पुखराज स्टोन प्राइस

प्रणाम! मित्रों, पुखराज स्टोन प्राइस के इस लेख में हम पुखराज रत्न के विषय में सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश करेंगे, उम्मीद करते है की इस लेख को पढ़कर आप पुखराज रत्न के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

Table of Contents

ब्रहस्पति का रत्न पुखराज

ब्रहस्पति के रत्न पुखराज को नवरत्नों में विशेष दर्जा दिया गया है, पुखराज देवगुरु ब्रहस्पति का रत्न है, ब्रहस्पति को ज्ञान, बुद्धिमानी, धन, कारोबार, धर्म, संतान सुख, विवाह, धार्मिक कार्य, उच्च शिक्षा का ग्रह माना जाता है, ब्रहस्पति को ज्योतिषशास्त्र में बहुत शुभता प्रदान करने वाला ग्रह कहा गया है, अगर व्यक्ति को इन क्षेत्रों में उनत्ति, तरक्की और लाभ की प्राप्ति करनी हो तो उन्हें पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।
जन्म पत्रिका में ब्रहस्पति की शुभ स्तिथि व्यक्ति को सामाजिक सम्मान, उन्नत्ति और पारिवारिक सुख प्रदान करती है, अगर इन क्षेत्रों में जातक सुख प्राप्त करना चाहता हो या जातक को जीवन में इन सुखों की कमी हो तो जातक को पीला पुखराज धारण करना चाहिए,

पुखराज स्टोन प्राइस

नवरत्नों में पुखराज का कीमती रत्न में तीसरा स्थान आता है, पुखराज में उसकी कीमत उसकी चमक, प्राप्ति स्थान, पारदर्शिता, दोषरहित के अनुसार आंकी जाती है, पुखराज जिसे अंग्रेजी में Yellow sapphire बोला जाता है, यह रत्न ब्रहस्पति की २ राशियों धनु और मीन का भाग्यशाली रत्न भी माना जाता है,
अंग्रेजी ज्योतिष के अनुसार जिन व्यक्तियों का जन्म 21 जून से 21 जुलाई के बीच हुआ हो उन व्यक्तियों का यह रत्न भाग्यशाली Birth Stone है।

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कुंडली में गुरु का प्रभाव

ब्रहस्पति या गुरु धनु और मीन राशि का स्वामित्व करता है, लग्नों में ब्रहस्पति धनु और मीन लग्न का संचालन करता है, ब्रहस्पति सकारात्‍मकता, धन, उमंग, वृद्धि, लाभों, उनत्ति, ज्ञान, ईमानदारी का कारक होता है।
धनु और मीन लग्न और राशि के जातकों में अपने स्वामी ब्रहस्पति के इन प्रभावों को देखा जा सकता है, साथ ही ब्रहस्पति का दिन गुरुवार होता है।

ब्रहस्पति से प्रभावित व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करनेवाले, आज्ञापालक, सत्यवादी, धार्मिक और नेकदिल होते है और अपने जीवन में कल्याणकारी कार्यो को करने में अग्रणी रहते है।

नवग्रहों में बृहस्पति को सबसे शुभ ग्रह माना जाता है, अगर जन्म कुंडली में ब्रहस्पति किसी किसी पाप या अशुभ ग्रह के साथ बैठ जाए या ब्रहस्पति की दृष्टि किसी पाप या अशुभ ग्रह पर पड़ जाये तो उस ग्रह की अशुभता कम हो जाती है,
ज्योतिषशास्त्र में जन्म कुंडली में ब्रहस्पति की स्तिथि को बहुत महत्त्व दिया गया है,

जन्म कुंडली में अगर ब्रहस्पति किसी भाव में कर्क राशि में है तो उसे उच्च का माना जाता है और मकर राशि में बृहस्पति को नीच का माना गया है, बृहस्पति की प्रथम राशि धनु और द्वितीय राशि मीन है।

जिन जातकों की जन्म कुंडली में ब्रहस्पति शुभ या बलशाली प्रभाव में है तो ऐसे जातक अपने जीवन में बहुत धन संपंदा के स्वामी होते है, जीवन में बहुत उनत्ति करते है, सुखी जीवन, सामाजिक प्रतिष्ठा की प्राप्ति करते है।

शुभ ब्रहस्पति कारोबार, व्यवसाय, धन, वैवाहिक जीवन, उच्च पद, राजनितिक सफलता का सुख प्रदान करता है,
अगर ब्रहस्पति जन्म पत्रिका में पाप ग्रहों से पीड़ित हो , नीच का हो तो उसके शुभ फलों में कमी आती है,
अगर कुंडली में ब्रहस्पति नीच का होकर अशुभ भावों में हो तब ऐसे व्यक्ति जीवन में काफी कठिन परिस्थितियों का सामना करते है।

शुभ ब्रहस्पति प्रधान व्यक्ति शिक्षण संस्थानों, राजनीती, अदालत, सामाजिक कार्यो, सरकारी क्षेत्रों में अच्छा नाम कमाते है, ब्रहस्पति प्रधान व्यक्ति जीवन में किसी न किसी क्षेत्र में उच्च पद की प्राप्ति है,
ऐसे व्यक्तियों को पुखराज रत्न जरूर धारण करना चाहिए, जीवन की नकारात्मक ऊर्जाएं पास नहीं आती और ब्रहस्पति को बल और शक्ति प्राप्त होती है।

पुखराज स्टोन
पुखराज स्टोन

पुखराज रत्‍न लाभ – Pukhraj ratna ke fayde in Hindi

आइये अब पुखराज रत्‍न लाभ – Pukhraj ratna ke fayde की जानकारी प्राप्त करते है।

पुखराज रत्न धारण करने से कारोबार में उनत्ति, नौकरी की प्राप्ति, अध्यन में विद्यार्थियों को सफलता, उच्च शिक्षा की प्राप्ति, धन लाभ, आर्थिक उनत्ति, सामाजिक सम्मान एव व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि की बढ़ोतरी होती है।

इस रत्न के धारण से जातक स्वस्थ और निरोग शरीर की प्राप्ति करता है, अगर जातक किसी शारीरिक कष्टों से गुजर रहा हो तो उसमें उसको लाभ मिलता है।

विवाह और वैवाहिक जीवन में सफलता के लिए पुखराज को विशेष लाभकारी रत्न माना गया है, विवाह में अड़चने आ रही हो, वैवाहिक जीवन में कटुता हो या प्रेम विवाह में सफलता नहीं मिल रही हो तो पीला पुखराज धारण करने से बहुत लाभ मिलता है और विवाह संपन्न होता है, वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।

पारिवारिक सुख शांति, परिवार के सदस्यों के सुख, संतान की उनत्ति तरक्की और हिफाजत के लिए भी पुखराज धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

जिन जातकों के जीवन में पैतृक संपत्ति को लेकर कुछ परेशानियां या विवाद चल रहे हो तो पीला पुखराज धारण करने से विवाद ख़त्म होते है।

ब्रहस्पति सुख समृद्धि, धन, बुद्धि, ज्ञान का स्वामी है, इसलिए कारोबार, शिक्षा और सरकारी नौकरी में सफलता प्राप्त करनी हो तो पुखराज रत्न उसमें सफलता प्राप्ति में बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है,
भाग्य कमजोर चल रहा हो, सफलता प्राप्त नहीं हो रही हो, पुखराज धारण करना उनके लिए बहुत बहुत लाभकारी सिद्ध होता है,
शिक्षण संस्थानों, क़ानूनी संस्थानों से जुड़े लोगों को भी यह रत्न बहुत लाभ देता है।

आर्थिक कमजोरी, कारोबारी परेशानियों, दृढ़ इच्छाशक्ति, भौतिक और आर्थिक सुखों की वृद्धि में भी पुखराज रत्न धारण बहुत लाभ देता है।
पुखराज रत्न ऐसा रत्न है जिसे धारण करने से जीवन में सकारात्‍मक लाभों की वृद्धि होती है।

पुखराज एक ऐसा लाभकारी रत्न है, इस रत्न में इतनी शुभता है की यह रत्न धारणकर्ता को कभी भी दुष्प्रभाव नहीं देता है, इसके प्रभाव सकरात्मक ही रहते है, यहाँ तक की इसके प्रभाव से अन्य ग्रहों की अशुभता भी कम होती है।

पुखराज के स्वास्थ्य संबंधी लाभ

पुखराज रत्न शरीर में मणिपुर चक्र को प्रभावित करता है, मणिपुर चक्र शरीर के पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा तंत्र सञ्चालन करता है,
अगर किसी व्यक्ति का मणिपुर चक्र जाग्रत हो जाये तो वह व्यक्ति जीवन में शीर्ष स्थान पर पहुँचता है, जीवन के क्षेत्रो में उच्च पदों की प्राप्ति करता है, व्यक्ति अत्यंत धनवान हो जाता है, बुद्धिमान और ज्ञानी हो जाता है,
पुखराज रत्न धारण करने से व्यक्ति के शरीर में इसी मणिपुर चक्र को बल मिलता है और मणिपुर चक्र जाग्रत करने में सहायक होता है।

जिन व्यक्तियों में पौरुष शक्ति की कमी हो, वैवाहिक जीवन में यौन की कमी हो, पति पत्नी के शारीरिक सम्बन्ध मधुर नहीं हो, ऐसे व्यक्तियों को पुखराज धारण करने से यह सब कमियां दूर होती है।

अगर कोई व्यक्ति त्वचा रोगों से परेशान रहता हो, उसे कोई ना कोई त्वचा रोग लगा रहता हो, ऐसी कोई भी त्वचा की बीमारियों में पुखराज रत्न बहुत लाभ देता है।

पेट की समस्याओं , पाचन तंत्र में गड़बड़ी, पेट में जलन या छाले, लिवर रोग आदि जैसी पेट की बीमारियों के लिए भी पुखराज रत्न अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
पुखराज कमजोर हड्डियों को मजबूती देता है, गठिया जैस रोगों के लिए यह रत्न बहुत लाभकारी होता है।

पुखराज रत्न धारण करने से बुद्धि को बल मिलता है, ज्ञान की वृद्धि होती है, मानसिक मजबूती प्राप्त होती है, तनाव कम होता है, मस्तिष्‍क मजबूत होता है, इसीलिए यह रत्न विद्यार्थियों को बहुत लाभ देता है, उनकी शिक्षा में बहुत सहायक होता है और उच्च शिक्षा की प्राप्ति करवाता है।

pukhraj ratn
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पुखराज कितने रत्ती का पहनना चाहिए

ब्रहस्पति का रत्न पुखराज धारण करने से पहले अपनी जन्म पत्रिका में बृहस्पति का बल देख लेना चाहिए, उसके अनुसार पुखराज धारण करना सबसे श्रेष्ठ रहता है, वैसे साधारण तौर पर बात की जाये तो जब भी आप पुखराज धारण करते है तो वह 4.50 रत्ती यानि की 4 कैरट से कम नहीं होना चाहिए,
अगर आपका शारीरिक वजन 55 किलों से कम है तो आप 4.50 रत्ती का पुखराज धारण कर सकते है, अगर आपका वजन ५५ किलोग्राम से अधिक है तो आपको 6. 00 रत्ती का पुखराज धारण करना चाहिए,

तभी आप ब्रहस्पति के लाभों की प्राप्ति कर सकेंगे, पुखरात रत्न को बृहस्पतिवार के दिन ही धारण करना श्रेष्ठ रहता है।

पुखराज किस धातु में पहने

ब्रहस्पति का रत्न पुखराज सोने, अष्टधातु या पंचधातु में ही धारण करना चाहिए, इसके अलावा अन्य किसी भी धातु में पुखराज धारण करने से बचना चाहिए, चांदी में पुखराज कभी भी अपने शुभ प्रभाव देने में शक्षम नहीं होगा,
क्योंकि चांदी ब्रहस्पति के शत्रु शुक्र की धातु है।

पीला पुखराज पहनने की विधि

पुखराज ब्रहस्पति का शुभ रत्न है और ब्रहस्पति का शुभ वार बृहस्‍पतिवार या बोले तो गुरुवार है, इसलिए पुखराज गुरुवार सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त को देखकर धारण करना चाहिए,
गुरुवार के दिन सुबह स्नान करके पूजा के स्थान में पुखराज की अंगूठी को गंगाजल से शुद्ध करके रख देना चाहिए, धूप-दीप, अगरबत्ती करने के बाद आपके कुल देवता या अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना करने के बाद ब्रहस्पति देव का स्मरण करते हुए अपनी मनोकामना की पूर्ति का आव्हान करना चाहिए, उसके पश्चात बृहस्पति मन्त्र ‘ॐ ब्रं बृहस्पतये नम:’। का 19,000 जाप करना चाहिए और अपनी तर्जनी ऊँगली में धारण करना चाहिए,
अगर आप 19,000 की संख्या जाप करने में असमर्थ है तो आपको कम से कम 1100 की संख्या में जाप तो करना ही चाहिए।

जब भी आप पुखराज धारण करते है तो पुखराज कम से कम 4.5 रत्ती या उससे ऊपर का ही धारण करना चाहिए।

पुखराज किसे पहनना चाहिए

ज्योतिष अनुसार पुखराज धारण करने की सटीक विधि तो कुंडली विश्लेषण करने के बाद ही पुखराज धारण करना चाहिए, जन्म पत्रिका में ब्रहस्पति किस अवस्था में है, किन भावों का स्वामी है और स्वयं ब्रहस्पति किस भाव में विराजमान है, इन सभी स्तिथियों के विश्लेषण के बाद ही पुखराज धारण कारण सही नियम है,

दूसरा विधान है की जिन जातकों का जन्म 21 जून से 21 जुलाई के बीच हुआ है, जातकों का भाग्यशाली रत्न पुखराज है, इन जातकों को पुखराज धारण करना लाभदायक होता है,
मीन और धनु राशियों का भी भाग्यशाली रत्न पुखराज ही है, इसलिए जिन जातकों की राशि मीन और धनु है उन जातकों के लिए पुखराज उनका भाग्यशाली रत्न है,
लग्न के अनुसार मीन और धनु लग्न के जातकों को तो जीवन भर पुखराज धारण करना ही चाहिए, पुखराज उनके लिए भाग्यवर्धक और उनत्तिदायक रत्न है।

अगर किसी जातक के जीवन में ब्रहस्पति की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हो तो ऐसे जातकों को भी पुखराज धारण करने से विशेष लाभों की प्राप्ति होती है,

अगर कुंडली में ब्रहस्पति पाप ग्रहों पीड़ित है, कमजोर है, अस्त है, नीच का है, तब सीसी स्तिथि में कुंडली में बृहस्पति की स्तिथि का शुष्म निरिक्षण करने के बाद पुखराज धारण जरूर करना चाहिए।

Yellow Sapphire-Pukhraj
Yellow Sapphire-Pukhraj

पुखराज कौन सी राशि के लोग पहन सकते हैं?

मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन राशियों के जातकों के लिए पुखराज धारण करना सदैव लाभकारी होता है, कन्या और कुम्भ राशि के जातकों को ब्रहस्पति की महादशा में पुखराज धारण करना लाभकारी रहता है,
वृष, तुला और मकर राशि के जातकों को पुखराज धारण करने से बचना चाहिए।

पुखराज: लग्न अनुसार गुरु रत्न पुखराज धारण कैसे करें

मेष लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone benefits for aries

मेष लग्न में बृहस्पति नवम भाव यानि की भाग्य स्थान का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए भाग्य की वृद्धि, उनत्ति, तरक्की, पैतृक संपत्ति, कारोबारी उनत्ति और उच्च शिक्षा में लाभ प्राप्त करने के लिए मेष लग्न के जातकों को पुखराज रत्न जरूर धारण करना चाहिए।

वृषभ लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone for taurus

वृषभ लग्न की कुंडली में बृहस्पति २ अशुभ भावों का स्वामित्व करता है, अष्ठम भाव और द्वादश भाव, इसलिए वृषभ लग्न की कुंडली में पुखराज धारण करना हानिकारक होता है, वृषभ लग्न के जातकों को पुखराज धारण करने से बचना चाहिए।

मिथुन लग्न के लिए पुखराज रत्न –pukhraj stone benefits for gemini

मिथुन लग्न की कुंडली में बृहस्पति सप्तम भाव और दशम भाव का स्वामित्व करता है,दोनों ही भाव व्यापार, कारोबार और नौकरी के है, सामाजिक प्रसिद्धि, राजनीती और वैवाहिक जीवन के है, इसलिए मिथुन लग्न में पुखराज धारण करना लाभकारी रहेगा,
मिथुन लग्न के जातकों को पुखराज धारण करने से जीवन में सफलता, धन और सुखी पारिवारिक जीवन की प्राप्ति होती है।

कर्क लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone for cancer

कर्क लग्न की कुंडली में भी ब्रहस्पति नवम भाव यानि की भाग्य का स्वामी बनता है, कर्क लग्न के जातकों के लिए ब्रहस्पति भाग्येश है, भाग्य के बगैर जीवन में सफलता प्राप्ति बहुत कठिन है या ऐसा मान ले की लगभग नामुमकिन है,
इसलिए कर्क लग्न में पुखराज धारण करना बहुत लाभकारी रहता है, कर्क लग्न के जातकों को पुखराज जीवन भर धारण करना चाहिए।

सिंह लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone benefits for leo

सिंह लग्न की कुंडली में ब्रहस्पति पंचम भाव का स्वामित्व करता है, पंचम भाव जीवन का अहम भाव है, यह भाव जीवन में सफलता, उनत्ति, ज्ञान, मांगलिक कार्यो का आयोजन, शिक्षा, प्रेम विवाह में सफलता और तरक्की प्रदान करता है,
इसलिए सिंह कुंडली में पुखराज धारण करने से बृहस्पति बलवान होता है और जातक को जीवन में इन सभी सुखों की प्राप्ति करवाता है, सिंह लग्न के जातकों को पुखराज जरूर धारण करना चाहिए।

कन्या लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone benefits for virgo

कन्या लग्न की कुंडली में ब्रहस्पति चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामित्व करता है, दोनों भाव धन, संपत्ति और सुखों के कारक है, लेकिन यह दोनों भाव ज्योतिषशास्त्र में मारक स्थान माने गए है, मारक स्थान यानि की यह भाव शुभ नहीं माने जाते,
इसलिए, कन्या लग्न के जातक जब ब्रहस्पति की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हो तब पुखराज धारण करते हुए लाभ उठा सकते है।

तुला लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone benefits for libra

तुला लग्न की कुंडली में ब्रहस्पति तृतीय और षष्ठम भाव का स्वामित्व करता है, यह दोनों भाव अशुभ भाव माने जाते है, इसलिए तुला लग्न की कुंडली में और तुला लग्न के जातकों को पुखराज कभी भी नहीं धारण करना चाहिए।

वृश्चिक लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone benefits for scorpio

वृश्चिक लग्न में ब्रहस्पति द्वितीय और पंचम भाव का स्वामित्व करता है, दोनों ही भाव कुंडली में अहम भूमिका निभाते है, वृश्चिक लग्न में ब्रहस्पति धन, बैंक बेलैंस, पारिवारिक सुख, शिक्षा, बुद्धि, ज्ञान, उनत्ति, समृद्धि, मांगलिक कार्य, प्रेम विवाह आदि शुभ कार्यो का स्वामी बनता है,
वृश्चिक लग्न के जातको को पुखराज धारण करने से इन सभी लाभों की प्राप्ति होती है, जीवन में अच्छी पोजीशन की प्राप्ति होती है, हर सुख की प्राप्ति होती है।

धनु लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone benefits for sagittarius

धनु लग्न कुंडली में तो ब्रहस्पति स्वयं इस लग्न का स्वामी होता है, साथ ही व्यक्ति के जीवन में धन, संपति, सांसारिक सुख सुविधाओं और उनत्ति का स्वामी होता है,
धनु लग्न के जातकों के लिए पुखराज जीवन के हर क्षेत्र में उनत्ति , तरक्की और सुख प्रदान करने वाला रत्न है,
इसलिए अगर कोई धनु लग्न जातक पुखराज रत्न जीवन भर धारण नहीं करता है तो यह उसके जीवन की एक बड़ी भूल होगी।

मकर लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone benefits for Capricorn

मकर लग्न कुंडली में बहस्पति दो अशुभ भावों तृतीय और द्वादश भावों का स्वामित्व करता है, इस लग्न के लिए ब्रहस्पति पारिवारिक स्नेह और प्यार तो बढ़ाने वाला रहेगा लेकिन जीवन में केवल परिश्रम करनेवाले रहेगा और साथ ही उस परिश्रम का कोई लाभ नहीं मिलेगा, जिस परिश्रम से धन कमाया होगा वह भी व्यर्थ के खर्चो में निकल जायेगा,
इसलिए मकर लग्न के जातकों को कभी भी पुखराज धारण नहीं करना चाहिए।

कुंभ लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone benefits for aquarius

कुंभ लग्न कुंडली में ब्रहस्पति द्वितीय यानि धन भाव और एकादश यानि लाभ भाव का स्वामित्व करता है, जीवन में कारोबार या नौकरी करते हुए लाभ और धन दोनों की अहम जरूरतें है, इसलिए जीवन में यह दोनों भाव बहुत इम्पोर्टेन्ट है,
कुंभ लग्न के जातक पुखराज जरूर पहन सकते है, लेकिन फिर भी एक बार किसी ज्योतिष से सलाह करने के बाद धारण किया जाये तो बहुत अच्छा है,
लेकिन दूसरी तरह अगर जीवन में ब्रहस्पति की महादशा चल रही हो तो पुखराज निसंकोच धारण किया जा सकता है और लाभ उठाए जा सकते है।

मीन लग्न के लिए पुखराज रत्न – pukhraj stone benefits for Pisces

मीन लग्न कुंडली में स्वयं ब्रहस्पति इस लग्न का स्वामी होता है, जीवन का हर सुख और सुरक्षा प्रदान करनेवाला होता है, धन, उनत्ति, तरक्की, सुखी जीवन, कारोबार, आर्थिक उनत्ति, नौकरी, सामाजिक प्रसिद्धि, राजनीती में सफलता, उच्च शिक्षा, एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बिसनेस, विदेश यात्रा आदि प्रदान करनेवाला होता है,
इसलिए अगर इस लग्न के जातकों ने जीवन भर के लिए पुखराज धारण नहीं किया तो यह उनका दुर्भाग्य ही समझा जायेगा।

पुखराज रत्न के साथ कौन सा रत्‍न धारण ना करें – pukhraj ke sath konsa ratna nahi pahne

जब आप पुखराज रत्न धारण करते है, तब आपको पुखराज के साथ ऐसे रत्न धारण करने से बचना चाहिए जो ब्रहस्पति से शत्रुता रखते है, जैसे की शुक्र के रत्न हीरा, ओपल, सफ़ेद पुखराज, राहु का रत्न गोमेद, केतु का रत्न लहसुनियां, बुध का रत्न पन्ना, शनि का रत्न नीलम,
यह कुछ ऐसे रत्न है जिनको एकदम से पुखराज के साथ धारण करने से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए इन रत्नों को धारण करने से पहले कुंडली का शुष्म निरिक्षण करने के बाद ही फैंसला लेना चाहिए।

पुखराज का उपरत्न कौन सा है – pukhraj ka upratna price

पुखराज का उपरत्न सुनहेला है, जिसे हम अंग्रेजी में citrin बोलते है, इसके अलावा पुखराज का कोई भी उपरत्न नहीं है, अगर आप सुनहेले के अलावा किसी और पुखराज के उपरत्न के बारे पढ़ते है, तो उसका कोई मतलब नहीं है और ना ही उसको धारण करने से पुखराज के कोई भी लाभ प्राप्त होंगे,
इसलिए पुखराज के उपरत्न में केवल सुनहेला धारण करना चाहिए, उसके बहुत अच्छे परिणाम देखने है,
पुखराज केउपरत्न सुनहेला की अगर कीमत की बात की जाये तो, pukhraj ka upratna price तो यह बहुत महंगा रत्न नहीं है, अच्छा साफसुथरा, चमकदार सुनहेला 100 से 350 रूपए प्रति कैरट के हिसाब से आ जायेगा, यानि की अगर आप 7 कैरट का सुनहेला पहनते है तो वह 700/- से लेकर 2450/- रूपए तक आ जायेगा और ब्रहस्पति के शुभ लाभ भी प्राप्त होंगे।

पुखराज का उपरत्न सुनहेला
पुखराज का उपरत्न सुनहेला

पुखराज कहाँ पाया जाता है – Pukhraj kaha paya jata hai

पुखराज विश्व भर में पाया जाता है, पुखराज रत्न के प्राप्ति स्थानों में अफगानिस्‍तान, भारत, तंजानिया, मोंटाना, ब्राज़ील, मक्सिको, रूस बर्मा, थाइलैंड, ऑस्‍ट्रेलिया, पाकिस्‍तान और केन्‍या है,
भारत में पुखराज के प्राप्ति स्थान महानदी, ब्रह्मपुत्र नदियाँ, हिमालय, विंध्याचल पर्वत, उड़ीसा, बंगाल और कश्मीर है, भारत में पुखराज को “उड़ीसा पुखराज” के नाम से जाना जाता है,

अगर संसार में सबसे सर्वश्रेष्ठ और उत्तम पुखराज की बात की जाये तो वह श्रीलंकाई पुखराज होता है, जिसे येलो सफायर (Yellow Sapphire) के नाम जाना जाता है।

पुखराज रत्न किस उंगली में पहने – pukhraj kis ungli mein pehna jata hai

नवरत्नों में सभी रत्न के लिए ऊँगली निर्धारित है, अगर उन निर्धारित उंगली के आलावा अगर आप किसी दूसरी उंगली में रत्न धारण करते है तो आपको निसंदेह उसके दुष्प्रभावों का सामना करना ही पड़ेगा,
इसलिए ज्योतिषशास्त्र अनुसार जिस उंगली के लिए जिस रत्न को निर्धारित किया गया है, उस रत्न को उसी निर्धारित उंगली में धारण करें,

पुखराज रत्न के लिए बाएं हाथ की तर्जनी उंगली निर्धारित की गई है, तर्जनी उंगली के नीचे ब्रहस्पति पर्वत भी स्तिथ है, इसलिए पुखराज को तर्जनी में ही धारण करें।

पुखराज किस दिन धारण करना चाहिए– pukhraj kis din dharan karna chahiye

पुखराज रत्न देवगुरु ब्रहस्पति का रत्न है, इसलिए पुखराज रत्न धारण पर देवगुरु ब्रहस्पति के सभी नियम लागू होते है, ब्रहस्पति देव का शुभ और अधिपत्य दिन गुरुवार होता है, गुरुवार को ही ब्रहस्पति जनित सभी कार्य किये जाते है, ब्रहस्पति देव की पूजा और या मंत्रो का जाप हो सभी गुरुवार को ही संपन्न किये जाते है,

इसलिए पुखराज रत्न को केवल गुरुवार को सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त देखकर धारण किया जाना चाहिए।

रत्न हमेशा बाएं हाथ में ही धारण करने चाहिए, दाएं हाथ को गन्दा हाथ माना जाता है, केवल राक्षस ग्रह राहु और केतु के रत्न ही दाएं हाथ में धारण किये जा सकते है, राहु केतु के रत्न गोमेद और लहसुनियां अगर दाएं हाथ में धारण किये जाये तो उनके अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

पुखराज पहनने से पहले हमें क्या जप करना चाहिए? – brihaspati mantra

पुखराज की अंगूठी को पूजा स्थल पर रखने के बाद अपने कुल देवी-देवता, इष्ट देव और ब्रहस्पति देव की पूजा करने के बाद 19000 की संख्या या फिर 1100 की संख्या में ब्रहस्पति देव मन्त्र – ॐ बृं बृहस्पतये नमः ‘ या ॐ बृं बृहस्पतये नमः का जाप करना चाहिए,
ऐसा करने से पुखराज सिद्ध और अभिमंत्रित हो उठता है और उसमे ब्रहस्पति के शुभ प्रभावों की तरंगों का संचालन होना प्रारंभ हो जाता है।

मन्त्र –

ॐ बृं बृहस्पतये नमः
ॐ बृं बृहस्पतये नमः

पुखराज कितने बजे पहने?

पुखराज धारण करने का शुभ समय कोई भी शुक्ल पक्ष के गुरुवार का समय सबसे शुभ रहता है, गुरु पुष्य नक्षत्र का दिन भी पुखराज धारण करने सर्वोत्तम शुभ समय और मुहूर्त रहता है,
इसके अलावा साधारण तौर पर पुखराज धारण करने का शुभ समय किसी भी गुरुवार के दिन सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त में रहता है।

Pukhraj-Yellow Sapphire
Pukhraj-Yellow Sapphire

पुखराज कितने दिन में असर दिखाता है

रत्न शास्त्र के अनुसार कोई भी रत्न अपने प्रभाव 30 दिनों तक अपना असर दिखाना प्रारंभ कर देता है, जब आप पुखराज को पूर्ण विधि विधान से पूजा ,अर्चना , मन्त्र जप करने के बाद धारण करते है, तब वह पुखराज धीरे धरे ब्रहस्पति ग्रह से रश्मियां ग्रहण करना शुरू कर देता है और आपके शरीर से भी अपना संपर्क बनाना शुरू कर देता है,
आपके शरीर से संपर्क बनाने और ब्रहस्पति ग्रह की रश्मियों को ग्रहण करने में पुखराज को 30 दिन का समय लग जाता है, इसलिए पुखराज रत्न के असर की बात की जाये तो वह अपना असर 30, 40 दिनों के अंदर दिखाना शुरू कर देता है,

ज्योतिष अनुसार एक बार पुखराज धारण कर लिया हो तो उसे बार बार अपने शरीर के संपर्क से हटाना नहीं चाहिए,
पुखराज धारण करने के बाद उसका पूर्ण असर और रश्मियों को ग्रहण करने की क्षमता धारण करने के दिन से 4 वर्ष की अवधि तक रहती है, उसके बाद पुखराज की ताकत कमजोर पड़ने लगती है,
4 वर्ष के बाद पुखराज को पुनः विधि विधान से पूजा, मंत्रजप करते हुए दोबारा धारण कर लेना चाहिए, अगर पुखराज की कंडीशन अच्छी है तो उसे बदलने की जरुरत नहीं है, अगर पुखराज टूट फुट गया हो तभी पुखराज को बदलना चाहिए।

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pukhraj stone kaha paya jata hai

पुखराज रत्न के प्राप्ति स्थान भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, ब्राजील, अफगानिस्तान, जापान,ब्राज़ील,मक्सिको,रूस, थाईलैंड, चीन, नाइजीरिया, नेपाल, म्‍यांमार, मोंटाना आदि है,
इनमें सबसे सर्वोतम श्रेणी का पुखराज श्रीलंका का माना जाता है, श्रीलंका का पुखराज बहुत कठोर, खूबसूरत, पारदर्शी और चमकदार होता है, श्रीलंका के पुखराज की कठोरता 9 की रहती है, जो की विश्व में सबसे अधिक मानी जाती है,
अन्य स्थानों के पुकराज की कठोरता 8 से 8.5 तक की रहती है।

पुखराज रत्न कैसा होता है– pukhraj ratna kaisa hota hai

पुखराज रत्न अपनी कठोरता की वजय से बहुत चिकना, चमकदार और पारदर्शी होता है, अगर आप पुखराज को अपने हाथों में लेकर महसूस करेंगे तो यह आपको बहुत चिकना लगेगा,
पुखराज अनेक रंगो में प्राप्त होता है, जिसे की सफ़ेद, हल्का सा नीला, नीला, गुलाबी, ब्रांडी रंग, नारंगी पीला, हल्दी पीला, बैंगनी, हरा, पीला और नीला मिक्स,

लेकिन ब्रहस्पति ग्रह के लिए केवल पीला पुखराज ही धारण किया जाता है, पीला पखराज धारण करने से ब्रहस्पति अपने सभी शुभ प्रभावों की वृध्दि करते है।

१२ राशियाँ

पुखराज का उपरत्न क्या होता है

पुखराज का उपरत्न क्या होता है आइये इस बारे में भी जानकारी प्राप्त करते है, हर ग्रह का एक मुख्य रत्न होता है, ऐसे ही पुखराज का भी एक उपरत्न है और वह उपरत्न है पीला सुनहेला,
पुखराज एक बहुत कीमती रत्न है, अगर आप अच्छी क्वालिटी का पुखराज धारण करेंगे तो वह क़म से कम 40 से 50 हजार तक का आएगा, वैसे तो पुखराज 4,5,6… लाख तक के भी आते है,
जब कोई व्यक्ति महंगा पुखराज धारण करने में असमर्थ होता है, तब ऐसे में पुखराज का उपरत्न सुनहेला धारण किया जा सकता है, सुनहेला भी एक बहुत खूबसूरत, पारदर्शी और सोने के पिले रंग की तरह चमकने वाला रत्न है, इस रत्न को धारण करके ब्रहस्पति के सभी शुभ प्रभावों की प्राप्ति की जा सकती है,
सुनहेला एक बहुत अच्छा उपरत्न है और यह काफी लाभकारी भी होता है, अच्छी क्वालिटी का सुनहेला बाजार में 2500 से 3000 तक प्राप्त हो जाता है।

पीला सुनहेला
पीला सुनहेला

पुखराज की संरचना – pukhraj ki takniki sanrachna bataiye

अगर पुखराज (yellow sapphire)की तकनीकी संरचना की बात की जाये तो इसकी कठोरता 9 की होती है, हीरा जो धरती पर सबसे कठोर रत्न है उसकी कठोरता 10 की होती है,
पुखराज का वर्तनांक १.७६ – १.७७ होता है, पुखराज एल्‍युमनीयिम ऑक्‍साइड का खनिज मिश्रण है, पुखराज बहुत से रंगो में प्राप्त होता है, लेकिन सबसे उत्तम पुखराज रंगहीन यानि की प्योर सफ़ेद पुखराज को माना जाता है।

पुखराज रत्न की कीमत क्या है – original pukhraj stone price in india

जैसा की हमने बताया की हर रत्न की कीमत उसकी क्वालिटी के अनुसार होती है, ऐसे ही पुखराज भी अपनी क्वालिटी के अनुसार ही अपनी कीमत रखता है,
आज के समय पुखराज रत्न 3 तरह के आ रहे है।

इंडियन पुखराज या उड़ीसा पुखराज

पहला – इंडियन पुखराज जिसे उड़ीसा पुखराज के नाम से भी जाना जाता है, यह रत्न बाजार में 250 रूपए प्रति कैरट से लेकर 600 रूपए प्रति कैरट तक उपलब्ध हो जाता है, यह बहुत अधिक हल्दी के रंग के समान पीला तो नहीं होता है, यह पीले रंग का साफसुथरा चमकदार उपलब्ध हो जाता है।

इंडियन पुखराज या उड़ीसा पुखराज
इंडियन पुखराज या उड़ीसा पुखराज

बैंकॉक पुखराज

दूसरा – आजकल बाजार में बैंकॉक पुखराज भी उपलब्ध है, अगर देखा जाये तो आजकल बाजार में ज्यादातर यही पुखराज उपलब्ध है और दुकानदार और ज्योतिष इसी पुखराज को धारण करवा रहे है, यह पुखराज हल्दी की तरह पीला और कुछ कम पीला होता है, साफसुथरा और चमकदार होता है,
अगर साधारण क्वालिटी का है तो चमक, रंग और पारदर्शिता कम होगी और अगर बेस्ट क्वालिटी का है तो बहुत खूबसूरत रंग और चमक का होता है, बाजार में बैंकाक पुखराज 300 रूपए प्रति कैरट से लेकर 5000 रूपए प्रति कैरट तक अपनी क्वालिटी के अनुसार उपलब्ध है।

बैंकॉक पुखराज
बैंकॉक पुखराज

सिलोनी पुखराज

तीसरा – सिलोनी पुखराज जो श्रीलंका से प्राप्त होने वाला पुखराज है, यह विश्व का सबसे सर्वश्रेष्ठ पुखराज कहलाता है और होता भी है,
सिलोनी पुखराज या श्रीलंकाई पुखराज अपनी गुणवत्ता, क्वालिटी, कठोरता, पारदर्शिता की वजय से आज के समय में बहुत अधिक कीमती हो गया है, साधारण व्यक्ति की पहुंच से बाहर हो चुका है, अगर इस पुखराज की कीमत की बात की जाये तो आप मान कर चले की एक 5 से 6 कैरट का अच्छी क्वालिटी का पुखराज 50,000 रूपए से 3,00,000 तक का आएगा।

Shrilanka-सिलोनी पुखराज
Shrilanka-सिलोनी पुखराज

original pukhraj kaha se kharide

original pukhraj हमेशा अपनी विश्वसनीय दुकान या व्यक्ति से ही ख़रीदे, क्योंकि आजकल पुखराज के बहुत से डुप्लीकेट बाजार में उपलब्ध है, जिनको आँखों से समझना नामुमकिन है,
इसलिए पुखराज लेते समय किसी पर भी यकीन ना करें और जो पुखराज ले रहे है वह किसी विश्वसनीय लैब टेस्ट रिपोर्ट के साथ ही ले।

पुखराज कौन सी धातु में पहनना चाहिए?

ब्रहस्पति ग्रह की रश्मियां पीली या सुनहरी है इसलिए ब्रहस्पति देव की धातु स्वर्ण है या फिर ऐसी धातु जो पीली हो वह धातु पुखराज रत्न धारण करने के लिए सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है,
पुखराज को हमेशा स्वर्ण में ही धारण किया जाता है या फिर अगर स्वर्ण में धारण नहीं कर सकें तो पुखराज को अष्ठधातु या पाँचधातु में धारण किया जाता है, इन्हीं धातुओं में पुखराज अपने पूर्ण और सर्वश्रेष्ठ प्रभाव देता है,
चांदी में पुखराज कभी भी धारण नहीं करना चाहिए, चांदी शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है और शुक्र और ब्रहस्पति आपस में घोर शत्रु है।

कौन सा पुखराज बेहतर सफेद या पीला
कौन सा पुखराज बेहतर सफेद या पीला

कौन सा पुखराज बेहतर सफेद या पीला है?

सफ़ेद और पीला पुखराज दोनों में जमीन आसमान का अंतर है, सबसे पहले यह जान ले की पीला पुखराज ब्रहस्पति ग्रह के लाभों की प्राप्ति के लिए धारण किया जाता है और सफ़ेद पुखराज शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है,
इसलिए पुखराज धारण करने से पहले इस भेद को जान लेना बहुत जरुरी है, कई जयोतिष सफ़ेद पुखराज को भी ब्रहस्पति के लिए धारण करवा देते है जो की सर्वथा गलत है।
अगर बेहतरी की बात की जाये तो दोनों सफ़ेद और पीला पुखराज अपनी अपनी जगह सर्वश्रेष्ठ है, अंतर केवल इतना है की पीला पुखराज ब्रहस्पति के लिए धारण किया जाता है और सफ़ेद पुखराज शुक्र के लिए।

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