की दुर्बलता जैसे रोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है।

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु दुर्बल है तो उसे आत्महत्या के विचार, गठिया, कमजोर हड्डिया, दस्त, पेट की बीमारियां-कीड़े, बवासीर गर्भाशय की बीमारी, चेचक, आसपास भूत प्रेत का अहसास होना, छाया दिखना, भूख ना लगना जिसे बीमारियां होती है। ऐसी अवस्था में राहु को शुभ करने के लिए गोमेद धारण करना अनिवार्य हो जाता है।

ख़राब राहु रात को सोने नहीं देता, पागलपन के दौरे पड़ते है, राहु की अशुभ ग्रह की सांगत मिर्गी रोग देती है, व्यक्ति अंधविश्वासी हो जाता है, अपनी मानसिक स्तिथि खोकर अत्यंत बुरे कर्म करने लगता है, शंकालु, मनोरोगी होकर किसी को मारने तक की सोच रख सकता है।
राहु की प्रतिकूलता व्यक्ति में साहस की कमी, आत्महत्या की भावना, भूत-प्रेत या अनजाना सा भय, चल नहीं पाना, पागलपन की स्तिथि उत्पन्न करता है। राहु के कमजोर होने पर गोमेद रत्न की अंगूठी धारण करनी चाहिए।

गोमेद की भस्म

जिस प्रकार देखने में सुन्दर, चिकना, चमकदार और साफ गोमेद धारण करने से व्यक्ति के बहुत से शारीरिक कष्ट और बीमारियां दूर होती है अवैसे ही गोमेद की भस्म भी क्षय रोग, बलगम में खून आना, गन्दी खांसी, पेट के रोग गोमेद की भस्म या पिष्टी का सेवन करने से यह सभी रोग ख़त्म होते है। व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है, उसकी भूख बढ़ जाती है, पाचन तंत्र दुरुस्त हो जाता है,वजन बढ़ने लगता है, छाती की बीमारियां ख़त्म हो जाती है और किसी भी प्रकार के पुराने रोग खत्म होते है।

लेकिन आजकल ऐसा कोई वैद्य मुश्किल से ही बचा है जो गोमेद की भस्म या पिष्टी बनाना जनता है, इसलिए यह विद्या लगभग लुप्त हो गई है।

राहु ग्रह

राहु जो को एक छाया ग्रह है, और यह एक राक्षस ग्रह है, यह किसी की भी जन्म कुंडली में अपने बहुत प्रभाव रखता है, गोमेद या गोमेदक इसी ग्रह का रत्न है। राहु का रत्न गोमेद बहुत प्रभावशाली रत्न है, इसे धारण करने से राहु के समस्त दोषों से मुक्ति मिलती है।

गोमेद राहु से उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जाओं को अपने अंदर समेट लेता है और राहु के बुरे प्रभावों को ख़त्म करता है।

जब किसी जातक की कुंडली में राहु अशुभ प्रभावों में रहता है तो वह उस व्यक्ति को बुरी आदतों की ओर आकर्षित करता है, व्यक्ति बुरे कर्मो और कार्यो में लिप्त होने लगता है,
जातक के स्वास्थय को नुकसान पहुंचाता है, व्यापारिक और आर्थिक हानियां पहुंचाता है, डिप्रेशन देता है, मानसिक पागलपन देता है, शिक्षा पूरी नहीं होने देता, जातक को दरिद्र बनाता है।

जब राहु ग्रह किसी जातक की जन्म कुंडली में ऐसे ही प्रकोप देता है, तब ऐसी स्तिथि में गोमेद रत्न धारण करने से राहु के ऐसे भीषण प्रकोपों से अपने आप को सुरक्षित किया जा सकता है।

अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में राहु के अंदर समस्त ग्रहों के सिमटने से कालसर्प दोष का निर्माण होता है, तब ऐसी स्तिथि में गोमेद रत्न को धारण करके कालसर्प दोष के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है।

जन्म कुंडली में शुभ राहु


जब किसी जातक की जन्म कुंडली में राहु शुभ और मजबूत स्तिथि में होता है, तब राहु व्यक्ति को अकूत धन संपत्ति प्रदान करता है, उच्च पदों सफलता देता है, राजनीती में सफलता देता है, सामजिक प्रसिद्धि और वैभव प्रदान करता है।

लग्नानुसार रत्न निर्धारण

गोमेद धारण करने के लाभ:

बुरे कर्मो को दूर रखता है, जातक को सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।
कारोबार और नौकरी में सफलता देता है।
शिक्षा और उच्च शिक्षा ग्रहण करने में सहायक बनता है।
जातक की आर्थिक और धन की स्तिथिथियों को मजबूत करता है।
समाज में मान सम्मान की प्राप्ति करवाता है।
सरकारी महकमे में उच्च पदों पर पहुंचने में मदद करता है।
सरकारी ठेकों में सफलता प्रदान करता है।
राजनीती में तो शुभ राहु राजयोग लेकर आता है
जातक को शारीरिक रूप से मजबूत करता है, व्यक्ति को शारीरिक रूप से रफ टफ बनाता है।

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गोमेद धारण विधि

राहु रत्न गोमेद को हमेशा चांदी की अंगूठी में ही बनवाना चाहिए, गोमेद को शनिवार की शाम को शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए,
गोमेद धारण करने के लिए सबसे श्रेष्ठ ऊँगली मध्यमा होती है,
गोमेद की अंगूठी धारण करने से पहले पूर्ण विधि विधान से पूजा और राहु के मंत्रो का कम से कम 108 बार जाप करना आवश्यक होता है।

विशेष : बगैर पूजा-पाठ और अभिमंत्रित किया हुआ कोई भी रत्न किस भी काम का नहीं होता है, और ना की रत्ती भर भी लाभ देने वाला होता है।

लग्न और रत्न

राहु मंत्र :

  • ॐ रां राहवे नम:
  • ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:

निष्कर्ष

आपने हमारी इस पोस्ट ‘गोमेद रत्न और बीमारी‘ में गोमेद रत्न किस प्रकार किन किन बीमारियों में लाभकारी हो सकता है जाना, राहु एक बहुत विध्वंसकारी ग्रह है इस ग्रह की प्रतिकूलता व्यक्ति का विनाश तक कर सकती है, इसलिए जिन व्यक्तियों की कुंडली में राहु की अशुभता है उन्हें एक अच्छा गोमेद धारण करने अपने कष्टों को दूर करना चाहिए। एक बात का सदा ध्यान रखें की राहु रत्न गोमेद बहुत जल्दी अपना असर दिखलाता है, इसका असर शुभ और अशुभ दोनों प्रकार का हो सकता है, इसलिए कभी भी बगैर किसी से पूछे गोमेद धारण की कल्पना भी ना करें, हर व्यक्ति की कुंडली में राहु की अलग अलग स्तिथि होती है, इसलिए गोमेद किसी ज्योतिष की सलाह ले कर ही धारण करें। धन्यवाद!

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