मेष,कर्क,सिंह,वृश्चिक,धनु,मीन वाले जातकों को पुखराज रत्न लाभ देने वाला होता है

मेष,कर्क,सिंह,वृश्चिक,धनु,मीन वाले जातकों को पुखराज रत्न लाभ देने वाला होता है, विशेषकर आर्थिक उनत्ति और धन लाभ प्रदान करता है।

पीला पुखराज

पुखराज पीले रंग का रत्न होता है, यह रत्न बृहस्पति ग्रह की रश्मियों का संचालन करता है। जिन व्यक्तियों की जन्म पत्रिका में बृहस्पति शुभ और योगकारक होता है, उन जातकों के लिए पीला पुखराज धारण करना बहुत शुभ होता है, इसके आलावा जिन जातकों की जन्म पत्रिका में बृहस्पति की महादशा चल रही हो, उनके लिए भी पुखराज धारण करना बहुत श्रेष्ठकर होता है।

पुखराज कौन सी राशि वालों को पहनना चाहिए?

मेष,कर्क,सिंह,वृश्चिक,धनु,मीन वाले जातकों को पुखराज रत्न लाभ देने वाला होता है, इन राशि के जातकों को पुखराज धारण करने से जीवन में सफलता, आर्थिक उनत्ति, सामाजिक सम्मान, धन की प्राप्ति होती है।

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पुखराज रत्न कौन कौन पहन सकता है?

जब भी कुंवारे लड़की, लड़कों की विवाह की बात आती है, तो पीले पुखराज का जिक्र जरूर आता है, समस्त विश्व भर में ऐसी मान्यता है की जिन कुंवारे लड़की, लड़कों के विवाह में रुकावटें आ रही है, या विवाह में देरी हो रही है, ऐसे लड़के लड़कियों के पुखराज धारण करने से विवाह सम्पन्न होता है।
बृहस्पति ग्रह वैवाहिक जीवन और विवाह का कारक माना गया है, इसलिए इस रत्न के धारण से विवाह में आने वाली रुकावटें दूर होती है।

बृहस्पति धन-समृद्धि का देवता है, इसलिए इस रत्न के धारण करने से व्यापारिक उनत्ति प्राप्त होती है, धन आगमन के रास्ते बनते है, धन की वृद्धि होती है, धन की बरकत रहती है, व्यक्ति जीवन में अच्छी समृद्धि प्राप्त करता है और आर्थिक उनत्ति करता है।

राजनीती का कारक है बृहस्पति ग्रह, जो लोग राजीनीति से जुड़े हुए है, उन जातकों को पुखराज आवश्य धारण करना चाहिए, पुखराज धारण करने से राजनीती में सफलता के योग बनते है, क्योंकि, बृहस्पति का राजनीती से विशेष सम्बन्ध है।

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पुखराज रत्न
पुखराज रत्न

पुखराज कब नहीं पहनना चाहिए?

वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि के जातकों को पुखराज धारण नहीं करना चाहिए, इन जातकों को पुखराज धारण करने बचना चाहिए।

जिन जातकों की जन्म पत्रिका में बृहस्पति अयोगकारक है, उन जातकों को पुखराज धारण नहीं करना चाहिए। इन्हें पुखराज धारण करने से विशेष लाभ नहीं होंगे। जिन जातकों की जन्म पत्रिका में बृहस्पति मारकेश (नुकसानकारी) है, उन जातकों को भी पुखराज धारण नहीं करना चाहिए।

इसके आलावा पुखराज कभी भी पन्ना, नीलम, हीरा, गोमेद और लहसुनिया रत्न के साथ धारण करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह रत्न पुखराज के शत्रु ग्रह के रत्न है, इन्हें एक साथ धारण करने से टकराव पैदा होता है, और कोई हानि होने का अंदेशा बना रहता है।

पुखराज रत्न कितने दिन में असर दिखाता है?

पुखराज का असर बहुत हद तक उसकी क्वालिटी पर निर्भर करता है, जितनी अच्छी क्वालिटी का पुखराज होगा, उसका प्रभाव उतनी शीघ्रता से होने लगेगा, अच्छी क्वालिटी का पुखराज बृहस्पति ग्रह की रश्मियों का संचालन पूर्ण रूप से और जल्दी करने लगता है,
जबकि, हलके दर्जे पुखराज को बृहस्पति के साथ संचालन में थोड़ा ज्यादा वक्त लग सकता है,
सामान्य तौर पर पुखराज अपना असर ३० दिनों के अंदर दिखाना शुरू कर देता है।

एक बार पुखराज धारण करने के बाद पुखराज ४ वर्षों तक अपने असर में रहता है, उसके बाद पुखराज को दोबारा पूजा, प्राण प्रतिष्ठित करके धारण करना चाहिए।

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पुखराज रत्न कितने कैरेट का पहनना चाहिए?

पुखराज हमेशा अपने वजन और जन्म पत्रिका में बृहस्पति की स्तिथि अनुसार धारण करना चाहिए, अगर आपका वजन ५० किलोग्राम तक है, तो आप ४ कैरट का पुखराज धारण कर सकते है, ५० से ऊपर वालो को ५ या उससे अधिक वजन का पुखराज धारण करना चाहिए।

पुखराज रत्न किस उंगली में पहने

पुखराज को हमेशा तर्जनी ऊँगली में धारण करना चाहिए, पुखराज को बृहस्पति वॉर को सूर्योदय के बाद पूजा, सिद्ध करके ही धारण करे,
पुखराज को सदैव सोने या अष्ठधातु की अंगूठी में ही धारण करे।

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