सितंबर माह में पैदा होने वालों का भाग्यशाली रत्न:
सितंबर का महीना “कन्या” राशि के क्षेत्र में आता है। कन्या राशि का स्वामी बुध ग्रह को माना गया है। सितंबर माह में पैदा होने वाले लोगों में बुध का प्रभाव देखा जाता है।
सामान्य गुण व स्वभाव :
हरफनमौला प्रकृति के लोग प्राय सितंबर में में ही पैदा होते हैं। यह लोग अत्यधिक अवसरवादी ,अपनी इच्छा पूर्ति के लिए तुरंत बदल जाने वाले और अत्यधिक बातूनी किस्म के होते हैं। यह लोग हर किस्म का काम कर सकते हैं। परंतु उनको वैज्ञानिक,डॉक्टर बनने का अवसर मिले तो यह लोग अधिक सफल होते हैं।
इस माह की स्त्रियां पाक शास्त्र में ज्यादा निपुण ,और सफल केमिस्ट भी बन सकती हैं। यह लोग बिना सोचे समझे बोलने वाले और दूसरों पर कटाक्ष करने वाली बातें करते हैं ,इसलिए यह अपने प्रिय दोस्त और संबंधियों तक को अपना शत्रु बना लेते हैं। यह लोग अमाशय और अंतरियो के रोगों से अत्यधिक ग्रस्त रहते हैं।
कन्या राशि का स्वामी बुध को माना गया है ,अस्तु इस मास में जन्म लेने वाले लोगों के स्वभाव तथा चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती है:-
सामान्य चरित्र:
इस माह में जन्मे लोग आश्चर्यजनक स्मरण शक्ति संपन्न, श्रेष्ठ समालोचक तथा प्रत्येक विषय का गहराई से विश्लेषण करने वाले होते हैं। बेमेल वस्तुओं को यह विशेष ध्यान देते हैं तथा अपने घर की साज-सज्जा में भी अधिक रुचि लेते हैं।
यह लोग अपने संपर्क में आने वाले व्यक्तियों से सतर्क रहते हैं तथा भले बुरे की अच्छी परख रखते हैं। इन पर ना तो कोई व्यक्ति हावी हो पाता है और ना इन्हें कोई धोखा दे सकता है। यह लोग उन योजनाओं एवं कार्यों में सफलताएं प्राप्त करते हैं, जिनमें अन्य लोग असफल रहते हैं। यह लोग अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु उद्दत चित्त होकर काम करते हैं ,तथा उसे सिद्ध किए बिना चैन से नहीं बैठते।
यह लोग पद तथा आयु का सम्मान करते हैं। नियम तथा कानून के निर्णय का पालन करते हैं। यह लोग अच्छे वक्ता अथवा वकील बन सकते हैं। परंतु नए विचारों की बजाय ,पुराने सिद्धांतों से ही बने रहना अधिक पसंद करते हैं।
अपने दृढ़ निश्चय एव परिश्रमी स्वभाव के कारण यह लोग व्यवसाय एवं अनुसंधान के क्षेत्र में ज्यादा सफलताएं प्राप्त करते हैं। अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह लोग स्वार्थ पूर्ण उपायों से भी काम लेते हैं। यह अच्छाई और बुराई की किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। यह स्वयं को किसी भी कार्य के अनुरूप ढाल सकते हैं।
प्रेम संबंधों के क्षेत्र में इन्हें ठीक ठीक समझ पाना अत्यंत कठिन होता है। प्रारंभ में यह बड़े निष्कपट तथा खुले हृदय के प्रतीत होते हैं,परंतु यह कभी भी प्रतिहिंसा पर उतर ,आए कहा नहीं जा सकता। तब यह पूरी तरह बदल जाते हैं। इतने पर भी ,अन्य की अपेक्षा यह अपनी भावनाओं को कुशलतापूर्वक छुपा लेने में सक्षम रहते हैं।
यह लोग यथार्थवादी, चतुर ,विश्लेषक प्रवृत्ति ,पारखी ,संदेही तथा प्रबल मानसिक धरातल वाले होते हैं। बाल की खाल निकालने की प्रवृत्ति के कारण कभी-कभी इन्हें हानि उठाने तथा लोकप्रिय बनते देखा गया है। धन का इनके लिए विशेष महत्व रहता है। परिश्रम ,दूरदर्शिता एव असाधारण परिशुद्धता से इन्हें सफलता मिलती है।
स्वास्थ्य :
इन लोगों की पाचन शक्ति अत्यंत कमजोर होती है। सावधानी न बरतने पर अमाशय में घाव हो जाना सहज संभव है। विश्राम तथा सामान्य से अधिक नींद इनके लिए सुखप्रद सिद्ध होती है। इन्हें रोगों का शिकार कम ही बनना पड़ता है।
आर्थिक स्थिति:
इस माह में जन्मे लोगों की आर्थिक स्थिति प्राय उत्तम रहती है। यह लोग भूमि ,भवन आदि में पूंजी लगाते हैं तथा किसी के बहकावे में नहीं आते। व्यवसाय में यह निश्चित सफलताएं प्राप्त करते हैं। अपने परिश्रम ,अपने सवाधयाय एव अपने मित्त स्वभाव के कारण धन का संचय भी खूब कर लेते हैं।
सितम्बर महीने में जन्म लेने वालो का भाग्यशाली रत्न :
सितंबर महीने में पैदा होने वालों के लिए “नीलम” यानी ब्लू सफायर को अत्यधिक भाग्यवर्धक रत्न माना गया है। यही इनका भाग्यशाली रत्न यानी लक्की बर्थ स्टोन है। यद्यपि नीलम से मिलते जुलते दो अन्य रत्न “कटैला” और “फिरोजा” भी है। यह रत्न भी इनके लिए भाग्यवर्धक रत्न सिद्ध होते हैं।
यह रत्न इनके स्वास्थ्य की रक्षा भी करते हैं।
नीलम को तो वैसे भी संसार के बड़े-बड़े बादशाह ,राजा महाराजा ,बड़े-बड़े व्यापारी और प्रतिष्ठित लोग शनि ग्रह के कष्टों से बचने ,मन की शांति प्राप्त करने ,ईश्वर की भक्ति चाहने ,अनेक प्रकार की विपत्तियों से बचने और अपनी आर्थिक दशा बदलने के लिए हजारों वर्षों से धारण कर रहे हैं।
हजारों लोगों को नीलम ने गिरी हुई हालत से निकालकर आसमान पर पहुंचाया है। सड़क से उठाकर महलों में बैठाया है। कंगाली से निकालकर धनकुबेर बनाया है।
नीलम नीले रंग की अनेक आभाओं में मिलता है। अन्य रत्नों की अपेक्षा सबसे अधिक भाग्यशाली रत्न माना गया है। यह रत्न विशेषकर उन लोगों को पहनना चाहिए, जिन्हें शनि बुरी दृष्टि से देख रहे हो,जो कंगाल बन गए हैं और जिन पर नित नई नई मुसीबतें एवं कष्ट आते रहते हैं।
वैसे तो सितंबर का महीना कन्या राशि के क्षेत्र में आता है इस राशि के स्वामी बुध माने गए हैं लेकिन पश्चिमी रतन विशेषज्ञों के अनुसार इन लोगों का भाग्य कारक रत्न नीलम ही माना गया है।
ईसाई धर्म के अनुयायी या पादरी अपने विचारों को पवित्र बनाए रखने के लिए इसको क्रॉस में जड़वा कर अपने गले में लटकाए रखते हैं। प्राचीन काल में यहूदी लोग भी नीलम का बहुत सम्मान करते हैं। कहते हैं कि सुलेमान बादशाह के पास एक बहुत बड़ा एवं शक्तिशाली नीलम था और उसी रत्न के प्रभाव से वह इतनी सफलताएं प्राप्त कर सके। अपने समय के वह संसार का सबसे शक्तिशाली सम्राट बन गया था।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार भी शनि ग्रह को भारी प्रकोप ,विपत्तियों और व्यवसाय संबंधी परेशानियों का कारण माना गया है। इसलिए इन सभी परिस्थितियों के लिए नीलम धारण करना अत्यंत भाग्यशाली रत्न माना जाता है।
प्राचीन काल में संसार भर के सभी मंदिरों में पूजा घरों में नीलम का बहुत आदर सम्मान किया जाता था। उस समय की सभी मूर्तियों के गले ,मस्तक एवं नेत्रों में नीलम जड़वाए जाते थे। नीलम को प्रेम प्राप्त करने के लिए बहुत सफल रत्न माना जाता है। इसको पास रखने से पति पत्नी में प्रेम बढ़ता है ,और संपन्न का भाव बना रहता है। पुराने जमाने के रत्न विशेषज्ञों का विचार था कि नीलम को अपने पास रखने से ईश्वर और सभी देवता मनुष्य की प्रार्थना स्वीकार करते हैं ,क्योंकि इसका रंग और आकाश का रंग एक जैसा ही रहता है।