गार्नेट रत्न के लाभ
इसे हिंदी में याकूत और रक्तमणि के नाम से जाना जाता है। यह उपरत्न लाल रंग का कठोर होता है ,और इसका अधिपति सूर्य होता है। घड़ियों में ज्वेल के रूप में प्रयोग होने वाले अधिकतर गार्नेट होते हैं। परंतु बहुमूल्य घड़ियों में माणिक्य और नीलम प्रयोग में आते हैं। आइये जाने गार्नेट रत्न के लाभ
गार्नेट को धारण करने से सौभाग्य में बढ़ोतरी ,स्वास्थ्य में आनंद ,मान मर्यादा ,सम्मान ,यात्रा में सफलता मिलती है और मन में उत्पन्न विकृतियों को भी दूर करता है।
प्राचीन काल में लोगों का विश्वास था कि garnet का प्रयोग हर प्रकार के जहर से बचाता है। मानसिक चिंता दूर करता है और डरावने वह भयानक स्वप्न रोकता है। गार्नेट बुखार में बहुत ही लाभदायक होता है और पीले रंग का गार्नेट पीलिया जैसे रोगों से रक्षा करता है।
प्राचीन काल से लेकर आज तक गार्नेट के बारे में एक बात पूर्ण रूप से निश्चित है कि इस रत्न को धारण करने वालों को तूफान या बिजली गिरने से जीवन में हानि नहीं पहुंचती और यात्रा में किसी तरह की की हानि या कष्ट नहीं होता। इस रत्न की विशेषता है कि यह रत्न सब प्रकार से आने वाले खतरों को झेलता हुआ अपना रंग बदल देता है तथा विशेष कष्ट आने से पूर्व टूट भी सकता है।
यह रत्न गहरे लाल रंग का और अन्य कई रंगों में मिलता है। प्राचीन काल में भारत के लोग प्लेग से सुरक्षित रहने के लिए गार्नेट अपने पास रखा करते थे। मित्रों को भेंट स्वरूप देने से दोनों के प्रेम में वृद्धि हो जाती है। 2000 वर्ष पूर्व जब रोमन साम्राज्य उन्नति के शिखर पर था ,तो रोम के लोग गार्नेट पहना करते थे। उनकी राय थी कि इस रत्न से मनुष्य के दुख और कष्ट ,मानसिक आघात और वेदनाय कम हो जाती हैं। जो व्यक्ति जनवरी मास में पैदा हुए हो उनको गार्नेट पहनने से बहुत सफलता प्राप्त होती है। इस रत्न के कई भेद हैं। श्रीलंका से सुनहरा पीला या दालचीनी के रंग का गार्नेट मिलता है। दक्षिण अफ्रीका की खानों से हल्के हरे रंग का रत्न निकलता है, जो दक्षिण अफ्रीका में जेड नाम से बिकता है। ब्राजील में सब प्रकार के गार्नेट मिलते हैं।
गार्नेट सूर्य ग्रह के रत्न माणिक्य का उपरत्न है। यह कम मूल्य का रत्न है। यह लाल रंग का होता है। इसमें कैल्शियम ,लोहा ,मैग्नीशियम ,एलमुनियम और क्रोमियम पाए जाते हैं। यह अमेरिका ,अफ्रीका ,ऑस्ट्रेलिया , श्रीलंका में पाया जाता है। भारत में बिहार ,तमिलनाडु ,उड़ीसा ,आंध्र प्रदेश और राजस्थान में पाया जाता है। उड़ीसा में गहरा गुलाबी रंग का पाया जाने वाला गार्नेट श्रेष्ठ होता है।
गार्नेट पांच से सात रत्ती वजन में इतवार को कृतिका ,उत्तराफाल्गुनी ,उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के योग में अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए। इसके धारण करने से खून का संचार ठीक रहता है। मांसपेशियां ठीक काम करती है। विशेषकर पेट की आंतों ,नासिका ,कान आदि की कमजोर जगह की मांसपेशियां स्वस्थ एवं पुष्ट होती हैं। तथा उनमें होने वाले रोग विकार दूर होने की संभावना रहती है। कभी-कभी लोगों के पैर की पेद्दुरी में अकड़न व पीड़ा पैदा हो जाती है। उनको गार्नेट अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए तथा पूर्ण विधि से बने गार्नेट की अंगुठी अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
चोट लगने के कारण अथवा किसी रोग विशेष के कारण से खून बहने की स्थिति में गार्नेट गले में धारण करना चाहिए।
गार्नेट ज्वर को दूर करता है। जिनको बार-बार ज्वर आ जाता हो अथवा अधिक दिनों तक ज्वर न छूटने की शिकायत हो ,उनको लाल धागे में गार्नेट गले में धारण करना चाहिए।
गार्नेट में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है ,इसलिए जो लोग बार-बार किसी बीमारियां, मौसम परिवर्तन आदि के कारण बीमार हो जाते हैं ,उनको गार्नेट गर्दन में धारण करना चाहिए। जिनको ज्यादा डरावने यहां अन्य प्रकार के बुरे सपने दिखाई पड़ते हो उनको गार्नेट गले में धारण करना चाहिए। जिनके मन में हमेशा छोटी से छोटी बात को लेकर चिंता बनी रहती हो उन लोगों को गार्नेट गले में धारण करना चाहिए।
सामाजिक मान सम्मान
गार्नेट धारण करने से सम्मान प्राप्त होता है। क्योंकि रतन विशेषज्ञों का मत है कि इसमें हिप्नोटाइज शक्ति होती है। किसी प्रकार के विवाद अथवा मुकदमेबाजी की दिशा में एव शत्रु भय होने पर गार्नेट अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए। अगर मन में गंदे विषयों के बारे में बार-बार विचार आते हो ,तो इनको गार्नेट गले में धारण करने से गंदे विषय के विचार आने बंद हो जाएंगे। ज्यादा यात्रा करने वालों को, जहरीले या विषैले पदार्थों का व्यवसाय या इन क्षेत्रों में काम करने वालों को तामड़ा गले में धारण करना चाहिए। यात्रा में गार्नेट रक्षा कवच का काम करता है।
पेट के रोग
जिनको पेट के रोग की बीमारी अर्थात लगातार पतले दस्त आने की बीमारी हो उनको गार्नेट गर्दन में धारण करना चाहिए। गार्नेट तूफान ,विद्युत गिरने आदि के खतरों से बचाता है। सुरक्षा विभाग की सर्विस करने वाले लोगों को भी गार्नेट अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
पीलिया रोग
जौंडिस के रोग में गार्नेट गले में धारण करने से लाभ मिलता है। गार्नेट के बारे में ऐसा विश्वास है कि किसी प्रकार के खतरे के आने से पूर्व अपना रंग बदल देता है। अर्थात गार्नेट का रंग फीका पड़ जाता है। इस तरह तामड़ा धारण करने वालों को, गार्नेट खतरे से पूर्व सूचित कर देता है। खतरा टल जाने के बाद गार्नेट फिर अपने प्राकृतिक रंग में बदल जाता है। यह गार्नेट में देवी प्रदत गुण है
विशेष
गार्नेट मंगल ग्रह का रत्न मूंगा के स्थान पर धारण किया जाता है। मंगल की ग्रह दशा को सबल ,शुभ और असरकारी बनाने हेतु अथवा मंगल की मारक दशा आदि में मंगल के अनिष्टकारी प्रभाव को दूर करने हेतु , गार्नेट का प्रयोग करना हो तो मंगलवार के दिन मृगशिरा ,चित्रा अथवा धनिष्ठा नक्षत्र के योग में अनामिका उंगली में लगभग पांच से सात रत्ती वजन का धारण करें। इस योग में धारण करने से गार्नेट मूंगे के समान अधिक असरकारी हो जाता है। उम्मीद है की आपको ‘गार्नेट रत्न के लाभ’ यह पोस्ट पसंद आई होगी। धन्यवाद !