शनि का रत्न नीलम बहुत चमत्कारी रत्न है, यह व्यक्ति को बहुत जल्दी अपने शुभ-अशुभ प्रभाव देने लगता है, नीलम धारण करने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए और यह भी जानकारी होनी चाहिए की नीलम कौन सी उंगली में धारण करना चाहिए? अन्यथा नीलम के अशुभ प्रभाव आने शुरू हो जाएंगे।
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नीलम
सभी नवरत्नों में से नीलम ही एक ऐसा रत्न है जो अपने तुरंत प्रभाव देने के लिए जाना जाता है, नीलम शनि का रत्न होने से इसमें शनि के सभी प्रभाव रहते है, शनि अपने शुभ-अशुभ प्रभाव धारणकर्ता को तुरंत दिखलाता है,
इसलिए नीलम रत्न को कभी भी बगैर सोचे समझे धारण नहीं करना चाहिए, धारण करने से पहले यह जाँच ले की शनि आपकी कुंडली में योगकारक है की नहीं, अगर आपकी कुंडली में शनि योगकारक है, शुभ होकर निर्बल है, अशुभ ग्रहों के साथ है, सूर्य के साथ या अस्त है, तब आपको नीलम धारण करना चाहिए।
नीलम ही एक ऐसा रत्न है जो बहुत कम व्यक्तियों को ही सूट करता है और जब यह किसी को सूट करता है तो उसके दिन बदलने में समय नहीं लगता, व्यक्ति बहुत कम समय में ही बड़ा और धनवान बन जाता है।
श्रेष्ठ नीलम की विशेषता
श्रेष्ठ और बढ़िया नीलम वही होता है जो खूबसूरत नीले रंग और चमकदार हो, नीलम वजन में भारी और दड़कदार होना चाहिए, उबगली फेरने से चिकना महसूस होना चाहिए, पारदर्शी होना चाहिए, उसपर किसी भी प्रकार के दाग-धब्बें, लकीर, टूट-फूट नहीं होनी चाहिए, दिखने में चमकदार होना चाहिए, बुझा हुआ या सुन्न नहीं होना चाहिए,
अगर आपको ऐसा नीलम प्राप्त होता है तो यही नीलम श्रेष्ठ होता है, अगर किसी भी नीलम में इनमें से कोई भी कमी होगी तो उसके प्रभावों में कमी आ जाएगी या फिर वह बिलकुल भी सूट नहीं करेगा और यह भी हो सकता है की वह अशुभ प्रभाव देने लगे,
फिर आप सोचने पर विवश हो जायेंगे की नीलम हमारी कुंडली में योगकारक होने के बावजूद भी सूट क्यों नहीं कर रहा है।
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नीलम धारण में सावधानी
नीलम को धारण करने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, जब भी नीलम धारण करने जाये तो सबसे पहले तो किसी ज्योतिष से नीलम धारण करने के लिए परामर्श लें ले, उसके बाद शनिवार के दिन शुभ मुहूर्त में नीलम ख़रीदे,
नीलम साफ सुथरा, किसी भी तरह के काले या सफ़ेद दाग-धब्बों रहित, टुटा हुआ ना हो इसकी जाँच करने के बाद ही ख़रीदे,
दूसरी विशेष बात का ध्यान यह रखना चाहिए की नीलम अपने किसी जानकर या विश्वसनीय दुकानदार से ही नीलम खरीदें, नीलम का किसी ऑथेंटिक टेस्टिंग लैब से सर्टिफाइड जरूर होना चाहिए।
ऐसा करने से आपको एक शुद्ध और असली नीलम की प्राप्ति होती है क्योंकि बाजार में नकली नीलमों की भरमार है।
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नीलम कौन सी उंगली में धारण करना चाहिए?
सही और शुद्ध नीलम खरीदने के बाद नीलम धारण करने में भी बहुत सावधानी और विधिविधान की जरुरत होती है, केवल खरीद कर धारण करने से भी उसके लाभ नहीं मिलते,
मध्यमा उंगली नीलम धारण करने के लिए निर्धारित की गई है, सीधे हाथ की मध्यमा उंगली ही वह स्थान है जहां नीलम की अंगूठी धारण करने पर शनि के शुभ प्रभाव प्राप्त होते है, अगर किसी अन्य उंगली में नीलम धारण किया जायेगा तो उसके अशुभ प्रभाव प्राप्त शुरू होने लग जायेंगे, कोई न कोई दुर्घटना तक घटित हो सकती है।
मध्यमा उंगली के ही निचे शनि पर्वत का भी निवास है, शनि पर्वत शनि के प्रभावों को दर्शाता है, हस्त रेखा में शनि के प्रभाव जानने के लिए लिए इसी शनि पर्वत और क्षेत्र का आंकलन किया जाता है।
नीलम की अंगूठी को चांदी में धारण करना चाहिए, अन्य किसी भी धातु में धारण करने से बचें। चांदी की अंगूठी में नीलम अपने सबसे शुभ प्रभाव देने में सक्षम होता है।
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नीलम धारण विधि
जैसा की बताया नीलम तभी सूट करता है जब नीलम को बड़े आदर और पुरे विधि विधान से धारण किया जाये, ऐसे ही नीलम धारण करने से पहले उसकी पूजा और शनि मंत्रो का जाप करना अनिवार्य होता है,
नीलम जब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक की नीलम को जाग्रत नहीं किया जाये, इसके लिए शनिवार के दिन नीलम को कच्चे दूध से स्नान और फिर गंगाजल से शुद्ध करके पूजा स्थल पर रख दें, धूप-अगरबत्ती करे, अपने इष्ट देव या कुल देवी-देवता की पूजा करें, उसके बाद शनि देव की पूजा और शनि मन्त्र “ॐ” का 23000 की संख्या में जाप करें, अगर 23000 की संख्या का जाप करने में असमर्थ है तो यह काम आप किसी पंडित से भी करवा सकते है,
अगर यह भी करवाना मुमकिन नहीं है तो आप एक माला (108 की संख्या) शनि मन्त्र का जाप कर लें, संध्या को शनि मंदिर जाए, सरसों तेल का दीप जलाए, नारियल का प्रसाद चढ़ाए,
फिर शनि देव चरणों में नीलम की अंगूठी को स्पर्श करवाए और उनसे अपनी मनोकामना की पूर्ति की मांग करके मध्यमा ऊँगली में अंगूठी धारण कर ले।