पंचम भाव और मंगल
जन्म कुंडली का पंचम भाव एक शुभ स्थान माना जाता है, कुंडली के पंचम भाव में जातक के जीवन में शिक्षा, संतान, शिक्षा, बुद्धि, मांगलिक कार्य आदि का आंकलन किया जाता है, किसी भी जातक के जीवन में यह सब योग पंचम भाव से ही प्राप्त होते है,
मंगल एक ऊर्जावान ग्रह है, मंगल अग्नि है, मंगल कठिन परिश्रम है, इसलिए पंचम भाव में मंगल जातक को ऊर्जावान बनाता है, उनत्ति, तरक्की और प्रसिद्धि के रास्ते बनाता है, पांचवे भाव का मंगल जातक को पुलिस, प्रशासन, खेल, सेना, इंजीनियरिंग, टेक्निकल विभागों आदि में सफलता प्रदान करता है, मंगल परिश्रमी होने की वजय से जातक ऐसे विभागों में सफलता प्राप्त करते है, पांचवे भाव का मंगल जातक को सफल डॉक्टर भी बना सकता है, जातक बुद्धिमान होता है, वेदों का ज्ञाता भी हो सकता है,
लेकिन पंचम भाव पेट का स्थान भी है, इसलिए मंगल की अग्नि पेट की तकलीफें, परेशानियां और ऑपरेशन्स भी दे सकती है।
अगर किसी स्त्री की कुंडली में मंगल पंचम भाव में है तो उसे संतान प्राप्ति में काफी कष्टों का सामना करना पड़ सकता है, गर्भपात होने या संतान सुख में देरी के योग भी निर्माण हो जाते है।
पुरुष की कुंडली में पंचम मंगल पुत्र सुख प्रदान करनेवाला होता है, एक शुभ पंचम मंगल जातक को संतान सुख की प्राप्ति करवाता है।
लेकिन इसी के विपरीत अगर पांचवे भाव में मंगल अशुभ है तो निश्चित रूप से जातक बहुत जिद्दी और गुस्सैल हो सकता है, संतान से कष्ट प्राप्त करनेवाला होता है, शिक्षा में रूकावट होती है और पेट के रोगों का रोगी भी हो सकता है।
पंचम भाव और मित्र राशि में मंगल
अगर पंचम भाव में मंगल अपनी मित्र राशियों मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु या मीन राशि में है तो मंगल अपने शुभ प्रभाव देगा, मंगल जातक को संतान, विद्या, बुद्धि, यश, सम्मान की प्राप्ति कराएगा, कारोबार और नौकरी में लाभ देगा।
पंचम भाव और शत्रु राशि में मंगल
अगर पांचवे भाव में स्तिथ मंगल अपनी शत्रु राशियों मिथुन, कन्या, तुला और कुम्भ में विराजमान है, तो जीवन में अधिक परिश्रम के बाद सफलता देगा, संतान सुख , शिक्षा, स्वास्थय और सम्मान कमी करेगा।
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पंचम भाव और स्वराशि का मंगल
मंगल की दो राशियां है, मेष और वृश्चिक, अगर पंचम भाव में स्तिथ है और अपनी इन्हीं राशियों में है तो जातक का पंचम भाव बहुत शक्तिशाली और लाभकारी हो जाता है,
जातक अपने परिश्रम से जीवन में सफलता प्राप्त करता है, उसे संतान का और संतान से भरपूर सुख प्राप्त होता है, जातक ज्ञानी और बुद्धिमान होता है, अच्छी शिक्षा ग्रहण करता है, पुलिस, सेना या प्रशासनिक विभागों से जुड़ा हुआ हो सकता है, सामाजिक जीवन में अच्छा मान सम्मान प्राप्त करता है और उसके जीवन में बहुत से मांगलिक कार्य संपन्न होते रहते है।
पंचम भाव में उच्च का मंगल
अगर पंचम भाव में मंगल मकर राशि का है तो यहाँ मंगल उच्च का हो जायेगा, उच्च का पंचम मंगल जीवन के हर क्षेत्र में लाभ और सफलता प्रदान करता है।
पंचम भाव में नीच का मंगल
अगर पांचवे भाव में मंगल कर्क राशि में है तो यह मंगल नीच का हो जायेगा, ऐसे में मंगल पंचम भाव के सभी फलों को अशुभ कर देगा और सफलता के रास्ते में बहुत से परेशानियां देगा
पांचवे भाव से मंगल की सप्तम दृष्टि
अगर जन्म पत्रिका में मंगल पंचम स्थान पर है तो उसकी पूर्ण दृष्टि लाभ भाव पर पड़ेगी, अगर एकादश भाव में मेष, वृष, सिंह, वृश्चिक, धनु, मकर या मीन राशि है तो जातक को अपने आए के स्तोत्रों से लाभ होता है, धन आगमन होता है, उसके जीवन में बहुत सी उपलब्धियां होती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
वही अगर एकादश भाव में मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, कुंभ राशि हो तो जातक के खर्च अधिक होते है, आए में कमी होती है, लाभ नहीं होता है और शारीरिक कष्टों का भी सामना करना पड़ता है।
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पांचवे भाव से मंगल की चतुर्थ दृष्टि
पांचवे भाव में स्तिथ मंगल की दूसरी दृष्टि अष्ठम भाव पर पड़ती है, अष्ठम भाव एक अशुभ भाव है, इसलिए मंगल की अष्ठम दृष्टि अधिक परिश्रम और परेशानियों का ही कारण बनता है।
पांचवे भाव से मंगल की अष्ठम दृष्टि
मंगल की तीसरी अष्ठम दृष्टि व्यय भाव पर पड़ती है, जो की जातक के जीवन में अधिक खर्चों और स्वास्थय के लिए ही नुकसानकारी होती है।
पंचम भाव मंगल और लाल मूंगा
पांचवे भाव में मंगल हो तो उसके लाभ और हानियों के बारे में तो आपको जानकारी हो चुकी होगी, लेकिन क्या पांचवे भाव में मंगल होने से उसका रत्न लाल मूंगा कोई भी धारण कर सकता है क्या?
नहीं ऐसा नहीं है की अगर पंचम भाव में मंगल स्तिथ है तो मंगल का रत्न लाल मूंगा कोई भी धारण कर सकता है,
अगर किसी व्यक्ति का लग्न मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन है तो वे जातक लाल मूंगा धारण कर सकते है, इन लग्नो के जातको को लाल मूंगा धारण करने से बहुत लाभ होगा,
इन लग्नों के अलावा अगर जातक के लग्न वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुम्भ है तो इन जातकों को लाल मूंगा धारण करने से बचना चाहिए।
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निष्कर्ष
पंचम भाव में स्तिथ मंगल शुभ हो या अशुभ जहाँ आपके जीवन के लिए लाभकारी है तो वही आपको अधिक गुस्सा, उग्रता और पेट की बीमारियों का भी कारक होता है।