असली मोती की कीमत

असली मोती

असली मोती एक जैविक रत्न है, जिसकी संरचना सीप के अंदर होती है और यह सिप समुन्द्र की तलहटी में पाई जाती है,
असली मोती की कीमत उसकी उच्च क्वालिटी, चमक, गोल, सुडौल, चिकना, ठोस और प्राप्ति स्थान पर निर्भर करती है,
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है की जिस मोती को देखते ही मन प्रस्सन हो उठे वह मोती सबसे श्रेष्ठ है।

सबसे उच्च क्वालिटी के मोती बसरा की खाड़ी के माने जाते है, इसे पारस की खाड़ी के मोती भी बोला जाता है, जो की वर्तमान में ईरान में है,
मनार की खाड़ी के मोती जो श्रीलंका में स्तिथ है, यहाँ के मोती भी सर्वश्रेष्ठ माने जाते है, इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया के समुंद्री तट, वेणिजुअला, जापान, लाल सागर, पनामा और पेसिफिक सागर से प्राप्त होने वाले मोतियों को भी उत्तम श्रेणी के माने जाते है।

बसरे और मनार की खाड़ी5000 रूपए प्रति कैरट से 50,000 रूपए प्रति कैरट
साउथ सी200 रूपए प्रति कैरट से लेकर 500 रूपए प्रति कैरट
हैदराबादी मोती50 रूपए प्रति कैरट से 250 रूपए प्रति कैरट
असली मोती की कीमत

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असली मोती की कीमत

असली मोती की कीमत इसके प्राप्ति स्थान और गुणों के अनुसार ही आंकी जाती है, अब ऐसा जान ले की बसरे और मनार की खाड़ी के मोती दुर्लभ होते है, इसलिए इन मोतियों की कीमत काफी अधिक होती है,
अगर मोटे तौर पर बात की जाये तो इन खाड़ियों के मोती जो की खूबसूरत, चमकीले और गोल होते है ऐसे मोती की कीमत 5000 रूपए प्रति कैरट से 50,000 रूपए प्रति कैरट तक की हो सकती है, जिसे खरीद पाना एक साधारण मनुष्य के बस के बाहर की बात होती है।

तब ऐसी स्तिथि में व्यक्ति मोती कैसे पहने, तो ज्योतिष अनुसार बाजार में ऐसे मोती भी उपलब्ध है जो की आम लोगों की खरीद में आ जाते है,
जैसे की आजकल बाजार में ‘साउथ सी’ के नाम से मोती उपलब्ध है जिनकी कीमत 200 रूपए प्रति कैरट से लेकर 500 रूपए प्रति कैरट क्वालिटी के अनुसार उपलब्ध है, जिन्हें आसानी से ख़रीदा और पहना जा सकता है,

इनके अलावा बाजार में हैदराबादी मोती भी उपलब्ध है, हैदराबादी मोती वह मोती होते है जिन्हें इंसान खुद इन मोतियों की खेती तालाबों में करते है, होता ऐसा है की सीप के मुँह में सिरिंज द्वारा कीसी कण को प्रवेश करा दिया जाता है और वह कण कुछ महीनों में मोती बन जाता है,
मतलब जो कण प्राकर्तिक रूप से सीप में प्रवेश करता है और मोती बनता है, उसे इंसानो द्वारा कृत्रिम तरिके से प्रवेश करवाया जाता है और मोती उत्पन्न किया जाता है,

यह मोती दाम में भी काफी कम होते है, इनकी कीमत 50 रूपए प्रति कैरट से 250 रूपए प्रति कैरट तक की होती है, बाजार में लगभग 80% यही मोती मिलते है और ज्योतिष की दृष्टि से भी यह मोती अच्छा कार्य करते है, तो इन्हें भी धारण करके चंद्र के लाभ प्राप्त किये जा सकते है।

असली मोती रत्न से लाभ

असली मोती रत्न के लाभ, जन्म कुंडली में यदि चंद्रमा से संबंधित कोई दोष बनता है तो मोती धारण करना शुभ प्रभाव देता है।

ग्रहों, नक्षत्रों और रत्नों का मानव जीवन पर कितना प्रभाव पड़ता है, यह ज्योतिषशास्त्र पहले ही बता चुका है, इस धरती पर जन्म लेने वाला व्यक्ति इन्हीं ग्रहों और नक्षत्रों के अनुसार अपना पूरा जीवन व्यतीत करता है।
व्यक्ति के जीवन में उन्नति, तरक्की और स्वास्थ्य पर इन सभी ग्रहों और नक्षत्रों का पूरा प्रभाव पड़ता है।
एक बार जन्म लेने के बाद कोई भी व्यक्ति इन नक्षत्रों और ग्रहों के प्रभाव से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है।

लेकिन हमारी धरती द्वारा दिए गए अनमोल रत्नों में इतनी ताकत होती है कि इन रत्नों को धारण कर हम अपने जीवन में अच्छे बदलाव ला सकते हैं और जीवन को एक सुंदर दिशा और उन्नति की ओर ले जा सकते हैं।

इन नवरत्नों में चन्द्र के मोती का भी विशेष महत्व है, समुद्र से प्राप्त होने वाले मोतियों का सीधा संबंध चन्द्र ग्रह से होता है, मोती ही एकमात्र ऐसा रत्न है जो चन्द्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, और मोती रत्न चन्द्रमा के शुभ प्रभावों को प्रदान करता हैं।

यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में चंद्रमा से संबंधित कोई दोष बनता है तो मोती धारण करने से चंद्र के अशुभ प्रभावों की शांति प्राप्त होती है।

मोती धारण करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और व्यक्ति की आर्थिक उन्नति भी प्राप्त होती है।

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लग्न अनुसार मोती धारण करने के लाभ

कर्क लग्न में जन्में जातक मोती अवश्य धारण करें, कर्क लग्न के जातक जीवन भर मोती धारण करें, कर्क लग्न के जातक मोती धारण करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं, जीवन के सभी sukho की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा मेष, वृश्चिक, मीन और तुला लग्न के जातकों के लिए भी मोती धारण करना अत्यंत लाभकारी होता है।
इन जातकों को मोती धारण करने से धन, संपत्ति, शिक्षा, आर्थिक उन्नति प्राप्त होती है। इन जातकों के मोती धारण करने से समृद्धि आती है।

ज्योतिष अनुसार मोती धारण

1. जिन व्यक्तियों की जन्म पत्रिका में चंद्र निर्बल अवस्था में होता है उन जातकों को मोती अवशय धारण करना चाहिए।

2. स्त्रियों के लिए मोती बहुत लाभकारी माना गया है, इसलिए स्त्रियों को मोती अंगूठी में या आभूषणों में किसी भी रूप में धारण करना श्रेष्कर माना गया है।

3. अगर जन्म कुंडली में चन्द्रमा सूर्य के साथ विराजमान हो तो मोती धारण करना चाहिए।

4. मिथुन लग्न की कुंडली में चंद्र धन भाव का स्वामी होता है, मिथुन लग्न में अगर चंद्र छठे भाव में विराजमान हो तो मोती धारण करना चाहिए।

5. लग्न स्थान, चतुर्थ, सप्तम और दशम स्थान में चन्द्रमा को क्षीण माना जाता है, अगर चंद्र इन भावों में विराजमान हो तो मोती धारण करना चाहिए।

6. यदि चंद्र पंचमेश होकर 12वे भाव में विराजमान हो, सप्तम में कर्क राशि और चन्द्रमा द्वितीय भाव में विराजमान हो, नवम भाव में कर्क राशि और चंद्र चतुर्थ भाव में हो, दशम भाव में कर्क राशि हो और चंद्र चतुर्थ या पंचम भाव में हो, एकादश भाव में कर्क राशि हो और चंद्र छठे भाव में हो,
तब ऐसे जातकों को मोती जरूर धारण करना चाहिए।

7. अगर किसी भी जन्म पत्रिका में वृश्चिक राशि का चंद्र कुंडली में कही भी विराजमान हो तो मोती धारण करना श्रेष्कर होता है।

8. जिन जातकों की जन्म पत्रिका में चंद्र छठे, आठवें या बारहवें भाव में विराजमान हो तो ऐसे जातकों को मोती धारण करना चाहिए।

9. अगर किसी जन्म पत्रिका में चंद्र राहु, केतु या शनि के साथ बैठा हो तो भी मोती जरूर धारण करना चाहिए।

10. यदि कुंडली में चंद्र पर राहु, केतु, शनि, मंगल की दृष्टि पड़ती हो तब भी मोती आवशय धारण करना चाहिए।

11. अगर कुंडली में चंद्र कर्क राशि से छठे या सातवें भाव में बैठा हो तो मोती धारण करना बहुत लाभकारी होता है।

12. अगर किसी कुंडली में चन्द्रमा नीच का हो, निर्बल हो ग्रहण योग में तो मोती धारण करना बहुत लाभकारी माना गया है।

13. चंद्र की महादशा में भी मोती धारण करना बहुत लाभकारी माना गया है।

मोती धारण करने के लाभ

जिन जातकों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है, जातक व्यापारिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, ऐसे जातकों को मोती धारण करने से लाभ मिलता है, तथा उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

जिन लोगों को बहुत जल्दी और जल्दी गुस्सा आता है, मानसिक रूप से परेशान रहते हैं, ऐसे व्यक्तियों के मोती धारण करने से उनकी मानसिक स्थिति मजबूत होती है, और उनका गुस्सा भी कम होता है।
लेकिन फिर भी इन जातकों को मोती धारण करने से पहले अपनी जन्म कुण्डली का विश्लेषण अवश्य कर लेना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति का मन हमेशा अशांत रहता है, उसे कहीं भी शांति महसूस नहीं होती, स्वास्थ्य कमजोर रहता है, हमेशा नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहता है तो ऐसे लोगों को भी मोती धारण करने से बहुत लाभ मिलता है और सुखमय जीवन प्राप्त करें।

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दोषयुक्त मोती क्या होते है

दोषयुक्त मोती वह मोती होते है जिनमें किसी ना किसी प्रकार का दोष होता है और ऐसे मोती धारण करने से बहुत अशुभ प्रभाव प्राप्त होते है, ऐसे मोती कभी भी धारण नहीं करने चाहिए,
आइये ऐसे ही कुछ दोषयुक्त मोतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करते है :-

सुन्न मोती – ऐसे मोती जिनमें चमक नहीं होती है ऐसे मोतियों को सुन्न मोती बोला जाता है, ऐसे मोती धारण करने से दरिद्रता आती है, इसलिए कभी भी ऐसे मोती धारण नहीं करने चाहिए जिनमें चमक नहीं है।

गड्ढेदार मोती – जिन मोतियों में छोटे महीन गड्ढे दिखते हो ऐसे मोती भी कभी नहीं धारण करने चाहिए, ऐसे मोती धारण करने से धन का विनाश होता है।

चोंच मोती – जिस मोती के किसी साइड या कही पर चोंच या नोंक जैसा निकला हो ऐसे मोती भी कभी नहीं धारण करने चाहिए, ऐसे मोती धारण करने से संतान होने में या संतान को कष्ट होता है।

चपटा या दबा हुआ मोती – मोती हमेशा गोल, सुडौल और भरा हुआ होना चाहिए, जो मोती चपटा या दबा या धसा हुआ हो ऐसे मोती भाग्यवृद्धि को रोकते हैं, चिंता को बढ़ाने वाले होते है, कभी भी इस तरह के मोती धारण नहीं करने चाहिए।

धारीदार मोती – जिन मोतियों पर धारी जैसी लकीरें दिखलाई देती हो ऐसे मोती दुःख देने वाले होते है, कभी भी इस तरह के मोती धारण नहीं करने चाहिए, मोती ऊपर से देखने में चमकीला और एकदम चिकना होना चाहिए।

धब्बा मोती – ऐसे मोती जिनपर किसी भी तरह का काला छिंटा या काला दाग-धब्बा हो कभी भी नहीं धारण करना चाहिए, ऐसे मोती तुरंत स्वास्थय को नुकसान पहुंचाते है।

छाला मोती – ऐसे मोती जिसकी सतह पर कुछ छाला सा उभरा दिखलाई दे, ऐसे मोती को कभी भी धारण ना करें, ऐसे मोती धन और संपत्ति का सर्वनाश करनेवाले होते है।

मोती कैसे धारण करें

मोती हमेशा चांदी की अंगूठी में बनवाना चाहिए, सोमवार के दिन सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में मोती की अंगूठी पहननी चाहिए।

मोती की अंगूठी छोटी उंगली में ही धारण करनी चाहिए।

मोती की अंगूठी को कच्ची गाय के दूध, गंगाजल से शुद्ध करके, पूजा के बाद 108 बार चंद्र मंत्र का जाप करके ही धारण करना चाहिए।

चन्द्र मंत्र :-

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।

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