ज्यादातर सबकी जानकारी में मोती एक ही प्रकार का होता है। लेकिन ऐसा नहीं है आइये जानते है की मोती कितने प्रकार के होते हैं
मोती कितने प्रकार के होते हैं
मोती रत्न को अंग्रेजी में पर्ल स्टोन कहा जाता है। ज्योतिष में मोती अपने रूप और गुण के कारण चंद्रमा ग्रह का रत्न है। मोती समुद्र में सीप से प्राप्त होते हैं।
मोती रत्न को अलग-अलग भाषा में अपने नामों नामों से जाना जाता है, जैसे की मुक्ता, शशि, मुखारीद, गोहर, शुक्तिज, इंद्ररतन।
8 कीमती मोती जो दुर्लभ माने जाते है।
गजमुक्ता – यह मोती हाथी के मस्तक से प्राप्त होता है।
सर्पमुक्ता – यह मोती वासुकी जाति के सर्प से पाया जाता है।
वंशमुक्ता – यह मोती बाँस के अंदर से पाया जाता है,इसका रंग कुछ हरा होता है।
शंखमुक्ता – यह मोती समुन्द्री शंख के अंदर से प्राप्त होता है।
शुक्रमुक्ता – यह मोती शूकर के मस्तक से प्राप्त होता है।
मीनमुक्ता – यह मोती मछली के पेट से प्राप्त होता है।
आकाशमुक्ता – यह मोती घने जंगलों में पाया जाता है ,
मेघमुक्ता – यह मोती घनघोर वर्षा में आकाश से गिरता है।
मोती रत्न सफेद रंग का होता है लेकिन यह हल्के पीले, हल्के गुलाबी रंग में भी पाया जाता है। मोती कोई खनिज रत्न नहीं बल्कि एक जैविक रत्न है। घोंघे समुद्र के गर्भ में मोती बनाते हैं।
मोती फारस की खाड़ी, श्रीलंका, वेनेजुएला, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया और बंगाल की खाड़ी में पाए जाते हैं। वर्तमान समय में सबसे अधिक मोती का उत्पादन चीन और जापान में होता है।
फारस की खाड़ी में उत्पन्न होने वाले मोती को “बसारा” का मोती कहा जाता है, जो सबसे अच्छा और कीमती मोती माना जाता है।
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मोती रत्न किसे धारण करना चाहिए?
कर्क राशि के जातकों के लिए मोती पहनना बेहद फायदेमंद माना जाता है।
मोती पहनने से आत्मविश्वास बढ़ता है, मोती मन की एकाग्रता बढ़ाता है। जो लोग मानसिक तनाव में रहते हैं उन्हें मोती पहनने से लाभ होता है।
मोती चंद्रमा का रत्न है। यदि कुंडली में चंद्रमा (नवम भाव) भाग्य का स्वामी है, तो व्यक्ति को मोती पहनने से लाभ होगा। मन और शरीर को मजबूत करने के लिए मोती पहना जाता है। शांति और मजबूत मानसिक शक्ति बनाए रखने के लिए मोती अवश्य पहनना चाहिए।
मोती शांतिपूर्ण जीवन और मानसिक राहत के लिए पहना जाता है। जिन लोगों को गुस्सा अधिक आता है, उन्हें मोती पहनने से विशेष लाभ मिलता है।
मोती पहनने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है और समाज में प्रतिष्ठा मिलती है।
मोती भी रोगों को नष्ट करने में सहायक है, मोती धारण करने से दिल की धड़कन ठीक रहती है, मोती बुखार और पेट के रोगों को नियंत्रित करने में मदद करता है।
जो व्यक्ति मोती धारण करते हैं उन्हें कभी भी धन की कमी नहीं होती क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मोती पहनने वालों से देवी लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं।
मोती पहनने से प्रेमी-प्रेमिका और पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है और रिश्ते बेहतर होते हैं।
धन प्राप्ति के लिए पीले रंग का मोती मोती पहनना लाभकारी होता है।
सामाजिक मान-सम्मान और प्रसिद्धि के लिए सफेद रंग का मोती पहनना लाभकारी होता है।
शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए लाल रंग का मोती पहनना फायदेमंद होता है।
ईश्वर की कृपा पाने के लिए नीले रंग का मोती पहनना लाभकारी होता है।
12 लग्नों के अनुसार मोती धारण
मेष लग्न: मेष लग्न में चंद्रमा चतुर्थ भाव का स्वामी होता है। लग्न स्वामी मंगल और चंद्र की मित्रता होती है। अत: मोती पहनने से मेष लग्न वालों को मानसिक शांति, माता का सुख, विद्या और शिक्षा में लाभ, अच्छा व्यवसाय, भूमि, मकान का सुख मिलता है। चंद्रमा की महादशा में मोती पहनने से विशेष लाभ मिलता है।
वृषभ लग्न: वृषभ लग्न की कुंडली में चंद्रमा तीसरे भाव का स्वामी होता है, इस लग्न के जातकों को मोती कभी नहीं पहनना चाहिए।
मिथुन लग्न: मिथुन लग्न में चंद्र (द्वितीय) धन भाव का स्वामी होता है। चंद्रमा की महादशा में मिथुन लग्न के जातक मोती पहन सकते हैं। लेकिन आपको इसे सोच समझकर पहनना होगा क्योंकि मिथुन लग्न में चंद्रमा भी मारकेश होता है।
यदि मिथुन लग्न में चंद्रमा दसवें, नौवें भाव या दूसरे भाव में हो तो चंद्र की महादशा में मोती पहनने से धन लाभ होगा।
कर्क लग्न: कर्क लग्न में चंद्रमा लग्नेश स्वामी होता है। कर्क लग्न के जातकों को मोती जीवनभर धारण करना लाभकारी होता है। मोती उनके स्वास्थ्य की रक्षा करेगा और उनकी आयु भी बढ़ाएगा। आर्थिक संकट में यह ढाल का काम करेगा। जीवन में हर प्रकार की उनत्ति होगी।
सिंह लग्न: सिंह लग्न में चंद्रमा बारहवें भाव का स्वामी होता है। इसलिए इस लग्न के जातकों को मोती नहीं पहनना चाहिए।
कन्या लग्न: कन्या लग्न में चंद्रमा एकादश भाव का स्वामी होता है। चंद्रमा की महादशा में मोती पहनने से आर्थिक लाभ, प्रसिद्धि और संतान सुख मिलता है।
तुला लग्न: तुला लग्न में चंद्रमा दशम भाव का स्वामी होता है। चंद्रमा तुला लग्न का मित्र नहीं है, परंतु तुला लग्न के जातकों को मोती पहनने से राजसी कृपा, प्रसिद्धि, सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है। नौकरी या व्यवसाय में उनत्ति के लिए चंद्रमा की महादशा में मोती पहनना जरूरी है।
वृश्चिक लग्न: वृश्चिक लग्न में चंद्रमा नवम भाव का स्वामी होता है। इसलिए मोती धारण करने से धर्म, कर्म और भाग्य में समृद्धि आती है। पारिवारिक प्यार और खुशियां बढ़ती है। चंद्रमा की महादशा में मोती धारण करना विशेष लाभकारी होता है।
धनु लग्न: धनु लग्न में चंद्रमा अष्टम भाव का स्वामी होता है। इसलिए इस लग्न के जातकों को मोती नहीं पहनना चाहिए।
मकर लग्न: मकर लग्न में चंद्रमा सप्तम भाव का स्वामी होता है। चंद्र शनि का शत्रु भी है। अत: इस लग्न के जातकों को मोती नहीं पहनना चाहिए।
कुंभ लग्न: कुंभ लग्न में चंद्रमा छठे भाव का स्वामी होता है। चंद्रमा शनि का शत्रु भी है इसलिए इस लग्न के जातकों को भी मोती नहीं पहनना चाहिए।
मीन लग्न: मीन लग्न में चंद्रमा पंचम भाव का स्वामी होता है। इस लग्न के जातक को मोती धारण करने से संतान सुख, विद्या, यश और सम्मान की प्राप्ति होती है। मोती पहनने से भाग्योदय होता है। मीन लग्न में मोती धारण करना विशेष लाभकारी होता है।
मोती धारण करने की विधि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 4 से 5 कैरेट का मोती पहना जा सकता है, लेकिन 7 से 8 कैरेट का मोती सबसे अच्छा माना जाता है। मोती को केवल चांदी की धातु में ही बनवाकर पहनना चाहिए।
सोमवार की शाम को सूर्यास्त के बाद मोती की अंगूठी को कच्चे दूध से शुद्ध करें, फिर इसे गंगाजल से पवित्र करके पूजा स्थान में रखें, धूप, दीप, अगरबत्ती और मिश्री से इसकी पूजा करें, चंद्र मंत्र का 108 बार जाप करें और अंगूठी को छोटी उंगली (कनिष्ठा) में धारण करें।
चंद्र मंत्र:
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:
इस पोस्ट में आपने जाना की मोती कितने प्रकार के होते हैं, मोती किसे धारण करना चाहिए और मोती धारण करने से क्या क्या लाभ होते है।