भोलेनाथ के आभूषण रुद्राक्ष के लाभ

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भोलेनाथ के आभूषण रुद्राक्ष के लाभ

रुद्राक्ष का जन्म भगवान भोलेनाथ के हाथों हुआ है, रुद्राक्ष में स्वयं शंकर, भोलेनाथ का वास है,
“रूद्र” का अर्थ भोलेनाथ और “अक्ष” का अर्थ है आँसू, रुद्राक्ष को भोलेनाथ के आँसू बोला जाता है।
रुद्राक्ष बेर के आकार का एक फल होता है, जिसे सुखाने के बाद इसमें से निकलने वाली गुठली को ही रुद्राक्ष बोला जाता है।

रुद्राक्ष काला, भूरा और लाल रंगो में पाया जाता है, ज्यादातर अच्छी किस्म के रुद्राक्ष नेपाल, असम और मलेशिया में पाए जाते है।
नेपाल से मिलने वाले रुद्राक्ष का आकार बड़ा होता है, जबकि मलेशिया में मिलने वाले रुद्राक्षों का आकार मटर के दानों जितना होता है।

रुद्राक्ष धारण देवी देवताओं के समय से चला आ रहा है, साधु सन्यासी इसे अपनी भुजाओं,गले और सर पर धारण करते थे, प्राचीन ग्रंथो में रुद्राक्ष के बहुत से वर्णन मिल जायेंगे।

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हर रुद्राक्ष के ऊपर धारियां होती है, रुद्राक्ष पर जितनी धारियां होंगी उतने मुखी वह रुद्राक्ष कहलाता है। वैसे रुद्राक्ष एकमुखी से चौदह मुखी तक आता है, पांच मुखी रुद्राक्ष बहुतायत में प्राप्त होता है,
जो दो रुद्राक्ष आपस में जुड़े होते है उन्हें गौरी शंकर रुद्राक्ष बोला जाता है, जो रुद्राक्ष तीन की संख्या में जुड़े होते है उन्हें गौरी-शंकर-गणेश रुद्राक्ष बोला जाता है। इस प्रकार के रुद्राक्ष दुर्लभ होते है।

रुद्राक्ष का वृक्ष अमरुद के वृक्ष के जितना ही होता है, इसके ऊपर बेर जैसे फल लगते है और यह कच्चे होते है, सूख जाने के बाद छीलने पर इन्हीं फलों में से रुद्राक्ष निकलते है, और हर रुद्राक्ष पर धारियां होती है, जिसका किसी को पता नहीं होता की फल से बाहर निकलने पर उसमें कितनी धारियां होंगी।

रुद्राक्ष के फल को कभी भी तोड़ा नहीं जाता है, यह अपने आप निचे गिर जाता है, इसे पेड़ के निचे से ही उठाया जाता है, इसमें एक से कई मुख के रुद्राक्ष निकल सकते है, जिन्हें बाद में मुख के अनुसार अलग अलग कर लिया जाता है।

जब रुद्राक्ष पेड़ से मिलता है तो इसमें किसी भी प्रकार का छेद नहीं होता है, रुद्राक्ष को धारण करने के लिए इसमें छेद करना पड़ता है, रुद्राक्ष में छेद भी बड़ी मुश्किल से होता है केवल अनुभवी कारीगर ही इसमें छेद कर सकते है।

रुद्राक्ष को फल माना जाता है, यह किसी भी देवी या देवता को अर्पित नहीं किया जाता है, यह केवल धारण करने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है, रुद्राक्ष बहुत प्रभावशाली और चमत्कारी होता है, रुद्राक्ष अपने मुखी के अनुसार लाभ देता है,
रुद्राक्ष की पूजा और धारण करने वाला व्यक्ति दुनियां के समस्त दुखों से दूर रहता है, मोक्ष प्राप्त करता है और सुखी और निरोग जीवन जीता है।

रुद्राक्ष और उसके चमत्कारों का वर्णन बहुत से पौराणिक ग्रंथो में पढ़ने को मिल जायेगा, जैसे की जाबिलोप निषद, शिवपुराण, उड्डीश तंत्र, यञपुराण आदि। तंत्र मन्त्र में भी रुद्राक्ष बहुत अहम् भूमिका निभाता है।

रुद्राक्ष की माला धारण करने के बहुत से लाभकारी महत्त्व है, पूजा पाठ, मन्त्र जप, साधना, देवी देवताओं की उपासना में रुद्राक्ष के विशेष लाभ है, इन सभी उपासनाओं में रुद्राक्ष द्वारा बहुत जल्दी सिद्धि प्राप्त होती है।

टूटे फूटे रुद्राक्ष, छेद वाले रुद्राक्ष, कीड़ों द्वारा खाये गए रुद्राक्ष, या बनावटी रुद्राक्ष कभी भी धारण नहीं करने चाहिए।
रुद्राक्ष से मिलता जुलता एक और फल आता है जिसे भद्राक्ष बोला जाता है, जिसका खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए।

रुद्राक्ष स्वयं भगवान भोलेनाथ का गहना है, धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से रुद्राक्ष के बहुत से चमत्कारी लाभ है।

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