हर रत्न को धारण करने के लिए उंगली निर्धारित की गई है। अगर हम रत्न को किसी गलत उंगली में धारण करते है तो उसके प्रभाव कम हो जाते है या फिर हमें उसके दुष्प्रभाव भी देखने पड़ते है। इसलिए यह बहुत जरुरी हो जाता है की नियम अनुसार उंगली में रत्न धारण किया जाये। आइये जानकारी प्राप्त करते है की कौन सा रत्न किस उंगली में धारण करना चाहिए?
कौन सा रत्न किस उंगली में धारण करना चाहिए?
किसी भी जातक की जन्मपत्रिका में राशि,ग्रह और नक्षत्रों का इतना प्रभाव रहता है कि व्यक्ति के जीवन में इन्हीं ग्रहों के दशा के अनुसार और इनकी स्थितियों के अनुसार ही जीवन में बदलाव होते रहते हैं।
ग्रहों और नक्षत्रों के उतार-चढ़ाव के साथ ही व्यक्ति के जीवन में अच्छा और बुरा समय चलता रहता है, जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में किसी ग्रह के बुरे प्रभाव की वजह से कमजोर समय चल रहा है, तो कुंडली में ग्रहों की दशा के अनुसार रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
रत्न धारण करने से ग्रहों से संबंधित शुभ फलों की प्राप्ति होती है और अशुभ प्रभाव कम होते है।
लेकिन रत्न धारण में इस बात का बहुत महत्व रहता है कि, कौन सा रत्न किस उंगली में धारण करना चाहिए? गलत उंगली में धारण किया गया रत्न शुभ होते हुए भी नुकसानकारी हो जाता है और वह शुभ प्रभावों की जगह नुकसान देना शुरू कर देता है।
आइए जानते हैं की कौन सा रत्न किस उंगली में धारण करना चाहिए, जिससे कि जातक को शुभ प्रभावों की प्राप्ति हो।
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किस ग्रह का, कौन सा रत्न किस उंगली में धारण करना चाहिए?
सूर्य का रत्न माणिक्य
जब किसी जातक की जन्मकुंडली में सूर्य किन्हीं दूषित ग्रहों के संपर्क में आने से कमजोर पड़ जाता है या किसी पाप ग्रहों की दृष्टि से सूर्य अपना प्रभाव खोने लगता है, या फिर सूर्य शुभ भाव का स्वामी होकर अशुभ भाव में कमजोर होकर के बैठा है, तो ऐसे में सूर्य का रत्न धारण करना बहुत लाभकारी होता है।
सूर्य का रत्न माणिक्य, हमेशा सूर्य की उंगली, अनामिका में धारण करना चाहिए। सूर्य का रत्न माणिक्य अनामिका उंगली के अलावा कहीं भी धारण नहीं करना चाहिए, नहीं तो माणिक्य अपना प्रभाव नहीं दे पाएगा और किसी अन्य उंगली में धारण करने से लाभ की बजाए नुकसान देना शुरू कर देगा।
चंद्र का रत्न मोती
मोदी चंद्र ग्रह का रत्न होता है। मोती एक सौम्य और शीतलता प्रदान करने वाला रत्न माना जाता है।
मोदी की उत्पत्ति समुद्र की गहराइयों में होती है। मोती समुद्र में सीप के अंदर पाया जाता है। चंद्र का रतन मोती धारण करने से जीवन में उन्नति और तरक्की की प्राप्ति होती है, सरकारी क्षेत्रों के कामकाज में सफलता प्राप्त होती है।
चंद्र का रत्न मोती सीधे हाथ की कनिष्ठा, या कानी अंगुली में धारण किया जाता है। मोती धारण करने से चंद्र के शुभ प्रभावों की प्राप्ति होती है और कुंडली में कमजोर और दूषित चंद्र को मोती मजबूती प्रदान करता है।
मंगल का रत्न लाल मूंगा
लाल मूंगा भी एक खनिज रत्न ना होकर समुद्र में ही पाया जाने वाला एक पौधा है। यह लाल रंग का होता है और लाल मूंगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल के प्रभावों की कमी हो, तो ऐसी स्थिति में मंगल का रत्न लाल मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह के शुभ प्रभावों की प्राप्ति होती है।
मंगल एक सेनापति ग्रह है, लाल मूंगा धारण करने से व्यक्ति का मनोबल, आत्मविश्वास बढ़ता है, निडरता आती है और जीवन में धन-संपत्ति, जमीन, सरकारी नौकरियों से सम्बंधित शुभ प्रभावों की प्राप्ति होती है।
मंगल का रत्न लाल मूंगा रिंग फिंगर में धारण किया जाता है।
मंगल का रत्न लाल मूंगा मंगलवार के दिन पूर्ण विधि विधान से पूजा करते हुए धारण करना चाहिए।
बुध का रत्न पन्ना
जिन जातकों की कुंडली में बुध अशुभ प्रभावों से घिरा हुआ हो, कमजोर पड़ रहा हो उन्हें बुध का रत्न पन्ना धारण करना बहुत श्रेष्कर होता है।
विद्यार्थियों के लिए, उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के लिए, व्यापारियों, व्यवसायियों के लिए, लेखन कार्यों से जुड़े हुए व्यक्तियों के लिए, चार्टेड अकाउंटेंट, लेखा विभाग, रेलवे, बैंकिंग आदि क्षेत्रों से जुड़े हुए लोगों के लिए पन्ना रत्न धारण करना बहुत लाभकारी होता है।
बुध का रत्न पन्ना हमेशा सीधे हाथ की कनिष्ठा या कानी ऊँगली में धारण करना चाहिए।
बृहस्पति का रत्ना पीला पुखराज
बृहस्पति ग्रहों का देवता कहलाता है, बृहस्पति धन लाभ और सुख समृद्धि देने वाला ग्रह माना जाता है।
जन्म कुंडली में अगर बृहस्पति शुभ प्रभावों में हो, तो बृहस्पति व्यक्ति के जीवन में अच्छी उन्नति और तरक्की प्रदान करता है। सामाजिक मान सम्मान प्रदान करता है, व्यक्ति उच्च पदों पर आसीन होता है।
अगर किन्ही कारणों से कुंडली में बृहस्पति ग्रह अशुभ प्रभावों में आ गया है, बुरे ग्रहों की दृष्टि पड़ गई है, राहु केतु के संयोग में आ गया है, तो ऐसी स्थिति में बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए और बृहस्पति ग्रह को मजबूती प्रदान करनी चाहिए।
राजनीति से जुड़े, सरकारी विभागों से जुड़े और उच्च पदों पर आसीन लोगों पर बृहस्पति का शुभ प्रभाव रहता है।
बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज खूबसूरत पीले रंग का रत्न होता है। बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज हमेशा तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है।
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शुक्र का रत्न हीरा
किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र एक विशेष प्रभाव रखता है। कुंडली में अच्छा और मजबूत शुक्र सांसारिक सुखों की प्राप्ति प्रदान करता है।
कुंडली में मजबूत शुक्र, विलासिता वाला जीवन देता है, स्त्री पुरुष के शारीरिक सुखों का कारक होता है, प्रेम विवाह और रोमांस की प्राप्ति कराता है।
किसी भी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में शुक्र का अच्छा प्रभाव होना बहुत जरूरी है, शुक्र पुरुष को पौरूष शक्ति प्रदान करता है।
कुंडली में शुक्र का मजबूत होना बहुत आवश्यक है। कमजोर शुक्र जीवन में इन्ही सभी सुखों की कमी करता है।
इसलिए कमजोर शुक्र को मजबूत करने के लिए शुक्र का रत्न हीरा आवश्य धारण करना चाहिए।
शुक्र का रत्न हीरा हमेशा सीधे हाथ की मध्यमा ऊँगली में धारण करना चाहिए।
शनि का रत्न नीलम
शनि का रत्न नीलम कुंडली की गहराई से विवेचना करने के बाद ही धारण करना चाहिए।
अगर व्यक्ति की कुंडली में शनि सकारात्मक प्रभावों में है, तभी शनि का रत्न नीलम धारण करना लाभकारी रहेगा।
जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि शुभ प्रभावों में होता है, वह व्यक्ति जीवन में उच्च स्तरों पर पहुंचते हैं और तरक्की करते हैं।
अगर कुंडली में शनि शुभ अवस्था में है, तभी शनि का रत्न नीलम रत्न धारण करना चाहिए। अगर कुंडली में शनि अशुभ अवस्था में है, तो नीलम कभी भी धारण नहीं करना चाहिए।
शनिवार के दिन, संध्या में शनि का रत्न नीलम, मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए।
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राहु का रत्न गोमेद
राहु का रत्न गोमेद भी कुंडली के विशेष अध्ययन करने के बाद ही धारण करने की सलाह दी जाती है। अगर राहु का रत्न गोमेद कुंडली के गलत आधारों के अनुसार धारण कर लिया जाए, तो राहु ग्रह के काफी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं।
बड़े नुकसान होने की संभावना बनती है, धन का नाश होता है, और शारीरिक कष्ट और दुर्घटनाएं होने के योग भी बनते हैं, इसलिए राहु का रत्न गोमेद सोच समझकर ही धारण करना चाहिए।
अगर व्यक्ति की कुंडली में राहु शुभ प्रभाव प्रदान कर रहा है तो, व्यक्ति जीवन की बहुत ऊंचाइयों तक पहुंचता है, जीवन में अचानक धन लाभ प्राप्त करता है, उन्नति प्राप्त करता है, और राजयोग भोगता है।
राजनीति में भी राहु ग्रह का विशेष महत्व रहता है। अगर देखा जाए तो राजनीति से जुड़े लोगों के कुंडली में राहु विशेष शुभ प्रभावों में रहता है।
राहु का रत्न गोमेद शनिवार संध्या को धारण करना चाहिए और राहु का रत्न गोमेद हमेशा मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए।
केतु का रत्न लहसुनियां
राहु ग्रह के अनुसार ही केतु भी अपने शुभ और अशुभ प्रभाव तत्काल प्रदान करता है।
अशुभ केतु जीवन में रुकावटें और समस्याएं पैदा करता है। व्यक्ति को जीवन में आगे नहीं बढ़ने देता, व्यक्ति के शरीर को रोगी बनाता है, धन हानि, संपत्ति की हानि करवाता है।
इसलिए केतु का रत्न लहसुनियां भी कुंडली के विशेष अध्ययन करने के बाद ही धारण करना या ना करने का निर्णय करना चाहिए।
अगर कुंडली में केतु शुभ प्रभावों में है, तो राहु की तरह ही केतु भी जीवन में अचानक लाभ प्रदान करता है और ऊंचाइयों पर पहुंचा देता है।
केतु का रत्न लहसुनियां भी शनिवार की शाम मध्यमा उंगली में ही धारण करना चाहिए।
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