स्फटिक (क्रिस्टल)
आपने स्फटिक (क्रिस्टल) का नाम तो सुना ही होगा। आप उसे क्रिस्टल के नाम से आप जानते होंगे , अक्सर इसे पूजा की दुकानों में बिकता हुआ देखा होगा, इसकी देवी देवताओं की मूर्तियाँ और शिवलिंग भी मंदिरो में देखे होंगे। स्फटिक क्रिस्टल को काफी पूजनीय पत्थर एव रत्न भी माना जाता है।
आइये इस post में हम इसी स्फटिक crystal,धारण के लाभ, श्रीयंत्र और स्फटिक crystal माला के लाभ के बारे में जानेंगे।
स्फटिक (क्रिस्टल) कांच की तरह आर पार दिखने वाला स्वच्छ एवं कठोर पत्थर होता है। इसे प्राकृतिक बिल्लौर भी कहा जाता है। हजारों वर्ष तक जिन स्थानों पर बर्फ गिरती रही और जमती रही, वहां रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा सबसे नीचे कि जिस बर्फ ने पत्थर का रूप धारण किया वही स्फटिक (क्रिस्टल) कहलाता है। यदि इसके नीचे कोई रंगीन वस्तु रखकर देखें तो वह हमें श्वेत ही दिखाई देगी।
स्फटिक (क्रिस्टल) एक ऐसा उपरत्न है जो काफी मात्रा में पाया जाता है। स्फटिक (क्रिस्टल) cutting और polishing के पश्चात यह काफी आकर्षक और खूबसूरत हो जाता है। स्फटिक (क्रिस्टल) को कांचमणि, बिल्लौर तथा अंग्रेजी में क्रिस्टल या क्वार्ट्ज भी कहा जाता है। स्फटिक (क्रिस्टल) को शुक्र ग्रह का रत्न माना जाता है,इसे धारण करने से शुक्र के शुभ प्रभाव प्राप्त होते है और स्फटिक (क्रिस्टल) को हीरे का उपरत्न माना गया है।
स्फटिक (क्रिस्टल) पूर्ण पारदर्शी रत्न होता है लेकिन अगर ठीक से पका न हो तो इसके अंदर जाल या रेशे दिखाई देते है। स्फटिक (क्रिस्टल) अग्निशीलाओं, लाइमस्टोन तथा ग्रेनाइट शीलाओं की दरारों से प्राप्त होता है।
विदेशों में यह ब्राज़ील, मेडागास्कर, जापान, अमेरिका, स्वीटजरलैंड के आल्प्स पर्वत, फ्रांस तथा हंगरी में प्राप्त होता है। भारत में स्फटिक (क्रिस्टल) हिमालय पर्वत के बर्फीले पहाड़ों से प्राप्त होता है। यह भारत के उत्तरी प्रदेशों तथा कश्मीर, कुल्लू, शिमला, मध्य प्रदेश के सतपुड़ा तथा विंध्याचल पर्वत श्रेणी के कुछ भागों में भी प्राप्त होता है। सर्वोत्तम स्फटिक (क्रिस्टल) मेडागास्कर द्वीप का होता है तथा मुस्लिम देशों में मिलता है।
स्फटिक (क्रिस्टल) का उपयोग कई रूपों में होता है। जैसे इसके खूबसूरत रत्न बनते है,मूर्तियाँ,भगवान की मूर्तियाँ,वास्तु से सम्बंधित वस्तुएँ,मालाएं,यहाँ तक की चश्मे के गिलास बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। क्योंकि स्फटिक (क्रिस्टल) से बने चश्में आँखों के लिए अत्यंत लाभदायक होते है, दूसरा साधारण कांच के ग्लास ऊपर जल्दी ही खरोच आदि के निशान पड़ जाते हैं, लकिन स्फटिक (क्रिस्टल) निर्मित चश्में के ग्लासों पर जल्दी नहीं पड़ते। स्फटिक (क्रिस्टल) पर नक्काशी का काम भी बड़ा सुंदर होता है।
ज्योतिष की दृष्टि से स्फटिक (क्रिस्टल) को शुक्र का रत्न तथा हीरे का उपरत्न माना गया है। शुक्र का मुख्य रत्न हीरा होता है लेकिन, शुक्र की दशा होने पर जो व्यक्ति हीरा नहीं पहन सकते हो वह स्फटिक धारण कर सकते हैं। स्फटिक अंगूठी में स्फटिक (क्रिस्टल) का रत्न धारण करने से पौरूष शक्ति बढ़ती है, जीवन में सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है और धन आगमन के भी योग बनते है। स्फटिक (क्रिस्टल) धारण विधि हीरे के समान ही है। इस रत्न को शुक्रवार को धारण किया जाता है।
इसके अतिरिक्त स्फटिक (क्रिस्टल) की मालाएं भी बनती हैं। जो विभिन्न आकार के मनकों के size में बनती है। स्फटिक (क्रिस्टल) का विशेष गुण यह है कि यह शीतवीर्य होता है। इसकी माला धारण करने से गर्म स्वभाव एव ऐसे व्यक्ति जिन्हें जल्द ही गुस्सा आ जाता हो उन व्यक्तियों के लिए यह माला अत्यन्त लाभदायक होती है।
स्फटिक (क्रिस्टल) माला के लिए विशेषकर कहा गया है की यह क्रोध को नियंत्रित करती है, इसे धारण करने से धारक का स्वभाव शांत तथा शीतल रहता है।
स्फटिक (क्रिस्टल) की माला का एक गुण यह भी है कि इस माला से जाप करने से मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाते हैं और अपनी सामर्थ्य अनुसार लाभ एव फल देते हैं। विशेष रूप से गायत्री मंत्र, लक्ष्मी मंत्र के जाप के लिए स्फटिक माला विशेष फलदाईनी एवं सर्वोत्तम मानी गई है।
स्फटिक माला का एक गुण यह भी है कि इसे रुद्राक्ष माला के समान ही कोई भी व्यक्ति स्फटिक (क्रिस्टल) की माला धारण कर सकता है। यह माला सदैव लाभ प्रदान करने वाली होती है। स्फटिक (क्रिस्टल) की माला धारण करने से शुक्र जनित दोषों की शांति होती है तथा धारक को सांसारिक सुख सुविधाएं और असीम सुख की प्राप्ति होती है।
इसके अतिरिक्त ही स्फटिक की मूर्तियां आदि भी बनाई जाती है। स्फटिक (क्रिस्टल) के पत्थर से शिवलिंग, गणेश , श्री यंत्र आदि अनेक प्रकार की मूर्तियों का भी निर्माण किया जाता है जिनकी पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। अपने आकर्षक नक्काशी के कारण यह मूर्तियां पूजनीय तथा संग्रह करने योग्य होती है।
स्फटिक (क्रिस्टल) को दैविये पत्थर या रत्न माना जाता है। अपने घर के पूजा स्थान में स्फटिक (क्रिस्टल) के देवी, देवता की मूर्ति या स्फटिक के शिवलिंग का रखना बहुत ही शुभ और लाभदायक माना जाता है।
अपने घर के पूजा स्थान में दीपावली के दिन लक्ष्मी जी के साथ स्फटिक का श्रीयंत्र रखना और उसकी पूजा करना अत्यंत लाभदायक रहता है। ऐसा करने से कभी भी घर में धन की कमी नहीं रहती है, व्यापार-व्यवसाय में खूब उन्नति और तरक्की होती है, जीवन में सुख शांति आती है और सकारात्मक ऊर्जाओं का निवास रहता है।