स्पाइनल रत्न की कीमत

स्पाइनल रत्न जिसे सूर्य का रत्न भी कहा जाता है। आइये इस पोस्ट में जानते हैं कि लाल स्पाइनल रत्न क्या है और spinal ruby के क्या फायदे हैं?

लाल स्पाइनल रत्न क्या है

रेड स्पाइनल रत्न एक बहुत सुंदर और चमकीले लाल रंग का रत्न है, इसे सूर्य रत्न भी कहा जाता है, रेड स्पाइनल रत्न सूर्य ग्रह का लाभ पाने के लिए पहना जाता है, इसका गहरा रंग जीवन में स्थिरता और प्रगति लाता है।
यह रत्न जीवन में ऊर्जा का संचार करता है, मानसिक रूप से परिपक्व बनाता है और शारीरिक शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है।

ज्योतिष शास्त्र में इस रत्न को उपरत्नों की श्रेणी में स्थान दिया गया है, स्पाइनल रत्न कई रंगों में उपलब्ध होता है, जैसे लाल, गुलाबी, लैवेंडर, बैंगनी, नीला, हरा, भूरा और काला। इस पत्थर की कठोरता 8 आंकी गई है।

रेड स्पाइनल रत्न की खूबसूरती को देखते हुए ज्योतिषीय लाभ के अलावा इस रत्न का उपयोग आभूषणों में भी खूब किया जाता है, इस रत्न का उपयोग एक से एक खूबसूरत आभूषणों में किया जाता है।

स्पाइनल रत्न के भौतिक गुण क्या हैं

  • रंग: लाल, गुलाबी, बैंगनी, पीला, नारंगी, नीला, गहरा हरा, काला।
  • मोह्स स्केल पर कठोरता: 8
  • विशिष्ट गुरुत्व: 3.58 – 3.61
  • रासायनिक संरचना: मैग्नीशियम एल्यूमिनियम ऑक्साइड
  • पारदर्शिता: पारदर्शी

Spinal Ruby की पहचान

रसायन शास्त्र के अनुसार स्पाइनल रूबी मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम और ऑक्सीजन का एक यौगिक है। इसलिए इसे मैग्नीशियम एलुमिनेट कहा जाता है। इसमें थोड़ी मात्रा में आयरन और क्रोमियम होता है। इस कारण इसका रंग गुलाबी, लाल तथा कभी-कभी काला लाल भी होता है। इसके अलावा कई खनिज तत्वों की मौजूदगी के कारण यह पीले, नारंगी, बैंगनी और लाल-नीले, काले, घास जैसे हरे और काले रंग में भी पाया जाता है। स्पाइनल रत्न की कठोरता 7:00 से 8:00 है तथा विशिष्ट गुरुत्व 3.5 है। यह म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड की खानों में माणिक के साथ पाया जाता है।

“स्पाइनल” शब्द संभवतः स्पार्क (ग्रीक) या स्पाइना (लैटिन) से लिया गया है। स्पाइनल माणिक सभी रंगों में पाया जाता है। लेकिन माणिक्य के समान लाल रंग के स्पाइनल रत्न को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। बड़ा स्पाइनल रत्न और स्टार स्पाइनल बहुत ही दुर्लभ रत्न हैं।

संस्कृत में स्पाइनल रत्न को जैसे सौगंधी, मृदुल, नरम, सुगंधिक, कांगकिश मणि आदि बोला जाता है। हिंदी में इसे नरम कहा जाता है,अंग्रेजी में इसे Spinal Ruby कहा जाता है।

भारतीय ज्वैलर्स स्पाइनल रूबी को “नरम” कहते हैं। यह बहुत ही पानीदार, पारदर्शी और सुंदर रत्न है। यह अधिकतर माणिक्य एवं नीलमणि की खदानों से प्राप्त होता है। इसीलिए इसे माणिक्य की माता भी कहा जाता है। स्पाइनल माणिक के क्रिस्टल घन समूह के भीतर अष्टकोणीय या चपटे-त्रिकोणीय प्लेट के आकार के होते हैं।

Spinal Ruby कैसे बनते हैं

स्पाइनल रूबी की प्रकृति मुलायम, चमकीली, चमकीले रंग वाली और आकर्षक होती है। यह प्रायः नीले नीलमणि तथा माणिक की खानों में पाया जाता है। लाल रंग के “स्पाइनल” तीन प्रकार के होते हैं – अधिकतर लाल, लेकिन हल्के नीले रंग के साथ। अधिकतर लाल और कभी-कभी सफेद रंग का। अधिकतर लाल और कभी-कभी काला, लेकिन सभी प्रकार के स्पाइनल माणिक में नरम गुण होते हैं।

उच्च तापमान में स्पाइनल रत्न बहुत संवेदनशील हो जाते है। काले और गहरे हरे रंग जो अपारदर्शी होते हैं उन्हें सिलोनाइट कहा जाता है। भूरे रंग के पत्थर को पाइकोनाइट, पीले रंग के रूबीसिली और पीले-लाल रंग के पत्थर को “बालास रूबी” कहा जाता है।

150 साल पहले इसे माणिक के रूप में वर्गीकृत किया गया था, कुछ प्रसिद्ध माणिक वास्तव में स्पाइनल रत्न थे। जैसे कि 5 सेमी लंबा अण्डाकार “ब्लैक प्रिंसेस रूबी”।

स्पाइनल अक्सर म्यांमार, श्रीलंका और मेडागास्कर में पाए जाते हैं। कुछ अन्य स्थल अफगानिस्तान, ब्राजील, थाईलैंड, अमेरिका, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, इटली, भारत आदि हैं। लंदन के संग्रहालय में दो बड़े स्पाइनल माणिक रखे हुए हैं।

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Spinal Ruby और रूबी में क्या अंतर है

स्पाइनल माणिक और माणिक के बीच अंतर यह है कि कभी-कभी लाल रंग का स्पाइनल माणिक “रूबी” का भ्रम देता है। यदि कोई व्यक्ति अज्ञानी है, तो जौहरी उसे माणिक के रूप में बेच देते हैं। लेकिन माणिक की तुलना में स्पाइनल को उसकी कोमलता और हल्के वजन के कारण माणिक से अलग किया जा सकता है।

स्पाइनल माणिक में, प्रकाश की किरणों का एक समान पैटर्न होता है और कोई अभ्रक नहीं होता है। लेकिन माणिक्य में इसके विपरीत प्रकाश किरणों की पुनरावृत्ति होती है और इसमें अभ्रक भी मौजूद होता है। उपरोक्त सिद्धांतों के आधार पर माणिक और स्पाइनल माणिक के बीच अंतर करना आसान है।

स्पाइनल रत्न के लाभ

स्पाइनल रूबी को “सूर्यमणि” के नाम से भी जाना जाता है। यदि कुंडली में सूर्य शुभ भाव का स्वामी है और कमजोर स्थिति में बैठा है तो स्पाइनल रूबी अवश्य पहनना चाहिए। यदि कुंडली में सूर्य लग्न, पंचम, नवम और दशम भाव का स्वामी हो और कमजोर स्थिति में हो तो स्पाइनल रूबी पहनने से लाभ होता है।

स्पाइनल रूबी एक आशावादी रत्न है जिसे पहनने पर भावनात्मक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। जीवन में खुशी और अच्छी चीजों की सराहना लाते हुए, स्पाइनल रूबी पहनने से आपको दृढ़ संकल्प मिलता है और किसी भी कठिन समय या कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए आपकी रचनात्मकता और आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलता है।

स्पाइनल रूबी बुरी नजर से बचाता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, नई ऊर्जा का संचार करता है, सूर्य की शक्ति बढ़ाता है, आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाता है, नकारात्मक सोच दूर करता है।

स्पाइनल रूबी पहनने से सूर्य का शुभ फल मिलता है। आंखों की रोशनी बढ़ती है, मान-सम्मान मिलता है, मानसिक चिंता दूर होती है, मन को शांति मिलती है।

यह पत्थर रीढ़ की हड्डी की समस्याओं, जोड़ों की मांसपेशियों और हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। दांतों और मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं में भी स्पाइनल माणिक बहुत लाभकारी रत्न माना जाता है।

स्पाइनल रूबी पहनने से आपके अंदर अतिरिक्त ऊर्जा, शक्ति और सहनशक्ति का संचार होता है। खासकर ऐसे समय जब आप किसी लंबी बीमारी या किसी तरह के सदमे से उबर रहे हों।

शनि ग्रह के रत्नों के साथ स्पाइनल माणिक्य नहीं पहनना चाहिए।


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