लहसुनिया क्यों पहना जाता है

लहसुनिया क्यों पहना जाता है बहुत से व्यक्ति लहसुनियां रत्न के बारे में यह सुनकर की लहसुनियां अचानक धन संपत्ति देता है, उसे धारण करने की इच्छा रखने लगते है, लेकिन ऐसा नहीं है की बगैर सोचे लहसुनियां रत्न धारण कर लिया जाये, लहसुनियां  धारण करने के भी नियम होते है, नहीं तो धारणकर्ता बहुत सी परेशानियों में पड़ सकता है, आइये जानते है, लहसुनियां की पूरी जानकारी।

लहसुनिया क्यों पहना जाता है

 
लहसुनियां केतु का रत्न है, लहसुनियां ही ऐसा रत्न है जो केतु के अच्छे और बुरे प्रभावों की ऊर्जा  को अपने अंदर समेटता है और धारणकर्ता तक पहुंचाता है, इसलिए किसी भी जातक की कुंडली में केतु की जैसी स्तिथि रहेगी, उसी अनुसार लहसुनियां रत्न धारण करना होता है, 

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जातक पर केतु के प्रभाव


केतु एक राक्षस ग्रह है, जिसका सर नहीं है। केतु को सब अनिष्टकारी ग्रह ही समझते है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, केतु केवल अशुभ नहीं केतु बहुत शुभता देने वाला ग्रह भी है,

केतु को एक क्रूर ग्रह माना जाता है, जिसके प्रभाव मंगल ग्रह जैसे ही माने जाते है, केतु अश्विनी, मघा और  मूल नक्षत्रों का स्वामी है,
राहु और केतु की कोई राशि नहीं होती ,यह दोनों एक छाया ग्रह है, लेकिन इनके अच्छे और बुरे प्रभाव कभी कभी बड़े बड़े ग्रहों को भी पीछे छोड़ देते है। अगर केतु और राहु के मध्य समस्त ग्रह आ जाये तो यह काल सर्प दोष देता है,

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केतु जब जन्म कुंडली में बुध की मिथुन राशि में होता है तो यह नीच का होकर अशुभ प्रभाव देता है और ब्रहस्पति की धनु राशि में होने पर उच्च का हो जाता है और अपने शुभ फल देता है,
अगर केतु तीसरे, पांचवे, छठे, नौवे और बारहवें भाव में हो तो केतु के शुभ फल प्राप्त होते है,
अगर केतु देवगुरु

केतु एक क्रूर ग्रह होने की वजय से यह जातक को इसकी जन्मपत्रिका में अपनी स्तिथि के अनुसार ही शुभ और अशुभ फल देता है, अशुभ होने पर यह बहुत अशुभ फल देता है और शुभ होने पर यह व्यक्ति को राजा तक बनाने की हैसियत रखता है, 

शुभ केतु के प्रभाव


केतु का एक विशेष पहलू यह भी है की केतु को अध्यात्म का देवता माना जाता है, केतु व्यक्ति को अध्यात्म की तरफ ले जाकर देवता तक भी बना सकता है, लेकिन दूसरी ओर उसका पारिवारिक और सांसारिक जीवन नष्ट हो जाता है,

केतु न्यायशास्र, बुद्धिमानी, तंत्र विद्या, विद्या, सन्यास, कल्पना शक्ति, दिव्यदृष्टि, उत्तेजना का स्वामी है,
शुभ केतु परिवार में खुशहाली लाता है, अच्छी सेहत, तंदुरुस्ती, धन-संसाधन देता है,

शुभ केतु जातक को जीवन में सफलता की शीर्ष ऊंचाइयों तक ले जाता है, इन प्रसिद्धियों में व्यक्ति की अधिकतर उपलब्धि अध्यात्म में होती है, 

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अशुभ केतु के प्रभाव


अगर किसी जातक की कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव है, तो जातक रोगी रहता है, जातक के पैर कमजोर हो जाते है, जातक को जीवन के हर क्षेत्र में अत्यंत संघर्ष करने पड़ते है, फिर भी सफलता मिलनी मुश्किल होती है,
कारोबारी और आर्थिक स्तिथियां भी बहुत ख़राब रहती है, व्यक्ति के जीवन में अचानक बाधाएं आती है, जातक के रिश्ते किसी से भी मधुर नहीं रहते, हॉस्पिटल के खर्चे होते रहते है,

इसलिए अशुभ केतु जीवन में बाधाएं और परेशानियों के अलावा कुछ नहीं देता है, इन परेशानियों से मुक्त रहने लिए केतु के उपाय करने जरुरी होते है। 

केतु का रत्न लहसुनियां


केतु का रत्न लहसुनियां सफ़ेद, हरे, पीले आदि रंगो में प्राप्त होता है, लहसुनियां चिकना और साफसुथरा होता है और उसपर एक चमकीली लाइन रहती है, जिसकी वजय से यह रत्न देखने पर ऐसा लगता है जैसे कोई बिल्ली की आंख हो, इसी वजय से इस रत्न को अंग्रेजी में cat,s eye का नाम दिया गया है।

लहसुनियां विश्व में बहुत से स्थानों से प्राप्त होता है, ८ की कठोरता वाला लहसुनियां ज्यादा अच्छा माना गया है, जिसे  Chrysobaryl cat,s eye बोला जाता है,
इसके अलावा जितने भी लहसुनिये आते है वे क्वार्ट्ज़ श्रेणी के रहते है, जिसे ज़्यदातर लोगों को धारण किये हुए देखा जा सकता है।

1. लहसुनियां धारण करने से केतु के सभी दुष्प्रभाव ख़त्म होते है,

2. लहसुनियां धारण करने से जातक को अचानक उनत्ति प्राप्त होती है,धन का आगमन बढ़ता है, आर्थिक उनत्ति होती है,

3. जातक की अचानक लॉटरी लगती है, अचानक कही से धन लाभ होता है, अचानक संपत्ति या पैतृक संपत्ति की प्राप्ति होती है,

4. जिन जातकों का लग्न वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला और कुम्भ है, उन जातकों के लिए लहसुनियां धारण करना शुभ रहता है,

5. लहसुनियां शारीरिक दुर्बलता ख़त्म करता है, धारणकर्ता की आँखों की रौशनी बढ़ती है,

6. जातक अध्यात्म ओर बढ़ता है और अध्यात्म में नाम कमाता है, जातक बौद्धिक  क्षमता बढ़ती  है, जातक बहुत बड़े कथा वाचक में रूप में नाम कमाता है,

7. अगर किसी पर बुरी नजर, काले जादू या भूत प्रेत का साया हो तो लहसुनियां धारण करने से वह ख़त्म होता है।

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लहसुनिया धारण करने का तरीका


लहसुनियां रत्न को चांदी की अंगूठी में बनवाना चाहिए, लहसुनियां ६ कैरट या उससे ऊपर का ही होना चाहिए, अंगूठी को मध्यमा ऊँगली में ब्रहस्पतिवार को धारण करना चाहिए,
धारण करने से पहले अंगूठी को गंगाजल से शुद्ध कर ले, पूर्ण विधि अनुसार पूजा अर्चना और केतु मंत्रो का जाप (१०८ बार) करते हुए धारण करें।

केतु मन्त्र


बीज मंत्र- ‘ॐ कें केतवे नम:।
तांत्रिक मंत्र- ‘ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:

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