सिंह लग्‍न वालों के लिए मित्र रत्‍न|लग्न कुंडली के अनुसार रत्न धारण

सिंह लग्‍न

सभी लग्नों में सिंह Lagn को विशेष दर्जा दिया गया है, ऐसा इसलिए क्योंकि सिंह Lagn का स्वामी सूर्य ग्रह होता है। सूर्य सब ग्रहों का राजा है। सूर्य एक ऐसा ग्रह है जो अपनी ऊर्जा से जीवन प्रदान करता है, और उसके तेज के सामने कोई नहीं ठहर सकता।

सूर्य की तरह ही सिंह लग्‍न वाले व्यक्ति अटल, साहसी और राजाओं की तरह अपना जीवन जीने वाले होते है।

जीवन में किसी भी प्रकार की विपत्तियों और संकटो से कभी नहीं घबराते, सिंह की तरह अपना जीवन जीना पसंद करते है, और सबपर अपना अधिपत्य रखना चाहते है, जिसमें वे सफल भी रहते है।

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सिंह लग्‍न और व्यवसाय

सिंह लग्न स्वामी सूर्य है, और सूर्य की ही तरह सिंह लग्न सिंह लग्न स्थिर लग्न होता है। सिंह लग्न में अगर शुक्र शुभ है, और बुध बली होकर केंद्र, त्रिकोण में बैठा है, तो सिंह जातक व्यवसाय में अच्छी तरक्की करते हुए धन लाभ कमाते है।

साथ में गुरु और चंद्र की मजबूत स्तिथि हो तो राजनीती और सरकारी क्षेत्रों में भी अपनी अच्छी पहचान बनाते हुए तरक्की करते है।

सिंह लग्न वाले अपने नेतागिरी वाले स्वाभाव वजय से भी राजनीती के क्षेत्रों में सफल होते है।

सिंह लग्‍न में धन योग

सिंह लग्न के जातकों की कुंडली में अगर बुध, गुरु और चंद्र की मजबूत और शुभ स्तिथि है तो सिंह लग्न वाले जातक जीवन में बहुत तरक्की करते हुए, अच्छा धन लाभ कमाते है। जीवन में घर, सम्पति का सुख भोगते है।

सिंहलग्‍न वाले जातकों के रत्न

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सिंह लग्न में माणिक्य

सिंह लग्न का स्वामी सूर्य है। अंततः सिंह लग्न में सूर्य बली रहने पर धन ,आयु, स्वास्थ्य ,कीर्ति ,उन्नति आदि सबकुछ प्रदान करते हैं। बलि सूर्य से मान-सम्मान मिलता है। सूर्य व्यक्ति के प्रभुत्व व प्रभाव में वृद्धि करते हैं। इससे हृदय ,हड्डियों, पाचन संबंधी रोग ,आंख की बीमारी में भी लाभ मिलता है। इसलिए इस लग्न में लग्नेश सूर्य का रत्न माणिक्य धारण से स्वास्थ्य ,तंदुरुस्ती ,मान सम्मान और धन प्रतिष्ठा आदि सभी का लाभ मिलता है। लेकिन सूर्य एक गर्म स्वभाव का ग्रह माना गए हैं। अंततः माणिक धारण से जातक का गुस्सा बढ़ सकता है। इसलिए अनेक ग्रंथों में सूर्य रत्न माणिक को तांबे या सोने की अंगूठी में जड़वाने की जगह चांदी में धारण करने के लिए कहा गया है ,क्योंकि एक तो चंद्रमा सूर्य के मित्र हैं ,और दूसरा चंद्रमा सब पर मातृ प्रभाव रखकर अपना शुभत्व प्रदान करते हैं। अंततः चांदी धारण से व्यक्ति का दिमाग ठंडा रहता है और शरीर में ताकत आती है।

सिंहलग्‍न में लाल मूंगा

मंगल सिंह रत्न के लिए योगकारक ग्रह बन जाते हैं। इस लग्न में मंगल चतुर्थ और नवम भाव के स्वामी बनने से राजयोग कारक रहते हैं। अंततः बलवान मंगल धन, यश ,भाग्य में वृद्धि करके राज्य अधिकारियों की ओर से सहयोग कराते हैं। अंततः मंगल का मूंगा रत्न धारण से सब प्रकार की सफलताएं मिलती है। यह जातक की पदोन्नति कराता है, सुख में विशेषकर गृहस्थ सुख शांति एवं समृद्धि देता है। यह जातक की माता के स्वास्थ्य में भी सुधार करता है।

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सिंहलग्‍न में पन्ना

सिंह लग्न में बुध एक तरफ आय के स्वामी बनते हैं ,तो दूसरी तरफ यह दूसरे भाव का स्वामी बन जाते हैं। अंततः बली बुध आयु ,विद्या में वृद्धि करता है। यह भाषण शक्ति में भी वृद्धि करता है। यह मामा ,मौसी के स्वास्थ्य में सुधार लाता है। बुआ के स्वास्थ्य में सुधार होता है। अंततः इन जातकों के लिए बुध रत्न पन्ना पहनने से तंदुरुस्ती में ही लाभ नहीं मिलता, बल्कि धन प्राप्ति ,आमदनी के मामले में भी लाभ होता है।

बुध में एक विशेष गुण और रहता है ,अगर यह शुभ ग्रह के साथ बैठे तो अच्छा और अशुभ बुरे ग्रह के साथ बैठे तो बुरा प्रभाव प्रदान करता है। इसलिए बुध रत्न धारण से पहले पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि बुध किस भाव और किस ग्रह के साथ स्थित है। बुध राहु ,शनि जैसे अशुभ ग्रहों के साथ तो स्थित नहीं है। अन्यथा बुध रत्न पन्ना धारण से अनुकूल फल की जगह प्रतिकूल फल भी मिल सकते हैं। वैसे तो बुध सूर्य के मित्र ग्रह हैं। इसलिए अगर सिंह लग्न वालों को यह रत्न अनुकूल आ जाए तो धन एव आय मामले में बहुत अनुकूल सिद्ध होता है।

सिंह-लग्न में पीला पुखराज

सिंह लग्न के लिए बृहस्पति पंचमेश और अष्टमेश रहते हैं। यह लग्नेश के मित्र ग्रह हैं। अंततः बली बृहस्पति धन और सौभाग्य में वृद्धि कारक बनते हैं ,इसलिए बृहस्पति रत्न पुखराज धारण से पुत्र के धन और सुख में वृद्धि होती है। यह पाचन शक्ति में सुधार करता है। बड़े साले के स्वास्थ्य में भी सुधार आता है। पुखराज धारण से बड़ी बहन के विवाह की संभावनाएं बढ़ती हैं। फिर भी पुखराज धारण से पहले इसे बांध कर देख लेना चाहिए कि पुखराज कैसा फल प्रदान कर रहा है।

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सिंह-लग्न में हीरा

यद्यपि सिंह लग्न वालों को कभी भी नीलम गोमेद और शुक्र रत्न हीरा धारण नहीं करना चाहिए। सिंह लग्न में शुक्र तृतीय एवं दशम भाव के स्वामी बनते हैं। फिर भी सिंह लग्न के लिए यह एक पापी ग्रह की भूमिका निभाते हैं। अंतत एक तरफ यह आयु ,मान सम्मान में वृद्धि करते हैं ,तो दूसरी तरफ यह विपरीत प्रभाव भी देते हैं।

सिंह लग्न में नीलम

सिंह लग्न में शनि षष्ठम और सप्तमेश बन कर स्थित होते हैं। अंततः एक तरफ बली शनि स्वास्थ्य और व्यापार में वृद्धि कारक बनते हैं ,तो वहीं दूसरी तरफ वह रोगों को आमंत्रण देते हैं। यह खर्च बढ़ाकर ऋण का बोझ भी बढ़ा देते हैं।

सिंह लग्न में मोती

सिंह लग्न वालों को चंद्र रत्न मोती पहनने से भी कोई लाभ नहीं मिलता ,क्योंकि इससे लग्न में चंद्रमा व्यय भाव के स्वामी बनकर स्थित रहता हैं। इसलिए मोती पहनने से खर्च बढ़ता है। अन्य प्रकार की परेशानियां आती हैं। यद्यपि इस लग्न में बलि चंद्रमा आंख के रोगों का शमन करता है। यह पिता की मानसिक शांति में वृद्धि करता है। रक्त संबंधी कुछ रोगों से भी मुक्ति संभव है। पर बहुत परीक्षण के बाद ही इसे धारण करना चाहिए।

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