बाजार में बहुत तरह के नीलम रत्न मौजूद है, लेकिन असली नीलम रत्न की कीमत उसकी क्वालिटी, प्राप्ति स्थान, गुणवत्ता और श्रेष्ठता पर आधारित रहती है।
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नीलम रत्न
ऐसा माना जाता है की अगर किसी व्यक्ति को नीलम सूट कर जाए तो उस व्यक्ति की किस्मत पलटने में देर नहीं लगती, आखिर ऐसा क्यों बोला जाता है, इसके पीछे क्या कारण है,
नवग्रहों में शनि ग्रह के बारे में माना जाता है की शनि अपने प्रभाव बहुत जल्दी देते है और नीलम शनि का ही रत्न है, नीलम में शनि की ऊर्जा समाई रहती है यही कारण है की नीलम बहुत प्रभावशाली रत्न है।
शनि के बारे में मान्यता है की अगर शनि किसी पर मेहरबान हो जाए तो व्यक्ति का जीवन बदल जाता है, व्यक्ति रंक से राजा बन जाता है, लेकिन शनि मेहनत और परिश्रम के स्वामी है, मेहनत से घबराने वाले व्यक्तिओं का शनि कभी भी साथ नहीं देते और ना ही ऐसे व्यक्तियों को कभी नीलम सूट करता है,
आपने देखा होगा जिन व्यक्तियों को नीलम सूट करता है वे लोग अपने परिश्रम और मेहनत से बड़े और नामी व्यक्ति बनते है,
कहने का मतलब यह हुआ की नीलम धारण करने के बाद उन्हीं व्यक्तियों को सफलता प्राप्त होती है तो कठिन परिश्रम भी करते है।
नीलम एक ऐसा रत्न है जो बहुत कम व्यक्तियों को ही सूट करता है, इसलिए नीलम धारण करने से पहले अपनी जन्म पत्रिका का विश्लेषण करवाना बहुत जरुरी होता है, उसके बाद ही नीलम धारण का निर्णय लेना चाहिए।
नीलम ऐसा रत्न है जो धारण करने से कुछ ही समय या १, २ दिनों में ही अपना असर या प्रभाव दिखा देता है, अगर किसी व्यक्ति को नीलम सूट नहीं करता तो उसे बेचैनी, बुरे स्वप्न, शारीरिक अस्वस्थता या कभी कभी किसी एक्सीडेंट का भी शिकार हो जाते है,
इसलिए कभी भी नीलम को सीधे धारण नहीं करना चाहिए, नीलम धारण करने से पहले उसको अपने पास रख कर परिक्षण कर लेना चाहिए, अगर आपको परिक्षण में किसी भी प्रकार का बुरा अनुभव नहीं होता है तो नीलम आप धारण कर सकते है।
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असली नीलम रत्न की कीमत
विश्वभर में नीलम प्राप्त होते है, लेकिन सबसे श्रेष्ठ नीलम भारत में जम्मू के नीलम और श्रीलंका के नीलम (सिलोनी नीलम) को माना जाता है, जम्मू का नीलम तो अब मिलना लगभग नामुमकिन ही है,
श्रीलंका का सिलोनी नीलम बाजार में उपलब्ध हो जाता है, सिलोनी नीलम वर्ल्ड का सबसे बेहतरीन नीलम माना गया है, इसकी कठोरता हीरे के बाद 9 नंबर की होती है, यह बहुत चमकीला, खूबसूरत गहरा नीला रंग, पूर्ण पारदर्शी, अत्यंत मनमोहक होता है, एक खूबसूरत नीलम ऐसा होता है जिसे देखने से ऐसा लगता है की बस देखते ही जाए।
असली नीलम रत्न की कीमत (सिलोनी नीलम) की बात की जाए तो यह नीलम की क्वालिटी के ऊपर रहती है, बाजार में सिलोनी नीलम 1500 रूपए प्रति कैरट से लेकर 2,00,000/- (दो लाख) रूपए प्रति कैरट या उससे भी अधिक पर उपलब्ध है,
लेकिन ज्योतिष की दृष्टि से अच्छे प्रभाव पाने के लिए आप 3,000/- से 5000/- रूपए प्रति कैरट तक का नीलम धारण कर सकते है।
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नीलम धारण से लाभ
नीलम धारण करने से व्यक्ति बुद्धिमान, बलशाली होता है, जातक की समाज में प्रसिद्धि बढ़ती है, व्यक्ति समाज में सम्मान की की प्राप्ति करता है।
नीलम धारण करने से कारोबार अप्रत्याशित रूप से तरक्की करने लगता है, व्यक्ति की आर्थिक स्तिथियां बहुत मजबूत होती चली जाती है, व्यक्ति धन-धन्य से परिपूर्ण होता चला जाता है।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि कमजोर है और वह जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करता चला आ रहा हो तो उसे नीलम धारण करना चाहिए।
नीलम धारण करने से जीवन में सुख शांति आती है, जीवन के आने वाले संकट ख़त्म होते है, शत्रु पराजित होते है।
नीलम धारण करने से व्यक्ति के शारीरिक कष्ट और शारीरिक बीमारियां ख़त्म होती है, हड्डियों के रोग दूर होते है और एक स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है, आयु की वृद्धि होती है।
नीलम धारण करने से व्यक्ति का भाग्य प्रबल होता है, धार्मिक कार्यों की ओर रूचि बढ़ती है, व्यक्ति के घर पर मांगलिक कार्य और पूजा संपन्न होती है, व्यक्ति के जीवन में धार्मिक यात्राएं संपन्न होती है।
नीलम धारण करने से व्यक्ति अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता की प्राप्ति करता है।
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शनि रत्न नीलम कैसे धारण करें।
अगर नीलम को विधिपूर्वक पूजा और मंत्रो के जाप के बाद धरण किया जाए तो यह बहुत जल्दी अपने प्रभाव देना शुरू हो जाता है,
नीलम को शनिवार के दिन पहले कच्चे गाय के दूध से स्नान करवाकर फिर गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए, शुद्धि के बाद नीलम को पूजा स्थल पर रखकर अपने इष्ट देव की पूजा करें,
उसके बाद शनि देव की पूजा करें, उसके बाद शनि मन्त्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें, जाप करने के बाद शनि मंदिर जाए, शनि देव के चरणों में नारियल का प्रशाद चढ़ाए और सरसों तेल का दीप जलाए,
दीप जलाने के बाद शनि देव से अपनी मनोकामना की मांग करें और शनिदेव के चरणों से नीलम रत्न की अंगूठी को स्पर्श कराने के बाद अपने सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में धारण कर लें।