मेष लग्न के जातक का स्वभाव, खास बातें और विशेषताएं

मेष लग्न

लग्न तालिका में मेष प्रथम लग्न है, मेष लग्न तब बनता है जब कुंडली के प्रथम भाव में 1 नंबर अंकित रहता है। यह मेष लग्न है और मेष लग्न के जातक के जीवन में उसके लग्न और लग्नेश स्वामी का सम्पूर्ण प्रभाव रहता है। मेष लग्न का स्वामी मंगल होता है अगर मेष लग्न में मंगल शुभ है तो व्यक्ति जीवन के हर सुख का भोग करता है, अगर कुंडली में मंगल अशुभ भूमिका में है तो व्यक्ति को अपने जीवन में संघर्षों का सामना करते हुए आगे बढ़ना पड़ता है। आइये इस पोस्ट में मेष लग्न के जातकों के बारे में विस्तार से जानें।

मेष लग्न की शारीरिक रचना

मेष लग्न में जन्मा जातक मध्यम कद का, गोरे रंग का तथा चेहरा लाल होता है, चंचल आंखों वाला, तेज आंखों वाला, तुरंत मन का मोह लेने में सक्षम होता है। मोटी और दृढ़ जांघें, भूरे मिश्रित काले बाल, चमकदार दांत और एक लंबा चेहरा होता है। ऐसे व्यक्ति का शरीर भी मजबूत होता है। आंखों में रक्त की मात्रा थोड़ी अधिक होती है। वह चतुर होता है , त्वरित निर्णय लेने में सक्षम होता है और स्वतंत्र विचारों से समृद्ध होता है।

व्यक्तित्व

मेष लग्न के जातक बहुत बहादुर होते है वह संकटों में भी बाधाओं में भी मुस्कुराते रहते है। मेष जातक धार्मिक मामलों में लचीला, सामाजिक सम्मेलनों के प्रति विद्रोही विचार रखते हुए भी वह इसका अनुसरण करता है। वह राज्य और समाज में आगे बढ़ता है और समाज में श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है।

इनका स्वामी मंगल होने से यह जातक बहुत परिश्रमी, ऊर्जावान और उग्र होते है। इनका स्वाभाव तेज होता है, गुस्सा भी जल्दी आता है लेकिन बहुत भावुक होते है जिसकी वजय से इनका गुस्सा तुरंत ठंडा भी हो जाता है। ये लोग स्ट्रेट फॉरवर्ड होते है गलत को गलत और सही को सही तुरंत बोलते है, फिर चाहे कोई बुरा माने या भला। मेष जातक अपने जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहते है अपने लक्ष्य को साधकर चलते रहते है। परिणाम जो भी आये ये अपने कार्य को करते चले जाते है और अपने लक्ष्य की प्राप्ति करते है।

बहुत आशावादी स्वाभाव के मेष जातक अपने जीवन में बहुत सी चुनौतियों का सामना करते रहते है, यह लग्न ही ऐसा है इन्हें कोई ना कोई चुनौतियों का सामना करते हुए ही आगे बढ़ना होता है। तुला लग्न के जातकों को कोई भी सफलता बगैर परिश्रम के प्राप्त नहीं होती, यह अपने जीवन में एक एक पायदान के साथ तरक्की प्राप्त करते है

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जब पैसा उनके हाथ में होता है तो वह दान करने से नहीं हिचकते। वह समुद्र या पानी से डरते हुए भी दुर्गम कार्य करने के लिए तैयार रहते है। ऐसे व्यक्ति विशेष रूप से वैज्ञानिक विचारों या कार्यों में रुचि रखते हैं। प्रत्येक कार्य को योजनाबद्ध तरीके से करते है।

करियर

एक साधारण परिवार में पैदा होने के बाद भी, वह अपनी प्रतिभा और बुद्धिमत्ता से एक उच्च पद पर पहुँचते है। वह अपने सामने गलत काम होते हुए नहीं देख सकते और बहुत जल्दी नाराज हो जाते है, लेकिन बहुत जल्द शांत भी हो जाते है।

कला, विज्ञान संगीत और ज्योतिष में रुचि रखते हैं। उसका सौंदर्य के प्रति स्वाभाविक रुझान है। उनके जीवन में उत्थान और पतन भी अपरिहार्य है।

यदि लग्न या लग्नेश स्वामी मंगल पर राहु, केतु या शनि का प्रभाव है तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अधिक होती हैं और मस्तिष्क में समस्या होने की संभावना अधिक होती है।

स्वास्थ्य

मेष लग्न के जातकों को अक्सर छोटी मोटी चोट लगती रहती है, इन्हें सरदर्द और सर से सम्बंधित परेशानियां रह सकती है, इनको पाचन तंत्र से सम्बंधित भी शिकायते रहती है। अगर इनकी कुंडली में शनि और मंगल की युति या दृष्टि है तो इन्हें दुर्घटनाओं से बचके रहना चाहिए और अपने स्वास्थय का अधिक ख्याल रखना चाहिए अन्यथा ओप्रशन की नौबत आ सकती है।

पारिवारिक जीवन

शुक्र विवाह और वैवाहिक जीवन का ही कारक है, लेकिन शुक्र की शुभता और अशुभता कुंडली में शुक्र किस भाव में बैठा है उसी पर निर्भर करती है।

ऐसे तो मेष जातकों का वैवाहिक जीवन सुखद ही रहता है। फिर भी यह कुंडली में शुक्र की भूमिका पर निर्भर रहता है। मेष लग्न की कुंडली में शुक्र की तुला राशि सप्तम भाव पर शासन करती है। इसलिए मेष लग्न के जातकों के वैवाहिक जीवन पर शुक्र के प्रभाव रहते है।

अगर मेष जातकों की कुंडली में शुक्र शुभ स्थान में बैठा है तो निःसन्देह मेष जातकों का वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय होगा। इसी के विपरीत अगर शुक्र कहीं पीड़ित या अशुभ भाव या अशुभ होगा तो उसी के अनुसार मेष जातक के वैवाहिक जीवन में परेशानियां आएंगी। इसलिए इनका सुखी वैवाहिक जीवन पूरी तरह से कुंडली में शुक्र की भूमिका पर निर्भर होगा।

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मेष लग्न में नौ ग्रहों का महत्व

  • सूर्य आपकी कुंडली में ज्ञान, बुद्धि और संतान का स्वामी होगा। आपकी कुंडली में सूर्य एक कारक है। सूर्य प्रतियोगिता की परीक्षाओं में सफलता दिलाने, राज्य से सम्मान दिलाने का काम करता है।
  • चंद्रमा आपकी कुंडली में माता, भूमि, भवन और गृहस्थ सुख का स्वामी है। चंद्रमा आपकी कुंडली में कारक ग्रह हैं।
  • मंगल आपकी कुंडली में शारीरिक स्वास्थ्य, सौंदर्य, आयु और जीवन उन्नति का स्वामी है। आपकी कुंडली में मंगल कारक ग्रह है।
  • बुध आपकी कुंडली में छोटा भाई, पराक्रम, रोग और शत्रु का स्वामी है। आपकी कुंडली में बुध एक अस्तित्वहीन ग्रह है।
  • गुरु भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा, बाहरी स्थानों से संपर्क, और आपकी कुंडली में व्यय का स्वामी है। गुरु आपकी कुंडली में कारक ग्रह है और सामान्य अशुद्धि भी है।
  • आपकी कुंडली में शुक्र धन, परिवार, पत्नी और दैनिक व्यवसाय का स्वामी है। स्वास्थ्य के संदर्भ में, शुक्र अप्रभावी है, लेकिन अगर हम कमजोर हो जाते हैं तो पत्नी और परिवार की खुशी में कमी आती है।
  • शनि आपकी कुंडली के पिता, राज्य के पिता, रोजगार, बड़े भाई और आय के पिता हैं। आपकी कुंडली में शनि एक न के बराबर ग्रह है।

मेष लग्न के शुभ ग्रह

मेष लग्न के लिए मंगल और सूर्य सबसे अधिक भाग्यशाली और शुभ ग्रह है यह दोनों ग्रह इनकी जीवन में उनत्ति तरक्की और सुख समृद्धि लाते है। बृहस्पति इनके जीवन का दूसरे स्थान का शुभ ग्रह है, बृहस्पति इनके भाग्य को जगाता है, भाग्य से जीवन की हर उपलब्धि की प्राप्ति करवाता है, लेकिन मेष लग्न की कुंडली में बृहस्पति द्वादश भाव का स्वामी भी है जो इनके जीवन में धन के खर्चों की अधिकता करता है।

मेष लग्न के जातकों के जीवन में शनि भी बहुत अहम भूमिका में रहते है क्योंकि शनि इनके करियर, कारोबार और लाभ को लेकर चलते है, अगर इनके कुंडली में शनि शुभ भाव में विराजमान है तो यह लोग अपने जीवन में बहुत उनत्ति और धन कमाते है।

मेष जातकों के जीवन में चंद्र भी शुभ ग्रह की भूमिका निभाता है, अगर चंद्र इनकी कुंडली में शुभ भाव में है तो यह अपने जीवन में घर, मकान संपत्ति, धन और वाहन का शानदार सुख भोगते है।

शुक्र इनके जीवन का धन और पत्नी का स्वामी है, इनकी कुंडली में शुभ शुक्र इनके वैवाहिक जीवन की बहुत सुखमय बनाता है और जीवन में कभी भी धन या आर्थिक परेशानी नहीं होती।

बुध इनकी कुंडली में अशुभ ग्रह की भूमिका निभाता है, बुध इनको जीवन में केवल परिश्रम करवाता है,भाई-बहनों के संबंधों को कमजोर करता है और विद्या प्राप्ति में परेशानी करता है।

मेष लग्न के शुभ और भाग्यशाली रत्न

मेष लग्न के जातकों के लिए लाल मूंगा, माणिक सबसे अधिक शुभ रत्न है, दूसरे स्थान पर पीला पुखराज इनके लिए शुभ रत्न है। मेष लग्न वाले अगर चंद्र शुभ स्थान पर बैठा है तो वह मोती धारण करके भी लाभ उठा सकते है।

शनि का रत्न नीलम मेष जातक केवल शनि की महादशा में तभी धारण कर सकते है जब उनकी कुंडली में शनि शुभ स्थान में बैठे है और शनि पर मंगल की दृष्टि नहीं होनी चाहिए।

पन्ना और हीरा मेष जातकों के लिए निषेद रत्न है इन्हें यह रत्न कभी भी धारण नहीं करने चाहिए। गोमेद और लहसुनिया धारण करने के लिए उन्हें राहु और केतु की स्तिथि को देखना होगा।

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