जानिए! माणिक रत्न की विशेषताएं और धारण विधि,माणिक्य के उपरत्न

माणिक्य रत्न

माणिक्य रत्न को संस्कृत में पद्मराग, रवि रत्न बोला जाता है। हिंदी में माणिक्य को चुन्नी नाम से भी जाना जाता है।
माणिक्य रत्न को अंग्रेजी में रूबी कहा जाता है। रूबी लैटिन भाषा का शब्द है और रूबी लैटिन भाषा के शब्द रूबर से निकला हुआ है। रूबर का अर्थ लाल होता है। इस पोस्ट में,जानिए! माणिक्य रत्न की विशेषताएं और धारण विधि,माणिक्य के उपरत्न

माणिक्य का रंग लाल होता है और लाल रंग प्रेम को दर्शाता है, लाल रंग को देखने से मन में उत्साह भरता है, उग्रता भी आती है और इसी के साथ-साथ लाल रंग भावुकता का प्रतीक भी है।

लाल रंग एक ऐसा रंग है जिस से प्रभावित होकर कोई भी व्यक्ति अपने वास्तविक तथ्यों पर अडिग रहता है,

सूर्य में लाल रंग का ही विशेष महत्व है। लाल एक ऐसा रंग है जिसमें उग्रता है, वीरता है, मजबूती है, प्रभावशीलता है और एक आकर्षण है।

लाल रंग अपने अंदर ऊष्मा समेटे रहता है, इसीलिए शीत ऋतु में जो रोग होते हैं उसके लिए यह लाभकारी होता है।

अगर कोई व्यक्ति कुंठित है, निराशावान है, बहुत उदास है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए यह रंग ऊर्जा प्रदान करता है और उनकी मानसिकता को मजबूत करता है।

लाल रंग से युद्ध के देवता का भी उल्लेख करता है, क्योंकि युद्ध के देवता का रंग भी लाल है। खतरे का रंग भी लाल होता है, जब भी खतरे की बात आती है तब लाल ही एक ऐसा रंग है जिससे खतरे का आगाह किया जाता है।

लाल रंग में राजाओं वाली शान होती है,

माणिक्य को हमेशा शक्ति का स्वरुप और आपसी प्यार बढ़ाने वाला रत्न माना गया है।
माणिक्य एक कठोर रत्न है। इसकी कठोरता मोह स्केल पर 9 होती है। माणिक्य कोरन्डम जाति का रत्न है। माणिक्य दुनिया में मुख्य रूप से मोजांबिक और म्यांमार (बर्मा) में पाया जाता है। इसके अलावा माणिक्य थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, अफगानिस्तान, ब्राज़ील, नामीबिया, भारत, जापान और कोलंबिया में भी पाया जाता है।

क्या आप जानते है? आपका भाग्यशाली रत्न कौन सा है। 

पुराने समय में माणिक्य को शक्ति, धन और समानता का प्रतीक माना जाता था। इसके अलावा माणिक्य को एक सुरक्षात्मक रत्न भी कहा जाता था।


माणिक्य धारण करने वाले व्यक्ति को धन संपत्ति की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य अच्छा रहता है और समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है। माणिक धारण करने वाला व्यक्ति जागरूक रहता है और माणिक्य धारण से व्यक्ति हमेशा सतर्क रहता है।

जैसे सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है, वैसे ही गुण सूर्य के रत्न माणिक्य में भी है। माणिक्य एक ऐसा रत्न है, जिसमें लीडरशिप के गुण होते हैं।

माणिक्य धारण करने से चिकित्सा राजनीति कृषि और सरकारी क्षेत्र क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। माणिक्य को एक सम्मानजनक रत्न माना जाता है।
इसलिए ऐसा देखा गया है कि माणिक्य धारण करने वाले व्यक्ति ज्यादातर सरकार और प्रशासनिक सेवाओं के पदों से जुड़े हुए होते हैं और राजनीति में सफल व्यक्ति भी सूर्य के शुभ प्रभाव में होते हैं। इन व्यक्तियों के लिए भी माणिक्य बहुत शुभकारी रत्न होता है।

माणिक्य रत्न इंजीनियरिंग, अभिनेताओं, कलाकारों, सरकारी अधिकारी, कपड़े का व्यवसाय, कपास का व्यवसाय, टीवी कलाकारो आदि क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों के लिए एक शुभ रत्न होता है। माणिक्य रत्न धारण इनमें रचनात्मकता को बढ़ाता है।

लग्न अनुसार रत्न निर्धारण

ऐसे व्यक्ति जो जीवन में खूब तरक्की और प्रसिद्धि चाहते हो, उन्हें माणिक्य आवश्य धारण करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जो जीवन में अच्छी कमाई करते हुए ज्यादा से ज्यादा धन कमाना चाहते हो, उन्हें माणिक्य आवश्य धारण करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जो मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन्हें भी माणिक्य रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।

माणिक्य धारण करने से खुद के प्रति विश्वास की बढ़ोतरी होती है, किसी भी कार्य को करने में एकाग्रता बढ़ती है, भ्रम को दूर करता है और धारणकर्ता तेज, सतर्क और फुर्तीला हो जाता है।

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स्वास्थ्य एव माणिक्य धारण

  • जो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहते हैं, उन्हें माणिक्य धारण करना लाभदायक होता है।
  • ऐसे व्यक्ति जिन्हें रक्त से संबंधित परेशानियां हैं या नेत्र के रोग हैं। ऐसे व्यक्तियों को माणिक्य धारण करने से इन परेशानियों में लाभ मिलता है।
  • जिन व्यक्तियों को हृदय से संबंधित परेशानियां हो या फिर रक्त में उतार-चढ़ाव रहता हो, रक्त से संबंधित बीमारियां हो, इन व्यक्तियों को भी माणिक्य धारण करने से अच्छा लाभ प्राप्त होता है।
  • माणिक्य धारण करने से रक्त की शुद्धि होती है, रक्त की बढ़ोतरी होती है और माणिक्य लीवर को भी मजबूत करता है।
  • माणिक्य पित्त को भी नियंत्रित करता हैं।
  • जिन लोगों का दिल कमजोर होता है, अगर वह लोग माणिक्य धारण करें तो उनका दिल दिमाग मजबूत होता है। अवसाद और असुरक्षा का अनुभव करने वालों लोगों को माणिक्य धारण करना चाहिए।


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पुराने लोगों का मानना था कि अगर स्वास्थ्य कमजोर हो तो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए माणिक्य धारण करना चाहिए। रूस देश में ऐसा माना जाता है कि माणिक्य धारण करने से याददाश्त बढ़ती है , दिल , दिमाग को मजबूत करने में सहायक होता है।

ऐसा माना गया है कि माणिक्य धारणकर्ता में जुनून और शक्ति का संचार रहता है। माणिक्य को एक बहुत शक्तिशाली रत्न माना गया है और इसका रंग लाल होने की वजह से यह ऊर्जा और शक्ति को बढ़ाता है। व्यक्ति में साहस बढ़ाता है और निडरता से जीवन जीने वाला बनाता है। शारीरिक रूप से संतुलित रखता है, लक्ष्य को निर्धारित करने में सहायक होता है, जीवन को तेज जागरूक और गतिशील बनाता है।

ऐसे व्यक्तियों की कुंडली जिनमें सूर्य कमजोर स्थिति में है और जन्म कुंडली में अन्य ग्रहों के बलवान होने के बावजूद भी शुभ प्रभाव नहीं दे पा रहे हैं, ऐसे व्यक्तियों को माणिक्य रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।

लग्न के अनुसार माणिक्य रत्न धारण

मेष, सिंह और धनु लग्न के जातकों के लिए माणिक्य धारण करना लाभदायक होता है। इस लग्न के व्यक्तियों के लिए सूर्य शुभ, लाभकारी, फलदायक होता है। इसलिए इन लग्न के व्यक्तियों को माणिक्य अवश्य धारण करना चाहिए।

कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न के जातकों के लिए माणिक्य साधारण लाभदायक होता है , इन व्यक्तियों को अपनी कुंडली में सूर्य की स्थिति को देखते हुए माणिक्य धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।

अगर किसी व्यक्ति को हृदय और नेत्र से संबंधित रोग हैं, तो ऐसे व्यक्तियों को माणिक्य धारण करने से हृदय और नेत्र के रोगों में लाभ प्राप्त होता है।

अगर जन्मपत्रिका में सूर्य धन भाव, लाभ भाव, दशम भाव, भाग्य स्थान, पंचम स्थान में उच्च का होकर बैठा है, तो ऐसे व्यक्तियों को माणिक्य आवश्य धारण करना चाहिए।

किन व्यक्तियों के लिए माणिक्य रत्न धारण करना निषेध है।

जिन व्यक्तियों का जन्म कन्या, मकर, मिथुन, तुला और कुंभ लग्न में हुआ है, ऐसे व्यक्तियों को माणिक्य रत्न धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन लग्न में माणिक्य शुभ फल नहीं देता है। इन लग्नों के व्यक्ति माणिक्य केवल सूर्य की महादशा में धारण कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए भी यह देखना जरूरी है की सूर्य कुंडली में किस अवस्था में है।

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किसी भी व्यक्ति की कुंडली में अगर सूर्य नीच का होकर के बैठा है, तो ऐसे व्यक्तियों के लिए माणिक्य धारण करना शुभ फलदायक नहीं होता है। ऐसे व्यक्तियों को माणिक्य धारण करने से नुकसान होने की संभावना बनी रहती है।

ऐसे व्यक्ति जो शनि से संबंधित कार्य जैसे कि तेल, कोयला, लोहा, मशीनरी, मशीनरी के पार्ट्स, ऑटो पार्ट्स आदि से संबंधित व्यापार करते हैं, ऐसे व्यक्तियों को माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि शनि से संबंधित कार्यों में माणिक्य धारण करना शुभ लाभदायक नहीं होता है।

सबसे बड़ा माणिक्य रत्न।

दुनिया का सबसे बड़ा माणिक्य रत्न जिसका वजन 23.1 कैरेट है। यह बर्मा का माणिक्य है, जो कि प्लैटिनम रिंग में जड़ा हुआ है और इसके आजू-बाजू छोटे-छोटे हीरे लगे हैं। इस माणिक्य को वॉशिंगटन डी.सी में स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में रखा हुआ है।
इसके अलावा वॉशिंगटन डी.सी में स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री और भी बेशकीमती माणिक्य रखे हुए है।

FAQ

माणिक्य कितने कैरेट का धारण करना चाहिए

माणिक्य कम से कम 5 से 6 कैरेट का धारण करना चाहिए।

माणिक्य रत्न किस धातु में धारण करना चाहिए

तांबे को सूर्य की धातु माना जाता है। इसलिए माणिक्य को तांबे या फिर सोने में ही धारण करना चाहिए। इसके अलावा माणिक्य रत्न को पंचधातु या फिर अष्टधातु में भी धारण किया जा सकता है।

माणिक्य रत्न धारण करने की विधि

सूर्य का दिन रविवार होता है, इसलिए सूर्य के रत्न माणिक्य को रविवार को सुबह सूर्योदय के पश्चात धारण करना चाहिए। अपने घर के पूजा स्थान में माणिक्य की अंगूठी गंगाजल से स्नान करवाकर रख दे और फिर देवी देवताओं की पूजन के बाद सूर्य देव और अंगूठी की भी पूजा करें।
सूर्य मंत्र का जाप करें(108 बार-‘ऊं ह्रीं सूं सूर्याय नम:’) और उसके बाद धारण करें।

माणिक्य के उपरत्न

अगर आप सूर्य के रत्न माणिक्य की जगह सूर्य का उपरत्न धारण करना चाहते हैं, तो आप माणिक्य की जगह लाल गार्नेट, लाडली, लाल ओनिक्स धारण कर सकते हैं। धारण विधि,दिन,मन्त्र जप वही रहेगा।

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