लग्न में मंगल क्या फल देता है

लग्न में मंगल या प्रथम भाव में मंगल के प्रभाव

जन्म कुंडली में लग्न भाव यानि की प्रथम भाव कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण भाव है, लग्न हमें जातक के सम्पूर्ण जीवन, शारीरिक रचना, उसकी प्रकृति, स्वाभाव, उसके गुणों की जानकारी प्रदान करता है, अगर लग्न में मंगल बैठा हो तो जातक कैसे प्रभाव प्राप्त करता है आज इसी बात की जानकारी प्राप्त करेंगे।

मंगल प्रभाव से उग्र, क्रोधी और परिश्रमी है, मंगल अपनी ऊर्जा की वजय से लाल रहता है, नवग्रहों में सबसे ऊर्जावान और बलवान का दर्जा मंगल ग्रह को ही दिया गया है, इसलिए जब भी किसी जातक के लग्न स्थान यानि की प्रथम भाव में मंगल रहता है तो मंगल के यह सभी प्रभाव उस जातक के स्वाभाव में देखने को मिलते है,

लग्न में मंगल होने से जातक बहुत मेहनती और महत्वाकांक्षी होता है, वो कभी भी किसी भी कार्य में पीछे नहीं हटता, उसमें अभिमान होता है, उसे गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है, वो हमेशा दुसरो पर अपना अधिकार ज़माने की कोशिश करता है, वो निडर होता है और इन्हीं स्वभावों के कारण वो जीवन में तरक्की भी करता है।

१२ राशियाँ

प्रथम भाव में मंगल होने से जातक बहुत जल्दी आवेश में आ जाता है, जिसकी वजय से वे नुकसान उठाते रहते है, इसलिए जिन जातकों के प्रथम भाव में मंगल हो उन्हें हमेशा शांति से हर कार्य को सोच विचार के करना चाहिए, हमेशा अपने कार्यों को थोड़ा विलम्भ करते हुए ही करना चाहिए,

जिन जातकों के प्रथम भाव में मंगल विराजमान है वे जातक अक्सर बचपन में कमजोर होते है, शारीरिक परेशानियां रहती ही है, मंगल जातक में खून की कमी भी करता है, बचपन में गिरना, चोट लगना यह सब घटनाएं प्रथम भाव में मंगल होने से होती ही है,
ऐसे जातक बहुत जल्दी रोगों की चपेट में आ जाते है, प्रथम भावस्थ मंगल के जातकों को अपनी सेहत को लेकर सतर्क रहना चाहिए।

लग्न या प्रथम भाव में शुभ मंगल

अगर किसी जातक की जन्म कुंडली के प्रथम भाव में मंगल शुभ अवस्था में बैठा है तो ऐसे जातक अपनी स्वयं की मेहनत और परिश्रम से जीवन में तरक्की करते है, उनमें लोगों को अपने प्रभाव में लेने की अच्छी क्षमता होती है, अच्छी कद काठी होती है और समाज में अच्छा मान-सम्मान प्राप्त करते है, जातक साहसी होता है और कभी भी किसी के दबाव में नहीं आता है,
लेकिन प्रथम भाव में मंगल शुभ हो या अशुभ वो जातक को जीवन में हर कार्य में जल्दबाज बनाता है, वो एक ही समय में कई तरह के कार्य करना चाहता है जिसकी वजय से ऐसे जातक अक्सर नुकसान उठाते है, प्रथम भाव का मंगल जातक को कही न कही सेहत से कमजोर तो करता ही है।

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लग्न या प्रथम भाव में अशुभ मंगल

अगर किसी जातक की कुंडली में प्रथम भाव में मंगल अशुभ है तो जातक बहुत उग्र स्वाभाव और झगड़ालु होगा, वह किसी को भी नुकसान पहुँचा सकता है, व्यर्थ का हल्ला करनेवाला होता है, किसी भी कार्य को टिककर नहीं करता, गलत कार्यों से जुड़ा हुआ हो सकता है, परिवार में लड़ाई झगड़े करने वाला, अनैतिक कार्य करनेवाला हो सकता है, जातक को आवेश में आकर किसी भी तरह की मारपीट से दूर रहना चाहिए, नहीं तो जेल यात्रा तक के योग बन सकते है,

जातक को कई तरह के रोग जैसे उच्च रक्‍तचाप, गठ‍िया, फोड़े-फुंसी या फ‍िर गुर्दे की बीमारी हो सकती है, जातक को चोट लगने और एक्सीडेंट होने से बिलकुल सावधानी रखनी चाहिए,

जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करने पड़ते है, जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है,

प्रथम भाव का मंगल मांगलिक दोष भी बनाता है, इसलिए लग्नस्थ अशुभ मंगल विवाह में देरी और वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न करनेवाला हो सकता है, जातक को सूक्ष्मता से कुंडली मिलान करने के बाद ही विवाह करना चाहिए।

मंगल की दृष्टियां

मंगल जिस भाव में बैठा होता है वो वहां से अपनी 3 दृष्टियों से 3 भावों को देखता है, यह दृष्टियां है प्रथम, सप्तम और अष्ठम दृष्टि, जिसमे से मंगल की सप्तम दृष्टि पूर्ण दृष्टि रहती है, यानि की सप्तम भाव पर मंगल के पूर्ण प्रभाव रहते है।

प्रथम भाव से मंगल की चतुर्थ दृष्टि

प्रथम भाव में बैठा मंगल अपनी चतुर्थ दृष्टि चौथे भाव यानि की माता, घर, जमीन, संपत्ति और वाहन पर डालता है, जो की माता की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता, लेकिन धन, जमीन, वाहन सुख और संपत्ति के लिए लाभकारी होता है।

प्रथम भाव से मंगल की सप्तम दृष्टि

प्रथम भाव से मंगल अपनी पूर्ण सप्तम दृष्टि से सप्तम भाव को देखता है जो की विवाह, जीवनसाथी और कारोबार का होता है, वैवाहिक जीवन में मंगल के प्रभाव कभी भी शुभ नहीं माने गए है, इसलिए मंगल की सप्तम दृष्टि वैवाहिक जीवन में कुछ उलझने और विवाद ही पैदा करती है, शारीरिक रोग भी हो सकते है,
जबकि कारोबारी दृष्टि से मंगल की दृष्टि लाभकारी होती है और कारोबार में लाभ की प्राप्ति होती है।

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प्रथम भाव से मंगल की अष्ठम दृष्टि

मंगल की तीसरी दृष्टि अष्ठम भाव पर पड़ती है, जो की एक अशुभ भाव है, ऐसे में जातक अपने जीवन में कई प्रकार के संघर्षो का सामना करता है, कोई जटिल रोग भी हो सकता है, धन का नुकसान होने की प्रबल सम्भावना और एक्सीडेंट की भी संभावना बनी रहती है।

लग्न में मंगल अपनी मित्र राशियों में

जब लग्न में मंगल अपनी मित्र राशियों जैसे की सिंह, धनु और मीन राशि में हो तो जातक बहुत बुद्धिमान, परिश्रमी, धन लाभ प्राप्त करनेवाला, नेतृत्व करनेवाला, जनता से सम्मान प्राप्त करनेवाला, बुद्धिमान और प्रसिद्द होता है,
ऐसा जातक अपने जीवन में निरंतर उनत्ति और तरक्की करता चला जाता है, कारोबार या नौकरी में अच्छी उपलब्धि प्राप्त करता है और जीवन में सभी सुखों का भोग करनेवाला होता है।

लग्न में मंगल अपनी शत्रु राशियों में

जब लग्न में मंगल अपनी शत्रु राशियों जैसे की वृष, मिथुन, कन्या, तुला और कुम्भ में होता है तो जातक को बहुत परिश्रम और कठिनाइयों को झेलते हुए अपने भविष्य का निर्माण करना पड़ता है, उनका व्यहवहार बहुत कटु होता है, जातक को गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है जिसकी वजय से वे अपना स्वयं का नुकसान कर बैठता है, जातक किसी भी एक कार्य में टिक का नहीं रह पाता है जिसकी वजय से उसे अपने जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है,
ऐसे जातकों का स्वास्थय भी कमजोर रहता है और खून और पेट से सम्बंधित बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है,
ऐसे जातकों को कभी भी किसी विवाद या झगड़े फसादों में नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि इससे उनको केवल नुकसानों का ही सामना करना पड़ेगा।

लग्न में मंगल अपनी उच्च राशि में

जब लग्न या प्रथम भाव में मंगल मकर राशि में होता है, तो यहाँ मंगल उच्च का हो जाता है, प्रथम भाव में उच्च का मंगल व्यक्ति को बहुत तेजस्वी, साहसी, प्रसिद्धि, नेता, किसी संसथान का मुखिया, उच्च पद, कारोबारी उनत्ति प्रदान करनेवाला होता है,
ऐसे जातक पुलिस विभाग, सेना, अग्निशमन, बिजली विभाग, प्रशासनिक विभागों आदि में उच्च पदों पर आसीन हो सकते है,
ऐसे जातक अपने जीवन में बहुत अच्छी उनत्ति,तरक्की, प्रसिद्धि और धन लाभ की प्राप्ति करते है।

लग्न में मंगल अपनी नीच राशि में

लग्न में या प्रथम बाव में मंगल जा कर्क राशि में होता है तो यह मंगल की नीच की अवस्था हो जाती है, यह मंगल नीच का हो जाता है और जातक को जीवन में बहुत से संघर्षों का सामना करना पड़ता है, जातक बहुत झगड़ालु और गलत कार्यो से जुड़ा हुआ हो सकता है,
जातक को स्वास्थय से सम्बंधित बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जीवन के हर पड़ाव पर जातक को परेशानियों से गुजरना पड़ता है,
ऐसे जातक जिनका लग्न में मंगल नीवह का हो उन जातकों को यथासंभव हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए, नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए, हर मंगलवार को हनुमान मंदिर में में दीप जलाना चाहिए।

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प्रथम भाव में मंगल और लाल मूंगा धारण

अगर लग्न यानि की प्रथम भाव में मंगल बैठा है, तो क्या मंगल का रत्न लाल मूंगा धारण किया जा सकता है, आइये हर लग्न के अनुसार जानकारी प्राप्त करते है की अगर प्रथम भाव में मंगल विराजमान है तो कौन कौन से लग्न के जातक लाल मूंगा धारण कर सकते है और कौन नहीं?

मेष लग्न – अगर मेष लग्न की कुंडली है और मंगल प्रथम भाव में अपनी ही मेष राशि में विराजमान है तो मेष लग्न के जातकों को लाल मूंगा जरूर धारण करना चाहिए, जीवन में अच्छी तरक्की प्राप्त होगी।

वृष लग्न – अगर वृष लग्न है और मंगल प्रथम भाव में है तो लाल मूंगा धारण ना करे, लाल मूंगा धारण करने से अधिक ख़र्च होने लगेगा और बहुत सी समस्याएं आ सकती है।

मिथुन लग्न – अगर मिथुन लग्न में प्रथम भाव में मंगल है तो मिथुन लग्न के जातकों के लिए भी लाल मूंगा धारण करना लाभकारी नहीं होगा।

कर्क लग्न – अगर कर्क लग्न की कुंडली है और मंगल प्रथम भाव में नीच का होकर बैठा है तो कर्क लग्न के जातकों को लाल मूंगा जरूर धारण करना चाहिए, लाल मूंगा धारण करने से कर्क लग्न के जातकों को शिक्षा, ज्ञान, धन, उनत्ति, प्रसिद्धि, नौकरी और कारोबारी उनत्ति की प्राप्ति होगी।

सिंह लग्न – सिंह लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में मंगल है तो सिंह जातकों को लाल मूंगा जरूर धारण करना चाहिए, लाल मूंगा धारण करने से धन, संपत्ति, जमीन, भाग्योदय की प्राप्ति होगी।

कन्या लग्न – कन्या लग्न हो और मंगल प्रथम भाव में बैठा हो तो कन्या लग्न के जातकों को लाल मूंगा कभी भी धारण नहीं करना चाहिए, अधिक परिश्रम और आमदनी zero हो जाएगी।

तुला लग्न – तुला लग्न की कुंडली में मंगल प्रथम भाव में हो तो तुला जातक केवल मंगल की महादशा में लाल मूंगा धारण करके लाभ ले सकते है।

वृश्चिक लग्न – वृश्चिक लग्न के प्रथम भाव में मंगल अपनी ही वृश्चिक राशि में होगा, स्वयं लग्नेश का रत्न होगा, जो की जीवन के हर क्षेत्र में लाभ देने वाला होगा, वृश्चिक लग्न के जातकों को लाल मूंगा जरूर धारण करना चाहिए।

धनु लग्न – धनु लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में बैठा मंगल लाभ देने वाला होगा, इसलिए धनु लग्न के जातकों को लाल मूंगा धारण करने से शिक्षा और ज्ञान में लाभ, संतान सुख, धन लाभ और उनत्ति होगी, धनु लग्न के जातकों को लाल मूंगा धारण करना चाहिए।

मकर लग्न – मकर लग्न की कुंडली के प्रथम भाव में बैठा मंगल उच्च का होगा, जो की जातक को जीवन भर लाभ देनेवाला होगा, घर, जमीन, संपत्ति कर धन लाभ देगा, मकर लग्न के जातक मंगल की महादशा में लाल मूंगा धारण कर सकते है।

कुम्भ लग्न – कुम्भ लग्न में प्रथम भाव में बैठा मंगल जीवन में संघर्ष और शारीरिक परेशानियां ही देनेवाला होगा, इसलिए कुम्भ लग्न के जातकों को लाल मूंगा धारण नहीं करना चाहिए।

मीन लग्न – मीन लग्न के प्रथम भाव में बैठा मंगल बहुत शुभ और लाभकारी होता है, जातक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति करवाता है, जीवन में धन लाभ और उनत्ति देता है, इसलिए धनु लग्न के जातकों को लाल मूंगा जरूर धारण चाहिए।

धन्यवाद !

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