मुझे कौन सा रत्न धारण करना चाहिए?

मुझे कौन सा रत्न धारण करना चाहिए?

अक्सर रत्न धारण को लेकर सभी को यह दुविधा रहती है की ‘मुझे कौन सा रत्न धारण करना चाहिए?‘, वैसे तो किसी भी जातक की कुंडली में रत्न धारण की अलग अलग स्तिथियां रहती है, और रत्न हमेशा किसी ज्योतिष के परामर्श के बाद ही धारण करना चाहिए।

फिर भी अगर आप रत्न धारण करना कहते है, तो आज हम इस पोस्ट में जानेंगे की कुंडली के किन ३ भावों के रत्न कोई भी, कभी भी धारण कर सकता है।

आइये, इस पोस्ट ‘मुझे कौन सा रत्न धारण करना चाहिए?‘ इसे विषय के बारे में जानते है।

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मुझे कौन सा रत्न धारण करना चाहिए?

किसी भी जातक की जन्म कुंडली का अध्ययन किया जाता है, तो जन्म कुंडली के केंद्र और त्रिकोण भावों को शुभ माना गया है।

लग्न यानि प्रथम भाव, पंचमेश यानी पंचम भाव, नवमेश यानी नवम भाव, इन तीन भावों का रत्न धारण करना हमेशा लाभदायक ही रहता है।

जन्म कुंडली के लग्नेश, पंचमेश और भाग्ययेश का रत्न कोई भी जातक कभी भी धारण कर सकता है।

लग्नेश का रत्न सुरक्षा, शारीरिक, मानसिक, ज्ञान, बल, मष्तिकश, विनम्रता, व्यापारिक, धन, कारोबार से सम्बंधित लाभ प्रदान करता है, मजबूती देता है।

पंचमेश का रत्न सर्वथा लाभ देते हुए, संतान, बुद्धि, विद्या, यश, मान-सम्मान, मंगलकार्य, धार्मिक, हृदय की मजबूती प्रदान करता है। इसलिए, पंचमेश का रत्न धारण करना हमेशा लाभदायक ही रहता है।

किसी भी जातक की कुंडली में भाग्ययेश का रत्न, भाग्य को मजबूत करता है, अच्छी और उच्च शिक्षा प्रदान करता है, तीर्थ यात्राएं करवाता है, धार्मिक कार्यो से जोड़ता है, धन और पैतृक सम्पतियों की प्राप्ति करवाता है। इसलिए, भाग्ययेश का रत्न कभी भी धारण कर सकते है।

यदि किसी जातक की कुंडली में शुभ भावों के स्वामी कमजोर है, यानि डिग्री या षडबल से कमजोर है, अशुभ ग्रह उनपर हावी हो रहे है, या अशुभ ग्रहों दृष्टि पड़ रही है, यहाँ तक की अगर नीच अवस्था में है, तो भी ग्रहों का रत्न धारण करना लाभकारी रहता है, और सुख शांति प्रदान करता है।

किसी भी जातक की कुंडली में लग्नेश, पंचमेश और भाग्ययेश का रत्न कभी भी पहना जा सकता है।

कुंडली में और बहुत सी स्तिथियों के अनुसार भी रत्नों को धारण किया जाता है, लेकिन उसके लिए किसी विशेषज्ञ से राय लेना अनिवार्य है।

किस ग्रह के लिए कौन सा रत्न धारण करे।

अगर कुंडली में सूर्य कमजोर, अशुभ ग्रह से दृष्ट, नीच, अवस्था में हो तो माणिक्य धारण करना चाहिए।

अगर कुंडली में चंद्र कमजोर, अशुभ ग्रह से दृष्ट, नीच, अवस्था में हो तो मोती धारण करना चाहिए।

अगर कुंडली में मंगल कमजोर, अशुभ ग्रह से दृष्ट, नीच, अवस्था में हो तो लाल मूंगा धारण करना चाहिए।

अगर कुंडली में बुध कमजोर, अशुभ ग्रह से दृष्ट, नीच, अवस्था में हो तो पन्ना धारण करना चाहिए।

अगर कुंडली में ब्रहस्पति कमजोर, अशुभ ग्रह से दृष्ट, नीच, अवस्था में हो तो पीला पुखराज धारण करना चाहिए।

अगर कुंडली में शनि कमजोर, अशुभ ग्रह से दृष्ट, नीच, अवस्था में हो तो नीलम धारण करना चाहिए।

राहु और केतु का रत्न सर्वथा कुंडली के गहन अध्ययन के बाद ही धारण करने का निर्णय लेना चाहिए।

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किस रत्न को किस धातु की अंगूठी में धारण करे।

सूर्य के रत्न माणिक्य को प्रथम ताम्बे , नहीं तो अष्टधातु की अंगूठी में धारण करें
चंद्र के रत्न मोती को चांदी में धारण करें
मंगल के रत्न लाल मूंगा को ताम्बे , नहीं तो सोने /अष्टधातु की अंगूठी में धारण करें
बुध के रत्न पन्ना को सोने या चांदी में धारण कर सकते है
ब्रहस्पति के रत्न पुखराज को सोने या अष्टधातु की अंगूठी में धारण करें
शनि के रत्न नीलम को चांदी में धारण करे
शुक्र के रत्न हीरे को चांदी या प्लेटेनियम में धारण करे
राहु के रत्न गोमेद को अष्टधातु की अंगूठी में धारण करें
केतु के रत्न लहसुनियां को चांदी में धारण करें

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अगर किसी ग्रह का रत्न धारण न कर सकें, तो उस ग्रह का कौन सा उपरत्न धारण करें

सूर्य के लिए सूर्यकान्त मणि या लाल गार्नेट धारण करें
चंद्र के लिए मूनस्टोन धारण करें
मंगल के लिए लाल ओनिक्स ,संगसितारा धारण करें
बुध के लिए हरा ओनिक्स या हरा तुरमली, हरा बेरुज धारण करें
ब्रहस्पति के लिए पीला सुहेला धारण करें
शुक्र के लिए सफ़ेद टोपाज, जर्कन, ओपल धारण करें
शनि के लिए नीली, कटैला, या लाजवर्त धारण करें
राहु के लिए सिर्फ गोमेद ही है
केतु के लिए सिर्फ लहसुनियां ही है।

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