कन्या राशि के जातक कैसे होते हैं

कन्या राशि के जातक

आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की कन्या राशि के जातक कैसे होते हैं, वे कैसे स्वाभाव के होते है, उनकी शारीरिक रचना कैसी होती है, उनकी आजीविका कैसी होती है, उनका वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य कैसा होता है।

कन्या राशि (Virgo)
राशि स्वामी -बुध ग्रह
राशि के अक्षर – टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
दिनांकः – २१ अगस्त से २० सितम्बर
कन्या राशि का रंग – हरा
कन्या राशि का वार – बुधवार
कन्या राशि का रत्न – पन्ना
कन्या राशि का उपरत्न – हरा तुरमली, हरा ओनिक्स, हरा मरगज

कन्या राशि का परिचय

कन्या राशि का अंग्रेजी नाम Virgo है, कन्या राशि एक वायु तत्व राशि है, द्विस्वभाव राशि है, यह पुरुष जाती की होती है, हरे रंग वाली, चिकनी, महाशब्दकारी, शूद्र वर्ण की राशि, पश्चिम दिशा का संचालन करने वाली, माध्यम सन्ततिवान, अव्यवस्थित शरीर वाली, पृथ्वी तत्व, शीत प्रकृति, विनोद प्रिय, विनम्र, मानसिक गतिशीलता वाली, तथा परिवर्तनशील राशि है।
यह राशि शिल्पी स्वाभाव की होती है, और विद्या की धनी होती है, कन्या राशि शरीर के कन्धों और बाजुओं को नियंत्रित करती है।

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कन्या राशि के जातक का सामान्य परिचय

सामान्य तौर पर बात की जाये, तो कन्या राशि वाले व्यक्ति बहुत अच्छे वक्ता और भाषण देने वाले होते है। बहुत शैक्षिक, बुद्धिमान होते है, मेहनती होते है, और हर कार्य में बुद्धि का इस्तेमाल करते है।

कन्या राशि के जातक स्वाभाव से बहुत मिलनसार होते है, और व्यहवार कुशल होते है।
किसी भी विपरीत परिस्थिति में डगमगाते नहीं है, अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए, परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना लेते है।

लेकिन, यह बात भी है की कन्या द्विस्वभाव राशि होने से इसका प्रभाव कन्या जातकों पर भी रहता है और कन्या जातक हर कार्य को लेकर कुछ असमंजस में रहते है, लेकिन अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए सही निर्णय लेने में सक्षम होते है।

कन्या राशि के जातकों को अपने जीवन में सफल होने के लिए काफी कठोर परिश्रम करना पड़ता है।
अपने मित्रों को लेकर काफी समर्पित रहते है, और उनके लिए हमेशा उपस्थित रहते है।

कन्या राशि के जातकों की आकृति

कन्या राशि के जातक साधारण और मंझले कद काठी के व्यक्ति होते है, शरीर से दुबले होते हैं, कुछ शर्मीले स्वाभाव के होते है, उनके शारीरिक डीलडौल में भी इस्त्रीयों जैसी कोमलता देखी जा सकती है। रंग साफ़ और गोरा होता है, नाक तीखी और सुन्दर नैन नक्श वाले होते है, पतले होंठ और आँखे काली और सुन्दर होती है, ठोड़ी कुछ उभरी हुई होती है जिससे इनके व्यक्तित्व में सुंदरता और आकर्षण रहता है।

अपने अच्छे व्यक्तित्व और कन्या राशि पर बुध ग्रह के प्रभाव की वजय से इनकी आयु का समझ नहीं आता, प्राय यह लोग अपनी आयु से काफी छोटे दिखते है।

कन्या राशि के जातकों का स्वाभाव

स्वाभाव से कन्या राशि के जातक चंचल होते है, हर विषय को लेकर कुछ अस्थिर स्वाभाव के होते है, हर बात को शंका की दृष्टि से देखते है। लेकिन बुद्धिमान और चतुर होते है, किसी भी कार्य को सोचे समझे बगैर नहीं करते, सबके साथ व्यवहार कुशल होते है।

अपने जीवन में वह जागरूक रहते है और ऐसा कोई कार्य करने की कोशिश नहीं करते, जिसमें उन्हें कोई घाटा उठाना पड़े, इनके कार्य पूरी गहराई से सोच विचार कर किये हुए रहते है।

इनका स्वाभाव बड़ा ही चंचल रहता है, और हर बात को शंका की दृष्टि से देखना इनकी आदत में शामिल है। अगर इनपर गौर किया जाये तो देखने को मिलेगा की कन्या राशि के जातक हमेशा हड़बड़ी में रहते है, हर काम में इनका ध्यान बस इसी बात पर रहता है की कहीं इन्हें कोई घाटा न हो जाये। इसीलिए यह लोग हर वक्तः जागरूक रहते है।

भावुकता इनके जीवन का एक हिस्सा है, अगर कोई भी व्यक्ति दुःखी देखेंगे तो तुरंत उसकी मदद को तैयार हो जाते है, लेकिन बौद्धिक रूप से हर समय सतर्क रहते है। लेकिन हर वक्त अपने आगे के भविष्य को लेकर यह लोग चिंतित रहते है।

दूसरे शब्दों में समझा जाये तो एक छोटे बालक की तरह होते है, लेकिन इनमें गंभीरता एक बुज़ुर्ग की तरह विद्यमान रहती है।

कन्या राशि के जातकों की शिक्षा

कन्या जातकों को विद्या प्राप्त करने का शौक होता है, यह लोग हर प्रकार का ज्ञान प्राप्त करते रहते है, और यह लोग अच्छे विचारक, सिद्धांतवादी, सिद्धांतप्रेमी होते है। पढ़ने और लिखने में यह लोग माहिर होते है। जीवन में अच्छी शिक्षा प्राप्त करते है, क्योंकि कन्या राशि पर बुध ग्रह शासन करता है और बुध ग्रह शिक्षा और बुद्धि का ही कारक है।

कन्या राशि के जातकों का व्यवसाय

कन्या राशि के जातक कई तरह के व्यवसाय करते हुए देखे जा सकते है। इनके व्यवसाय में निरंतर बदलाव देखे जा सकते है, हर समय सुरक्षित रहने के चक्कर में कभी कभी ये अपने जीवन के अच्छे अच्छे अवसर गवां बैठते है।

अपनी मेहनत, बुद्धिमानी और इच्छाशक्ति के बल पर यह लोग जीवन में सफलता प्राप्त करते है। व्यापार में सफल होने के लिए यह लोग स्वार्थी भी हो जाते है। अगर इन्हें कोई कार्य पसंद आ जाये, तो उसे पाने के लिए ये किसी भी हद तक जाते है और उसमें सफलता प्राप्त करके ही रहते है।

कन्या राशि के जातक सही निर्णय के समर्थक होते है, ये लोग गलत बर्दाश्त नहीं करते, इनके इसी प्रेम की वजय से अक्सर इन्हें कानून और अदालती संस्थानों से जुड़े हुए देखा जा सकता है। कन्या जातक अच्छे वक्ता होने की वजय से अच्छे वकील भी होते है।
इनमें बहुत अच्छी स्मरणशक्ति होती है, और पढ़े लिखे और बुद्धिमान तो होते ही है, जिसकी वजय से यह लोग बैंक, रेलवे, अद्यापक, प्रोफेसर, CA, लेखा विभागों में, सरकारी संस्थाओ में नौकरी करते हुए मिलते है।

कन्या राशि के जातकों का स्वास्थ्य

कन्या जातक अक्सर पेट के रोग और स्नायु रोगों से पीड़ित देखे गए है।

वैसे तो कन्या राशि के जातकों का स्वास्थ्य अच्छा ही रहता है, लेकिन फिर भी ये अपने स्वास्थ्य के बारे में कल्पना करते रहते है।
अच्छा अच्छा भोजन करना इन्हें बहुत पसंद होता है, और इसी पर ये नियंत्रण नहीं रख पाते, जिसकी वजय से इन्हें आंतो की परेशानी, कब्ज, पेचिश या पेट दर्द की शिकायत रहती है।
साथ ही अगर ये भोजन में सावधानी नहीं बरतते, तो इनके अमाशय में घाव भी हो सकता है।

इसके आलावा कन्या राशि के जातकों को फेफड़ों, कंधों और भुजाओं के नसों में दर्द की परेशानियां भी हो सकती है।

कन्या जातक नाजुक और सवेंदनशील होने की वजय से इनको वातावरण का प्रभाव भी बहुत जल्दी पड़ता है, अगर इनका आसपास के वातावरण से तालमेल न बैठे तो इनकी स्नायविक प्रणाली भी प्रभावित हो सकती है।

कन्या जातकों का वैवाहिक जीवन

कन्या लग्न के जातक रोमांटिक किस्म के होते है, अपने आकर्षक व्यक्तित्व और एजुकेटेड पर्सनालिटी की वजय से ये किसी न किसी के साथ प्रेम प्रसंगो में रहते ही है, इनके प्रेम को समझना बहुत मुश्किल होता है। लेकीन फिर भी प्राय, अक्सर इन्हें प्रेम सम्बन्धो में असफल ही देखा गया है।

जीवनसाथी के साथ भी इनके विचार कम ही मिलते है, इनका वैवाहिक जीवन देखा जाये तो सामान्य ही रहता है। लेकिन ये अपने जीवन साथी से अलग नहीं होते और अपने परिवार से बहुत लगाव करते है और ध्यान देते है।

सावधानियां

कन्या राशि के जातकों की सबसे बड़ी कमी होती है, व्यर्थ का अपने जीवन और स्वास्थ्य के बारे सोचते रहते है, जिसकी वजय से ये मानसिक तनाव में रहते है, और इसी तनाव की वजय से ये शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते है, इनका पाचन तंत्र कमजोर पड़ जाता है।

इन्हें व्यर्थ की सोच और तनाव से दूर रहना चाहिए, भोजन को लेकर सावधान रहना चाहिए, सुपाच्य और सादा भोजन लेना चाहिए, शुद्ध जल का सेवन करे, ताजे और शुद्ध वातावरण में सैर करे, अधिक नींद ले, और अच्छा विश्राम करे।
इनके लिए सूर्य का प्रकाश और ताजी हवा बहुत लाभकारी होती है।

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