बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज पहनने के बाद धारक के मन में अक्सर यह सवाल आता है कि पुखराज रत्न किस उंगली में पहने और यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है की पीला पुखराज एक बहुमूल्य और महंगा रत्न है, इसे बार-बार बदलना संभव नहीं है, पुखराज कब तक पहन सकते हैं?
पीला पुखराज
पीला पुखराज बृहस्पति ग्रह का रत्न, है, बृहस्पति ज्ञान, धन, भाग्य, समृद्धि, बुद्धि, प्रसिद्धि, सार्वजनिक नेतृत्व, उच्च क्रम का व्यवसाय, राजनीतिक सफलता, फिल्म और संगीत क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है।
जिन जातकों की जन्म कुंडली में बृहस्पति शुभ प्रभाव में होता है वे जीवन में बहुत अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं, उच्च पदों पर आसीन होते हैं, राजनीति में उच्च पद प्राप्त करते हैं तथा संगीत एवं फिल्म क्षेत्र में अपना नाम रोशन करते हैं। अक्सर इन क्षेत्रों से जुड़े सफल लोगों को बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज पहने देखा जा सकता है।
ऐसे कई उदाहरण होंगे जहां बड़े और सफल लोग पुखराज की प्रशंसा करते नजर आएंगे।
बृहस्पति का रत्न पीला नीलम इसलिए भी काबिले तारीफ है क्योंकि इस रत्न को पहनकर कई लोगों ने विश्व स्तर पर सफलता हासिल की है।
बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज दैवीय शक्तियों से भरपूर है, इसे पहनने वाले को कई प्रकार की आने वाली विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है, दुर्भाग्य दूर होता है और यह रत्न व्यक्ति को पारिवारिक और वैवाहिक सुख प्रदान करता है।
जिन अविवाहित युवक-युवतियों के विवाह में देरी हो रही हो, उन युवक-युवतियों को पीला पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए, इस रत्न को धारण करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और विवाह संपन्न होता है।
पुखराज रत्न के संबंध में ऐसे अनगिनत उदाहरण मिल जाएंगे, जहां यह सिद्ध हो जाएगा कि नवरत्नों में यह रत्न कितना शक्तिशाली, भाग्यशाली और धनवर्धक रत्न है।
पुखराज रत्न किस उंगली में पहने
पीला नीलम गुरुवार के दिन सूर्योदय के बाद सोने या अष्टधातु की अंगूठी में शुभ समय देखकर तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।
अंगूठी पहनने से पहले पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए और बृहस्पति मंत्रों (ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः) का 19,000 संख्या में जाप करना चाहिए।
पीला पुखराज कब तक पहन सकते हैं?
बृहस्पति का रत्न पीला नीलम एक बहुमूल्य रत्न है, साफ, स्वच्छ, सुंदर पीले रंग का रत्न अच्छी कीमत रखता है। हर व्यक्ति में इतनी उच्च गुणवत्ता वाला रत्न धारण करने की क्षमता नहीं होती है।
इसलिए जो भी व्यक्ति इस रत्न को खरीदता है और एक बार पहनता है तो वह इस रत्न को लंबे समय तक अपने पास रखना चाहता है क्योंकि इतने कीमती रत्न को बार-बार बदलना संभव नहीं है।
लेकिन ज्योतिष शास्त्र में भी रत्न पहनने के नियम होते हैं और हर रत्न के प्रभाव की एक समय सीमा होती है।
बृहस्पति का रत्न पीला नीलम धारण करने के दिन से 4 वर्ष, 3 माह और 18 दिन तक प्रभावित रहता है, उसके बाद इस रत्न का प्रभाव कमजोर होने लगता है। लेकिन, इतने कीमती और बेशकीमती रत्न को महज 4 से 5 साल में बदलना संभव नहीं है।
इसलिए ज्योतिषशास्त्र में ऐसे अनमोल रत्नों के बारे में बताया गया है कि इन रत्नों का प्रभाव खत्म होने के बाद पूरे विधि-विधान से पूजा पाठ करके इन रत्नों को दोबारा धारण किया जा सकता है।
पूरे विधि-विधान से दोबारा पूजा पाठ करने पर ये रत्न अपने पूर्ण प्रभाव में आ जाते हैं और अपना शुभ प्रभाव देना शुरू कर देते हैं।
कोई भी धारक हर 4 साल, 3 महीने और 18 दिन के बाद इस नियम को दोहरा सकता है।