- मंगल दोष के लक्षण और उपाय/मंगल के शुभ और अशुभ योग और उनके उपाय
- मंगल ग्रह
- मंगल दोष जनित पहला अशुभ योग : अंगारक योग
- मंगल दोष का दूसरा अशुभ योग : मांगलिक योग
- मंगल दोष का तीसरा अशुभ योग : नीच का मंगल
- मंगल दोष का चौथा अशुभ योग : अग्नि योग
- मंगल के जन्मपत्रिका में दो बहुत ही शुभ योग
- मंगल के अशुभ योग और उपाय
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मंगल दोष के लक्षण और उपाय/मंगल के शुभ और अशुभ योग और उनके उपाय
किसी भी जन्म पत्रिका में मंगल ग्रह की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, शुभ मंगल जीवन में धन धान्य, जमीन जायदात का सुख, पुत्र सुख, दुश्मनों का नाश और मजबूत आत्मबल और निडरता का कारक रहता है, जीवन में कामयाबी देते हुए सभी सुखों को प्रदान करता है।
इसी के विपरीत जन्मपत्रिका में मंगल की अशुभ दशा जीवन में रोग लाती है, दुश्मन हावी रहते है, कोर्ट कचहरी के फसाद रहते है, कर्ज की परेशानियां बनी रहती है, और विवाह की समस्याएं और वैवाहिक जीवन में कलह का कारण बनता है।
किसी भी व्यक्ति के जीवन में मंगल के मंगल के कई तरह के शुभ और अशुभ योग रहते है,
आइये आज इस पोस्ट में जन्मपत्रिका में मंगल जनित अशुभ योगों को जानते है।
मंगल ग्रह
मंगल ग्रहों का सेनापति है, मंगल ऊर्जा, साहस, नेतृत्व करने की क्षमता, शत्रुओं को परास्त करते हुए विजय प्रदान करता है।
अगर जातक की जन्मपत्रिका में मंगल बली होकर बैठा है, तो जातक जीवन में बहुत अच्छे परिणाम भोगता है। अगर मंगल के साथ चंद्र, गुरु और सूर्य बैठ जाए तो व्यक्ति जीवन में बहुत तरक्की करता है।
मंगल में इतनी ऊर्जा है की किसी भी ग्रह का उससे सामना करना मुश्किल है, यही वजय है की मंगल को सेनापति और धरती पुत्र बोला गया है।
शुभ मंगल किसी भी तरह के कानूनी मामलों में विजय दिलाता है, मंगल कभी भी किसी भी परिस्थिति में व्यक्ति को झुकने और कमजोर होने नहीं देता। शुभ मंगल के सामने राहु और केतु भी नहीं टिक पाते है।
कर्क लग्न की पत्रिका में मंगल राजयोग प्रदान करने वाला होता है,
मंगल अपनी महादशा और अन्तर्दशा में बहुत बलशाली हो जाता है, अगर ऐसे समय में मंगल जन्मपत्रिका में बुरी और पीड़ित अवस्था में है, तो काफी तकलीफदायक हो जाता है, और ऐसे समय में काफी उपाय भी काम नहीं करते और अगर मंगल शुभ है तो फिर मंगल अपनी दशा में जातक को बहुत कुछ दे जायेगा।
अगर किसी जातक की जन्मपत्रिका में मंगल 1, 4, 7, 8 , 12 भावों में विराजमान है, तो ऐसी पत्रिका को मांगलिक पत्रिका बोला जाता है,
ऐसे में यह जरुरी हो जाता है की जातक को विवाह भी मांगलिक जातक या जातिका से ही करना चाहिए, ऐसा बोला जरूर जाता है की कुछ उपाय करने से मांगलिक और नॉन मांगलिक जातक जातिका का विवाह किया जा सकता है,
लेकिन कितने भी उपाय क्यों न कर लिए जाए, मंगल अपना प्रभाव दिखाता ही है और वैवाहिक जीवन में उलझने पैदा करता ही है।
इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में मंगल की स्थिति को देखते हुए सावधानियां रखनी ही चाहिए,
क्योंकि जिस व्यक्ति के पास मंगल की ऊर्जा नहीं रहेगी उसे जीवम में काफी संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे में यह बहुत जरुरी हो जाता है की व्यक्ति जीवन में मंगल के उपायों को समय समय पर करता रहे, और हमेशा हनुमान जी की शरण में रहे।
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मंगल दोष जनित पहला अशुभ योग : अंगारक योग
जब भी किसी जन्मपत्रिका में मंगल और राहु किसी भी भाव में एकसाथ आ जाए तो इसे अंगारक योग बोला जाता है, इस योग को शुभ नहीं माना जाता है,
ऐसा इसलिए की मंगल और राहु दोनों अति आक्रामक ग्रह होने से व्यक्ति बहुत आक्रामक हो सकता है,
जीवन के सभी क्षेत्रों में उसे सफलता पाने में काफी संघर्ष करना पड़ता है, यह योग व्यक्ति के जीवन में बड़ी दुर्घटना का कारण भी बन सकता है, opration हो सकता है, रक्त की बीमारियां हो सकती है, यहाँ तक की किसी धारदार हथियार से चोट लगने का भय भी बराबर बना रहता है।
व्यक्ति का स्वभाव बहुत क्रूर बना देता है, व्यक्ति के बहुत से दुश्मन होते है, परिवार और रिश्तेदारियों में उसकी नहीं बनती है।
मंगल दोष का दूसरा अशुभ योग : मांगलिक योग
जन्मपत्रिका में मांगलिक योग को भी बहुत शुभ नहीं माना जाता है, यह योग तब निर्मित होता है जब किसी व्यक्ति की जन्मपत्रिका में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में विराजमान हो,
इस योग को ही मांगलिक बोला जाता है।
ऐसा माना जाता है की मांगलिक योग व्यक्ति के रिश्तों को कमजोर करता है, विवाह में बाधाएं आती है, अगर सही तरीके से वर वधु की जन्मपत्रिका का मिलान करके विवाह न किया जाए तो, वैवाहिक जीवन में काफी परेशानियां आ सकती है, यहाँ तक की विवाह टूट भी सकता है।
लेकिन इतना जरूर है की अगर व्यक्ति मांगलिक है, लेकिन मंगल शुभ है तो वह जीवन में अच्छी तरक्की करता है।
मंगल दोष का तीसरा अशुभ योग : नीच का मंगल
जब किसी जन्मपत्रिका में मंगल नीच का होता है, यानि की जब मंगल कुंडली के किसी भाव में कर्क राशि में होता है, तो उसे नीच का मंगल बोला जाता है,
जन्मपत्रिका में नीच का मंगल जीवन में बहुत सी परेशनियां खड़ी करता है, जीवन में बहुत अजीब अजीब परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, जीवन के हर क्षेत्र में संघर्ष करने पड़ते है, मंगल जिस भाव में नीच का होता है, विशेषकर उस भाव से सम्बंधित बहुत हानी होती है,
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नीच का मंगल बहुत कमजोर हो जाता है, धन हानि, संपत्ति नुकसान, शारीरिक दुर्घटनाएं, शरीर में खून की कमी और ख़राब स्वास्थय देता है,
बहुत से दुश्मन पैदा करता है, कोर्ट कचहरी में उलझाता है, आत्मविश्वास को अत्यंत कमजोर कर देता है,
जन्मपत्रिका में नीच का मंगल ऐसी ही परेशानियों का जन्मदाता रहता है,
लेकिन कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों जन्मपत्रिका में नीच का मंगल होने से व्यक्ति सर्जन तक बन जाता है, यहाँ तक की सेना या पुलिस में किसी उच्च पद की प्राप्ति भी करवाता है।
मंगल दोष का चौथा अशुभ योग : अग्नि योग
जन्मपत्रिका में अग्नि योग का निर्माण तब होता है जब जन्मपत्रिका के किसी भाव में मंगल और शनि एकसाथ विराजमान होते है,
यह काफी अशुभ और खतरनाक योग बन जाता है, क्योंकि शनि की मंगल से घोर दुश्मनी है, यह जिस किसी भाव में भी एक साथ आ जाये तो उस भाव से सम्बंधित बहुत अधिक परेशानियां खड़ी करते है, और जीवन में बहुत से जानलेवा घटनाओं से रूबरू होना पड़ता है,
ज्योतिष शास्त्र में शनि को वायु बोला गया है और मंगल को अग्नि, तो जब इन दोनों का योग बनता है तो वायु से अग्नि बहुत भड़कती है और कई प्रकार की दुर्घटनाओं का निर्माण होता है,
बड़ी धन हानि होने का खतरा सदा बना रहता है, बड़े आर्थिक नुकसान होने के खतरे सदा बने रहते है, हथियार से जान का नुकसान, बड़ी बीमारी, बड़े opration के खतरे हो सकते है,
यही कारण है की शनि मंगल के योग को अग्नि योग का नाम दिया गया है,
लेकिन कभी कभी कुछ परिस्थितियों में इस योग में व्यक्ति को बड़ी सफलता भी मिल जाती है, ऐसा तब होता है जब दोनों एकसाथ भी हो और दोनों पत्रिका में शुभ भी हो, लेकिन फिर भी यह अपने बुरे प्रभावों का झटका देते ही रहते है।
मंगल के जन्मपत्रिका में दो बहुत ही शुभ योग
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मंगल का प्रथम शुभ योग : लक्ष्मी योग
जन्मपत्रिका में लक्ष्मी योग का निर्माण तब होता है, जब मंगल और चंद्र एक साथ किसी भाव में हो, इन दोनों का संयोजन ही बहुत ही शुभ योग लक्ष्मी योग का निर्माण करता है,
नाम के अनुसार ही यह योग बहुत लाभकारी भी है, जन्मपत्रिका में लक्ष्मी योग होने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती, व्यक्ति धनवान होता है।
इस योग से व्यक्ति कारोबारों में बहुत तरक्की करता है, कारोबार से बहुत धनलाभ होता है, व्यक्ति जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति करता है।
मंगल का दूसरा शुभ योग : रूचक योग
किसी भी जन्मपत्रिका में रुचक योग का निर्माण तब होता है जब मंगल शुभ भाव में अपनी ही राशि मेष या वृश्चिक में विराजमान हो, और मंगल किसी शुभ भाव में मकर राशि में उच्च का होकर बैठा हो,
इन्हीं योगो से रुचक योग का निर्माण होता है,
जिन व्यक्तियों की जन्मपत्रिका में रुचक योग होता है वह व्यक्ति धनपति होता है, कई जमीन जायदातो का मालिक होता है, बहुत बड़ा कारोबारी हो सकता है, व्यक्ति बहुत दिलेर होता है, राजनीती में अच्छी तरक्की करते हुए सब पर हुकुम चलाने वाला होता है, निडर होता है, आत्मविश्वास से भरा हुआ होता है, किसी की कार्य को अंजाम देने में घबराता नहीं है,
इसके आलावा व्यक्ति सरकारी क्षेत्रों में उच्च पदों आसीन हो सकता है, न्यायाधीश, पुलिस, प्रशासन, सेना में अच्छी पोस्ट पर हो सकता है, और न्यायप्रिय होते हुए गलत बात बर्दाश्त नहीं करता।
मंगल के अशुभ योग और उपाय
अगर किसी व्यक्ति की जन्मपत्रिका में मंगल की अशुभ स्थिति बनती है, तो वह व्यक्ति जीवन में केवल परेशानियां ही झेलेगा, ऐसा नहीं होता है,
अगर मंगल पर किसी शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ जाए तो अशुभ मंगल के प्रभावों में कमी आती है, इसके आलावा अगर उस भाव में मंगल शुभ होकर अपनी राशि में बैठा है, या मकर राशि में उच्च का होकर बैठा है, या फिर अपनी मित्र राशि में है, तब ऐसी स्थितियों में मंगल के अशुभ प्रभावों में काफी कमी आती है।
इसके अलावा मंगल दोष के ऐसे कुछ उपाय है, जिनके करने से मंगल की शांति की जा सकती है और लाभ उठाया जा सकता है,
मंगल दोष दूर करने के लिए हर मंगलवार हनुमान मंदिर जाकर नारियल चढ़ाए, चमेली तेल का दीप जलाए, और हनुमान जी के समक्ष हनुमान चालीसा करें,
ऐसा नियमित करने से मंगल जनित सभी दुष्प्रभाव दूर होंगे, जीवन में स्थिरता आएगी और सभी काम बनने लगेंगे।
इसके अलावा कभी कभी हनुमान मंदिर के सामने गरीबों में लाल वस्त्र, मसूर दाल, लाल फल का दान करें।
मंगल दोष दूर करने के अन्य उपाय
- सदगुण का पालन करें।
- असत्य कभी ना बोले, ना चालबाजी करें।
- किसी की असत्य गवाही कभी ना दें।
- कभी भी किसी से बदज़बानी या गालीगलौच कभी न करें।
- किसी भी तरह का नशा ना करें और ना ही शराब का सेवन करे।
- माँसाहार से दूर रहें।
- ऐसे घर में न रहे जिसका प्रमुख द्वार दक्षिणमुखी हो।
- रोज सुबह उठ का शहद का सेवन किया करें।
- गरीबों को मीठी चीजें बांटे।
- पत्नी से कभी भी गाली गलौच ना करे, उसे सुख दे।
- अपने बड़ों का आदर करें और उनकी सेवा करें।
- विधवा और बेसहारा स्त्रियों की यथासंभव सहायता करें।
- हाथी दांत से बनी वस्तुए कभी भी घर में ना रखें।
- जंग लगे हुए अस्त्र शास्त्र, औजार और लोहे की चीजें घर में ना रखें।