पन्ना रत्न किसे धारण करना चाहिए! Panna ratna ke fayde

पन्ना रत्न

पन्ना बुध ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना जाता है। इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। हरितमणि ,मरकत ,पांचू ,पन्ना तथा अंग्रेजी में इसे एमराल्ड कहते हैं। पन्ना हरे तथा तोते के पंख के समान रंग वाला होता है। बैरुज जाति के पत्थरों में एक विशेष प्रकार का पत्थर पाया जाता है ,इसी को पन्ना कहते हैं। पन्ना अति प्राचीन , बहुप्रचलित तथा मूल्यवान रत्न होता है। मूल्यवान रत्नों की श्रेणी में इसका तीसरा स्थान है।

आइये इस पोस्ट में जानते है-पन्ना रत्न किसे धारण करना चाहिए! Panna ratna ke fayde

पन्ने का जन्म

पन्ना ग्रेनाइट तथा पैगमाटाइट चट्टानों के अतिरिक्त दरारों और परतदार चट्टानों के ढेरों में जन्म लेता है। रासायनिक संगठन के रूप में इस में पोटैशियम ,सोडियम, लिथियम ,शिशियम आदि क्षारीय तत्व सम्मिलित रहते हैं। भारत में पन्ना अजमेर, उदयपुर ,भीलवाड़ा ,तथा छतरपुर में प्राप्त होता है। विदेशों में यह पाकिस्तान, अफ्रीका ,अमेरिका ,ब्राज़ील ,कोलंबिया ,मेडागास्कर द्वीप तथा साइबेरिया में प्राप्त होता है। आजकल सर्वोत्कृष्ट पन्ना के लिए कोलंबिया की खाने प्रसिद्ध है। दूसरे दर्जे के पन्ने रूस तथा ब्राजील से प्राप्त होते हैं। पन्ना प्राय पारदर्शी और अपारदर्शी दोनों ही रूपों में पाया जाता है। पारदर्शी पन्ने में हल्का सा जाला अथवा रेशा अवश्य पाया जाता है। प्राय सर्वथा निर्दोष पन्ना कम ही उपलब्ध होता है और अगर मिलता भी है तो इसका मूल्य इतना अधिक होता है ,कि इसे खरीदना आम आदमी के बस का नहीं होता।

पन्ने की विशेषता एवं धारण करने से लाभ

पन्ना नेत्र रोग नाशक व ज्वरनाशक होता है। साथ ही पन्ना सन्निपात ,दमा ,शोध आदि व्याधियों को नष्ट करके शरीर में बल व वीर्य की वृद्धि करता है। पन्ने की प्रमुख विशेषता यह है कि पन्ना धारण करने से बुध जनित समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं। इसके धारण करने से धारक की चंचल चित्र वृतिया शांत व संयमित रहती हैं ,तथा धारक को मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसके धारण करने से मन एकाग्र होता है। यह काम क्रोध आदि विकारों को शांत कर धारक को असीम सुख व शांति प्रदान करता है। इसलिए ईसाई पादरी लोग प्राय पन्ना धारण किए रहते हैं।

पन्ना किसे धारण करना चाहिए।

पन्ना बुध का रत्न है ,जिस कुंडली में बुध शुभ भावों का स्वामी हो ,उसके जातक को पन्ना धारण करना शुभ फलदायक होगा।

लग्न के अनुसार पन्ना रत्न का धारण करना।

1.मेष लग्न के लिए बुध दो अनिष्ट भावों ,तृतीय और छठे का स्वामी है। अंततः इस लग्न के जातकों के लिए पन्ना अत्यंत हानिकारक रत्न है।

2.वृषभ लग्न के लिए बुध द्वितीय और पंचम त्रिकोण का स्वामी होकर ,एक शुभ ग्रह बन जाता है। इसके धारण करने से जातक को पारिवारिक शांति ,धन लाभ ,बुद्धि ,बल ,संतान सुख ,यश ,मान तथा भाग्यउन्नति प्राप्त होती है। बुध की महादशा में पन्ना धारण करना विशेष रूप से शुभ फलदायक होता है। यदि इस लग्न के जातक पन्ने को हीरे के साथ पहने तो ,यह जोड़ा उनके जीवन में समृद्धि देगा।

3.मिथुन लग्न के लिए बुध ,लग्न और चतुर्थ का स्वामी है। इस लग्न के जातक को पन्ना सदा रक्षा कवच के रूप में धारण करना चाहिए। इसके धारण करने से उसको शरीर सुख ,धन लाभ ,आयु वृद्धि , मातृ सुख ,विद्या में उन्नति ,मानसिक शांति ,तथा ग्रह भूमि और वाहन सुख प्राप्त होते हैं। बुध की महादशा में विशेष रुप से शुभ फलदायक है।

4.कर्क लग्न के लिए बुध दो अशुभ भावों ,तृतीय और द्वादश का स्वामी होता है। इस लग्न के जातक को पन्ना धारण करना वर्जित समझा जाता है।

5.सिंह लग्न के लिए बुध ,द्वितीय और एकादश का स्वामी होता है। इस लग्न के जातक को बुध की महादशा में पन्ना धारण करने से संतान सुख ,पारिवारिक सुख, अतुल धन लाभ ,यश और मान प्राप्त होता है।

6.कन्या लग्न के लिए बुध ,लग्न तथा दशम भाव का स्वामी होता है। इस लग्न के जातक को पन्ना सदा धारण करने से लाभ ही लाभ है। वह शरीर और स्वास्थ्य की रक्षा करता है ,आयु में वृद्धि देता है ,तथा व्यवसाय में उन्नति ,राज्य कृपा, मान, प्रतिष्ठा प्राप्त कराता है। बुध की दशा में पन्ना विशेष रूप से शुभ फलदायक होता है।

7.तुला लग्न के लिए पन्ना नवम और दशम भाव का स्वामी होता है। द्वादश में उसकी मूल त्रिकोण राशि पड़ती है। परंतु तब भी नवम त्रिकोण का स्वामी होने के कारण बुध इस लग्न के लिए शुभ ग्रह माना गया है। तुला लग्न वाले यदि पन्ना सदा धारण करें, तो हीरे के साथ धारण करना उत्तम होगा। बुध की महादशा में तो पन्ना धारण करने से लाभ ही लाभ होना चाहिए। इसका एक कारण और है बुध लग्नेश शुक्र का प्रिय मित्र है।

8.वृश्चिक लग्न के लिए बुध अष्टम और एकादश का स्वामी है। लग्नेश मंगल और बुध परस्पर मित्रता नहीं है। अंतत बुध इस लग्न के लिए शुभ ग्रह नहीं माना जाता ,तब भी यदि एकादश का स्वामी होने के कारण यदि बुध लग्न ,द्वितीय ,चतुर्थ ,पंचम या नवम या एकादश में स्थित हो तो बुध की महादशा में पन्ना धारण करने से आर्थिक लाभ होगा और संपन्नता में वृद्धि होगी।

9.धनु लग्न के लिए बुध सप्तम और दशम भाव का स्वामी होता है। यह केंद्राधिपति दोष से दूषित होता है। तब भी बुध लग्न ,पंचम ,नवम या दशम या एकादश भाव में स्थित हो तो बुध की महादशा में आर्थिक लाभ ,व्यवसाय में उन्नति और समृद्धि में वृद्धि होगी। यदि बुध किसी निकृष्ट भाव में स्थित हो तो पन्ना ना पहनना ही श्रेयस्कर होगा।

10.मकर लग्न के लिए बुध ,छठे और नवम भाव का स्वामी होगा। नवम त्रिकोण में उसकी मूल त्रिकोण राशि भी पड़ती है। इस कारण से बुध इस लग्न के लिए शुभ ग्रह माना गया है। बुध लग्नेश शनि का मित्र भी है, इसलिए यदि पन्ना नीलम के साथ धारण किया जाए तो बहुत फलदायक होगा। बुध की महादशा में पन्ना धारण करना विशेष रूप से श्रेष्ठ होगा।

11.कुंभ लग्न के लिए बुध पंचम त्रिकोण और अष्टम भाव का स्वामी है। त्रिकोण का स्वामी होने के कारण ,वह इसके लिए शुभ ग्रह माना गया है। बुध की महादशा में पन्ना विशेष रूप से फलदायक है। यदि पन्ने को हीरे के साथ धारण किया जाए तो वह अत्यंत शुभ फलदायक बन जाएगा ,क्योंकि शुक्र इस लग्न के लिए चतुर्थ और नवम का स्वामी होने के कारण योगकारक ग्रह है। पन्ना लग्नेश शनि के रत्न नीलम के साथ भी धारण करने से शुभ फल देगा।

12.मीन लग्न के लिए बुध चतुर्थ और सप्तम का स्वामी होने के कारण केंद्राधिपति दोष से दूषित है। तब भी यदि बुध लग्न ,द्वितीय, पंचम ,नवम ,दशम या एकादश में स्थित हो या स्वराशि में सप्तम में भी हो तो आर्थिक दृष्टि से बुध की महादशा में शुभ फलदायक होगा। इतना अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि बुध इस लग्न के लिए प्रबल मारकर है। इसलिए उन्हें पन्ना धारण नहीं करना चाहिए। बुध आर्थिक लाभ देकर भी मारक ग्रह बन सकता है।

पन्ने की पहचान

असली पन्ने की पहचान निम्नलिखित है:-

पन्ना सुंदर हरी मखमली घास की भांति प्रियदर्शी हरित वर्ण का होता है। साथ ही यह हरे और सफेद मिश्रित रंग का अपारदर्शी भी होता है।

पन्ना पारदर्शी तथा अपारदर्शी दोनों ही रूपों में प्राप्त होता है।

असली पन्ने को लकड़ी पर रगड़ने से इसकी चमक में वृद्धि होती है।

असली पन्ने पर पानी की बूंद रखने से बूंद यथावत बनी रहती है।

इसमें भंगुरता होने के कारण यह गिरने से टूट सकता है।

पन्ना धारण विधि

पन्ने की अंगूठी सोने चांदी या प्लैटिनम में बनवा कर दाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली में धारण करना चाहिए। बुधवार के दिन प्रातः नित्य कर्म आदि से निवृत्त होकर कच्चे दूध और गंगाजल से अंगूठी को स्नान करवाकर निम्नलिखित मंत्र के उच्चारण के साथ धारण करना चाहिए।

मन्त्र:- ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय: नमः

पन्ने की अंगूठी इस प्रकार बनवाएं कि उसका निचला हिस्सा खुला रहे, उंगली से छूता रहें।

जो व्यक्ति पन्ना पहनने में असमर्थ हो वह उसके उपरत्न फिरोजा ,हरा मरगज ,हरा ओनेक्स अथवा हरा हकीक धारण कर सकते हैं। इन्हें भी पन्ने की भांति ही धारण किया जाता है। यह उपरत्न भी बुध ग्रह जनित दोषों को शांत कर मिथुन राशि वालों को लाभ प्रदान करते हैं।

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