ज्योतिष शास्त्र में ९ रत्नों और ८४ रत्नों के बारे में बताया गया है, सब रत्न अपनेआप में महत्वपूर्ण है और किसी ना किसी प्रकार से अपना लाभ देते है, इन्हीं रत्नों में से आज हम सबसे शक्तिशाली रत्न के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
रत्नों के प्रभाव
जैसा की आप जानते ही है की रत्न हमारे जीवन में कितने प्रभावकारी रहते है और सौर मंडल में ग्रहों की बदलती स्तिथि पूर्ण रूप से हमारे जीवन पर असर डालती रहती है, ग्रहों की स्तिथियों के परिवर्तन से ही व्यक्ति के जीवन में शुभ अशुभ समय आता है,
जब किसी व्यक्ति के जीवन में किसी ग्रह की प्रतिकूल स्तिथि की वजय से अशुभ समय चल रहा हो तब ऐसे में रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है, रत्नों को कुंडली में ग्रहों की कमजोर और अशुभ स्तिथि अनुसार धारण किया जाता है,
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के रत्नों का बड़ा महत्त्व है, रत्न धारण से व्यक्ति के जीवन में बहुत से शुभ बदलाव आते है तभी तो प्राचीन काल से ही रत्नों का इतना महत्व चला आ रहा है, राजा-महाराजा तो रत्नों को अपने जीवन और राज्य की सलामती के लिए धारण किया करते थे,
रत्न तो बहुत प्रकार के है और उनके अलग अलग लाभ भी है, लेकिन रत्नों में सबसे शक्तिशाली रत्न कौन सा है??? तो आइये आज के इस लेख में यही जानकारी प्राप्त करते है की रत्नों में सबसे शक्तिशाली रत्न कौन सा है।
सबसे शक्तिशाली रत्न
नवरत्नों में शनि ग्रह का नीलम एक ऐसा रत्न है जिसे रत्नों में सबसे शक्तिशाली रत्न का दर्जा प्राप्त है, नीलम अपने प्रभाव बहुत जल्दी दिखलाता है, अगर नीलम रत्न किसी को सूट कर दे तो वह उस व्यक्ति को बुलंदियों पर पहुंचाने में वक़्त नहीं लगाता और वही अगर नीलम किसी को सूट नहीं करें तो भिखारी तक बनाने में समय नहीं लगाता।
शनि का रत्न नीलम
नीलम शनि का प्रतिनिधित्व रत्न है, नीलम ही एक ऐसा रत्न है जिसमें शनि की तरंगो को अवशोषित करने की शक्ति होती है,
नीलम नीले रंग का रत्न है जिसका रंग कभी कभी गहरा नीला या हल्का नीला भी होता है, नीलम एक चिकना, स्वच्छ और पारदर्शी रत्न है, अगर नीलम पर किसी भी तरह के दाग-धब्बें, काले-लाल छींटे हो तो ऐसा नीलम दरिद्रता लाता है, सर्वनाश करता है, इसलिए नीलम खरीदने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए,
शनि का रत्न नीलम अपने प्रभाव तुरंत देने के लिए प्रसिद्द है, इसलिए शनि का रत्न नीलम धारण करने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, जल्दबाजी में धारण किया गया नीलम बहुत परेशानियां खड़ी कर सकता है,
कभी भी नीलम अपने मन या किसी के कहने से धारण ना करें, नीलम धारण करने से पहले किसी ज्योतिष से सलाह लेकर ही नीलम धारण करें,
नीलम मकर और कुंभ लग्न जातकों का जन्मरत्न और भाग्यशाली रत्न है, मकर और कुंभ के जातकों को नीलम बहुत लाभ देने वाला होता है, इसके अलावा शनि के मित्र शुक्र के वृष और तुला लग्न के जातकों को भी नीलम बहुत लाभकारी हो सकता है।
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नीलम धारण करने के नियम
नीलम हमेशा जाँच परख कर सर्टिफाइड ही लेना चाहिए, नीलम पर कभी भी किसी भी तरह के दाग-धब्बें नहीं होने चाहिए और न ही टूटा फूटा होना चाहिए, नीलम में चमक होनी चाहिए।
नीलम हमेशा किसी ज्योतिष की सलाह के साथ ही धारण करें, ज्योतिष आपकी कुंडली में शनि की दशा देखकर ही नीलम धारण करने की सलाह देगा।
नीलम हमेशा प्लैटिनम या चांदी की अंगूठी में ही धारण करना चाहिए, शनिवार की संध्या पूजा पाठ, शनि मंत्रो के २३,००० की संख्या में जप करने के बाद ही नीलम धारण करे।
नीलम को सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में ही धारण करें और शनि दर्शन करते रहें।
एक बार नीलम धारण करने के बाद नीलम को बार बार उतारना नहीं चाहिए, अगर किसी के संस्कार में जाना पड़े तभी नीलम को घर में मंदिर में रख कर जाये और अगले दिन स्नान करने क बाद पुनः धारण करें।
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किन कार्यो में नीलम लाभ देता है
इंजीनियरिंग, कृषि कार्य, पेट्रोलियम, लोहा व्यवसाय, उच्च पद, किसी संसथान का प्रमुख, खनिज कार्य, ठेकेदार, डॉक्टर, अस्थि रोग विशेषज्ञ, कोयला व्यवसाई, टायर व्यवसाय आदि जैसे व्यवसाय करने वाले लोगों को नीलम धारण करना बहुत लाभकारी हो सकता है।
करियर बनाने में भी नीलम धारण करना काफी लाभदायक हो सकता है, जिन व्यक्तियों पर कोई बाहरी समस्या यानि की जादू-टोन या भूत-प्रेत के प्रभाव हो ऐसे जातकों को भी नीलम बहुत सुरक्षा प्रदान करवाता है।
नीलम का असर
नवरत्नों में नीलम ही एक ऐसा रत्न है जो किसी व्यक्ति को सूट कर जाए तो उस व्यक्ति की किस्मत बदलने में समय नहीं लगता, व्यक्ति अपने जीवन में निरंतर तरक्की करते हुए आगे बढ़ता चला जाता है।
नीलम धारण करने के बाद वह अपना प्रभाव २४ घंटो के अंदर ही देने शुरू कर देता है, सभी रत्नों में केवल सबसे शक्तिशाली रत्न नीलम ही है जो धारण करने के साथ ही अपने शुभ-अशुभ प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है।