सूर्य ग्रह का रत्न माणिक्य आपको उनत्ति धन और मान सम्मान देगा

सूर्य ग्रह का रत्न माणिक्य

जब हम सूर्य ग्रह के रत्न की बात करते है तो “मणिक्य” ही सूर्य ग्रह का रत्न है। माणिक्य खूबसूरत लाल रंग का, चिकना, चमकदार और पारदर्शी रत्न होता है। जैसे सूर्य ग्रहों का राजा है वैसे ही माणिक्य को रत्नों का राजा भी बोला जाता है। “सूर्य ग्रह का रत्न माणिक्य आपको उनत्ति धन और मान सम्मान देगा”

जब जन्म कुंडली में सूर्य अशुभ या नीच का हो या चतुर्थ, अष्ठम या द्वादश भावों में होकर कमजोर हो रहा हो, या पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो ऐसी अवस्था में सूर्य का रत्न माणिक्य धारण करना चाहिए।
अगर कुंडली में सूर्य की डिग्री कम हो तब भी माणिक्य धारण करने से लाभ मिलता है।
सिंह लग्न और सिंह राशि वाले जातकों के लिए भी सूर्य रत्न माणिक्य बहुत शुभ और लाभकारी होता है।

माणिक्य के 4 उपरत्न होते है, माणिक्य एक कीमती रत्न है, एक सुन्दर लाल रंग, साफसुथरा, दाग धब्बों रहित माणिक्य काफी ऊँची कीमत का होता है, इसलिए जो लोग माणिक्य धारण करने में असमर्थ हो वे माणिक्य के उपरत्न लालड़ी, तामड़ा, सिंगली या सूर्यकान्त रत्न धारण कर सकते है।

माणिक्य को हमेशा शुभ मुहूर्त देखकर ही खरीदना चाहिए, माणिक्य की अंगूठी भी शुभ मुहूर्त में ही बनवानी चाहिए, कभी भी जल्दबाजी में शुभ मुहूर्त की नजरअंदाजी नहीं करनी चाहिए अन्यथा शुभ प्रभावों में कमी आ सकती है।

माणिक्य को हमेशा मघा नक्षत्र के प्रथम चरण या पुष्य नक्षत्र में ही खरीदनी सबसे सर्वश्रेष्ठ होता है।
माणिक्य कम से कम 4 कैरट या उससे अधिक का ही धारण करना चाहिए, माणिक्य बनवाकर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में अगर धारण किया जाये तो यह सबसे श्रेष्ट मुहूर्त माना जायेगा।

अगर माणिक्य रत्न शुभ मुहूर्त और नक्षत्र के अनुसार ख़रीदा और धारण किया जाये तो माणिक्य के अत्यंत शुभ परिणाम देखने को मिलते है, धन, उनत्ति, आर्थिक लाभ, सामाजिक सम्मान, पारिवारिक सुख, संतान सुख जैसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

माणिक्य धारण करने से पहले किसी अच्छे विशेषज्ञ से राय लेना बहुत आवश्यक होता है, कभी भी किसी पोंगा पंडित के कहने पर माणिक्य धारण ना करें। यदि कुंडली में सूर्य की प्रतिकूल अवस्था रही तो भयंकर कष्ट झेलने पड़ सकते है।

माणिक्य के उपरत्न

जब भी माणिक्य के उपरत्न लालड़ी, तामड़ा, सिंगली या सूर्यकान्त धारण करें, तो यह निश्चित कर ले की रत्न निर्दोष और दाग रहित है। सूर्य का उपरत्न खरीदकर शुभ मुहूर्त में धारण करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, जीवन के सभी दुखों का नाश होता है, आर्थिक संकट ख़त्म होते है, उनत्ति और तरक्की प्राप्त होती है।

सूर्य के उपरत्न लालड़ी, तामड़ा, सिंगली या सूर्यकान्त धारण करने से सूर्य को बल प्राप्त होता है और सूर्य के शुभ प्रभावों की वृद्धि होती है।

शुभ मुहूर्त में धारण किये गए उपरत्न से धारणकर्ता को शासन और सरकार से लाभ प्राप्त होते है, राजनीती में सफलता प्राप्त होती है।

माणिक्य के उपरत्न को हमेशा बहुत सम्मान के साथ धारण करना चाहिए, सूतक काल जैसे समय जैसे की किसी के दाह संस्कार के समय सूर्य रत्न की अंगूठी को उतार देना चाहिए और बाद में पुनः स्नान, पूजा आदि करके धारण करना चाहिए।

माणिक्य या उसके उपरत्नों को हमेशा पूजा अर्चना और सूर्य मन्त्र “ॐ घृणि सूर्याय नम:” का सवा लाख जप करने के बाद ही धारण करना चाहिए।

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