रत्न-रत्न ज्योतिष-भाग्य रत्न और जीवन पर प्रभाव

रत्न-रत्न ज्योतिष

ज्योतिष शास्त्र में “रत्न ज्योतिष” एक ऐसा सिद्धांत है जिसकी जानकारी के माध्यम से हम जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते है, अपने जीवन के कष्टों को बहुत हद तक कम करते हुए जीवन की सफलताओं की ओर बढ़ सकते है,

बस हमें जरुरत होती है सही ज्योतिषीय विश्लेषण की, हमारे जीवन के सही और सटीक भाग्यशाली रत्न की जानकारी की, जिसके धारण से हम अपने जीवन में सफलता की ओर अग्रसर हो चले,
जो केवल “रत्न ज्योतिष” के माध्यम से ही संभव हो सकता है, सही, सटीक और अनुकूल रत्न आपके जीवन में बहुत से बदलाव ला सकता है,
आज के इस लेख में हम यही जानकारी प्राप्त करेंगे की किस राशि या लग्न के व्यक्ति को कौन सा रत्न धारण करना चाहिए, रत्न धारण का कौन सा समय सबसे लाभदायक है, रत्न कैसा और कितने वजन का धारण करना सबसे उपयुक्त रहेगा,
साथ ही रत्न कैसे धारण किया जाता है इस पर भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

1.हीरा
2.पन्ना
3.माणिक्य
4.मोती
5.पुखराज
6.मूंगा
7.नीलम
8.गोमेद
9.लहसुनियां
नवरत्न

रत्न क्या है

रत्न प्राकर्तिक रूप से प्राप्त होने वाले खनिज है, जो धरती के गर्भ या नदियों और समुद्रों की गेहराइयों से प्राप्त होते है, जिन्हें cutting और polishing के जरिये बहुत ही खूबसूरत और चमकदार रूप प्रदान किया जाता है,
cutting और polishing होने के बाद यह रत्न बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक रूप ले लेते है, रत्न अपने खास गुणों की वजय से बहुत प्रभावशाली होते है,
हर रत्न में प्रकृतिक रूप से दैविये शक्ति रहती है और हर रत्न में अपने रंग के अनुरूप उसमें नवग्रहों की शक्तियां समाई रहती है, जिन्हें ग्रहों की शांति और ग्रहों के प्रभावों को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है।

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रत्न ज्योतिष का प्रभाव महत्त्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न ज्योतिष मनुष्य जीवन के लिए एक बहुत लाभकारी शास्त्र है, मनुष्य अपना पूरा जीवन ग्रहों के प्रभावों के अनुसार व्यतीत करता है, ग्रहों की अच्छी बुरी स्तिथियों के अनुसार ही अपने जीवन में उनत्ति, तरक्की और संघर्षो का सामना करता है,
ज्योतिष शास्त्र में इन्हीं ग्रहों की शांति और लाभ लेने के लिए रत्नों के धारण के उपाय बताए गए है, कैसे रत्नों को धारण करते हुए मनुष्य अपने जीवन की परेशानियों को कम कर सकता है, रत्नों का सीधा सम्बन्ध नवग्रहों से रहता है, इन्हीं नवग्रहों की शांति और ऊर्जा की प्राप्ति रत्नों को धारण करके की जा सकती है,
राशियों, ग्रहों और नक्षत्रों के पूर्ण प्रभाव रत्नों पर रहते है, इसीलिए जब इन ग्रहों से सम्बंधित रत्न धारण किया जाता है तो उसके प्रभाव धारणकर्ता को प्राप्त होने शुरू हो जाते है, सही रत्न धारण करके कोई भी जातक अपने जीवन में बहुत लाभकारी प्रभाव प्राप्त कर सकता है।

रत्न ज्योतिष अनुसार रत्न धारण के तरीके

राशि रत्न

प्रत्येक राशि का व्यहवार अलग अलग होता है और हर जातक की अपनी अलग राशि होती है, राशि जातक के जन्म समय के अनुसार चंद्र किस राशि में है उस अनुसार होती है,
प्रत्येक राशि को प्रतिनिधित्व करने वाला अलग अलग रत्न होता है, हर राशि के रत्न का प्रभाव अपनी राशि पर पूर्ण रूप से होता है, इसीलिए अपनी राशि के अनुसार रत्न धारण का विधान है, अपनी राशि के रत्न को धारण करते हुए जातक अपने जीवन में समस्त लाभों को प्राप्त करते हुए परेशानियों को दूर रख सकता है,
कभी भी अपनी राशि के विपरीत रत्न धारण नहीं करना चाहिए नहीं तो जीवन में बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ सकता है,
इसलिए अपनी सही राशि की जानकारी लेने के बाद ही अपना राशि रत्न धारण करना चाहिए।

राशि रत्न
मेषलाल मूंगा
वृषहीरा, जिरकॉन
मिथुनपन्ना
कर्कमोती
सिंहमाणिक्य
कन्यापन्ना
तुलाहीरा, जिरकॉन
वृश्चिकलाल मूंगा
धनुपुखराज
मकरनीलम
कुंभनीलम
मीनपुखराज
राशि रत्न

ग्रह रत्न

जैसे की हम हमेशा बात करते है की मनुष्य अपना पूरा जीवन ग्रहों की दशाओं के अनुसार ही जीता है, ग्रहों की स्तिथियों के अनुसार ही अपने जीवन में उनत्ति, तरक्की, संघर्षो और परेशानियों को प्राप्त करता है,
इन्हीं परेशानियों को ख़त्म करने के लिए और ग्रहों के लाभों को प्राप्त करने के लिए कुंडली में ग्रहों की स्तिथियों के अनुसार रत्न धारण करके लाभ लिया जाता है, जिसे हम ग्रहों स्तिथि अनुसार रत्न धारण कहते है।

ग्रह रत्न
सूर्यमाणिक्य
चंद्रमोती
मंगललाल मूंगा
बुधपन्ना
ब्रहस्पतिपुखराज
शनिनीलम
शुक्रहीरा, जिरकॉन
राहुगोमेद
केतुलहसुनियां
ग्रह रत्न

लग्नेश रत्न

लग्नेश रत्न वह रत्न होता है, जो आपके लग्न के स्वामी ग्रह का रत्न है, उदहारण के तौर पर अगर आपका लग्न सिंह है तो सिंह लग्न का स्वामी ग्रह सूर्य हुआ और सूर्य का प्रतिनिधित्व रत्न माणिक्य होता है, इसलिए आपका लग्नेश रत्न माणिक्य हुआ,
हर जातक को अपने लग्नेश का रत्न जरूर धारण करना चाहिए, लग्नेश का प्रभाव हर व्यक्ति पर जीवन भर रहता है, एक मजबूत लग्नेश आपके जीवन में हर खुशियां लाता है, आपके जीवन के हर कष्टों को दूर रखता है,
इसलिए लग्नेश को मजबूत और ताकतवर बनाने के लिए लग्नेश रत्न हर जातक को जीवन भर धारण करना चाहिए।

लग्नेशरत्न
मेष लग्नलाल मूंगा
वृष लग्नहीरा, जिरकॉन
मिथुन लग्नपन्ना
कर्क लग्नमोती
सिंह लग्नमाणिक्य
कन्या लग्नपन्ना
तुला लग्नहीरा, जिरकॉन
वृश्चिक लग्नलाल मूंगा
धनु लग्नपुखराज
मकर लग्ननीलम
कुंभ लग्ननीलम
मीन लग्नपुखराज
लग्नेश रत्न

पंचमेश रत्न

जातक के लग्न का पांचवा भाव जिसे पंचमेश बोला जाता है इसे जन्म कुंडली का दूसरा शुभ स्थान माना जाता है, पंचमेश का रत्न धारण करना बहुत शुभ और लाभकारी माना गया है,
पंचमेश का रत्न धारण करने से जातक अपने जीवन में अच्छी शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति करता है, धन आगमन होता है, घर में मांगलिक कार्य संपन्न होते है, संतान सुख की प्राप्ति होती है, व्यक्ति के जीवन में उनत्ति और तरक्की आती है,
कोई भी जातक अपनी जन्म कुंडली के अनुसार पंचमेश रत्न धारण कर सकता है, पंचमेश रत्न सर्वथा लाभकारी रत्न ही माना गया है।

लग्नपंचमेश रत्न
मेष लग्नमाणिक्य
वृष लग्नपन्ना
मिथुन लग्नहीरा, जिरकॉन
कर्क लग्नलाल मूंगा
सिंह लग्नपुखराज
कन्या लग्ननीलम
तुला लग्ननीलम
वृश्चिक लग्नपुखराज
धनु लग्नलाल मूंगा
मकर लग्नहीरा, जिरकॉन
कुंभ लग्नपन्ना
मीन लग्नमोती
पंचमेश रत्न

नवमेश रत्न

कुंडली के नवम भाव को नवमेश बोला जाता है, नवम भाव जातक के जीवन का बहुत महत्वपूर्ण भाव है, नवम भाव के स्वामी का बली होना बहुत जरुरी माना गया है,
नवम भाव जातक के जीवन का भाग्य स्थान होता है, नवम भाव से व्यक्ति जीवन में धनवान बनता है, उच्च शिक्षा की प्राप्ति करता है, साधना में सफलता प्राप्त करता है, पैतृक संपत्ति, विदेश भ्रमण, विदेश में नौकरी या कारोबार, भाग्य का सुख आदि की प्राप्ति करता है,
इसलिए किसी भी जातक की जन्म कुंडली में भाग्य स्थान का अत्यंत महत्त्व है, भाग्य को मजबूत करने के लिए, उनत्ति तरक्की और धन लाभ के लिए प्रत्येक जातक को अपने नवमेश यानि भाग्य स्थान के स्वामी का रत्न जरूर धारण करना चाहिए।

लग्ननवमेश रत्न
मेष लग्नपुखराज
वृष लग्ननीलम
मिथुन लग्ननीलम
कर्क लग्नपुखराज
सिंह लग्नलाल मूंगा
कन्या लग्नहीरा, जिरकॉन
तुला लग्नपन्ना
वृश्चिक लग्नमोती
धनु लग्नमाणिक्य
मकर लग्नपन्ना
कुंभ लग्नहीरा, जिरकॉन
मीन लग्नलाल मूंगा
नवमेश रत्न

रत्नों के प्रकार

प्राकृतिक रूप से रत्न हमें 3 प्रकार से प्राप्त होते है

  • पहला- खनिज रत्न जो हमें धरती के गर्भ से प्राप्त होते है, जैसे की माणिक्य, नीलम, पन्ना, हीरा, गोमेद, लहसुनियां, पुखराज आदि।
  • दूसरा- जैविक रत्न जो हमें समुंद्र की गहराइयों से प्राप्त होते है, जैसे की मूंगा और मोती।
  • तीसरा- वानस्पतिक रत्न जो हमें पेड़ों से प्राप्त होते है, जैसे की कहरुआ आदि।

ज्योतिषशास्त्र में नवरत्न और अन्य 84 प्रकार के रत्नों का उल्लेख किया गया है, जो हमारे जीवन पर अलग अलग प्रभाव से असर डालते है, इन्ही नवरत्नों और 84 रत्नों में खनिज, जैविक और वानस्पतिक रत्न होते है।

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रत्न धारण विधि

जब तक आप ज्योतिष अनुसार रत्न धारण नहीं करते है तब तक वह रत्न एक खूबसूरत रत्न ही रहता है,
लेकिन अगर आपको उस खूबसूरत रत्न के विशेष लाभ भी लेने है तो जब तक आप उसे रत्न की प्राण प्रतिष्ठा या रत्न को अभिमंत्रित नहीं करते है तब तक वह रत्न अपने चमत्कारी लाभ देने में असमर्थ होता है, किसी भी गृह के रत्न के लाभ लेने के लिए इसका पूर्ण विधि विधान से अभिमंत्रित करना अति आवशयक होता है, उस रत्न क मन्त्र जाप करके प्राण प्रतिष्ठित करना बहुत जरुरी होता है अन्यथा वह रत्न एक सामान्य खूबसूरत पत्थर की ही तरह दिखलाई देगा,

किसी भी रत्न में उसके ग्रह से सम्बंधित शक्तियों का सञ्चालन करने के लिए सबसे पहले तो उस रत्न को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए, उसके बाद उस रत्न को पूजा स्थान पर रखकर धुप, दीप करना चाहिए, उसके बाद अपने इष्ट देव या कुल देवी-देवता की पूजा करने के बाद सम्बंधित रत्न के ग्रह की पूजा करें, अपनी सम्पूर्ण मनोकामना की मांग करें और सम्बंधित रत्न के ग्रह का निर्धारित की गई संख्या का यथाशक्ति मन्त्र जप करने से बाद रत्न जड़ित अंगूठी धारण करें,

रत्न को कैसे धारण करना है, किस धातु में धारण करना है, किस उंगली में धारण करना है, शुभ मुहूर्त क्या है इन सब बातों का विशेष ख्याल रखना अतिआवश्यक होता है, अगर आप को इन सब बातों की समझ नहीं है तो किसी ज्योतिष से परामर्श लेकर की रत्न धारण करना चाहिए।

रत्नों द्वारा लाभ

रत्न अपनी समस्याओं और परेशानियों को ख़त्म करने और जीवन में उनत्ती और तरक्की की प्राप्ति के लिए धारण किया जाता है, इसलिए सही निर्णय लेकर धारण किया गया रत्न आपके जीवन को खुशियों से भर देता है।
आइये जाने रत्नों को धारण करने से क्या लाभ प्राप्त हो सकते है-

  • रत्न धारण करने से ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा को ख़त्म किया जा सकता है।
  • रत्न धारण करने से ग्रहों से सकारात्मक ऊर्जाओं की प्राप्ति की जा सकती है।
  • रत्न धारण से जीवन की उनत्ति के द्वार खोले जा सकते है।
  • रत्न धारण से शारीरिक कष्टों को कम किया जा सकता है।
  • रत्न धारण से मानसिक कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • रत्न धारण से मन और मस्तिक्ष को मजबूत किया जा सकता है।
  • रत्न धारण से कारोबार की वृद्धि की जा सकती है।
  • रत्न धारण से धन लाभ और आर्थिक उनत्ति को मजबूत किया जा सकता है।
  • रत्न धारण से जीवन में बहुत से सकारात्मक बदलाव लाये जा सकते है।
  • रत्न धारण से बुरी नजर, जादू-टोने से बचाव किया जा सकता है।
  • रत्न धारण से शिक्षा में सफलता की प्राप्ति की जा सकती है।
  • रत्न धारण से उच्च शिक्षा प्राप्ति के अवसर भी लिए जा सकते है।
  • रत्न धारण से जीवन में खुशहाली लाई जा सकती है।
  • रत्न धारण से एक सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति की जा सकती है।
  • रत्न धारण से बहुत से शारीरिक रोगों को कम किया जा सकता है।
  • हीरा धारण करने से सुखी वैवाहिक जीवन और सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  • माणिक्य धारण करने से समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है, राजनीती में सफलता मिलती है।
  • पुखराज धारण करने से ज्ञान, उच्च शिक्षा और धन की प्राप्ति होती है।
  • मोती मानसिक शांति और सफलता प्रदान करता है।
  • लाल मूंगा धारण करने से आत्मबल की वृद्धि होती है, दुश्मनों का सर्वनाश होता है, साहस बढ़ता है।
  • नीलम धारण करने से बड़े कार्यक्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
  • पन्ना धारण करने से शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है, कारोबार में तरक्की मिलती है।

१२ राशियाँ

रत्न धारण में सावधानियां

कोई भी रत्न धारण करने में बहुत सावधानी रखनी चाहिए, रत्न से हम जितना लाभ ले सकते है, उतना ही बड़ा नुकसान हम गलत रत्न धारण करने से प्राप्त कर सकते है,
इसलिए रत्न हमेशा बहुत ही सावधानी और किसी अच्छे ज्योतिष के परामर्श के बाद ही धारण किया जाना चाहिए,
एक अनुकूल रत्न हमारे जीवन को खुशियों से भर सकता है तो वही एक प्रतिकूल रत्न हमारे जीवन को नष्ट करने में देर नहीं करता।

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