जन्म कुंडली में सूर्य के प्रभाव

समस्त धरती पर सूर्य का प्रभाव है, नवग्रहों में से सूर्य भी एक ग्रह है, जिसका असर व्यक्ति के जीवन में शीर्ष रहता है, व्यक्ति अपने जीवन में मान-सम्मान, ऊंचाइयां, प्रसिद्धि सूर्य के बल पर ही प्राप्त करता है, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य के प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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जन्म कुंडली में सूर्य के प्रभाव

सूर्य ग्रह को नवग्रहों का राजा बोला जाता है, सूर्य के तेज का प्रभाव सभी ग्रहों पर रहता है, सूर्य का प्रभाव इतना तेज है की अगर कोई ग्रह इसके ज्यादा ही करीब आ जाये तो सूर्य का तेज उसे अस्त कर देता है, एक तरह से कहा जाये तो निष्क्रिय कर देता है,
इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की जब सूर्य के तेज से ग्रह नहीं बच सकते हो मानव जीवन पर इसका कितना प्रभाव होगा,

सूर्य ग्रह का रंग लाल और अंगार के समान है, परम तेजस्वी सूर्य ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के मस्तिष्क, हृदय, पीठ, नाड़ी संसथान, हड्डियों, दाई आंख, ज्ञान, आत्मसंयम, और स्वास्थय पर रहता है,

सूर्य उपासना और सूर्य मंत्रो द्वारा शांति

सूर्य किसी भी जातक की कुंडली में पिता और भाई का कारक होता है, इसलिए पिता और भाई से सम्बंधित सुखों को कुंडली में सूर्य की दशा के अनुसार ही देखा जाता है,

न्याय, यंत्र विज्ञान, दवाई निर्माण, चित्रकला, राजपाट, राजनीती, प्रशासनिक पद, सट्टेबाजी, प्रसिद्धि, आर्थिक स्तिथि आदि सूर्य की दशा से ही देखी जाती है,

सूर्य का कमजोर या पीड़ित होना व्यक्ति के जीवन में धन, आर्थिक स्तिथि, सामाजिक सम्मान, सरकारी लाभों, सरकारी नौकरी में काफी अड़चने उत्पन्न करवाता है,
पिता से सम्बन्ध ख़राब करवाता है और पैतृक संपत्ति जाने के आसार भी बनते है,

इसलिए जिस भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो उसे सूर्य के उपाय और रत्न धारण करना अनिवार्य हो जाता है।

माणिक्य

ज्योतिष में सूर्य ग्रह का महत्व

किसी भी जातक की जन्म कुंडली में सूर्य पिता और स्त्री की कुंडली में पति का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य उच्च प्रशासनिक संस्थानों में सेवाएं और राजनितिक सफलता की प्राप्ति करवाता है। सूर्य व्यक्ति की प्रसिद्धि और सामाजिक सम्मान को दर्शाता है।
सूर्य की शुभ महादशा में व्यक्ति मान-सम्मान, प्रसिद्धि और धन कमाता है। सूर्य मेष राशि में उच्च और तुला राशि में नीच के होकर अपने शुभ अशुभ प्रभाव देते है।

सूर्य प्रधान जातकों के चेहरे पर तेज होता है। उनका चेहरा बड़ा और आकर्षित करने वाला होता है। सूर्य किसी भी व्यक्ति के हृदय और आँखों को नियंत्रित करता है। यदि कुंडली में सूर्य पीड़ित होंगे तो व्यक्ति इन्हीं अंगों को लेकर पीड़ित होगा।

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सूर्य का रत्न

सूर्य का रत्न माणिक्य है, माणिक्य सूर्य की शक्ति को ग्रहण करके धारणकर्ता तक पहुँचता है, केवल माणिक्य ही ऐसा रत्न है जो सूर्य की किरणों का संचालन कर सकता है,
अगर किसी कारणवश माणिक्य उपलब्ध नहीं है तो माणिक्य का उपरत्न लालड़ी या लाल गार्नेट धारण किया जा सकता है,

माणिक्य धारण करने से सूर्य को बल प्राप्त होता है, अगर कुंडली में सूर्य पाप ग्रहों से पीड़ित है, शनि, राहु, केतु के सानिघ्य में है, तो माणिक्य धारण करना अनिवार्य हो जाता है।

भाग्यशाली रत्न

जिन जातकों का सिंह लग्न है, उन जातकों की ताउम्र माणिक्य धारण करना चाहिए, इसके अलावा मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक और धनु लग्न के जातकों को भी माणिक्य धारण करना बहुत शुभ होता है,
अगर राशि के अनुसार जानें तो मेष, सिंह, वृश्चिक और धनु राशि के जातक अपनी जन्म कुंडली में सूर्य की स्तिथि के अनुसार माणिक्य धारण करके लाभ ले सकते है।

सूर्य के मन्त्र
  • सूर्य का तांत्रिक मंत्र – ॐ घृणि सूर्याय नमः
  • सूर्य का बीज मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

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