गोमेद
गोमेद को राहु ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना गया है। इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है जैसे – गोमेद ,राहुरत्न ,गोमेदक तथा अंग्रेजी में इसे जिरकॉन कहते हैं। इसका रंग कुछ कालीमां युक्त लाल अथवा गोमूत्र के रंग के समान भी होता है। राहु जनित दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए इसे धारण करने का विधान शास्त्रों में दिया गया है।
Gomed Ratna : इन राशियों के लिए गोमेद लाभकारी,गोमेद के लाभ।वृषभ, मिथुन, कन्या ,तुला और कुंभ राशि वाले व्यक्तियों को गोमेद धारण करने से लाभ की प्राप्ति होती है। जिन जातकों की लग्न कुंडली में राहु प्रथम, चतुर्थ, पंचम, नवम, और दशम भाव में विराजमान हो उन्हें भी गोमेद धारण करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। फिर भी एक बार ज्योतिषी परामर्श लेना उत्तम रहता है।
गोमेद का जन्म
गोमेद सायनाइट नामक पत्थरों की चट्टानों में जन्म लेता है। रासायनिक दृष्टि से यह जीरकोनियम का सिलीकेट है। अधिक मूल्यवान रत्न ना होने के कारण यह प्राय आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसके आकर्षक रंग वह गुणों के कारण ही इसे नवरत्नों में स्थान दिया गया है।
भारत में गोमेद कश्मीर ,कुल्लू ,शिमला ,बिहार तथा उड़ीसा में प्राप्त होता है। विदेशों में यह बर्मा ,श्रीलंका तथा थाईलैंड में प्राप्त होता है। श्रीलंका तथा उड़ीसा से प्राप्त गोमेद को सर्वोत्तम माना गया है। यह लाल सुर्ख तथा गोमूत्र के रंग का पारदर्शी रत्न होता है।
गोमेद की विशेषता एवं धारण करने से लाभ
गोमेद को राहु ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना गया है। गोमेद धारण करने से राहु के अनिष्ट प्रभाव शांत होते हैं। चिकित्सा की दृष्टि से नकसीर ,ज्वर, वायु गोला ,प्लीहा तथा समस्त प्रकार के उदर रोगों में इसे लाभदायक माना गया है।
गोमेद के विषय में ऐसी मान्यता है कि इसे धारण करने से धारक को शत्रु का भय नहीं रहता। उसके शत्रु का नाश होता है तथा शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। संभवत इसके इसी गुण के कारण इसे कोर्ट कचहरी तथा मुकदमे आदि के विषय में लाभदायक माना गया है।
गोमेद की पहचान
असली गोमेद की पहचान निम्नलिखित है:-
यह गोमूत्र के रंग के समान अथवा कुछ कालीमां युक्त लाल रंग का पारदर्शी तथा अपारदर्शी रत्न होता है।
यह अन्य रत्नों की अपेक्षा अधिक वजनदार तथा भड़कदार होता है।
असली गोमेद को लकड़ी के बुरादे में रगड़ने से उसकी चमक में वृद्धि होती है।
गोमेद को कसौटी पर घिसने से उसकी कांति यथावत बनी रहती है।
इसे बल्ब रोशनी की ओर करके देखने से उसमें गोमूत्र के समान पारदर्शिता प्रतीत होती है।
गोमेद किसे धारण करना चाहिए
गोमेद राहु का रत्न है यह एक छाया ग्रह है। उसकी अपनी स्वराशि कोई नहीं है। जब राहु कुंडली में लग्न ,केंद्र ,त्रिकोण तथा तृतीय ,छठे और एकादश भाव में स्थित हो तो राहु की महादशा में गोमेद धारण करना लाभप्रद होता है। यदि राहु द्वितीय ,सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भाव में स्थित हो तो गोमेद धारण नहीं करना चाहिए।
गोमेद धारण विधि
गोमेद की अंगूठी सोने ,चांदी या तांबे में बनवाकर रविवार के दिन प्रातः काल कच्चे दूध और गंगाजल से स्नान कराकर दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में निम्नलिखित मंत्र उच्चारण के साथ धारण करना चाहिए।
मन्त्र :- ॐ रां राहवे नम:
गोमेद की अंगूठी इस प्रकार से बनवाएं कि उसका निचला भाग खुला रहे अथवा गोमेद से स्पर्श करता रहे।
गोमेद अधिक मूल्यवान व दुर्लभ रत्न नहीं होता ,इसलिए राहु के अनिष्ट प्रभाव से बचने के लिए इसकी बदल ना पहनकर इसी को धारण करना श्रेयस्कर है। जहां तक इसके उपरत्न का प्रश्न है ,इसका उपरत्न तुरसावा माना गया है।