मंगल ग्रह ज्योतिष

मंगल ग्रह ज्योतिष के इस लेख में आप मंगल ग्रह के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और मंगल के दो दोष मांगलिक योग और अंगारक योग के बारे में जानेंगे।

मंगल ग्रह

मंगल निर्भीक, कठोर, स्वाभिमानी, आक्रामक, परिश्रमी, अनुशासनप्रिय, क्रोधी और विनाशक ग्रह है, यही कारण है कि मंगल को पापी ग्रह माना जाता है। जब किसी स्थान पर यह सब रहता है तो उस जगह सुख की कमी तो हो ही जाती है।

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मंगल सौरमंडल में ब्रह्मण कर रहे नवग्रहों में से एक है, मंगल देखने से आग का गोला दिखता है, मंगल ग्रह को पृथ्वी पुत्र भी बोला जाता है यही वजय है की मंगल का एक नाम भौम भी है।
स्वाभाव से क्रूर मंगल को ग्रहों के सेनापति का दर्जा मिला हुआ है, अगर कुंडली में मंगल शुभ हो तो निडर, साहसी और सैन्य अधिकारी बनाता है और अगर मंगल कुंडली में बुरा हो जाये तो यह बुरे कर्म करनेवाला भी बना देता है।

  • मेष और वृश्चिक मंगल ग्रह की राशियां है।
  • मंगल अपने स्थान से सप्तम, चतुर्थ और अष्ठम भाव को देखता है।
  • मंगल मकर राशि में 28 डिग्री पर उच्च का होता है।
  • मंगल कर्क राशि में 28 डिग्री पर नीच का होता है।
  • सूर्य, चंद्र और ब्रहस्पति मंगल के मित्र ग्रह है।
  • शुक्र मंगल का सम ग्रह है।
  • बुध, शनि और राहु मंगल के शत्रु ग्रह है।
  • मंगल की धातु तांबा है।
  • मंगल का रत्न लाल मूंगा है।
  • मंगल के क्षेत्र सेना, पुलिस विभाग, होटल-रेस्टोरेंट, प्रॉपर्टी डीलिंग, खेल, मशीनरी, बिजली विभाग, डॉक्टर-सर्जन, रासायनिक विभाग, जुआ-सट्टा, हथियार कारोबार, अग्निशमन आदि में आते है।
  • पेट के रोग,अलसर,ऑप्रेशन, रक्तः के रोग, त्वचा रोग जैसे रोग मंगल के क्षेत्र आते है।

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मंगल ग्रह ज्योतिष और मांगलिक योग

मंगल कुंडली में तीसरे, छठे और दसवें भाव में बली होता है, जब जन्म में मंगल 1, 4, 7, 8 या 12 भाव में विराजमान हो तो यह मांगलिक योग बन जाता है, मांगलिक योग वैवाहिक जीवन में परेशानियां पैदा करता है, इसलिए मांगलिक कुंडली में विवाह के समय कुंडली मिलान का विशेष ध्यान रखना होता है

मांगलिक योग उपाय

मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें, हनुमान चालीसा पाठ करें, हनुमान मंदिर में दीप जलाए।
मांगलिक दोष की पूजा करवाए।
शादी के समय कुंडली मिलान और मांगलिक वर या वधु से ही विवाह करें।

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मंगल ग्रह ज्योतिष और अंगारक योग

अंगारक योग किसे बोला जाता है, जन्म कुंडली में अंगारक योग तब बनता है जब मंगल और राहु एक साथ हो, किसी जन्म कुंडली में अंगारक योग बनने से यह अनिष्टकारी, ज्वलनशील, उग्र प्रवृत्ति और विघटनकारी हो सकता है,
कई बार अंगारक योग के प्रभाव कालसर्प योग से भी अधिक दुष्कर हो सकते है।

अंगारक योग जिस भाव में भी बन रहा है यह योग उन भावों को पीड़ित और संघर्षमय बना देता है, अगर मंगल और राहु की लग्न कुंडली के किन्हीं भावों से एकदूसरे पर दृष्टि भी पड़ती है तब भी अंगारक योग के प्रभाव मिलते है और ऐसी ही स्तिथियों का निर्माण होता है,
अंगारक योग से व्यक्ति के जीवन में निरंतर झगड़े, मतभेद, तकरार, विवाद, मारपीट, तनाव, परेशानी, अराजकता, संघर्ष जैसी स्तिथियां बनी रहती है।

द्वादश भावों में अंगारक योग के प्रभाव

1. अगर प्रथम भाव में अंगारक योग का निर्माण हो यानि की मंगल और राहु एक साथ विराजमान हो तो व्यक्ति को जीवन में संघर्ष, पेट की बीमारियां, दुबलापन, खून की कमी, सर पर चोट, मानसिक अस्थिरता, क्रूर स्वाभाव और पागलपन जैसी स्तिथियां हो सकती है।

2. द्वितीय भाव का अंगारक योग कारोबार में संघर्ष, गंदी वाणी, धन की अस्थिरता, तंगी, कुटुंब परिवार से विवाद रहने की स्तिथियां बनती है।

3. तृतीय भाव का अंगारक योग घर-परिवार, भाई बहनों, मित्रों से ख़राब संबंध, जीवन में अति संघर्ष, अति उत्साही, धोखेबाज जैसे स्तिथियां बनाता है।

4. चतुर्थ भाव का अंगारक योग अशांति, घर-जमीन-संपत्ति विवाद, माता के सुख की कमी, वैवाहिक जीवन में कलह, धन हानि की स्तिथियां उत्पन्न करता है।

5. पंचम भाव का अंगारक योग संतान से दुःख, संतानहीन, प्रेम सम्बन्धो में असफलता, नाजायज सम्बन्ध जैसे योगों का निर्माण कर सकता है, यह योग होने से बुरे कर्मो से लाभ या जुए-सट्टे जैसे कार्यो से धन कमाने के योग बन सकते है।

6. छठे भाव का अंगारक योग व्यक्ति को दुश्मनों पर विजय, अदालती मामलों में विजयी,
कर्ज लेकर तरक्की करनेवाला, शत्रुओं से अजेय या डॉक्टर या सर्जन के योग भी बनाता है

7. सप्तम भाव में अगर अंगारक योग बन रहा है तो वैवाहिक जीवन में परेशानियां, विवाद, जीवनसाथी से कष्ट, अनैतिक सम्बन्ध, तलाक या जीवनसाथी का ना रहना, कारोबार नहीं चलना और साझेदारी में झगड़े हो सकते है।

8. अष्टम भाव का अंगारक योग शारीरिक कष्ट, हड्डियों की बीमारी, दुर्घटना, धन हानि, पैतृक संपत्ति नुकसान, अपमानित होने के प्रबल योगों का निर्माण होता है।

9. नवम भाव में अंगारक योग बनने से उच्च शिक्षा में बाधा, कमजोर भाग्य, धन हानि, संघर्षरत जीवन और संतान से या का कष्ट होने के योग बनते। है

10. दशम भाव का अंगारक योग पिता के साथ संबंध ख़राब करता है परंतु व्यक्ति अपनी मेहनत और परिश्रम से सफलता प्राप्त करता है।

11. एकादश भाव का अंगारक योग शारीरिक कष्ट देता है, अनैतिक कार्यो से आय करवाता है, व्यक्ति में धोखेबाजी की प्रवति देता है, जमीन-प्रापर्टी से सम्बंधित लाभ देता है।

12. द्वादश भाव का अंगारक योग होने से व्यक्ति अपराधी, अनैतिक कार्य करनेवाला, लोगों को डराने-धमकाने वाला, इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का कारोबार करने वाला हो सकता है।

Read in marathi : पुष्कराज रत्न माहिती मराठी

अंगारकयोग का उपाय

अगर किसी व्यक्ति के जीवन में अंगारक योग से परेशानी आ रही हो तो उसे अंगारक योग की पूजा द्वारा शांति करवानी चाहिए।
अंगारक योग शांति की पूजा उज्जैन में भी संपन्न होती है।

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