
ज्योतिष परामर्श केंद्र द्वारा जनित जन्मपत्री
क्या आप अपने जीवन में किन्हीं समस्याओं का सामना कर रहे हैं?
आप निराश ना हो, लक्ष्मी नारायण आपकी हर समस्या का समाधान करेंगे।
ज्योतिष परामर्श केंद्र द्वारा आप जन्म पत्रिका कर सकते है।
40 पृष्ठों की जन्म पत्रिका का मुल्य 500 /- + कुरियर चार्ज 50/- = 550/- है।
सम्पूर्ण जीवन के विवरण सहित जन्म पत्रिका का मूल्य 1000 /- + 50/- = 1050/- है।
जन्म पत्रिका आपको कुरियर द्वारा भेजी जाएगी, जन्मपत्रिका डिलीवरी के लिए 10 दिन के अंदर का समय निर्धारित रहेगा, जन्मपत्रिका का शुल्क आपको पहले ऑनलाइन जमा करना होगा,
जन्मपत्रिका की भाषा हिंदी रहेगी।
इस जन्म पत्रिका में आप अपने लग्न के बारे में जान सकेंगे, जन्म समय विवरण, पंचांग विवरण, भौगोलिक विवरण, अवहक़डा विवरण, ग्रहों की स्तिथि, चंद्र कुंडली, नवमांश कुंडली, सुदर्शन चक्र, विशोंतरी अन्तर्दशा, ग्रह/भाव, शुभ रत्न के बारे में, साढ़े साती, मांगलिक दोष, कालसर्प योग, आपकी राशि का सम्पूर्ण फलादेश, 9 ग्रहों की लग्न में स्तिथि, आपका मूलांक आदि के बारे में जान सकेंगे।
इसके अलावा अगर आप अपनी जन्म पत्रिका से सम्बंधित एक बार चर्चा करना चाहेंगे तो ज्योतिष परामर्श केंद्र आपको एक बार के लिए जन्म पत्रिका पर अगर आप चर्चा करना चाहें तो कर सकेंगे।
चर्चा करने के लिए आपको व्हाटअप्प पर अपॉइंटमेंट बुक करना होगा, जिसका आपको कोई शुल्क नहीं लगेगा।
जन्म पत्रिका
जन्मपत्री क्या है।
जन्मपत्री हमारे ऋषि मुनियों द्वारा खोजा गया वह ज्ञान है जिससे हम हमारे जीवन के भविष्य, शिक्षा, कारोबार, नौकरी, विवाह, पारिवारिक जीवन, धन, समृद्धि, उनत्ती , तरक्की, स्वास्थय, विदेश यात्रा, विदेश निवास आदि बहुत कुछ जान सकते है,
कोई माने या ना माने लेकिन हमारे ऋषि मुनियों द्वारा रचित ज्योतिषशास्त्र एक चमत्कार है, एक ऐसा चमत्कार जिसके जरिये हम हमारे भविष्य और जीवन के सभी पहलुओं के बारे में जान सकते है, अगर जन्मपत्री में ग्रहों की प्रतिकूलता है तो उनका निवारण करते हुए परेशनियों को दूर किया जा सकता है।
कोई भी व्यक्ति जब इस धरती पर जन्म लेता है, उस समय आकाशमण्डल में जो ग्रहों की स्तिथि बनती है, व्यक्ति ग्रहों की उन्हीं स्तिथि के अनुसार अपना जीवन जीता है, तरक्की करता है, परेशानियां झेलता है।
अगर इस बात का किसी व्यक्ति को यकीन ना हो तो किसी भी व्यक्ति की जन्मपत्री का विश्लेषण करके उसे इस चमत्कार को दिखाया जा सकता है, बशर्ते जन्म तारीख, समय और स्थान सही होना चाहिए।
जन्मपत्री क्यों जरूरी है
हर व्यक्ति को अपनी जन्मपत्री जरूर बनवानी चाहिए, सबसे प्रथम तो जन्मपत्री होने से व्यक्ति के पास अपनी जन्म तिथि और समय सुरक्षित रहता है, बहुत बार ऐसा भी देखने को मिलता है की लोग अपना जन्म समय भूल जाते है, लेकिन अगर जन्मपत्री बनी रहेगी तो यह आपके पास सदा के लिए सुरक्षित रहेगा।
जन्मपत्री होने से आपको अपने नक्षत्र, राशि और लग्न का पता रहता है, जिनके अनुसार आप अपने शुभ दिन, रंग, अंक, तिथियों के बारे में जानकारी रख सकते है और शुभ कामों में इनका इस्तेमाल कर सकते है।
जन्मपत्री होने से आपको अपने शुभ और अशुभ ग्रहो की जानकारी रह सकती है, जिनके उपाय आप समय समय पर करते हुए अपनी परेशनियों को कम कर सकते है और आगे बढ़ सकते है।
जन्मपत्री होने से आपको अपने वर्तमान ग्रह की दशा-अन्तर्दशा के बारे में जानकारी रह सकती है और आप उस ग्रह के अनुसार चलते हुए सुखद जीवन जी सकते है।
जन्मपत्री होने से आपको अपने जीवन के शुभ अशुभ समय की जानकारी रहती है, व्यापार, नौकरी, शिक्षा, धन, घर मकान, संपत्ति, सामजिक मान सम्मान, पारिवारिक और वैवाहिक जीवन के बारे में जानकारी रह सकती है,
यदि जीवन में किसी तरह की ऊंच नीच होती है तो आप उनके उपाय कर सकते है।
जन्मपत्री होने से विवाह के बारे में सभी प्रकार की जानकारियां प्राप्त हो सकती है और विवाह योग्य लड़के लड़कियों की कुंडली मिलान की जा सकती है।
आइए अब जानते है की किसी भी व्यक्ति की जन्मपत्री से हम क्या क्या जान सकते है।
प्रथम – लग्न
किसी भी व्यक्ति की जन्मपत्री की विवेचना करने के लिए लग्न अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, लग्न में 12 खाने होते है, इन सभी 12 खानों में हर एक खाना एक राशि का होता है और सभी 9 ग्रह किसी ना किसी खाने में विराजमान रहते है।
यही 12 खाने, राशियां और उनमें बैठे ग्रह व्यक्ति का जीवन तय कर देते है।
इन 12 खानों में ग्रहों की स्तिथि जितनी अनुकूल रहेगी, व्यक्ति उतना ही सुखद जीवन जीता है, हर ग्रह अपने समय में अपनी अच्छी बुरी स्तिथि के अनुसार अपना प्रभाव देता है।
दूसरा – लग्नेश
जन्म पत्रिका में लग्नेश बहुत ही मुख्य भूमिका में रहता है, आगे व्यक्ति के लग्न में लग्नेश बलि है तो चाहे कुछ ग्रह कमजोर ही क्यों न हो, फिर भी व्यक्ति अपने लग्नेश के ऊपर ही अच्छा खासा जीवन जीता है।
तीसरा – नक्षत्र
जन्मपत्रिका में नक्षत्र भी एक अहम् भूमिका में रहता है, अगर लग्नेश और नक्षत्र का परस्पर अच्छा मेल है तो व्यक्ति एक उनत्ति भरा जीवन जीता है।
एक शुभ नक्षत्र की स्तिथि व्यक्ति को सुखद जीवन देती है, धन, संपत्ति, सुख, वैवाहिक, पारिवारिक, संतान सभी सुखों की प्राप्ति करवाता है।
चतुर्थ – राशि
राशि व्यक्ति की चारित्रिक विशेषताएं दर्शाती है, व्यक्ति की शारीरिक रचना, बोल चाल, व्यक्तित्व, घमंड, कामकाज का तरीका, सज्जनता, कपटपन आदि को दर्शाती है।
पंचम – दशा-अन्तर्दशा
दशा-अन्तर्दशा का तात्पर्य होता है, किसी भी ग्रह का वह समय जो जातक के जीवन काल में आता। है
ज्योतिषशास्त्र में नव ग्रह है, सभी नव ग्रह जातक के जीवन में चक्कर काटते है, हर जातक के जीवन काल में हरेक ग्रह का समय आता है, जिसे जातक को भोगना ही पड़ता है, अगर जातक के जीवन का वर्तमान ग्रह की दशा शुभ है तो वह ग्रह अपनी दशा में सुख समृद्धि देगा और अगर ग्रह अशुभ है तो वह अपनी दशा में परेशनियां और संघर्ष देगा।
मंगल 7 वर्ष, राहु 18 वर्ष, केतु 7 वर्ष, गुरु 16 वर्ष, शनि 19 वर्ष, बुध 17 वर्ष, शुक्र 20 वर्ष, सूर्य 7 वर्ष, और चंद्र 10 वर्ष के लिए आते ही है ।
षष्ठ – मांगलिक योग
जन्मपत्रिका होने से आप अपनी पत्रिका में मांगलिक योग है या नहीं के बारे में जान सकते है।
सप्तम – कालसर्प योग
कालसर्प योग जो की व्यक्ति को जीवन में कई तरह के उतार चढ़ाव दिखाता है, अचानक से जीवन में तरक्की, धन ला देता है तो अचानक ले भी जाता है, जन्म पत्रिका होने से आप अपने जीवन में कालसर्प योग के बारे में भी जान सकते है।
अष्टम – फलादेश
लगभग सभी व्यक्तियों का ऐसा सोचना रहता है की जन्म पत्रिका तो किसी भी कंप्यूटर से निकाल ली जा सकती है, यह बात तो सही है लेकिन केवल जन्मपत्रिका निकाल लेने से ही हम हमारे बारे में नहीं जान सकते है और ना ही कंप्यूटर द्वारा निकाली गई कुंडली का फलादेश सटीक बैठता है,
जीवन का सही फलादेश जानने के लिए किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषाचार्य की जरुरत पड़ती है, तभी हम हमारे जीवन के सभी विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है और लग्न और ग्रहों के अनुसार एकदम सही फलादेश प्राप्त कर सकते है ना की डाटा फीडेड कंप्यूटर जनित जन्मपत्रिका से।
कोई ज्योतिष ही आपको यह जानकारी दे सकता है की कौन सा ग्रह आपके जीवन में किस तरह से अनुकूल या प्रतिकूल स्थितियाँ पैदा करेगा, किस भाव में 2 या अधिक ग्रहों के होने से उनका क्या प्रभाव रहेगा।
किस तरह से उनके उपाय करने पड़ेगे, आर्थिक, व्यापारिक, सामाजिक, पारिवारीक, वैवाहिक आदि किस तरह के परेशनियों से किन उपायों द्वारा निपटना पड़ेगा, इसके अलावा अगर जीवन में कुछ विशेष परेशनियां है तो उनके उपाय कैसे करने पड़ेगे।
जन्मपत्रिका के 12 भावों से जानकारी
भाव | भाव का स्वभाव |
---|---|
प्रथम भाव | रंग, रूप, स्वाभाव, हिम्मत, धैर्य, साहस, चरित्र, शरीर सुख, महत्वकांक्षा, गुण, स्थिरता, कर्म, शक्ति, मानसिकता, व्यक्तित्व, झुकाव |
द्वितीय भाव | धन, संपत्ति, बोलचाल, कुटुंब, सुख, वाक-सिद्धि, गला, शीर्ष, वाचा, प्रभाव, बुद्धि, मुख की बनावट, बंधु, मृत्यु |
तृतीय भाव | भोजन, पराक्रम, भाई-बहन, नेतृत्व, चमक, दाहिना कान, पडोसी देश की यात्रा, लेखन कार्य, क्षमा, सेवक |
चतुर्थ भाव | वाहन सुख, माता का साथ, व्यवहार, विद्या, ऐश्वर्य, अपना मकान, गड़ा धन, नेत्र, वैध्य, प्रसनत्ता, हृदय, शक्ति |
पंचम भाव | संतान, शिक्षा, प्रेम, प्रेम की चाह, विवाह, शेयर, सट्टा, लॉटरी, मंत्री या सलाहकार, सूझ बुझ, मन्त्र शक्ति, यंत्र तंत्र |
षष्ठ भाव | कर्ज, रोग, शत्रु, चोट, नौकर, कमर, नाभि, चोर, भय |
सप्तम भाव | पति पत्नी सुख, शैया सुख, साझेदारी, खोया हुआ धन, संगीत, सन्यास, मूत्राशय, गर्भायश्य, यात्रा, दीवानी दावा |
अष्ठम भाव | मृत्यु, गुप्त धन, स्वल्पायु, मृत्यु का स्थान, भोजन, गुप्तांग |
नवम भाव | उच्च शिक्षा, भाग्य, पिता का स्वाभाव, पौत्र, गुरु, शुभ-अशुभ, उपासना, भक्ति, सत्संग, धर्म, मामा |
दशम भाव | क्षमता, राज्य, व्यवसाय, प्रतिष्ठा, निवास स्थान, दानशीलता, उच्च शिक्षा, नौकरी, प्रवास, कर्ज प्राप्ति, आशा, परदेश गमन, पितृ सुख, यश, उपयश |
एकादश भाव | धन, लाभ, मुनाफा, आय, बायाँ पैर, आर्थिक अनुकूलता, सभा सोसायटी, आए के साधन, दीर्घायु |
द्वादश भाव | व्यय, पाप, स्वर्ग-नर्क, बायीं आंख, अपंग, जेल यात्रा, कष्ट, कुकर्म, मानहानि, राज, आपत्ति, दंड |
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