राहु ग्रह को षड्यंत्रकारी ग्रह के रूप से जाना जाता है, राहु व्यक्ति को अचानक ऊँचाइयों पर या अचानक जमीन पर भी ला पटकता है, आइये इस पोस्ट में हम राहु ग्रह के बारे में जानकारी प्राप्त करते है।
जयोतिषशास्त्र में राहु ग्रह को भी नवग्रहों स्थान प्राप्त है, राहु “स्वरभानु” नामक राक्षस का सर है, जिसे भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से धड़ से अलग कर दिया था, तभी से सर का हिस्सा राहु और धड़ का हिस्सा केतु कहलाया।
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राहु ग्रह की उत्पति
राहु एक छाया ग्रह है, वैसे देखा जाये तो पौराणिक ग्रंथों में राहु और उसके साथी ग्रह केतु का जिक्र नहीं मिलता है, लेकिन जब भी नवग्रहों के बारे में चर्चा होती है तो राहु का नाम सामने आता है,
राहु-केतु ग्रहों का जिक्र हमें सबसे पहले महाभारत में पढ़ने को मिलता है, महाभारत में वर्णन के अनुसार जब अमृत निकलने के लिए समुन्द्र मंथन किया गया था तो उसमें देवताओं और दानवों दोनों का सहयोग लिया गया था,
इन्हीं दानवों में से एक दानव “स्वरभानु” ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की और जब विष्णु जी को इसका पता लगा तो भगवान विष्णु ने “स्वरभानु” का सुदर्शन चक्र से गर्दन अलग कर दी, लेकिन तब तक अमृत की एक बूंद “स्वरभानु” के गले से नीचे उतर चुकी थी,
जिसकी वजय से “स्वरभानु” की गर्दन और धड़ अलग तो हो गए थे लेकिन अब वो अमर हो चुके थे।
उसी समय से सर का हिस्सा राहु कहलाया और धड़ का हिस्सा केतु कहलाया, राहु और केतु को नवग्रहों में स्थान मिला और मनुष्य जीवन पर इनका प्रभाव सदैव के लिए बन गया।
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राहु ग्रह की राशि
सभी ग्रहों की तरह राहु की भी एक राशि मानी गई है और वह राशि है ‘कन्या’ , वैसे तो सब यह जानते है की कन्या बुध ग्रह की राशि है, लेकिन कन्या राशि पर राहु का भी अधिकार है।
राहु की उच्च और नीच राशि
राहु मिथुन राशि में उच्च का होता है और धनु राशि में नीच का होता है।
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राहु की मित्र और शत्रु राशियां
मिथुन, कन्या, तुला, धनु, मकर और मीन राशियां राहु की मित्र राशियां है, कर्क और सिंह राशियां राहु की शत्रु राशियां है।
राहु के मित्र और शत्रु ग्रह
बुध, शुक्र और शनि राहु के मित्र ग्रह है और मंगल, चंद्र, और सूर्य शत्रु ग्रहों में आते है, ब्रहस्पति राहु के लिए सम ग्रह है।
राहु के गुण
ज्योतिषशास्त्र में जब भी राहु का जिक्र आता है तो राहु को धोखेबाजी, अय्याशी, विदेश में भूमि, दवाई कारोबारी, कबाड़, लोहा व्यापारी, अनैतिक कृत्यों द्वारा धनार्जन, निष्ठाहीन आदि माना जाता है।
राहु के प्रभाव व्यक्ति को अधर्मी, अधार्मिक, जुआ-सट्टा खेलनेवाला, अभद्र भाषा का उपयोग करने वाला, झूठ बोलनेवाला और मलिन बनाता है।
राहु का स्वभाव
चालाकी, चालबाजी, ताकत, कष्ट और गलतियों का कारक है राहु, राहु का रंगरूप नीलवर्ण का है, राहु रत के समय बलशाली हो जाता है, यह ग्रह विनाशकारी है, बहुत तीष्ण स्वाभाव का है, तेज और चालाक बुद्धि का स्वामी है, आलास से भरा हुआ, तमोगुणी पाप ग्रह है।
जन्म पत्रिका में राहु का आंकलन
राहु के द्वारा राजनीती, सरकारी ठेके, मदिरा, पिता, सर्पविद्या, जुआ-सट्टा, मधपान, हिंसा, दुश्मन पर विजय, अनुसंधान, विवेचन, लम्बी यात्राएं, विज्ञानं, आक्रमण, दुर्गुण, व्यर्थ का परिश्रम, फैक्ट्री, लोहा-कबाड़ व्यवसाय, अचानक सफलता, लॉटरी निकलना, अचानक धन-संपत्ति लाभ, साहस, पापकर्म, दुर्भाग्य, विलासिता भरा जीवन, अनीति, बेइंसाफी, अन्यायपूर्ण कृत्य, कष्ट, दुःख, चिंता आदि का आंकलन किया जाता है।
जो लोग कारखानों, राजनीती, मशीनी कार्य, फोटोग्राफी, कंप्यूटर, मुद्रण जैसे कार्यो से जुड़े हुए है उनपर राहु के विशेष प्रभाव रहते है।
राहु की वस्तुए
राहु की वस्तुओं में काले तिल, सरसों, लोहा, मदिरा, धारदार हथियार, नील रंग की वस्तुए, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुए, चमड़ा, हड्डियां और गोमेद रत्न आता है।
व्यक्ति पर राहु के प्रभाव का समय
किसी भी व्यक्ति के जीवन में राहु के प्रभाव ४२ वर्ष की अवधि के बाद पूर्ण रूप से प्रभाव में आते है,
शुभ होंगे या अशुभ यह कुंडली में राहु की स्तिथि पर ही निर्भर करता है।
राहु ग्रह खराब होने से क्या होता है?
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु अशुभ है, तो वह जातक जीवन में बहुत अधिक परिश्रम करता है, सफलता मिलनी मुश्किल हो जाती है, जीवन में दरिद्रता झेलनी पड़ती है, शारीरिक रोगों को झेलना पड़ता है, बहुत अधिक खर्च बने रहते है, घर में बरकत नहीं रहती, कलेश बना रहता है।
राहु के ख़राब होने के संकेत
1. जब किसी व्यक्ति के घर की इलेक्ट्रॉनिक चीजें बार बार ख़राब होती रहती है तो समझ ले राहु का दोष है,
2. घर बार बार टूटता बनता रहता है तो यह भी राहु के दोषों का संकेत है, घर की सीढ़ी का गलत जगह निर्माण हो जाना और सीढ़िया जर्जर अवस्था में होना भी राहु के दोषों के संकेत है,
3. घर का व्यक्ति जब बहुत अधिक शराब पीने लगे, रात-दिन का आदि हो जाये तो राहु का दोष समझना चाहिए,
4. व्यक्ति बहुत अधिक निराशावादी हो जाये, बात बात पर चिड़चिड़ाने लगे, रोने लगे तो समझ जाइये की उसपर राहु का दोष है,
5. घर में और घर की छत पर गन्दगी का अम्बार लग जाये तो यह ख़राब राहु की निशानी है,
6. घर में जादू-टोने, भूत-प्रेत के चक्कर चलने लगे तो बिलकुल समझ जाना चाहिए की यह राहु के ही दोषों के संकेत है,
7. रात में नींद ना आये, बेचैनी रहे, डर लगने लगे, मनोबल कमजोर हो जाये, तो समझ लेना चाहिए की राहु आपपर हावी हो रहा है,
8. घर में दरिद्रता आ जाये, पैसे पैसे की परेशानियां होने लगे, कारोबार कितनी भी मेहनत करने पर भी ना चले, जहां जाओ वह काम ना बने तो समझ ले की राहु दोष आपके ऊपर हावी है,
9. कई तरह की बीमारियों का घेर लेना, बीमारी ठीक ना होना भी खराब राहु के संकेत है,
10. दुश्मनों की संख्या बढ़ना, दुश्मन आप पर हावी रहे तो समझ ले की राहु ख़राब है,
11. बार बार दुर्घटना होना भी ख़राब राहु को दर्शाता है,
12. अधिक अवैध संबंध भी ख़राब राहु के ही लक्षण होते है, धन अवैध संबंधो के चलते गवांना भी ख़राब राहु के ही संकेत है।
राहु का रत्न गोमेद
राहु का रत्न गोमेद है, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु निर्बल होकर पड़ा है या कुंडली में राहु की पीड़ा है तो ऐसे में गोमेद धारण करना लाभदायक होता है।
गोमेद का रंग भूरा कुछ लालिमा लिए हुए रहता है, गोमेद गहरे भूरे रंग के जो कुछ काले से भी दिखते है, ऐसे भी होते है।
सबसे उत्तम गोमेद साफ, चमकदार और पारदर्शी वाले माने जाते है, गोमेद हमेशा निर्दोष ही धारण करना चाहिए,
दोष वाला गोमेद धारण करने से व्यक्ति को लाभ के स्थान पर नुकसान होता है।
गोमेद के दोष
1. अगर गोमेद रुक्ष होगा तो ऐसा गोमेद व्यक्ति की मान-प्रतिष्ठा को नष्ट करता है।
2. दुरंगा गोमेद पिता के लिए हानिकारक होता है।
3. जिस गोमेद पर सफ़ेद धब्बे होते है ऐसा गोमेद शारीरिक कष्ट देता है।
4. जो गोमेद चमकरहित होता है, सुन्न यानि बुझा हुआ होता है ऐसा गोमेद बुद्धि का नाश करता है।
5. जिस गोमेद में दरार होती है ऐसा गोमेद रक्तः की बीमारी प्रदान करता है।
6. धब्बेदार गोमेद घर में कलह करवाने वाला होता है।
7. लाल धब्बों वाला गोमेद संतान को कष्ट देने वाला होता है।
गोमेद के लाभ
गोमेद धारण करने से धन और संपत्ति की वृद्धि होती है, कारोबार की वृद्धि होती है, संतान का सुख प्राप्त होता है, व्यक्ति की अचानक उनत्ति होती है, राजनीती में सफलता प्राप्त होती है, शत्रु परास्त होता है, अदालती मुकदमों में विजय प्राप्त होती है।
गोमेद धारण करने से शारीरिक रूप से भी लाभ मिलता है, जिन व्यक्तियों को कृमि रोग, कफ, पीलिया, त्वचा रोग, मानसिक दुर्बलता, बवासीर जैसे रोग हो उन जातकों को गोमेद धारण करने से बहुत राहत मिलती है।
गोमेद धारण विधि
गोमेद हमेशा ७ या उससे अधिक वजन का ही धारण करना चाहिए, गॉर्ड को हमेशा पंचधातु की ही अंगूठी में ही धारण करें, गोमेद को मध्यमा ऊँगली में धारण करना चाहिए,
गोमेद को धारण करने से पहले उसका पूजन, प्राणप्रतिष्ठा और राहु मंत्रो का जाप (१००१) करना अनिवार्य होता है, अन्यथा वह लाभ नहीं देगा,
अगर धारण करने वाले दिन स्वाति, शतभिषा या आद्रा नक्षत्र हो तो यह बहुत योगकारक मुहूर्त होगा।
राहु मन्त्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नम