रत्न धारण करने से पहले किन बातों का रखें ख्याल?

रत्न धारण करने से पहले किन बातों का रखें ख्याल?

रत्न धारण करने से पहले जरूर जान लें उसके नियम नहीं तो फायदे की जगह हो सकता है नुकसान, रत्न धारण करने से पहले किन बातों का रखें ख्याल?

इतिहास में ऐसे बहुत से किस्से और वर्णन मिलते है, जिससे यह सिद्ध होता है की रत्नो का मानव जीवन पर कितना प्रभाव है, अगर कोई रत्न किसी को अनुकूल बैठ जाये तो उस व्यक्ति की किस्मत पलटने में देर नहीं लगती, और इसी के विपरीत यही रत्न किसी को अनुकूल न बैठे तो व्यक्ति को राजा से रंक बनाने में भी समय नहीं लगाता।

आइये, आज इसी विषय में जानते है की, रत्नों को कब और किन परिस्थितियों में धारण करना चाहिए, जिससे की वह आपके लिए अनुकूल और शुभ रहे।

मानव जीवन पर ग्रहों और नक्षत्रों का पूरा प्रभाव रहता है, और व्यक्ति अपना जीवन इन्हीं ग्रहों और नक्षत्रों के अच्छे और बुरे प्रभावों पर व्यतीत करता है।
हर ग्रह का सम्बन्ध किसी न किसी रत्न से है, और प्रत्येक रत्न में एक ग्रह की ऊर्जा है। जिसे व्यक्ति धारण करते हुए उन ग्रहों के शुभ प्रभावों को प्राप्त कर सकता है, और अशुभ प्रभावों को कम कर सकता है।

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रत्नों की शक्ति हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्षो पूर्व ही खोज ली थी, इसीलिए रत्नों का उपयोग हजारों वर्षों से राजा महाराजा, देवी देवता, आम आदमी करते चले आ रहे है।

जब भी आप कोई रत्न धारण करते है, सबसे पहले आपको यह सुनिश्चित कर लेना होगा की, वह रत्न आपके लिए मंगलकारी है या नहीं। रत्नों का चयन आपकी कुंडली में ग्रहों की स्तिथि के अनुसार होना चाहिए।

आइये, जानते है की ऐसी कौन-कौन सी बातें है, जिन्हें आपको रत्न धारण करने से पहले आवश्य विचार कर लेना चाहिए।

  • सबसे प्रथम तो आपको स्वय से कोई भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए, किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्ष के बाद ही रत्न धारण करना चाहिए। ज्योतिष आपकी जन्म पत्रिका का सुष्म निरिक्षण करने के बाद आपको जो रत्न धारण करने की सलाह देता है, आप उसी रत्न को धारण करे।
  • रत्न निर्धारण के बाद आप ज्योतिष से इस बात की भी सलाह कर ले की रत्न कितने वजन का धारण करना है।
  • रत्न निर्धारित होने के बाद, जब आप रत्न खरीदने जाये, तो रत्न खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें की रत्न का रंग सुन्दर होना चाहिए, उसका आकार अच्छा होना चाहिए, आपको बताए गए वजन के बराबर होना चाहिए, कहीं से भी टुटा-फूटा नहीं होना चाहिए, रत्न में किसी भी तरह के दाग धब्बे नहीं होने चाहिए।
  • जब भी आप रत्न खरीदें तो इस बात पर भी विशेष ध्यान दे की, रत्न आप केवल शुभ मुहूर्त में ही ख़रीदे, रत्न को कभी भी अशुभ मुहूर्त में न ख़रीदे, नहीं तो उसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते है।
  • जब आप रत्न की अंगूठी बनवाते है, तो इस बात ध्यान रखें की अंगूठी धारण करने पर रत्न आपकी ऊँगली की त्वचा को स्पर्श करना चाहिए।
  • रत्न धारण करने वाले दिन शुभ मुहूर्त, शुभ नक्षत्र का ख्याल रखे, रत्न को पूर्ण विधि विधान से शुद्ध करके, पूजा, मन्त्र जप, और रत्न के ग्रह से सम्बंधित पूजा ,मन्त्र जप करने के बाद ही रत्न धारण करे।
  • रत्न को हमेशा उसी धातु की अंगूठी में बनवाये, जिस धातु से वह रत्न सम्बंधित हो।
  • रत्न जिस ऊँगली में धारण करने का विधान हो, उसे उसी ऊँगली में धारण करे, गलत ऊँगली में धारण किये गए रत्न के गलत परिणाम मिलते है, और एक बार रत्न धारण करने के बाद उसे उतारे नहीं।
  • अगर आप किसी के दाह संस्कार में जाते है, तो इस बात का विशेष ध्यान रखें की जाने से पहले अंगूठी को उतार दे, और घर में पूजा स्थान में रख दे, अगले दिन नहा कर पुन धारण कर ले।
  • हर रत्न के पॉवर की एक समय सीमा होती है, वह बीत जाने पर, पुनः रत्न की पूजा, मन्त्र जप करके उसे धारण करना चाहिए।

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रत्न धारण करने से पहले किन बातों का रखें ख्याल?
रत्न धारण करने से पहले किन बातों का रखें ख्याल?

सूर्य का रत्न माणिक्य

माणिक्य जब भी धारण करें, कम से कम 4 कैरेट या उससे ऊपर का ही होना चाहिए। माणिक्य साफ सुथरा हो, किसी भी तरह के काले धब्बे या छींटे नहीं होने चाहिए। माणिक्य को सोने या अष्टधातु की अंगूठी में ही धारण करना चाहिए।
माणिक्य को 4 वर्षों बाद दोबारा पूर्ण विधि विधान से पूजा करते हुए अभिमंत्रित कर लेना चाहिए।

चंद्र का रत्न मोती

जब भी मोती धारण करें, वह 5 कैरेट या उससे अधिक का ही होना चाहिए। मोती की अंगूठी को केवल चांदी की धातु में धारण करें, अन्य धातु में नहीं।

मंगल का रत्न लाल मूंगा

लाल मूंगा कम से कम 6 कैरेट या उससे अधिक का ही होना चाहिए। मूंगा अपना प्रभाव धारण करने वाले दिन से 3 वर्ष और 3 दिनों तक रहता है, उसके उपरांत या तो मूंगा बदल लेना चाहिए या उसे दोबारा पूजा पाठ, मंत्र जप करते हुए अभिमंत्रित कर लेने चाहिए। मूंगा हमेशा तांबा, सोना या अष्टधातु में ही धारण करना चाहिए।

बुध का रत्न पन्ना

पन्ना कम से कम 3 कैरेट का होना ही चाहिए, उससे ऊपर हो तो अच्छी बात ही है। पन्ना रत्न को हमेशा सोने या चांदी की अंगूठी में ही धारण करना चाहिए। पन्ना रत्न का प्रभाव लगभग 3 वर्ष तक रहता है।
इसके उपरांत या तो पन्ना बदल लेना चाहिए या उसको दोबारा पूजा पाठ करके अभिमंत्रित कर लेना चाहिए।

बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज

पीला पुखराज 4 कैरेट या उससे अधिक का धारण करना चाहिए। पुखराज को सोने या अष्टधातु की अंगूठी में ही धारण करना चाहिए। पुखराज का प्रभाव लगभग 4 साल और 3 महीने तक रहता है। उसके उपरांत पुखराज को दोबारा अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए।

शुक्र का रत्न हीरा

जब भी आप शुक्र का रत्न हीरा धारण करें, तो वह कम से कम 30 cent का होना ही चाहिए। उसके ऊपर आप अपनी क्षमता के अनुसार धारण कर सकते हैं, जितना बड़ा होगा उतना अच्छा और प्रभावशाली तो होगा ही।
शुक्र के रत्न हीरे को हमेशा 18 कैरेट सोने की अंगूठी में या चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए। हीरा अपना प्रभाव 7 वर्षों तक रखता है, उसके बाद दोबारा अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए।

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शनि का रत्न नीलम

नीलम कभी भी 3 कैरेट से कम नहीं होना चाहिए। 3 कैरेट या उससे अधिक का नीलम ही धारण करने से प्रभावशाली रहता है। नीलम धारण करने से पहले किसी अच्छे विशेषज्ञ से अपनी जन्म पत्रिका का निरीक्षण करने के बाद ही धारण करना चाहिए।
नीलम को पंचधातु की अंगूठी में धारण करना चाहिए चांदी की अंगूठी में भी धारण कर सकते हैं। नीलम धारण किए गए दिन से पांच वर्षों तक प्रभाव में रहता है। उसके बाद उसका दोबारा विधि विधान से पूजा करते हुए उसे सिद्ध कर लेना चाहिए।

राहु का रत्न गोमेद

गोमेद कम से कम 6 कैरेट या उससे अधिक वजन का धारण करना चाहिए। गोमेद को अष्टधातु या चांदी की अंगूठी में धारण किया जा सकता है। गोमेद धारण किए गए दिन से लेकर 3 वर्षों तक प्रभावशाली रहता है। उसके बाद गोमेद को बदल लेना चाहिए।

केतु का रत्न लहसुनिया

केतु का रत्न लहसुनियाँ कम से कम 5 कैरेट या उससे अधिक का ही होना चाहिए। 7 कैरेट का लहसुनियाँ बहुत अच्छा प्रभावशाली रहता है। लहसुनियाँ की अंगूठी को पंचधातु या चांदी की अंगूठी में धारण किया जा सकता है। लहसुनिया भी धारण किए गए दिन से 3 वर्षों तक जागृत रहता है। उसके पश्चात लहसुनियाँ को बदल लेना चाहिए।

दिन और समय अनुसार रत्न धारण

हर रत्न धारण का अपना दिन और समय होता है, इस बात का विशेष ख्याल रखे की आप जिस रत्न को धारण करने जा रहे है, उसे किस दिन धारण करने का नियम है, और साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें की रत्न किस समय धारण किया जाना चाहिए।


त्नों के निर्धारित दिन और समय इस प्रकार है :-

रविवारमाणिक्य
सोमवारमोती
मंगलवार लाल मूंगा
बुधवार पन्ना
ब्रहस्पतिवार पीला पुखराज
शुक्रवार हीरा
शनिवार नीलम, गोमेद और लहसुनियाँ

रत्न और धातु

जो भी रत्न जिस ग्रह से सम्बंधित है, उसी ग्रह और रत्न के अनुसार ही धातु में बनवाना चाहिए, अन्यथा वह रत्न इतना प्रभावशाली नहीं रहेगा, क्योंकि कोई भी रत्न अपनी शत्रु धातु में सहज रूप से प्रभावकारी नहीं रह पायेगा और उसके प्रभाव कम होंगे।

माणिक्य सोना, अष्टधातु
मोती चांदी
लाल मूंगातांबा, सोना या अष्टधातु
पन्नाचांदी, सोने में भी धारण किया जा सकता है
पीला पुखराज सोना, अष्टधातु
हीरा १८ कैरट सोना, चांदी, प्लेटेनियम
नीलम चांदी
गोमेद चांदी
लहसुनियाँ चांदी

एक से अधिक रत्न धारण

जब भी आप एक से अधिक रत्न धारण करते है, तो आपको इस बात का ध्यान रखना होता है की, आपने जो रत्न धारण किये है, उनकी आपस में शत्रुता तो नहीं है।
जो रत्न एक दूसरे से शत्रुता रखते है, उन्हें कभी भी एक साथ धारण नहीं करना चाहिए, नहीं तो नुकसान होने की संभावना बनी रहती है।

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