नवंबर माह में पैदा होने वालों का भाग्यशाली रत्न
नवंबर का महीना वृश्चिक राशि के क्षेत्र में आता है। यह मंगल की सौम्य राशि है। जबकि मेष को मंगल की क्रूर राशि माना गया है। अंततः इन लोगों में मंगल के गुण दिखाई पड़ते हैं।
वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल को माना गया है। अंततः इन लोगों के जीवन पर मंगल के स्पष्ट लक्षण देखे जाते हैं।
नवंबर माह में पैदा होने वालों का सामान्य गुण व स्वभाव:
पश्चिमी ज्योतिषियों के अनुसार विशेषकर यूरोप और अमेरिका के ज्योतिषियों का विचार है कि नवंबर में पैदा होने वाले लोगों को बहुत कम सर्दी लगती है और उनको बहुत कम जुखाम, खांसी ,आदि की शिकायत रहती है। इनमें चुस्ती फुर्ती और स्फूर्ति भी बहुत अधिक रहती है। यदि इनको सर्जन बनने का अवसर मिले तो यह लोग अपने काम में बहुत अधिक उन्नति करते हैं। ज्ञान और साहित्य में भी उनको पर्याप्त सफलताएं प्राप्त होती है।
वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल को माना गया है अस्तु, इस माह में जन्म लेने वाले लोगों के स्वभाव तथा चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती है:-
नवंबर माह में पैदा होने वालों का सामान्य चरित्र:
इस मास में जन्म लोग और साधारण तार्किक शक्ति संपन्न होते हैं। यह सुयोग्य चिकित्सक ,शल्य क्रिया विज्ञानी ,उपदेशक अथवा वक्ता बन सकते हैं। इन्हें भाषा पर अधिकार प्राप्त होता है। लिखने ,बोलने में इनकी शैली बड़ी नाटकीय तथाप्रभावोत्पाद होती है। यह लोग जिनके संपर्क में आते हैं ,उस जैसे ही बन जाते हैं। इसके फलस्वरूप इन्हें पराये दोषों का दंड भी स्वय भुगतना पड़ता है।
यह लोग मानवीय दृष्टिकोण वाले अत्यंत उदार ,आत्मसंयमी तथा त्यागी प्रवृत्ति के रहते हैं। संकट के समय यह धैर्य तथा साहस नहीं खोते। इन पर प्रत्येक परिस्थिती, हर समय पर भरोसा किया जा सकता है। यद्यपि यह लोग भौतिकवादी प्रवृत्ति के रहते हैं ,अंततः सामान्यत सभी क्षेत्रों में सफलताएं पाते हैं।
ऐसे लोग कभी-कभी भाग्य की प्रतिकूलता के शिकार बनकर मिथ्या अपयश के भागी भी बनते हैं। यह लोग शरीर के बजाय मन से अधिक लड़ते हैं। यदि युद्ध करना इनकी विवश्ता बन जाए तो भी यह अच्छे संगठनकर्ता के रूप में अपने सहयोगियों के साथ उनका सफलतापूर्वक मुकाबला करते हैं। फिर भी रक्तपात से इन्हें घृणा रहती है। यह लोग कूटनीतिज्ञ अथवा दूत कार्य के लिए उपयुक्त सिद्ध होते हैं। दूसरों के झगड़े निपटाने में भी यह कुशल होते हैं। यह कई शत्रुओं को एक ही स्थान पर एकत्र करने में भी सफल होते हैं।
यह लोग बिच्छू की भांति डंक भी मार सकते हैं ,परंतु खेद प्रकट किए जाने पर इनका क्रोध शीघ्र ही शांत पड़ जाता है। क्षमा मांग लेने पर यह अपने बड़े बड़े शत्रु को भी क्षमा कर देते हैं। इनमें दोहरा जीवन जीने की प्रवृत्ति रहती है।
यह लोग गुप्त विद्याओं में भी अभीरुचि रखते हैं तथा शीघ्र ही अंतरज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। निकट से जानने वाले लोग इनको प्रशंसक होते हैं ,परंतु अन्य लोग इन्हें बदनाम करने से भी नहीं चूकते। इन्हें षड्यंत्रओं के माध्यम से घोटालों का शिकार भी बनना पड़ सकता है।
यह लोग अच्छे सरकारी कर्मचारी ,वैज्ञानिक ,रसायन शास्त्री ,अन्वेषक तथा रहस्य पूर्ण विद्याओं के जानकार बन सकते हैं। इनकी संकल्प शक्ति अत्यधिक तीव्र होती है।
नवंबर माह में पैदा होने वालों का स्वास्थ्य:
बाल्यावस्था में यह नाजुक शरीर वाले होते हैं तथा अक्सर बीमारी ही बने रहते हैं। व्यस्त होने पर आत्र संबंधित बीमारियों जैसे अजीर्ण ,अम्लपित्त , बवासीर ,भगंदर पित्ताशय की शोध आदि का शिकार बनते हैं। यह लोग किसी दुर्घटना में भी चोट खाते हैं।
नवंबर माह में पैदा होने वालों की आर्थिक स्थिति:
यह लोग अपने व्यवसाय में कठोर परिश्रम करते हैं। अंततः इन्हें आर्थिक लाभ होता रहता है। तदापि पैसा इनकी जेब में अधिक समय तक नहीं टिकता। यह लोग यात्राओं पर भी अपना धन खूब खर्च करते हैं। विपरीत लिंगी की आर्थिक सहायता करने में भी इनका धन खूब खर्च होता है। फिर भी इनकी जिंदगी में अनेक उतार-चढ़ाव के बावजूद आर्थिक स्थिति ठीक ठाक बनी रहती है।
नवंबर माह में पैदा होने वालों का भाग्यशाली रत्न , लक्की बर्थ स्टोन:
नवंबर में पैदा होने वाले लोगों का भाग्यशाली रत्न ,यानी लक्की बर्थ स्टोन पुखराज को माना गया है। पुखराज को मित्र बनाने वाला रत्न माना गया है। यह धारण करने वालों को चिंताओं से बचाता है। यद्यपि यह रत्न धनवान बनाने के साथ साथ पहनने वाले के मस्तिष्क और मन पर बहुत लाभप्रद प्रभाव डालता है। इससे इनकी सोच में बदलाव आता है और वह सकारात्मक सोच पाते हैं। यह रत्न इन्हें मानसिक कामों में अधिक सफलताएं प्रदान करता है।
दरअसल ,नवंबर का महीना वृश्चिक राशि के क्षेत्र में आता है। वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल होते हैं। पश्चिमी ज्योतिष के अनुसार इस राशि का लक्की बर्थ स्टोन पुखराज और इस प्रकार के अन्य रत्न माने गए हैं। पुराने जमाने के लोग तो इस रत्न को यंत्र के रूप में तैयार करके अनेक रोगों से बचाने के लिए धारण किया करते थे। गठियां और छोटे जोड़ों के दर्द ,पागलपन, समय से पहले मृत्यु से बचने के लिए भी इस से निर्मित माला को सर्वोत्तम माना जाता था।
प्रसिद्ध रोमन लेखक प्लिनी ने इस रत्न का एक नाम शक्ति रत्न भी लिखा है। इसलिए इसको धारण करने वाला व्यक्ति धनवान और शक्तिमान दोनों ही बनता है। वह एक तरह से विक्रमजीत और हातिमताई के समान विशाल हृदय और दानवीर बन जाता है। पुराने जमाने में इस चमत्कारी रत्न को सोने के ताबीज में जड़वा कर गले में धारण किया जाता था या फिर बाएं बाजू में बांधा जाता था। इससे धन वृद्धि तो होती थी, ज्ञान भी बढ़ता था। लोगों का विश्वास था कि इस रत्न को धारण करने से खुशी और प्रसन्नता के स्वप्न आते हैं। इससे मनुष्य सदैव प्रसन्न चित्त बना रहता है। विवाहित लोगों के प्रेम को यह रत्न, स्टोन की भांति कठोर और मजबूत बना देता है।