कर्क लग्न के जातक |कर्क लग्न और व्यवसाय|कर्क लग्न और विवाह

कर्क लग्न

१२ लग्नों में से चौथे नंबर का लग्न “कर्क लग्न” होता है। जब किसी जातक की जन्म कुंडली के प्रथम भाव में ४ अंक लिखा रहता है, तो ऐसी कुंडली को कर्क लग्न के जातक की कुंडली बोला जाता है।

आज हम इसी कर्क लग्न के विषय में जानेंगे, की कर्क लग्न में जन्म लेने वाले लोग किस स्वाभाव के होते है, उनका शारीरिक रूप कैसा होता है, वह लोग कैसा जीवन जीते है, उनके जीवन के कौन से ग्रह शुभ होते है, और उनके जीवन में किन ग्रहों की अशुभता रहती है।

इसके साथ साथ ही यह भी जानेंगे की उनके जीवन के कौन कौन से शुभ रत्न होते है, जिन्हें धारण करके वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त सकते है।

Read Also : रत्नों सम्बंधित जानकारियां

कर्क लग्न के जातक का स्वाभाव

कर्क लग्न का चिन्ह केकड़ा होता है, और कर्क लग्न के जातक अपने चिन्ह केकड़े की ही तरह ऊपर से कठोर दिखते है, लेकिन अंदर से कोमल हृदय और भावुक होते है। शर्मीले होते है, इन्हें शांत रहना पसंद होता है। अपने ही मूड में रहने वाले होते है, बातचीत करने में कठोर वाणी के होते है। इनमें एक विशेष आदत यह होती है की, यह लोग दूसरों की परवाह बहुत ज्यादा करते है, और इन्हें अपने घर पर ही, या अपने घर के आस पास रहना ही पसंद होता है।

इस लग्न के जातक बुद्धिमान होते है, इनकी सोचने समझने की क्षमता बहुत अच्छी होती है, कल्पनाओं में खोये रहना इन्हे अच्छा। शिक्षा में उनकी रूचि रहती है, वह अच्छी शिक्षा ग्रहण करते है, इसीलिए जो भी व्यक्ति उनसे मिलता है, कर्क जातक उनपर अपना प्रभाव डाल जाते है। लोग उनसे प्रभावित रहते है।

शिक्षा और ज्ञान से सम्बंधित संस्थानों में यह लोग अच्छी उनत्ति और तरक्की करते है, राजनीती में भी इनको अच्छा बढ़ते हुए देखा गया है।

कर्क-लग्न के जातकों को जीवन में सफलता के लिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ता, यह लोग कम मेहनत में ही सफलता प्राप्त कर लेते है।

कर्क लग्न का स्वामी ग्रह चंद्र है, और चंद्र कर्क/लग्न की कुंडली के प्रथम भाव का स्वामी भी होता है। चंद्र ग्रह ज्ञान और भावुकता का प्रतिरूप माना जाता है, उसी प्रकार कर्कलग्न के जातक भी भावुक होते हुए अपने अंदर बहुत सी बातें दबाये रहते है, उन्हें किसी के साथ बांटते नहीं है, और मन ही मन में परेशान रहते है।

कर्क/लग्न के जातक अपने जीवन के प्रति बहुत रक्षात्मक और सुरक्षात्मक रहते है, इसलिए यह लोग अपने जीवन में बहुत सोच समझकर निर्णय लेते है, किसी भी तरह की मुश्किलों और जरा भी शंका होने पर तुरंत पीछे हट जाते है।

अपने भावुक स्वाभाव की वजय से यह बहुत जल्दी भावुक हो जाते है, और जरूरतमंद लोगों के लिए तुरंत खड़े हो जाते है।

Read also: आपका लग्न विश्लेषण

कर्क लग्न जातक की आकृति

कर्क जातक मंझोले कद काठी के होते है, इनका शरीर कुछ गोल मटोल सा रहता है।अच्छा सुडौल शरीर का व्यक्तित्व होता है। अच्छा आकर्षण लिए हुए रहते है। इनके चेहरे पर कुछ अलग सा तेज रहता है और चेहरा अच्छा भरा हुआ होता है, उनकी नाक मोटी और कुछ चपटी रहती है, लम्बी भुजाएं और चौड़ी छाती होती है, कर्क जातकों का रंग गेहुँआ या कुछ हल्का सांवलापन लिए हुए रहता है।

ऐसा अक्सर देखा गया है की कर्क लग्न के जातकों की डबल चिन्न( ठोड़ी) होती है। गर्दन अच्छी मोटी होती है, उनकी आदत तेजी से चलने की होती है और कुछ तिरछे और लहराते हुए चलते है। कर्क लग्न के जातकों का शरीर रोगों के प्रति बहुत संवेदनशील होता है, अक्सर वह बहुत जल्दी संक्रमण के शिकार हो जाते है।

कर्क लग्न के जातकों का भाग्यरत्न रत्न मोती
कर्क जातकों का भाग्यरत्न रत्न मोती

स्वास्थ्य

जल तत्व लग्न होने की वजय से अक्सर इस लग्न के जातकों को पित्त संबंधी और कफ सम्बंधित रोग होने की शंका बनी रहती है।

भावुक होने की वजय से कर्क जातक अपने अंदर बातों को समेटे रखते है, और बेवजय ही परेशान होने की वजय से अक्सर यह लोग अवांछित अवसाद और तनाव का शिकार हो जाते है।

इनको अक्सर पाचन तंत्र और पेट से जुडी समस्याएं और बीमारियां हो सकती है। अगर इनकी जन्म कुंडली में चन्द्रमा पीड़ित है, तो इन्हें फेफड़ों, श्वास रोग, गले के रोग, सर्दी और खांसी जैसी समस्याएं हो सकती है।

इस लग्न के जातकों को ड्रॉप्सी, चेचक, जैसी महामारी हो सकती है, इसके अतिरिक्त वह शरीर फूलने से उत्पन्न बीमारियों के शिकार भी हो सकते है।

कर्क जातक अनावश्यक भावनाओं और तनावों से बचें और सकारात्मक और खुशहाल माहौल में रहने की कोशिश करें।

कर्क लग्न के जातकों का भाग्यशाली रत्न

इस लग्न के जातकों का भाग्यशाली रत्न मोती होता है। हर कर्क लग्न के जातक को जीवनभर के लिए मोती धारण करना चाहिए।

Leave a Comment