छाया ग्रह केतु के लक्षण और उपाय-लहसुनिया रत्न

केतु ग्रह का अन्य ग्रहों की तरह कोई रूप नहीं है, लेकिन फिर भी यह व्यक्ति के जीवन को नर्क तक बना सकता है आइये जाने केतु के लक्षण और उपाय

केतु के लक्षण और उपाय

नवग्रहों में केतु एक छाया ग्रह है। पृथ्वी पर मनुष्य, पशु-पक्षी और संपूर्ण सृष्टि के जीवन पर केतु का बहुत प्रभाव पड़ता है, केतु जीवन में अचानक परिवर्तन लाता है। केतु ग्रह लहसुनिया (कैट्स आई) रत्न का प्रतिनिधित्व करता है।

यदि किसी व्यक्ति पर केतु का शुभ प्रभाव होता है तो वह व्यक्ति अचानक जीवन में प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंच जाता है, उसे अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं और सामाजिक सम्मान मिलता है।

केतु आध्यात्मिक ज्ञान और विवेक की शक्ति प्रदान करता है। केतु आध्यात्मिकता की ओर ले जाने वाला ग्रह है, यह व्यक्ति को सांसारिक इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं से दूर कर तपस्वी बना सकता है।

केतु का क्या कार्य है?

केतु जो ब्रह्मांड में एक छाया ग्रह है, लेकिन छाया ग्रह होने के बाद भी यह मनुष्य पर बहुत अधिक प्रभाव डालता है। केतु अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्रों का स्वामी है और केतु का स्वभाव मंगल के समान माना जाता है।

केतु का नाम आते ही यह मान लिया जाता है कि केतु अशुभ ग्रह होने के कारण अशुभता ही देगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यदि जन्म कुंडली में केतु शुभ स्थिति में हो तो केतु व्यक्ति की किस्मत पलट देता है, अपार सफलता और धन देता है, धर्म-कर्म के कार्यों में व्यक्ति को खूब सफलता मिलती है।

यदि जन्म कुंडली में केतु उच्च का होकर शुभ भाव में हो तो यह व्यक्ति को जीवन में अपार सफलता दिलाता है, यदि यह किसी भी भाव में शुभ ग्रहों के साथ बैठा हो तो बहुत अच्छा लाभ देना शुरू कर देता है।

केतु एक ऐसा ग्रह है जिसके शुभ और अशुभ प्रभाव को जानना बहुत मुश्किल है, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु केतु बहुत ही अजीब खेल खेलते हैं। इसलिए इनका मूल्यांकन बहुत ही सावधानी और सटीकता से करना होता है। राहु और केतु अन्य सभी ग्रहों की तुलना में हमेशा विपरीत दिशा में चलते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु व्यक्ति की जन्म कुंडली के अनुसार अचानक परिवर्तन देने वाला ग्रह है, यह व्यक्ति को ऊंचाइयों पर ले जाता है या फिर अचानक नीचे गिरा देता है। शुभ केतु जातक और उसके परिवार को सौभाग्य प्रदान करता है, धन और आर्थिक लाभ, सामाजिक मूल्य, प्रतिष्ठा, आध्यात्मिकता और अच्छे स्वास्थ्य में बहुत प्रगति देता है।

जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह केतु के अंदर आ जाते हैं तब जन्म कुंडली में काल सर्प दोष का निर्माण होता है।

केतु के शुभ प्रभाव पाने के लिए या केतु को शांत करने के लिए केतु का रत्न “कैट्सआई” धारण किया जाता है, लेकिन इसे धारण करने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। केतु का रत्न पहनने का निर्णय कुंडली का गहराई से विश्लेषण करने के बाद ही लेना चाहिए।

केतु कितना शक्तिशाली है?

केतु एक ऐसा छाया ग्रह है, जो अपने अंदर बहुत अधिक शक्ति रखता है, यदि केतु ग्रह अपना शुभ या अशुभ परिणाम दिखाना शुरू कर दे तो यह सूर्य और चंद्रमा जैसे ग्रहों से भी अधिक शक्तिशाली माना जाता है।

केतु और राहु दो ऐसे छाया ग्रह हैं जिनके बारे में यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है कि ये किस समय व्यक्ति के जीवन पर कैसा प्रभाव डालेंगे।

केतु के दुष्प्रभाव क्या हैं?

यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में केतु अशुभ प्रभाव में हो तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को धन हानि होने लगती है, व्यापार में हानि होने लगती है और व्यक्ति को आर्थिक परेशानियां आने लगती हैं।
शारीरिक कमजोरी, त्वचा रोग, जोड़ों का दर्द और नसों की कमजोरी, बुरी आदतों की प्रवृत्ति होती है।

केतु के लिए कौन सा रत्न है?

कैट्सआई” बिल्ली की आंख, जिसे हिंदी में “लहसुनिया” कहा जाता है, यह रत्न केतु ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। “लहसुनिया” पहनने से केतु का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है और समस्याओं का नाश होता है।

लहसुनिया” केतु ग्रह का रत्न होने के कारण बहुत प्रभावशाली होती है, यह रत्न जीवन में अचानक परिवर्तन लाने की शक्ति रखता है और व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से बदलने की शक्ति रखता है।

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