वृश्चिक राशि के जातकों को जब रत्न धारण करने की बात आती है, तो यह असमंजस में पड़ जाते ही की, वृश्चिक राशि वालों को कौन सा रत्न पहनना चाहिए, जिससे उनके जीवन में तरक्की आये, धन, ऐश्वर्य, सामाजिक सम्मान की प्राप्ति हो,
तो दोस्तों! आज इस पोस्ट में यही जानेंगे की वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सबसे लाभदायक रत्न कौन सा है और वृश्चिक राशि वालों को कौन सा रत्न पहनना चाहिए।
वृश्चिक राशि
- वृश्चिक राशि राशिचक्र की आठवीं राशि है।
- वृश्चिक राशि का चिन्ह बिच्छू होता है।
- वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल ग्रह है।
- वृश्चिक राशि का शुभ रंग लाल और भूरा होता है।
- वृश्चिक राशि का शुभ वार मंगलवार,रविवार, और ब्रहस्पतिवार होता है।
- वृश्चिक राशि का शुभ अंक ८ है।
वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल ग्रह पुरे ब्रह्माण्ड में नवग्रहों में सबसे आक्रामक, साहसी और बलवान ग्रह है। मंगल एक सेनापति ग्रह के रूप से जाना जाता है और हमेशा अपने दुश्मनों का नाश करता है।
ऐसी ही खूबियां मंगल रत्न लाल मूंगा धारण करने के बाद देखने को मिलती है।
वृश्चिक एक जल राशि है, जिसमे मंगल की अग्नि का समावेश भी देखने को मिलता है। यही वजय है की वृश्चिक जातक जितनी जल्दी क्रोध में आते है, उतनी ही जल्दी शांत भी हो जाते है।
अगर किसी वृश्चिक राशि के जातक का मंगल अशुभ है, तो वह जातक निकृष्ट और खतरनाक कार्यक्षेत्रों से जुड़ सकता है।
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वृश्चिक राशि की सफलता के वर्ष ३०,४०,और ५० की उम्र में देखने को मिलते है। वृश्चिक राशि के शुभ अंक ९, ३, और ६ होते है।
वृश्चिक राशि एक विषैले बिच्छू जैसी होती है, जो अपना प्राकृतिक स्वाभाव कभी भी बदल नहीं पाती, और मौका मिलते ही अपना बदला आवश्य लेती है। उदारता, परिश्रम और स्पष्टवादिता वृश्चिक राशि की विशेषता रहती है।
प्राय वृश्चिक जातक इंजीनियर,मकैनिक,अनुसंधानकर्ता,गणितज्ञ,ज्योतिषी, चिकित्सक,केमिस्ट,ड्रगिस्ट,और बड़े स्तर के जासूस, जादूगर, लेखक, साहित्यकार,राजनीती में, अंडरवर्ल्ड जैसे क्षेत्रो से जुड़े हुए मिलते है।
वृश्चिक जातक
वृश्चिक जातक शारीरिक कद काठी के सामान्य रहते है, रंग गेहुंआ रहता है, दिखने में आकर्षक होते है। इनके चेहरे पर एक तेज रहता है, और ज्यादातर इनके चहरे पर गंभीरता ही नजर आती है।
अपनी बातों को गुप्त रखते है, इनपर मंगल का प्रभाव होने की वजह से ये लोग दबंग और कभी भी क्रोध में आ जाने वाले होते है।
किसी भी बात की जिद में अड़ जाना इनका स्वाभाव रहता है, गंभीर रहते है ज्यादा हसीं मजाक इन्हें पसंद नहीं आता, ज्यादातर ये गंभीर ही रहते है। अपने कार्यो को करने में बहुत तेज होते है, जो कार्य हाथ में ले उसे पूरा किये बगैर हटते नहीं है।
साफ और स्पष्ट बातें इन्हें अच्छी लगती है, घुमाई फिराई बातें यह लोग बिलकुल भी पसंद नहीं करते। वृश्चिक राशि के जातक बहुत ईमानदार और वफादार होते है, अगर कोई इन्हें पुरे भरोसे से कोई कार्य दे तो ये लोग उसे कभी भी धोखा नहीं देते।
वृश्चिक जातक जबान के बहुत कटु होते है, किसी को भी कुछ भी बोलने से नहीं चूकते। बहुत चालाक और मौकापरस्त होते है, अपना वार छुप कर करने वाले होते है, अगर कोई वृश्चिक जातक अपराध से जुड़ जाता है, तो इनकी चालाकी की वजय इन्हें पकड़ पाना बहुत मुश्किल होता है।
वृश्चिक जातक के व्यवसाय
वृश्चिक जातक ज्यादातर पुलिस, सेना, दवाई निर्माता, व्यापारी, इंजीनियर,मकैनिक,अनुसंधानकर्ता,गणितज्ञ,ज्योतिषी, चिकित्सक,केमिस्ट,ड्रगिस्ट,और बड़े स्तर के जासूस, जादूगर, लेखक, साहित्यकार,राजनीती में देखने को मिलते है।
वृश्चिक जातक अपने जीवन में अपने बल और मेहनत से अपने जीवन में सफलता हासिल करते है, यह किसी से भी मदद लेना पसंद नहीं करते,
वृश्चिक जातक धीरे धीरे अपनी उम्र के साथ साथ सफलता की सीढ़ी चढ़ते जाते है, और जीवन में धन, मकान, संपत्ति सभी कुछ प्राप्त कर लेते है।
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वृश्चिक जातक और वैवाहिक जीवन
वृश्चिक जातक अपने कटु व्यवहार की वजय से अपनी पत्नी को कुछ कुछ बोलते रहते है, जिसकी वजय से इनके वैवाहिक जीवन में लड़ाई झगड़े लगे रहते है।
फिर भी इनके जीवन की गाड़ी लड़ाई झगड़े , नोंक झोक के साथ धीरे धीरे चलती रहती है।
लेकिन यह लोग अपने परिवार का बहुत ध्यान रकते है।
वृश्चिक जातकों की नजर प्राय दूसरी औरतों पर रहती है, विशेषकर वैवाहिक स्त्रियों के साथ इनके सम्बन्ध बने रहते है। वृश्चिक जातकों में कामुकता कुछ अधिक ही देखने को मिलती है।
वृश्चिक जातक और स्वास्थय
ज्यादातर वृश्चिक जातकों का स्वास्थय अच्छा और मजबूत ही रहता है, ये लोग ज्यादा बीमार वगैरा नहीं पड़ते।
फिर भी वृश्चिक जातकों को ब्लड प्रेशर, बवासीर, नासूर, कैंसर जैसे रोग हो सकते है।
वृश्चिक जातकों के शुभ माह, वर्ष, और तारीख़े
वृश्चिक जातकों के शुभ माह फ़रवरी, मार्च, अप्रैल, जून, जुलाई, और नवम्बर है। जीवन के शुभ वर्ष २५, ४०, और ४५ होते है। शुभ दिन सोमवार, मंगलवार, और बृहस्पतिवार होते है।
वृश्चिक राशि के जातक अपने प्रारंभिक वर्षो में कुछ कष्ट और परेशानियों के साथ आगे बढ़ते है, फिर युवावस्था में ये लोग अच्छी तरक्की करने लगते है और वृद्धावस्था में प्राय शांत जीवन व्यतीत करते है। इनके पास वृद्धावस्था तक पहुंचने पर काफी धन एकत्रित हो जाता है, जिससे ये अपना जीवन बहुत अच्छा जीते है।
वृश्चिक जातकों के लिए सावधानियां
वृश्चिक जातकों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है बेवजय गुस्सा करना और किसी को भी या अपने शत्रुओं पर तंज कसना, जिसकी वजय से इनकी पीठ पीछे बहुत से दुश्मन बन जाते है।
ऐसा करने से बहुत बार इनके बनते काम भी बिगड़ जाते है, इसलिए वृश्चिक जातकों को हमेशा संयम रखना चाहिए।
वृश्चिक राशि वालों को कौन सा रत्न पहनना चाहिए
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए मंगल का रत्न लाल मूंगा सबसे उनत्तिदायक रत्न होता है। वृश्चिक जातकों को लाल मूंगा आवश्य धारण करना चाहिए,
लाल मूंगा धारण करने से इन्हें जीवन में सफलता, दिलेरी, धन, संपत्ति और मानसिक मजबूती प्राप्त होती है।
कारोबार में आर्थिक उनत्ति की प्राप्ति होती है, अगर वृश्चिक जातक किसी नौकरी में है, तो आवश्य ही उसकी पदोन्नति होती है।
अगर वृश्चिक जातक पर दुश्मन हावी रहते है, उन पर मुक़दमे चल रहे है, तो लाल मूंगा धारण करने से वृश्चिक जातक के दुश्मन खत्म होते है, मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है।
वृश्चिक जातकों को लाल मूंगा धारण करने से किसी भी तरह के हृदय रोग, रक्तः की बीमारियां, पेट के रोग, शारीरिक दुर्बलता, आदि ठीक होते है,
वृश्चिक जातकों को को कम से कम 6 कैरट या उससे ऊपर का लाल मूंगा ताम्बे की अंगूठी में बनवाकर अनामिका ऊँगली में मंगलवार को धारण करना चाहिए।
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वृश्चिक जातकों का शुभ रत्न लाल मूंगा
वृश्चिक जातकों के लिए लाल मूंगा धारण करना अत्यंत ही लाभदायक, उनत्तिदायक और बल प्रदान करने वाला रत्न है।
लाल मूंगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व रत्न है, यह समुद्र के गर्भ से प्राप्त होता है, लाल मूंगा एक जैविक रत्न है, यह एक पौधे की शाखाओं के रूप में समुद्र के निचे प्राप्त होता है।
लाल मूंगा गहरा लाल, सिंदूरी, सफ़ेद, आदि रंगो में प्राप्त होता है, मंगल के लिए केवल लाल और सिंदूरी रंग के मूंगे को धारण किया जाता है।
लाल मूंगा मंगल ग्रह के सभी शुभ प्रभावों की प्राप्ति करवाता है, शारीरिक कमजोरी दूर करता है, भाग्य की वृद्धि करता है, कारोबार, नौकरी में उनत्ति प्रदान करता है, अच्छा स्वास्थय देता है, किसी भी तरह की बुरी नजर, भूत प्रेत के साये को ख़त्म करता है, और दुश्मनों का नाश करते हुए उनपर जीत दिलवाता है।
लाल मूंगा धारण करने की विधि
- मंगल रत्न लाल मूंगा हमेशा सोने, तांबे, या अष्टधातु की अंगूठी में ही बनवाकर धारण करना चाहिए,
- लाल मूंगे को हमेशा अनामिका उंगली में ही धारण करना चाहिए।
- लाल मूंगा केवल मंगलवार को सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त देखकर ही धारण करना चाहिए।
- लाल मूंगे को धारण करने से पहले गाए के कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध करके पूजा के स्थान पर रखकर अपने इष्ट देव की पूजा करने के बाद मंगल देव की पूजा और 108 बार मंगल मन्त्र “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” का जाप करने के बाद ही धारण करने का नियम है।