जन्म कुंडली में घर मकान और जमीन के शुभ-अशुभ योग

घर मकान और जमीन के शुभ-अशुभ योग – जीवन में हर व्यक्ति चाहता है की उसका अपना एक सुन्दर सा घर हो, उसकी चाहत रहती है की वह भी अपना एक घर बनाये, और इसके लिए वह अपने जीवन में मेहनत और प्रयास करता भी है,
कुछ लोग तो अपने जीवन में बड़ी आसानी से अपने सपनों के घर का निर्माण कर लेते है, वही कुछ लोग ऐसे भी होते है जो बहुत प्रयासों और संघर्षो के बाद भी अपना घर बनाने में सफल नहीं हो पाते।

इनमें से कुछ लोग ऐसे भी होते है जिन्हें घर मकान विरासत में अपने बाप दादाओं का मिल जाता है, उन्हें खुद से अपना घर बनाने की जरुरत ही नहीं पड़ती, और कुछ लोग ऐसे भी होते है जिन्हें बहुत सी संपत्ति विरासत में तो मिलती ही है, इसके अलावा वह अपनी खुद की संपत्ति, घर मकान का भी निर्माण कर लेते है।

ऐसा क्यों होता है, क्यों कोई अपने पुरे जीवन में बहुत परिश्रम करने के बाद भी अपने घर का निर्माण नहीं कर पाता, क्यों कोई बहुत आसानी से घर बना लेता है और क्यों किसी को संपत्ति में ही कई घर मकान मिल जाते है।

best astrologer in bilaspur chhattisgarh,भिलाई दुर्ग ज्योतिष

या सब होता है आपकी जन्म कुंडली में निर्मित योगों से, आइये यह जानते है जन्म कुंडली में ऐसे कौन से योग होते है जिनसे हमें घर, मकान और भूमि का सुख मिलता है।

जब हम अपनी मेहनत और परिश्रम से अपनी स्वयं की आय से घर मकान बनाते है तो उसके लिए हमारी जन्म पत्रिका का चतुर्थ भाव बली होना जरुरी है, चतुर्थ भाव के स्वामी को बली और शुभ होना चाहिए, चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह होने चाहिए, शुभ ग्रहों की दृष्टि होनी चाहिए,
अगर ऐसा होगा तो व्यक्ति अपनी स्वयं की कमाई से अपना घर मकान आवशय बनाएगा।

आइये जानते है, जन्म कुंडली में घर मकान और जमीन के शुभ-अशुभ योग

घर मकान और जमीन के शुभ योग

1. मंगल जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव का कारक है, और मंगल भूमि, जमीन, घर और संपत्ति का भी कारक होता है,
इसलिए जन्म कुंडली में मंगल की स्तिथि शुभ होनी आवश्यक है, मंगल जन्म कुंडली में शुभ भावों में होकर स्वराशि या उच्च राशि का होना चाहिए, अगर मंगल किसी भी व्यक्ति की कुंडली में बली होकर बैठा है, तो उस व्यक्ति के घर बनाने के उत्तम योग बनते है।

2. जब मंगल कुंडली में शुभ या बली होकर बैठा हो और उसका सम्बन्ध चतुर्थ भाव से भी बनता हो, तो ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में घर जरूर बनाता है।

Read Also: Navratnas

3. मंगल घर जमीन का कारक है और शनि निर्माण कार्य का कारक है, इसलिए कुंडली में इन दोनों ग्रहों की शुभ स्तिथि होनी आवश्यक है, जब भी मंगल या शनि की शुभ दशा आती है और कुंडली में मंगल या शनि का सम्बन्ध चतुर्थ भाव से होता है, तब व्यक्ति का अपना घर बनने के योग बनते है।

4. अगर चतुर्थ भाव का सम्बन्ध एकादश यानि लाभ भाव से हो, चतुर्थ भाव स्वामी शुभ या उच्च का होकर एकादश भाव में बैठा हो तो जातक के एक से अधिक घरों के निर्माण के योग बनते है,
ऐसे ही अगर एकादश स्वामी चतुर्थ भाव में स्वराशि या उच्च का होकर बैठे और चतुर्थेश भी कही शुभ बैठा हो तो व्यक्ति के एक से अधिक घर, मकान, संपत्ति का निर्माण होता है, व्यक्ति की अच्छी आमदनी भी घर, जमीन से होती है।

5. ब्रहस्पति पैतृक संपत्ति का कारक होता है, अगर कुंडली में ब्रहस्पति शुभ है और उसका सम्बन्ध अष्टम भाव से बन रहा हो तो पैतृक संपत्ति मिलने के प्रबल योग बनते है।

6. चतुर्थ और द्वादश भावों का सम्बन्ध बनता हो, और दोनों भावों के स्वामी शुभ अवस्था में हो तो निश्चित तौर पर व्यक्ति के किसी दूसरे शहर में या विदेश में घर बनाने के योग बनते है।

7. अगर कुंडली में लग्न-लग्नेश, चतुर्थ भाव और उसका स्वामी और कुंडली में मंगल की शुभ स्तिथियां हो घर बनने के प्रबल योग बनते है।

8. अगर सुन्दर और शानदार घर- मकान के योग देखने हो तो जन्म कुंडली, नवांश कुंडली व चतुर्थांश कुंडली का विश्लेषण करना चाहिए अगर इन तीनों जगह ग्रहों की स्तिथि बहुत मजबूत है, तो व्यक्ति का घर-मकान बहुत आसानी से और शानदार बनते है,
और अगर ग्रहों की दशा कहीं कहीं कमजोर हो तो घर बनाने में कुछ परेशनियों का सामना करना पड़ता है।

घर मकान और जमीन के अशुभ योग

1. अगर जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव पर शनि नीच या अशुभ दृष्टि दे रहा हो, या शनि अशुभ होकर चतुर्थ भाव में हो तो, व्यक्ति अपने घर के सुख से वंचित रहता है, या उसका घर बिक जाता है, या वह अपने जीवन में बार बार घर बदलता रहता है।

2. अगर चतुर्थ भाव का शुभ संबंध षष्ठम भाव से होता है, और चतुर्थ और षष्ठम दोनों के स्वामी कुंडली में शुभ हो तो व्यक्ति का घर बैंक लोन या अन्य संसथान से लोन लेकर बनता है।

3. अगर चतुर्थ और द्वितीय भावों का आपसी सम्बन्ध है और दोनों के स्वामी शुभ और लाभकारी है तो माता द्वारा संपत्ति की प्राप्ति होती है।

4. अगर चतुर्थ भाव और नवम भाव का आपसी सम्बन्ध बनता है और दोनों भावों के स्वामी कुंडली में शुभ होकर बैठे है तो पिता द्वारा घर-मकान, संपत्ति की प्राप्ति होती है।

5. मंगल चतुर्थ भाव का कारक और घर, जमीन का कारक होने के बावजूद भी अगर मंगल अकेला चतुर्थ भाव में है, तो ऐसे में घर, जमीन, मकान को लेकर बहुत सी समस्याएं आती है, संपत्ति विवाद होता है, यहाँ तक की संपत्ति बिक भी जाती है।

6. अगर चतुर्थ भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है और चतुर्थेश भी कमजोर या अशुभ है, तो अपना घर बनाने में काफी संघर्षों का सामना करना पड़ता है, या फिर अपना खुद का घर नहीं बन पाता।

7. अगर जन्म कुंडली में चतुर्थेश का सम्बन्ध अष्टम भाव से बन जाये तो जातक का अपनी खुद की संपत्ति का विवाद परिवार में हो जाता है, उसका घर, संपत्ति पारिवारिक विवादों में उलझ जाती है।

8. जब भी घर मकान के योग देखे जाये तो कुंडली में लग्न-लग्नेश, चतुर्थ भाव और उसका स्वामी और कुंडली में मंगल की शुभ स्तिथियां होनी आवश्यक होती है, नहीं तो अपने घर निर्माण में संघर्ष आते है।

9. अगर चतुर्थ भाव का सम्बन्ध षष्ठम भाव से हो रहा हो, चतुर्थ स्वामी अशुभ हो, तो व्यक्ति को अपनी जमीन, घर, मकान के लिए कोर्ट में मुकदमों का भी सामना करना पड़ सकता है,
या फिर उसको अपने घर का लोन चुकाने में बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता है।

best astrologer in odisha and chhattisgarh

इन सभी योगों के अलावा जन्म कुंडली में जब किसी शुभ और उच्च ग्रहों की महादशा अंतर-दशाएं आती है, तब उसके भी शुभ प्रभाव घर जमीन निर्माण पर पड़ते है, अधिक सटीकता से घर, मकान और संपत्ति का विश्लेषण जन्म कुंडली के अध्ययन से ही सटीकता से किया जाना उचित रहता है।

Leave a Comment