माणिक्य रत्न धारण करने के नियम|माणिक्य किसको धारण करना चाहिए

जानें, माणिक्य रत्न धारण करने के नियम और पहचान

माणिक्य रत्न सूर्य का प्रतिनिधि रत्न होता है। इसके विभिन्न नाम है जैसे – माणिक, माणिक्य, रविरत्न ,मनिभयम, पद्मराग तथा चुन्नी आदि। अंग्रेजी में इसे रूबी कहते हैं। माणिक प्राय लाख के रंग के समान रंग वाला होता है। लेकिन माणिक कमल व गुलाब के रंग का भी होता है। यह पारदर्शी व अपारदर्शी दोनों तरह का होता है।

माणिक्य रत्न
माणिक्य रत्न

माणिक का जन्म

सबसे अधिक मूल्यवान माणिक ऐसे पहाड़ों में जन्म लेते हैं ,जिन पहाड़ों में ग्रेनाइट और अभ्रक की परतदार चट्टाने हो, वही माणिक भी प्राप्त होता है। इन्हीं चट्टानों में कांचमणि या बिल्लौर भी प्राप्त होता है। ऐसी चट्टाने हिमालय पर्वत के कई स्थानों, कश्मीर आदि में है। रासायनिक संरचना के रूप में माणिक एल्यूमीनियम ऑक्साइड का रूप होता है।

माणिक की विशेषता एवं धारण करने से लाभ

माणिक की सबसे बड़ी विशेषता इसका चित्ताकर्षक सुंदर लाल रंग एवं इसकी कटिंग होती है। सुर्ख लाल रंग के पारदर्शी माणिक प्राय कम ही प्राप्त होते हैं ,तथा इनका मूल्य भी काफी अधिक होता है।

माणिक रत्न धारण करने से वंश की वृद्धि होती है। इसे धारण करने से धारक को सुख संपत्ति ,धन-धान्य तथा रत्न आदि की प्राप्ति होती है। इसके प्रभाव से भय, व्याधि तथा दुःख, क्लेश आदि सभी दूर होते हैं। माणिक धारण करने से सूर्य के सभी दुष्प्रभाव नष्ट हो जाते हैं, तथा धारक को असीम सुख की प्राप्ति होती है।

माणिक्य रत्न
माणिक्य रत्न

माणिक रत्न क्यों पहना जाता है?

माणिक्य सूर्य ग्रह का रत्न है, इसलिए, जब किसी की जन्म पत्रिका में सूर्य शुभ होकर कमजोर अवस्था में हो, अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो, तो साधारणतः माणिक्य रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
सूर्य के शुभ प्रभावों को ग्रहण करने के लिए माणिक्य धारण किया जाता है।
इसके आलावा जन्म कुंडली की और भी कई स्तिथियों के अनुसार माणिक्य रत्न धारण करने को बोला जाता है।

वैसे अगर सटीक कुंडली विश्लेषण से माणिक्य धारण किया जाये तो, इसमें सूर्य की ही तरह तेज और शक्ति है,
सूर्य रत्न माणिक्य इतना प्रभावशाली रत्न है की यह जीवन में क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है।

इसके आलावा जो व्यक्ति सूर्य रत्न माणिक्य धारण करते है, सूर्य देव उनसे विशेष प्रसन्न रहते है, और अपना आशीर्वाद प्रदान करते है।

राजनीती से जुड़े हुए व्यक्तियों को, और सरकारी कार्यों से जुड़े व्यक्तियों को तो माणिक्य जरूर धारण करना चाहिए,
राजनीती और सरकारी क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों का सूर्य आवश्य प्रबल होता है, तभी वे इन क्षेत्रों में पहुंचते है।

सूर्य ग्रह सरकारी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है, और अगर आप सरकारी जॉब के लिए बार बार प्रयास कर रहे है, लेकिन हर बार किसी छोटी छोटी रूकावट से रह जाते है, तो आपको आवश्य तुरंत माणिक्य धारण करना चाहिए, ताकि जो सूर्य की शक्ति आपको पूरी तरह से प्राप्त नहीं हो पा रही है, वह ऊर्जा और शक्ति माणिक्य पूरी करे और आप सफल हो।

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माणिक्य किसको धारण करना चाहिए

लग्न अनुसार माणिक्य धारण।

माणिक्य सूर्य का रत्न है ,इसलिए सूर्य जिस कुंडली में किसी शुभ भाव का स्वामी हो तो उसके जातक के लिए माणिक्य शुभ फलदायक होगा।

1.मेष लग्न में सूर्य पंचम त्रिकोण का स्वामी है और लग्नेश मंगल का मित्र है। अंततः मेष लग्न के जातक बुद्धि, बल प्राप्त करने आत्मोन्नती के लिए तथा संतान सुख, प्रसिद्धि ,राज्य कृपा प्राप्ति के लिए सदा माणिक्य धारण कर सकते हैं। सूर्य की महादशा में माणिक्य धारण करने से शुभ फल प्राप्त होगा।

2.वृष लग्न की कुंडली में सूर्य चतुर्थ केंद्र का स्वामी है। परंतु सूर्य लग्नेश शुक्र का शत्रु है। इसलिए इस लग्न के जातकों को माणिक के केवल सूर्य की महादशा में धारण करने से शुभ फल प्राप्त होगा। उनको इसके धारण करने से मानसिक शांति ,सुख, विद्या अध्ययन में सफलता ,ग्रह ,भूमि लाभ , मातृ सुख तथा वाहन सुख प्राप्त होगा।

3.मिथुन लग्न की कुंडली में सूर्य तृतीय भाव का स्वामी होगा। अंततः इस कुंडली के जातक को यह रत्न कभी भी धारण करना लाभप्रद ना होगा।

4.कर्क लग्न के लिए सूर्य धन भाव का स्वामी होगा। इस कुंडली में सूर्य लग्नेश चंद्र का मित्र भी है। इस कुंडली के जातक धन का आभाव या आंखों में कष्ट होने के समय माणिक्य धारण कर सकते हैं। धन भाव मारक भाव भी है ,अंततः माणिक यदि मोती के साथ धारण किया जाए तो श्रेयस्कर होगा। सूर्य की महादशा में माणिक्य विशेषकर शुभ फलदायक होगा।

5.सिंह लग्न में सूर्य लग्नेश है। अंततः इस लग्न के लिए माणिक्य अत्यंत शुभ फलदायक रत्न है और इस लग्न के जातक को आजीवन माणिक्य धारण करना चाहिए। इसके धारण करने से जातक शत्रुओ मध्य में निर्भय होकर रह सकेंगे और शत्रु पक्ष से उनके विरुद्ध जो भी कार्रवाई होगी ,उससे उनकी बराबर रक्षा होती रहेगी। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा भी करेगा और आयु में वृद्धि होगी। इस लग्न के जातक अत्यंत भावुक होते हैं। अपने मानसिक संतुलन को बनाए रखने तथा आत्मबल की उन्नति के लिए सदा माणिक्य धारण करना चाहिए।

6.कन्या लग्न में सूर्य द्वादश का स्वामी होता है। इस लग्न के जातक को माणिक कभी नहीं धारण करना चाहिए।

7.तुला लग्न की कुंडली में सूर्य जो लग्नेश का शत्रु है ,एकादश लाभ भाव का स्वामी होता है। इस लग्न के जातक को माणिक के केवल सूर्य की महादशा में धारण करना चाहिए।

8.वृश्चिक लग्न में सूर्य दशम भाव का स्वामी होता है। यहां सूर्य लग्नेश का मित्र होता है। अंततः राज्य कृपा ,प्रतिष्ठा ,मान सम्मान ,व्यवसाय या नौकरी में उन्नति प्राप्त करने के लिए माणिक्य धारण करना शुभ फलदायक होगा। सूर्य की महादशा में इसका रत्न धारण करना विशेष रूप से शुभ होगा।

9.धनु लग्न में सूर्य नवम भाग्य भाव का स्वामी होता है। यहां भी वह लग्नेश का मित्र है अंततः धनु लग्न के जातक माणिक के भाग्योन्नति, आत्मोन्नति तथा पितृ सुख के लिए आवश्यकता अनुसार धारण कर सकते हैं। सूर्य की महादशा में माणिक के विशेष रूप से शुभ होगा।

10.मकर लग्न के लिए सूर्य अष्टम भाव का स्वामी है। इसका लग्नेश शनि का और सूर्य में परस्पर शत्रुता भी है। अंतत इस लग्न के जातक को माणिक के कभी नहीं धारण करना चाहिए।

11.कुंभ लग्न में सूर्य सप्तम भाव का स्वामी होता है, जो भाव विशेष रूप से मारक स्थान है और क्योंकि सूर्य मारक होकर लग्नेश का शत्रु है। अंतत कुम्भ जातकों को माणिक्य से दूर रहना चाहिए।

12.मीन लग्न के जातकों को भी माणिक्य धारण करना उचित नहीं होगा। क्योंकि इस लग्न में सूर्य छठे भाव का स्वामी होता है। इस लग्न में एक अपवाद हो सकता है क्योंकि सूर्य लग्नेश बृहस्पति का मित्र है। अंततः यदि सूर्य छठे भाव का स्वामी होकर छठे भाव ही में स्थित हो , सूर्य की महादशा में माणिक्य धारण किया जा सकता है।

माणिक की पहचान

असली माणिक की पहचान निम्नलिखित है:-

यह लाल अथवा श्याम वर्ण मिश्रित रंग का या लाख के रंग का पारदर्शी अथवा अपारदर्शी दोनों ही तरह का होता है।

यह सनिग्ध, कांतियुक्त ,आबदार और चमकीला होता है।

असली माणिक को हथेली पर रखने से कुछ ताप सा प्रतीत होता है ,तथा यह साधारण से कुछ वजनदार होता है।

प्रातः काल सूर्य के प्रकाश में रखने से इसमें से किरणे सी निकलती हुई प्रतीत होती हैं।

असली माणिक कुछ रेशेदार होता है

माणिक्य रत्न की कीमत क्या है?

माणिक्‍य रत्‍न की कीमत कई चीज़ों पर निर्भर करती है। भारत में माणिक्‍य स्‍टोन की कीमत 450 से लेकर 2 लाख प्रति रत्ती तक हो सकती है।

माणिक्य एक खूबसूरत और मूलयवान रत्न है, बर्मा और श्रीलंका के माणिक्य काफी कीमती होते है। माणिक्‍य रत्‍न कीमत उसकी क्वालिटी के ऊपर निर्भर रहती है।

बर्मा और श्रीलंका माणिक्य तो ३००० से ४००० रूपए प्रति कैरट से शुरू होते है और लाखों रूपए प्रति कैरट तक होते है।
इसलिए, बर्मा और श्रीलंका का माणिक्य हर व्यक्ति के बस की बात नहीं है।

साधारणतः बाजार में न्यू बर्मा और जगदलपुर का कोरन्डम माणिक्य बाजार में उपलब्ध है, जो की हर व्यक्ति की पहुंच में आ जाता है।
न्यू बर्मा और जगदलपुर का माणिक्य आपको ४५० से १००० रूपए प्रति कैरट तक उपलब्ध हो जायेगा और आप बगैर किसी संकोच के इसे धारण कर सकते है और लाभ उठा सकते है।

इसके आलावा फिर भी अगर आप किसी कारण से माणिक्य पहनने में असमर्थ है, तो आप माणिक्य का उपरत्न भी धारण करके लाभ उठा सकते है।
माणिक्य का उपरत्न लाल गार्नेट होता है, यह आपको २०० से ५०० रूपए प्रति कैरट उपलब्ध हो जायेगा।

माणिक्य का उपरत्न लाल गार्नेट

माणिक धारण विधि

माणिक की अंगूठी को सोने या चांदी में बनवाकर, रविवार के दिन कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध करके निम्नलिखित सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।

मन्त्र:- ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।

माणिक की अंगूठी इस प्रकार से बनवाएं कि उसका निचला भाग खुला रहे या उंगली से स्पर्श करता रहे।

जो व्यक्ति माणिक पहनने में असमर्थ हों उन्हें माणिक स्टार ,गार्नेट या रतवा हकीक धारण करना चाहिए। यह रत्न भी सिंह राशि वालों के लिए लाभदायक हैं तथा सूर्य जनित दोषों को शांत करते हैं। इन्हें भी माणिक की ही भांति धारण किया जाता है।

माणिक्य रत्न

माणिक रत्न के फायदे और नुकसान

अगर आप माणिक्य धारण करते है, तो आपको यह भी जानना आवश्यक है की माणिक्य धारण करने के लाभ के साथ साथ आपको क्या हानि भी हो सकती है।

इसकी सबसे साधारण सी यह पहचान है की, जब आप माणिक्य धारण करते है, तो आप अपने आप में एक आत्मविश्वास महसूस करने लगते है, आपकेचेहरे में चमक बढ़ जाती है, कारोबार और सरकारी कामकाज, सरकारी क्षेत्रों से लाभ प्राप्त होने लग जाता है।
पिता से सम्बन्ध मधुर रहते है, परिवार के सदस्यों से भी रिश्ते मधुर रहते है।

वही, दूसरी तरफ अगर माणिक्य आपके लिए नुकसानकारक होता है, तो सबसे पहले तो आपको शारीरिक परेशनियां होने लगेंगी, आँखों और दृष्टि को लेकर परेशानी होने लगेगी, जोड़ों और हड्डियों को लेकर समस्याएं शुरू होने लगेंगी।

इसके आलावा सामजिक अपमान, पारिवारिक कलह, कारोबारी परेशानियां और नकारात्मकता, समस्याएं शुरू हो जाएगी।

तो, आपको यह समझ जाना चाहिए की माणिक्यआपके लिए नुकसानकारी साबित हो रहा है।

माणिक्‍य धारण के समय किन विशेष बातों को धयान में रखें

  • सबसे प्रथम तो जन्म कुंडली का किसी विशेषज्ञ से शुष्म निरिक्षण करने के बाद ही माणिक्य रत्न धारण करे।
  • माणिक्य रत्न के साथ हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनियां कभी भी धारण ना करे, क्योंकि इन रत्नों के ग्रह स्वामी सूर्य के परम शत्रु है, ऐसा करने से नुकसान होने की प्रबल सम्भावना होती है।
  • माणिक्य के साथ अगर आप ब्रहस्पति का रत्न पीला पुखराज धारण करते है, तो यह दोनों रत्न बहुत लाभकारी होते है। माणिक्य सामाजिक,प्रशासनिक, कर व्यापारिक लाभ देता है और पीला पुखराज इसमें सहयोग करते हुए, धन लाभ प्रदान करता है।
  • माणिक्य मेष, सिंह और धनु लग्न वाले जातकों के लिए शुभ और उनत्तिदायक होता है।
  • माणिक्य कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न के व्यक्तियों के लिए साधारण योगकारक होता है।
  • वृषभ लग्न में में सूर्य पंचमेश होता है, इसलिए अगर सूर्य शुभ भाव में स्तिथ है, तो सूर्य की महादशा में माणिक्य लाभकारी परिणाम दे सकता है।
  • कन्या, मकर, मिथुन, तुला और कुम्भ लग्न वाले जातकों को माणिक्य धारण करने से दूर ही रहना चाहिए, क्योंकि इन लग्नों में माणिक्य शुभ परिणाम नहीं देता है।
  • ऐसे जातक जो उच्च रक्तचाप, रक्तः की बिमारियों और हृदय रोग से ग्रस्त है, उन्हें विशेष ज्योतिषीय सलाह के बाद ही माणिक्य धारण करना चाहिए।
  • ऐसे जातक जिनके अपने पिता से सम्बन्ध मधुर नहीं है, पिता से बनती नहीं है, आपसी मतभेद है, यह सूर्य के बुरे प्रभावों की वजय से ही होता है, ऐसी परिस्थिति में वे माणिक्य धारण करते है, तो सूर्य के प्रभावों के और अधिक वृद्धि हो जाएगी और सम्बन्ध और बिगड़ सकते है।

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