रुद्राक्ष माला पहनने के नियम

रुद्राक्ष माला और रुद्राक्ष माला पहनने के नियम

इस पोस्ट में हम जानेंगे जप माला रुद्राक्ष के महत्व, लाभ और रुद्राक्ष की माला के १०८ दानों के कारण और सुमेरु दाने का महत्व और रुद्राक्ष माला पहनने के नियम

रुद्राक्ष माला

जो व्यक्ति शिव की माला रुद्राक्ष धारण करता है, उसे श्री गणेश, शिव पार्वती, विष्णु, ब्रह्मा, सूर्य तथा समस्त देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पवित्र रुद्राक्ष की माला में तीन स्थान माने गए है, रुद्राक्ष के मुख स्थान पर स्वय ब्रह्मा का निवास रहता है, मध्य भाग में भोले शंकर(रूद्र) निवास करते है, और पुच्छ भाग के स्थान में श्रीहरि विष्णु का निवास रहता है।
इसीलिए, रुद्राक्ष की माला को भोग और मोक्ष दोनों देने वाली माना गया है।

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रुद्राक्ष की माला में १०८ रुद्राक्षों के दाने रहते है, जिसमें एक रुद्राक्ष का दाना जिसपर गठान रहती है, उसे सुमेरु बोला जाता है।
कोई भी जाप करने की माला, चाहे वह रुद्राक्ष की हो या अन्य कोई माला सभी जप माला में १०८ दानों का ही विधान है,

एक प्रश्न, जो व्यक्ति जानना चाहता है की किसी भी जप माला में १०८ दाने ही क्यों रहते है,

आइये इन १०८ दानों और सुमेरु के रहस्य के बारे में जानते है :-

शास्त्रों और पुराणों के अनुसार आकाशगंगा में २७ नक्षत्र है, और एक पर्वत जिसका नाम सुमेरु पर्वत है, उसकी चारों दिशाओं में २७ नक्षत्र घूमते है,
सुमेरु पर्वत की ४ दिशाएं है, और हर दिशा पर २७ नक्षत्र घूमते है, इस प्रकार चार दिशाएं और २७ नक्षत्र ( ४ x २७ = 108 ) होते है, यह सभी नक्षत्र सुमेरु पर्वत के चारों और घूमते जरूर है, लेकिन ये कभी भी सुमेरु पर्वत की लांघते नहीं है।

जयोतिषशास्त्र और पुराणों के इसी विधान और आधार के अनुसार जप माला १०८ रुद्राक्षों की माला रहती है, जिसमें एक सुमेरु दाना होता है, जिसे जाप करते समय कभी भी लांघा नहीं जाता है, १ माला पूरी होने के बाद, माला को पलट कर जाप शुरू कर दिया जाता है, फिर वह माला चाहे चन्दन, तुलसी, स्फटिक, आदि किसी की भी हो।

रुद्राक्ष की माला में रुद्राक्ष के दाने चाहे छोटे हो या बड़े, जाप करने से उसका लाभ समान रूप से मिलता है।

रुद्राक्ष माला
रुद्राक्ष माला

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रुद्राक्ष की माला एक ऐसी माला है, जिससे किसी भी देवी-देवता का जाप किया जा सकता है, जाप सिद्धि में रुद्राक्ष की माला का विशेष महत्व है, इस माला से किया गया जाप अन्य सभी मालाओं की तुलना में सर्वश्रेष्ठ फलदायक और कई गुना अधिक फल देने वाला होता है।

रुद्राक्ष की माला से किये गए जाप सिद्धि में रुद्राक्ष एक महत्वपूर्ण माध्यम होता है। इस माला के जरिये बहुत से महत्वपूर्ण और कल्याणकारी मंत्रो की सिद्धि की जा सकती है।
महामृत्युंजय जैसे महा जप भी रुद्राक्ष की माला से किये जाने पर शीघ्र सिद्ध होते है।

रुद्राक्ष माला की शुद्धि और सिद्धि

सोमवार के दिन प्रातः काल सूर्योदय के बाद स्नान करके किसी भी शिव मंदिर जाये, वहां पूजा गृह में बैठकर कच्चे गाय के दूध और फिर उसके बाद गंगाजल से माला को स्नान करवाकर शुद्ध कर ले, साफ वस्त्र से पोंछ ले, तत्पश्चात शिवलिंग का अभिशेक और पूजा करे और रुद्राक्ष माला को धुप, दीप दिखाकर सुमेरु दाने पर चन्दन का तिलक करे,
इसके बाद आसान विराजमान होकर पंचाक्षर मन्त्र “ॐ नमः शिवाय ” की ११ माला का जाप करे, और जाप करने के बाद धारण करें।

रुद्राक्ष माला की शुद्धि और सिद्धि
रुद्राक्ष माला की शुद्धि और सिद्धि

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रुद्राक्ष धारण के शुभ दिन और नियम

ग्रहण, पूरनमासी, मकर संक्राति, वैशाखी, अमावस्या, गंगाघाट, महाशिवरात्रि, दीपावली, कुंभ पर्व, देवी देवताओं के पूज्य अवसरों पर, नवरात्री एव अन्य किसी भी शुभ दिनों के अवसरों पर रुद्राक्ष की माला का पूजन और सिद्धि करके धारण करना चाहिए।

वैसे तो ग्रंथो और पुराणों के अनुसार रुद्राक्ष धारण के बहुत कड़े नियम नहीं बताये गए है, लेकिन फिर भी जिस व्यक्ति ने रुद्राक्ष की माला धारण की हुई है, उसे मांस, मछली, दारू, आदि तामसिक वस्तुओं के सेवन से दूर रहना चाहिए।
मन के विचार शुद्ध रखने चाहिए, जिससे की मानसिक शांति बनी रहे, ऐसी धार्मिक निष्ठा का पालन करने से रुद्राक्ष के लाभ शीघ्र प्राप्त होते है।

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