नवरत्न अंगूठी

नवरत्न

मनुष्य जीवन पर नवग्रहों के अच्छे बुरे प्रभाव पड़ते है, तब “नवरत्न” धारण द्वारा सभी नवग्रहों से लाभ प्राप्त किये जाते है।

रत्न शास्त्र में लिखा है की नवरत्न की अंगूठी सभी ९ ग्रहों का प्रतिनिधित्व करती है, नवरत्न की अंगूठी धारण करने से समस्त दुःखो और कष्टों का निवारण होता है, शुभ लाभों की प्राप्ति होती है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, धन का आगमन बढ़ता है, आर्थिक उनत्ति होती है, और सामाजिक मान सम्मान की बढ़ोतरी होती है।
ग्रहों के रत्नों की तरह नवरत्न की अंगूठी धारण करने के लिए कुंडली विश्लेषण की जरुरत नहीं पड़ती, नवरत्न की अंगूठी को कोई भी किसी भी वक्तः धारण कर सकता है।

नवरत्न अंगूठी में क्रमबध तरीके से पहले पन्ना, हीरा, मोती, पुखराज, माणिक्य, मूंगा, लहसुनियां, नीलम, और गोमेद जड़ा जाता है।
नवरत्न धारण करने में इस क्रम का विशेष ध्यान रखना चाहिए, अगर इसमें गलती होगी तो लाभ के स्थान पर नुकसान होने शुरू हो जायेंगे।

इन सभी ग्रहों के एक साथ प्रभाव पाने के लिए नवरत्न धारण किया जाता है।

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नवरत्न की अंगूठी इतनी लाभकारी होती है की इसे नेता, अभिनेता, उद्योगपति, व्यापारी, सरकारी ,गैरसरकारी, हर वर्ग के लोगों को धारण करके लाभ उठाते हुए देखा जा सकता है।

नवरत्न की अंगूठी धारण करने से सफलता के रास्ते खुलते है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में नवग्रह ब्रह्मण करते है, जिनका मनुष्य, जिव जंतु ,जानवर सभी पर शुभ अशुभ प्रभाव पड़ते है, यहाँ तक की प्रकृति पर भी इनका पूरा असर रहता है।

इन्हीं नवग्रहों के रत्न होते है नवरत्न। जैसे –

  • बुध ग्रह का रत्न पन्ना
  • शुक्र ग्रह का रत्न हीरा
  • चंद्र ग्रह का रत्न मोती
  • ब्रहस्पति ग्रह का रत्न पुखराज
  • सूर्य ग्रह का रत्न माणिक्य
  • मंगल ग्रह का रत्न मूंगा
  • केतु छाया ग्रह का रत्न लहसुनियां
  • शनि ग्रह का रत्न नीलम
  • राहु छाया ग्रह का रत्न गोमेद

इन्हीं नवग्रहों का पूरा प्रभाव मनुष्य पर रहता है और जब इन नवग्रहों की शांति करनी होती है, तब इन नवग्रहों की शांति के लिए नवरत्न धारण किये जाते है।

जब किसी एक विशेष ग्रह की शांति या शुभ प्रभाव प्राप्त करने होते है, तब उस ग्रह के रत्न की अंगुठी धारण करने का विधान है,

आकाशगंगा में नवग्रहों की चाल और महादशाएं बदलती रहती है, क्रूर, पापी और अनिष्टकारी ग्रह अपनी चाल बदलते हुए मनुष्य जाती पर अपने दुष्प्रभाव डालते है,
तब नवरत्नों की अंगूठी, माला, ब्रासलेट या लॉकेट धारण किया जाता है।

इंसान के जीवन में उथल पुथल, सुख दुःख, दरिद्रता, हानि, पतन, लाभ सभी इन नवग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभावों का असर रहता है।
ऐसे में जब हमें यह जानकारी नहीं रहती है की कौन सा ग्रह हमें शुभता प्रदान करेगा और कौन सा ग्रह हमारा अनिष्ट करेगा, तब ऐसी दुविधा के लिए नवरत्न धारण किया जाता है, और लाभ उठाया जाता है।

ऐसे अशुभ ग्रह जो मनुष्य पर अपने पूर्ण अशुभ प्रभावों से ग्रसित कर देते है, और उसका जीवन नष्ट करने पर आ जाते है, ऐसे ही अनिष्ट ग्रहों से रक्षा करता है “नवरत्न” और धारणकर्ता को सुरक्षा चक्र प्रदान करता है।

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नवग्रहों में ऐसे ग्रह जो हमारे लिए शुभ है, नवरत्न धारण करने से वह शुभ ग्रह और भी प्रभावशाली हो जाते है। जिसके शुभ और उनत्तिदायक परिणाम हमें मिलते है।

कभी कभी जन्मपत्रिका में ऐसे योग निर्मित हो जाते है, की यह निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है की किन ग्रहों के शुभ प्रभाव हमें मिलेंगे, या फिर ग्रहों की ऐसी महादशा निर्मित हो जाती है की यह निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है की कौन सा रत्न धारण किया जाये,
ऐसी मुश्किल स्थिति में नवरत्न धारण करना सबसे श्रेष्कर रहता है।

नवरत्न धारण करने से सुख, मान सम्मान, प्रसिद्धि, धन, संतान सुख, सफलता, कामयाबी, पारिवारिक सुख, मानसिक सुख, पूर्ण रूप से प्राप्त होते है।
नवरत्न धारण करने से हर प्रकार के अनिष्ट दूर होते है, दुःख दूर होते है, रोग ख़त्म होते है, और स्वस्थ और लम्बी आयु प्राप्त होती है।

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नवरत्न कोई भी जातक धारण कर सकता है, इसे धारण करने के लिए जन्म पत्रिका की आवश्यकता नहीं पड़ती है। कोई भी राशि वाला जातक नवरत्न धारण कर सकता है, इसके लाभ सभी राशि वाले व्यक्तियों को प्राप्त होता है।

धारणकर्ता को नवरत्न कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाते है, यह हमेशा शुभ और लाभकारी ही रहते है।

नवरत्न को हमेशा सोने या चांदी की धातु में ही धारण करना चाहिए।

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