अक्टूबर में पैदा होने वालो का भाग्यशाली रत्न
अक्टूबर का महीना तुला राशि के क्षेत्र में आता है। तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह को माना गया हैं। अंतः इनके चरित्र में शुक्र के गुण देखे जाते हैं।
सामान्य गुण व स्वभाव
अक्टूबर के माह में जन्मे व्यक्तियों में कई तरह की आध्यात्मिक शक्तियां होती हैं, और वह भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं को स्वप्न के माध्यम से पहले ही देख सकते हैं। अक्टूबर में पैदा होने वाले अधिकतर लोग सीधे-साधे ,सच्चाई पसंद ,ईमानदार ,दूसरों को लाभ पहुंचाने की भावना रखने वाले होते हैं। इनका स्तर बहुत ऊंचा होता है। परंतु कई बार यह शेखचिल्ली टाइप और ख्याली पुलाव पकाने वाले भी बन जाते हैं। अक्टूबर में पैदा होने वालों का प्रेम स्थाई होता है। उनमें काम करने की लगन होती है। यह अपने व्यवसाय और नौकरी में सफल रहते हैं ,और धन उनके पास हर समय रहता है। यद्यपि इनमें एक दोष भी रहता है कि यह सही टीका टिप्पणी को भी सहन नहीं करते। उचित परामर्श एवं टीका टिप्पणी किए जाने पर बुरा मान लेते हैं। तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह को माना गया है अंततः इनके चरित्र में शुक्र के गुण देखे जाते हैं।
सामान्य चरित्र
इस माह में जन्मे लोगों के स्वभाव में विविधताएं देखी जाती हैं। इनमें तर्क की भावना अत्यधिक तीव्र होती है। यह स्वयं को भी तर्क की कसौटी पर कसने से नहीं चूकते। यह प्रत्येक बात को खूब तोलमोल कर कहते हैं। भाषा पर इनका पूरा अधिकार रहता है।
यह लोग सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत रहते हैं तथा सर्वसाधारण की स्तिथि को सुधारने का प्रयत्न करते हैं। कुछ लोग वैज्ञानिक बनते हैं ,तो इनमें से कुछ लोग चिकित्सा के क्षेत्र में जाकर सफलताएं प्राप्त करते हैं। किसी विशेष अध्ययन अथवा शोधकर्ता में भी इनका मन खूब लगता है।
यह लोग वातावरण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं और प्रतिकूलता की स्थिति में शीघ्र उदास भी हो जाते हैं। सामान्यत इन लोगों का स्वभाव शांत रहता है तथा वाद-विवाद एवं झगडो से बचे रहना इन्हें अच्छा लगता है।
यह लोग उददात आदर्शवादी अब आशावादी प्रवृत्ति के होते हैं। उच्च नैतिक सिद्धांतों का पालन करने में भी यह अग्रणी रहकर अपने विचारों तथा कार्यों में भी स्पष्टवादी होते हैं। अपने अंत प्रेरणा को दबाए रखने की इनमें आश्चर्यजनक क्षमता रहती है। निश्चित प्रमाण के बिना यह कुछ भी नहीं स्वीकारते।
प्रेम संबंधों में यह प्रदर्शन प्रिय नहीं होते ,यद्यपि कभी-कभी इन्हें भ्र्म तथा निराशा का शिकार भी बनना पड़ता है।
सामान्यतः यह लोग अत्यधिक लोकप्रिय होते हैं। इनके लिए धन का कोई महत्व नहीं होता। सट्टेबाजी तथा विचारित उद्यमों में यह हाथ नहीं डालते।
यह लोक संगीत तथा कला के शौकीन एव इनके अच्छे जानकार होते हैं। प्रेम अथवा कर्तव्य की भावना में यह लोग भारी त्याग करने को भी प्रस्तुत रहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी इन्हें अच्छी सफलताएं प्राप्त होती है।
स्वास्थ्य
स्वच्छता पसंद एवं संतुलन प्रिय होने के कारण यह लोग गंभीर रोगों का शिकार बनने से बचे रहते हैं। परंतु अधिक परिश्रम के अवसर पर यह शीघ्र ही बीमार पड़ जाते हैं। इनके गुर्दों पर शीघ्र ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इन्हें भोजन में सावधानी बरतनी चाहिए।
आर्थिक स्थिति
यह लोग अपने जीवन में धन तो अच्छा कमाते हैं। परंतु उसे संचित करने नहीं रखते। इसलिए इनके जीवन का अंतिम भाग आर्थिक विपन्नता में व्यतीत होता है। इसलिए इन्हे अपने धन संचय में विशेष सतर्क रहना चाहिए।
इनका भाग्यशाली रत्न ,लक्की बर्थस्टोन
अक्टूबर माह में पैदा हुए लोगों का भाग्यशाली रत्न, यानी लक्की बर्थस्टोन ओपल को माना गया है। ओपल पहनने से इनमें गुप्त बातें बताने का गुण भी विकसित होने लगता है। यूरोप ,अमेरिका में तो पुराने समय से ही अक्टूबर में पैदा होने वाला हर व्यक्ति ओपल को अपने पास रखता रहा है। उनका विश्वास था कि इस रत्न को अपने पास रखने से वह अनेक प्रकार के बुरे प्रभावों से बचे रहेंगे।
ओपल को अपने शरीर पर धारण रखने से पति-पत्नी में प्रेम संबंध मजबूत बनते हैं। यदि पुरुष इस रत्न को धारण करता है ,तो स्त्री उस से अत्यधिक प्रेम करने लगती है। यदि स्त्री इसे धारण करती है तो पुरुष उसको अत्यधिक चाहने लगता है।अक्टूबर में पैदा होने वालों के लिए यह रत्न अत्यधिक भाग्यशाली रत्न माना जाता है।
प्राचीन यूनानी रत्न विशेषज्ञों का विचार था कि ओपल धारण करने से मनुष्य में भविष्य की बातें जानने और अनेक तरह की भविष्यवाणियां करने की शक्ति प्राप्त होने लगती है। उनका विचार था कि यदि मनुष्य स्वार्थी ना हो ,सत्य बोलने वाला और सत्य का पालन करने वाला हो, तथा परोपकारी भावना रखता हो ,तो इस रत्न के प्रभाव से उसको सोते समय नींद में भविष्य संबंधी अनेक बातें दिखाई दे जाती है। और वह स्वपन वास्तव में समय पाकर सच साबित होते हैं।
पुराने जमाने के रत्न विशेषज्ञों का विचार था कि ,इस रत्न को धारण करने से आंखों की दृष्टि तेज होती है। यह रत्न ऋतुओ के प्रभाव से बहुत प्रभावित होता है ,और ऋतु परिवर्तन से इसका रंग और चमक-दमक में बहुत अंतर आता है। इसी आधार पर पाश्चात्य विद्वानों का विश्वास है कि जब ओपल की चमक दमक बढ़ने लगे तो यह पहनने वाले की भाग्य वृद्धि का लक्षण होता है। परंतु जब इसका रंग फीका पड़ने लगे तो यह दुख संताप और निराशा का सूचक माना जाता है।
ओपल रत्न प्रेम उत्पन्न करने की बजाय मित्रता में वृद्धि करता है। कई लोगों का विश्वास है की लड़ाई झगड़ों और वाद विवादों को सुलझाने एव सुलह सफाई कराने मैं भी यह रत्न बहुत सहायक सिद्ध होता है। इसे धारण करने वाले को व्यसाय, कानून एवं मुकदमों में सफलताएं प्रदान होती है।
ओपल को दूधिया पत्थर भी कहा जाता है। यह दूध की भांति सफेद रंग का होता है। इसमें इंद्रधनुष की भांति विभिन्न रंगों की झलकियां बदल बदल कर दिखाई पड़ती है। ओपल सफेद और काले रंग में भी मिलता है। यह नर्म और अपारदर्शक होता है। प्राचीन काल में यह रत्न आंखों के रोगों के लिए अमृत समझा जाता था।
कुछ लोग ओपल को प्रेम रत्न भी कहते हैं। यदि प्रेम नकली और बनावटी होता है ,तो यह धारणकर्ता पर अपना बुरा प्रभाव डालता है। धोखेबाज प्रेमी या प्रेमिका को यह रत्न भारी नुकसान पहुंचाता है।