ब्रहस्पति का रत्न पीला पुखराज/जानिए इसकी विशेषता,लाभ और नुकसान

Name-Yellow Sapphire
Colour-Lemon Yellow, Light Yellow
Origin-Shri Lanka, India, Africa
Ideal For-Rings, Lockets, Loose Gemstone

ब्रहस्पति का रत्न पीला पुखराज

इस पोस्ट में हम जानेंगे ब्रहस्पति का रत्न ,पीला पुखराज धारण करने के लाभ और नुकसान।

ज्योतिष में रत्नों का धारण करना कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर किया है।  बृहस्पति हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। बृहस्पति ज्ञान और दर्शन का प्रतीक है।  न्याय, धन, संतान, धर्म ,लंबी यात्राएं और तीर्थ इसी  ग्रह की स्तिथि के अनुसार देखी जाती हैं। बृहस्पति दो राशियों का स्वामी है , धनु और मीन। 

ब्रहस्पति का रत्न पीला पुखराज, बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करता है, बृहस्पति सूर्य से पांचवां ग्रह है और पीले रंग का उत्सर्जन करता है।
अगर जन्म पत्रिका में बृहस्पति नकारात्मक है ,तो नकारात्मक परिणाम देता है।  व्यक्ति बेईमान हो सकता है और जीवन में अपमान आदि का सामना करना पड़ सकता है। यदि बृहस्पति पाप ग्रहों के साथ स्थित हो या janm patrika में पाप ग्रह की दृष्टि हो तो परिणाम एक समान होंगे।

गुरु जिसे बृहस्पति भी कहा जाता है ,वे नवग्रहों के स्वामी ग्रह माने जाते हैं। ब्रहस्पति का रत्न पीला पुखराज होता है। पीला पुखराज बृहस्पति का मुख्य रत्न है। यह बृहस्पति को मजबूत करने के लिए धारण किया जाता है। इसका प्रभाव काफी तेज होता है और लंबे समय तक बना रहता है।

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पुखराज का जातक के जीवन पर प्रभाव ।

रत्नों में पुखराज को सबसे शुभ रत्न माना जाता है। पुखराज धारण करने से आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत होती है और पुखराज को एक राजा रत्न का दर्जा भी दिया गया है। पुखराज धारण करने से मान-सम्मान ,यश ,कीर्ति की वृद्धि होती है, गौरव बढ़ता है।
पुखराज धारण करने से धन में वृद्धि होती है ,जीवन मंगलमय होता है ,भाग्य जीवन की छोटी छोटी चीजों में भी साथ देता है, पद प्रतिष्ठा प्रदान करता है।

पुखराज रत्न मन को शांत करता है और मन में आने वाले नकारात्मक विचारों को दूर करता है। पुखराज रत्न धारण करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है ,वाणी की शक्ति प्राप्त होती है ,इसे धारण करने से जातक का व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है, व्यक्तित्व में तेज आता है ,और अगर जातक किसी तरह के आध्यात्मिक कार्य करता है तो उसमें उसे अत्यंत लाभ प्राप्त होता है

जो व्यक्ति धार्मिक कार्य आध्यात्मिक कार्य शिक्षा वाणी के क्षेत्रों से संबंध रखते हैं उन लोगों के लिए सामान्यत पुखराज लाभकारी ही होता है।

१२ राशियाँ

ब्रहस्पति का रत्न पुखराज और व्यवसायिक जीवन ।

बृहस्पति का सबसे उपयुक्त पेशा अध्यापन, व्याख्याता, प्राध्यापक, छात्रों को ज्ञान बांटना, सरकारी क्षेत्रो,राजनीती, आदि का होता है, इन पेशों के जातको के लिए पुखराज धारण करना लाभदायक होता है । 
यदि बृहस्पति जन्म पत्रिका में कमजोर है ,या नीच अवस्था में है ,या शत्रु राशि में है, तो बृहस्पति के वांछित परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती है। व्यक्ति के पास ज्ञान और धन की कमी होती है , अस्थिरता, अपमान से पीड़ित होता है। असफलता मिलती है। वह झूठा और धोखेबाज भी हो सकता है।

शक्तिशाली बृहस्पति व्यक्ति को सौभाग्य ,भाग्य और ज्ञान के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है।यदि बृहस्पति जन्म पत्रिका में निर्बल परिणाम दे रहा है ,तो पीला पुखराज धारण करना चाहिए। पीला पुखराज सफलता प्रदान करता है और बृहस्पति की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। 
वरिष्ठ सदस्यों के साथ-साथ ,शिक्षकों के साथ संबंधों में सुधार होता है और धारण करने वालों को बड़ों का आशीर्वाद मिलता है।

पीला पुखराज धारण
पीला पुखराज धारण

पीला पुखराज धारण करने की विशेष सकारात्मक स्तिथियां।

जन्म कुंडली में बृहस्पति देव यदि शुभ भाव में स्थित है और अंशात्मक दृष्टि से कमजोर है तो पुखराज आवश्य धारण करना चाहिए और पुखराज धारण करने से जीवन में लाभ प्राप्त होते हैं।

अगर जन्म लग्न कुंडली में बृहस्पति देव शुभ भावों के स्वामी होकर शुभ भावों में बैठे हैं और वक्री है ,तो बृहस्पति का रत्न पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए।

धनु और मीन लग्न की कुंडली में यदि बृहस्पति देव तीसरे, छठे ,आठवें और बारहवें भाव में वक्री है तो आप पुखराज रत्न धारण कर सकते हैं।

अगर जन्मपत्रिका में बृहस्पति अस्त है और शुभ भावों के स्वामी होकर शुभ भाव में बैठे हैं तो पुखराज रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।

अगर बृहस्पति देव धनु और मीन लग्न की कुंडली में अस्त अवस्था में है ,और चाहे वह जन्मपत्रिका के किसी भी भाव में बैठे हो तो पुखराज रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।

लग्नानुसार रत्न निर्धारण

पीला पुखराज धारण करने की विशेष नकारात्मक स्तिथियां।

यदि कुंडली में बृहस्पति देव सप्तम भाव में वक्री है ,तो पुखराज कभी ना पहने केवल ब्रहस्पति देव के अन्य उपाय करें और उन्हीं से ही इनके शुभ फल प्राप्त होंगे।

बृहस्पति देव यदि तीसरे ,छठे ,आठवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और इन्हीं भावों में ही बैठे हैं और साथ में वक्री हैं तो आपको पुखराज रत्न धारण नहीं करना चाहिए।

किन-किन लग्नों के लिए बृहस्पति का रत्न पुखराज धारण करना शुभ होता है।

मेष लग्न ,कर्क लग्न, सिंह लग्न, वृश्चिक लग्न ,धनु लग्न ,मीन लग्न में बृहस्पति बहुत अच्छे योगकारक होते हैं।
वृष लग्न ,तुला लग्न ,मकर लग्न ,कुंभ लग्न ,वाले जातकों को पुखराज कभी भी धारण नहीं करना चाहिए।
मिथुन और कन्या लग्न में कुछ विशेष स्थितियों में महादशा में पुखराज धारण किया जा सकता है।

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पारिवारिक जीवन।

पारिवारिक संबंधों में, बृहस्पति परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का प्रतीक है। बृहस्पति वैवाहिक जीवन के कारक भी माने जाते है ,कन्याओं के विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए भी पीला पुखराज एक अत्यंत शुभ रत्न है ,महिलाओं के विवाह और वैवाहिक जीवन में पीला पुखराज लाभकारी रहता है।
संतान उत्पत्ति में भी पुखराज रत्न को अत्यंत शुभ माना गया है ,विशेषकर पुत्र संतान की प्राप्ति के लिए।

पीला पुखराज धारण करने के नुकसान।

लेकिन इन सबके साथ साथ जातक की कुंडली में बृहस्पति की स्थिति भी देखनी पड़ती है। अगर स्थिति नकारात्मक है ,तो उसके तो पुखराज धारण करने से अशुभ और बुरे प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। इसलिए जन्मपत्री दिखाएं बगैर ,बिना किसी की सलाह के पुखराज रत्न धारण करना वर्जित होगा। क्योंकि यह नकारात्मक प्रभाव दे सकता है और गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है।
आर्थिक नुकसान और धन की हानि भी कर सकता है। पेट और लीवर से संबंधित समस्याएं दे सकता है। मोटापा काफी ज्यादा बढ़ सकता है।
व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार लाता है। कभी-कभी अवसाद या डिप्रेशन भी देता है। इसके कारण बड़ा आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।

पीला पुखराज धारण विधि।

सोने का छल्ला धारण करने से भी ब्रहस्पति का लाभ प्राप्त होता है।

पुखराज को सोने में तर्जनी उंगली में बृहस्पतिवार को सुबह सूर्योदय के समय धारण किया जाता है।
3 से 5 कैरेट का पुखराज सोने या अष्ट धातु में धारण करना चाहिए।

किसी भी शुक्ल पक्ष को बृहस्पतिवार को सूर्योदय के पश्चात अंगूठी को दूध, घी, शक्कर, गंगाजल और शहद के पंचामृत में रखें। फिर अंगूठी को गंगाजल से स्नान कराएं ,उसके पश्चात देव गुरु बृहस्पति की पूजा करते हुए अगरबत्ती जलाएं और अपने ऊपर से पुखराज रत्न की अंगूठी को ७ बार घुमाएँ ,और 108 बार बृहस्पति का मंत्र “ॐ बृं बृहस्पतये नम:” का जाप करें। प्रार्थना करें कि बृहस्पति देव का आशीर्वाद प्राप्त हो और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो ,और जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त हो। इसके बाद पुखराज रत्न की अंगूठी को तर्जनी उंगली में धारण कर ले।

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