नवरत्नों में pukhraj रत्न ऐसा चमत्कारी रत्न है जिसे अधिकतर केवल शुभ प्रभाव ही होते है, आइये इस पोस्ट में जानकारी लेते है pukhraj stone benefits in hindi
पुखराज रत्न: pukhraj stone benefits in hindi
पीला pukhraj बृहस्पति देव का रत्न माना जाता है। अंग्रेजी में इसे येलो सफायर कहते हैं। यह बृहस्पति ग्रह की किरणों को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम है। जिससे बृहस्पति का शुभ प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है।
पीला pukhraj रत्न स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखता है, यह हर समय नई सफलताएं प्रदान करने में सहायक होता है। यह रत्न गले और पेट से संबंधित कई रोगों में लाभकारी है और हिस्टीरिया जैसे मानसिक रोगों के इलाज में भी कारगर साबित होता है।
पीले pukhraj का जीवन काल लगभग 4 वर्ष 4 महीने का होता है।
राजशाही, ज्योतिषी, राजनीती, उच्चशिक्षा, उच्च पद, इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट, प्रशासनिक सेवा, शिक्षक, प्रोफेसर, सचिव या अध्यात्म के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए पीला नीलम धारण करना चाहिए।
पीला pukhraj हल्दी के रंग के समान अत्यंत सुंदर और बहुमूल्य रत्न है। यह रत्न “कोरंडम” समूह से संबंधित है। इसे हीरे और माणिक के बाद सबसे कठोर रत्न माना जाता है।
असली गुणवत्ता वाला पीला pukhraj केसरिया, हल्दी, सुनहरी आभा और सफेद रंगों में उपलब्ध होता है। अच्छा एवं उत्कृष्ट, चमकदार, गहरे पीले रंग का, वजनदार, किसी प्रकार के जाले या दाग से रहित, चिकना, पारदर्शी, सूरजमुखी के फूलों की तरह पीला रहता है।
पीला pukhraj धारण करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है, बौद्धिक क्षमता निपुण होती है। इससे सुख, समृद्धि, आयु और यश में वृद्धि होती है। किसी भी अविवाहित कन्या के विवाह में पीला pukhraj धारण करना सहायक होता है।
pukhraj pahnane ke fayde
यदि किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति शुभ एवं योगकारक है परंतु कमजोर हो गया है तो ऐसे व्यक्तियों को पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए।
जिन लोगों को अपने जीवन में अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है, न केवल उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है, अशुभब्रहस्पति के कारण व्यक्ति का चरित्र खराब होता है, तो ऐसी स्थिति में पीला pukhraj रत्न धारण करना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को धन प्रदाता और विद्या का कारक ग्रह माना जाता है। अतः बृहस्पति की महादशा में पुखराज रत्न धारण करना चाहिए और शीघ्र विवाह या वैवाहिक कार्यों में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए पुखराज रत्न धारण करना चाहिए। पीला pukhraj धारण करने से व्यक्ति के विचार भी शुद्ध होते हैं।
धनु, मीन, कर्क लग्न के जातकों के लिए पीला pukhraj सदैव लाभकारी रहता है। इसी प्रकार यदि बृहस्पति 2,5,11 भाव में हो तो भी पीला pukhraj धारण करना आवश्यक माना जाता है, क्योंकि बृहस्पति इन भावों के कारकत्व दोष से पीड़ित होता है।
मेष लग्न के जातकों को मूंगा के साथ पीला pukhraj पहनने से अधिक लाभ मिल सकता है, लड़कियां शीघ्र विवाह के लिए पीला pukhraj पहन सकती हैं।
पुत्र प्राप्ति के लिए पुखराज धारण करने की भी प्राचीन परंपरा रही है। धार्मिक क्षेत्र में उच्च सफलता प्राप्त करने के लिए भी पीला pukhraj धारण करना आवश्यक माना जाता है।
पीला pukhraj रत्न और स्वास्थ्य
सिर्फ बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी pukhraj रत्न धारण करना बहुत जरूरी है। जैसे हड्डियों का दर्द, खांसी, पीलिया, बवासीर आदि रोगों में पुखराज धारण करने से बहुत जल्दी लाभ मिलता है।
यह उल्टी, कफ, सीने में जलन, कुष्ठ, खूनी बवासीर और पीलिया आदि रोगों में बहुत लाभकारी है। यदि किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है, वजन कम हो रहा है तो अच्छा pukhraj धारण करना चाहिए।
पीला pukhraj का प्राप्ति स्थान
pukhraj मुख्य रूप से जापान, तस्मानिया, कोलोराडो, इंग्लैंड और श्रीलंका में पाया जाता है। भारत में यह मुख्यतः बंगाल, उड़ीसा, ब्रह्मपुत्र और हिमालय के क्षेत्र में पाया जाता है। श्रीलंका का pukhraj विश्व में सर्वोत्तम माना जाता है।
पीला pukhraj और उसका उपरत्न
पुखराज एक बहुमूल्य रत्न है इसलिए जो लोग इसे खरीदने में सक्षम नहीं हैं वे पुखराज के स्थान पर इसका उपरत्न “सिट्रीन” धारण कर सकते हैं। इसका भी प्रभाव पुखराज के समान ही होता है।
पुखराज धारण करने की विधि
पुखराज को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को या गुरु पुष्य योग में सोने की अंगूठी में जड़वाकर पंचामृत आदि से शुद्ध करके “ॐ बृं बृहस्पतये नम:” मंत्र का 108 बार जाप करते हुए धारण करना चाहिए। इसे तर्जनी उंगली पर पहनें।
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