रत्न परामर्श छत्तीसगढ़

ज्योतिष परामर्श केंद्र- रत्न परामर्श, (idea4you.in)

ज्योतिष परामर्श केंद्र- रत्न परामर्श (idea4you.in) रत्न परामर्श के लिए एक विश्वसनीय केंद्र है, जातक की कुंडली का गहन अध्ययन कर उसके भाग्यशाली रत्न का परामर्श दिया जाता है

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रत्नों का हमारे जीवन पर प्रभाव

रत्न हमारे जीवन पर पूर्ण प्रभाव डालते है, क्योंकि हर रत्न में एक ग्रह की ऊर्जा रहती है और रत्न उस ऊर्जा का संचालन हमारे शरीर में करते है,
इस धरती पर ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो ग्रहों के प्रभाव से बच सका हो और इन ग्रहों के प्रभावों को प्राप्त करने के लिए रत्न ही एकमात्र उपाय है, जिसके द्वारा हम उस ग्रह की ऊर्जाओं को प्राप्त कर सकते है,
रत्न एक ऐसा माध्यम है जिसको धारण करके हम अपने जीवन में काफी हद तक बदलाव ला सकते है,

जानिए आपकी राशि, लग्न और भाग्यशाली रत्न के विषय में

रत्नों में नवरत्नों और उनके उपरत्नों का विशेष महत्त्व रहता है, नवरत्नों में माणिक्य, मोती, लाल मूंगा, पन्ना, पुखराज, नीलम, हीरा, गोमेद और लहसुनियां है, और इन सभी नवरत्नों के उपरत्न भी है,
उपरत्न वे रत्न होते है जिन्हें मुख्य रत्न के बदले में धारण किया जा सकता है, आप ऐसा मान सकते है की किसी ग्रह का मुख्य रत्न अगर आपको १००% लाभ देता है तो उसका उपरत्न ६०% लाभ देने में सक्षम होता है,

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नवरत्न और उनके उपरत्न

माणिक्य : माणिक्य सूर्य का रत्न है, माणिक्य सूर्य की ऊर्जाओं का संचालन करता है, जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर या पाप पीड़ित है उन व्यक्तियों को माणिक्य धारण करना चाहिए,
अगर सूर्य के उपरत्न की बात की जाये तो लाल गार्नेट और लालड़ी इसके उपरत्न है।

मोती : मोती चंद्र का रत्न है, जन्म कुंडली में चंद्र का शुभ होना बहुत जरुरी है, चंद्र हमारे मन और मस्तिक्ष का कारक है, इसलिए जन्म कुंडली में कमजोर चंद्र के लिए मोती धारण करना जरुरी होता है,
मोती के उपरत्न की बात की जाये तो इसका सबसे लाभकारी उपरत्न चंद्रमणि है।

लग्न और रत्न

लाल मूंगा : लाल मूंगा मंगल का प्रतिनिधित्व रत्न है, मंगल के सभी लाभ और परेशानियों को शांत करने के लिए लाल मूंगा धारण किया जाता है, लाल मूंगा विशेष तौर पर दुर्घटना, शत्रुओं, कर्जों, त्वचा रोगों, बुरे प्रभावों से बचाता है, जिन जातकों की जन्म कुंडली में मंगल के लाभ प्राप्त नहीं हो रहे है, उन्हें लाल मूंगा धारण करना चाहिए,
लाल मूंगा के उपरत्न की बात की जाये तो लाल हकीक उसका उपरत्न होता है,

पन्ना : पन्ना बुध ग्रह का रत्न है, बुध ज्ञान, बुद्धि, वाणी और व्यापार का स्वामी है, बुध के समस्त लाभ प्राप्त करने के लिए बुध का रत्न पन्ना धारण किया जाता है, जन्म पत्रिका के अनुसार बुध को बल देने के लिए पन्ना धारण किया जाता है,
पन्ना का सबसे लाभकारी उपरत्न हरा तुरमली और हरा ओनिक्स होता है,

लग्नानुसार रत्न निर्धारण

पुखराज : पुखराज की बात की जाये तो यह रत्न ब्रहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, ब्रहस्पति ज्ञान, धन, उच्च शिक्षा, आध्यात्म, नेक संतान, पुत्र संतान और संपत्ति का स्वामी है, जन्म कुंडली में ब्रहस्पति की अवस्था को देखते हुए पीला पुखराज धारण किया जाता है,
पुखराज का उपरत्न पीला सुनहेला है, यह ब्रहस्पति के बहुत लाभ प्रदान करता है,

नीलम : शनि रत्न नीलम बहुत जल्दी अपने प्रभाव दिखाने वाला रत्न है, यह रत्न शनि के समस्त शुभ प्रभावों को बढ़ाता है और जातक को बुलंदियों तक पहुंचाता है, कुंडली में शनि को दशा को देखते हुए नीलम धारण की सलाह दी जाती है,
शनि के उपरत्नो में नीली और जमुनियां सबसे प्रभावकारी रत्न है,

हीरा : हीरा शुक्र का मुख्य रत्न है, हीरा धारण करने से जातक सभी तरह के सांसारिक, वैवाहिक सुखों की प्राप्ति करता है, हीरा पौरुष शक्ति को बढ़ाता है, प्रेम में सफलता देता है, शुक्र कमजोर होने से हीरा धारण की सलाह दी जाती है,
हीरे के उपरत्नों में सफ़ेद जिरकॉन और ओपल का नाम आता है, जिसमें सफ़ेद जिरकॉन बहुत लाभदायक रहता है,

लग्न विश्लेषण

गोमेद : राहु का रत्न गोमेद राहु जनित सभी परेशानियों को ख़त्म करने में सहायक होता है, कालसर्प दोष में भी गोमेद धारण करना बहुत लाभदायक सिद्ध होता है, कुंडली में राहु की दशा को देखते हुए गोमेद धारण की सलाह दी जाती है,
गोमेद बहुत कीमती रत्न नहीं होता, इसलिए गोमेद के विकल्प में कोई रत्न धारण नहीं करना चाहिए, साधारण गोमेद काफी कम कीमत में प्राप्त हो जाता है, इसलिए गोमेद ही धारण करना चाहिए,

लहसुनियां : लहसुनियां केतु का रत्न है, कुंडली में केतु की ख़राब स्तिथि काफी परेशानियां खड़ी करने वाली रहती है, लहसुनियां भी जन्म पत्रिका में केतु की स्तिथि देखते हुए धारण करने की सलाह दी जाती है,
केतु का रत्न लहसुनियां भी बहुत महंगा रत्न नहीं है, साधारण लहसुनियां काफी कम कीमत में उपलब्ध हो जाता है, इसलिए उसके उपरत्न के स्थान पर कुछ और धारण नहीं करना चाहिए।

१२ राशियाँ

रत्न धारण में सावधानियां

जब भी आप कोई रत्न धारण करते है, सबसे पहले तो उसकी असलियत की प्रमाणिकता होनी जरुरी होती है, रत्न असली होगा तभी उसके लाभ प्राप्त होंगे,
कभी भी रत्न को बनवाकर सीधे धारण नहीं करना चाहिए, उसके कोई लाभ प्राप्त नहीं होंगे, हमेशा रत्न की विधि विधान से पूजा और उसके स्वामी की पूजा और मन्त्र जप के बाद ही धारण करने से रत्न के पूर्ण लाभ प्राप्त होंगे।

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