मूनस्टोन (चंद्रमणि) धारण करने के लाभ और फायदें

मूनस्टोन (चंद्रमणि)

इस अल्पमोली रत्न का संबंध चन्द्रमा से है। यह रत्न पारदर्शक व हल्का दूधिया होता है। जलोदर रोग या दूसरे पानी के रोगों में रक्षा व उसकी चिकित्सा करता है। मानसिक प्रेरणा देता है और प्रेम में सफलता प्रदान करता है।

यह उपरत्न स्विजरलैंड ,श्रीलंका ,बर्मा और भारत में पाया जाता है। इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। यह बिल्कुल सफेद कुछ पीलापन लिए ,कुछ श्याम कांति लिए पाया जाता है। जिस चंद्रमणि में सफेद रेखा हिलाने डुलाने से चलती फिरती मालूम हो वह चंद्रमणि अच्छा माना जाता है। श्रीलंका का चंद्रमणि सबसे श्रेष्ठ माना जाता है और असली चंद्रमणि चंद्रमा के प्रकाश में रखने से पसीजता है ,इसमें चिकनापन आ जाता है।

चंद्रमणि धारण करने से प्रसंता आती है। अशांति दूर होती है और शांति मिलती है। दूसरों से प्रेम व्यवहार करने में सहायक होता है। औरतों के लिए विशेष लाभकारी होता है , स्वास्थ्य की भी रक्षा करता है। चंद्रमणि धारण करने से, पानी में डूबने से बचाता है। बार बार सर्दी जुकाम ,पत्नियों के प्रदर एवं पुरुषों के धातु रोग का शमन करता है।

चंद्रमणि बालकों के गले में धारण करने से उनके स्वास्थ्य की रक्षा करता है। हड्डियां मजबूत करता है। दांत निकलने में सहायता करता है। जलोदर रोग में मूनस्टोन गले में धारण करना चाहिए।

कृष्ण पक्ष में जन्म लेने वाले लोगों चंद्रमणि धारण करने से अच्छी समझ और विचार क्षमता उत्पन्न होती है। यह रत्न धारण करने से पति पत्नी के बीच मतभेद कम होता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि इस रत्न में विशेष देवी गुण है। जो मनुष्य इस रत्न धारण कर अपनी किन्ही मनचाहे कार्यों को करने के लिए सोचे ,वह कार्य पूर्ण होते है।

चंद्रकांत रत्न धारण करने से प्रेत भूत , राक्षसी बाधा दूर होती है। चंद्रमणि धारण करने से शरीर में शीतलता आती है ,मन में खुशी का अहसास होता है,गर्मी के कारण होने वाले बुखार दूर होते हैं तथा सभी प्रकार के जहरीले प्रभाव दूर होते हैं। पित्त विकार भी नष्ट होते हैं।

चंद्रमणि मोती रत्न का उपरत्न है। कर्क लग्न या राशि वालों को एवं चंद्र दोष से पीड़ित लोगों को या चंद्र को शुभ एवं सफल बनाने के लिए सोमवार रोहिणी अथवा हस्त नक्षत्र के योग में कनिष्ठा उंगली में धारण करना चाहिए।

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