ग्रहों से निकलने वाली ,जीवनदायिनी किरणें:-
बहुत कम लोग प्रकृति और उसकी शक्तियों को समझने का प्रयत्न करते हैं। मनुष्य दिन प्रतिदिन प्रकृति को समझने और उसके भेदों को जानने की बजाय उससे दूर हटता जा रहा है। प्रत्येक प्राणी ,वनस्पति ,खनिज पदार्थ ,ईट ,पत्थर आदि का निर्माण प्रकृति की 7 किरणों से हुआ है। इन किरणों की कमी या अधिकता से मनुष्य में विभिन्न रोग और कष्ट उत्पन्न हो जाते हैं।
प्रकृति की इन किरणों से ही संसार का घटना चक्र चल रहा है। यह किरणें शक्ति और जीवन से भरपूर हैं ,और हर स्थान में उपस्थित होती हैं। संसार में 7 बड़े ग्रह हैं और उनसे एक एक रंग की किरणें निकलती हैं। सूर्य के समान प्रत्येक ग्रह संसार के प्रत्येक प्राणी पर अनजाने रूप में अपना प्रभाव डाल रही है।
इन किरणों में असीम शक्ति है। यह किरणें प्रत्येक स्थान पर पाई जाती है। यह किरण ही प्रत्येक वस्तु को पैदा करने वाली ,उसको जीवित रखने वाली ,उनका पोषण करने वाली और उनका अंत करने वाली है। संसार की प्रत्येक वस्तु इन किरणों और इनकी सुष्म विधुत शक्ति से अस्तित्व में है। जब तक मनुष्य और दूसरे प्राणियों को इन किरणों से आहार मिलता रहता है ,तब तक वह जीवित रहते हैं। जब इन किरणों से मनुष्य का संबंध कट जाता है तो उसकी मौत हो जाती है। इन सात रंगीन किरणों को मनुष्य आंखों से नहीं देख सकता। परंतु यह हर स्थान में विद्यमान है।
बादलों और वर्षा ऋतु में आप इंद्रधनुष को देखते हैं। इसमें सात रंग होते हैं। संसार इंद्रधनुष के इन सात रंगों से बना है। जब मनुष्य ,पशु या वनस्पति में किसी एक रंग की किरणें या अधिक रंग की किरणों की कमी हो जाती है। तो उसके शरीर में विभिन्न रोग और कष्ट हो जाते हैं। यदि इसको वही रत्न जिससे उस रंग की किरणें निकलती हैं, दवा के रूप में प्रयोग कराई जाए तो उसके सब कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं रत्न पास रखने से भी यही लाभ होता है।

ग्रहों के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के इस चक्रव्यूह में रत्न उस यंत्र की तरह कार्य करते हैं ,जो ग्रहों और जीवो के बीच एक संतुलन कायम करते हैं। और जीवो पर उनके होने वाले शुभ प्रभाव को बढ़ाकर और अशुभ प्रभाव को घटाकर उनके जीवन की गति को निरंतर बनाए रखते हैं।
यह कुछ इस प्रकार होता है कि हर एक रत्न का एक विशेष ग्रह से संबंध है। प्रत्येक ग्रह से एक विशेष प्रकार की सूची और दिव्य प्रकाश तरंग निरंतर ब्रह्मांड में प्रवाहित होती रहती है। जो ब्रह्मांड में रहने वाले प्राणियों को प्रभावित करती है। और यह रतन उससे संबंधित ग्रह के रिसीवर की तरह कार्य करते हुए ,उन सुषमा तरंगों को ग्रहण कर कुंडली में अपनी शुभ और अशुभ स्थिति के अनुसार धारणकर्ता को सटीक प्रणाली के अनुसार उन्हें रत्न धारण करने पर लाभ और गलत तरीके से धारण करने पर हानि पहुंचाया करते हैं।
ज्योतिष के अनुसार ग्रह दो प्रकार के हैं। पुरुष ग्रह – इनसे गर्म जीवनदायिनी किरणें निकलती हैं। समस्त स्त्री ग्रहों से ठंडी जीवनदायिनी किरणें निकलती हैं। सूर्य मंगल बृहस्पति पुरुष ग्रह है। चंद्रमा बुध शुक्र और शनिचर स्त्री ग्रह है।