क्या आप जानते है आपने जो रत्न धारण किया है उसका प्रभाव एक निश्चित समय तक ही रहता है, समय के साथ उसका प्रभाव भी कम होता चला जाता है, आइये आज की इस पोस्ट में हम यही जानकारी प्राप्त करेंगे की रत्न कितने समय तक प्रभावशाली रहते है।
रत्न कितने समय तक प्रभावशाली रहते है
आपने शायद यह अनुभव कभी नहीं किया होगा की चाहे आपने कितने भी उच्च दर्जें का रत्न ही क्यों न धारण किया हो, लेकिन एक समय के बाद वह अपने प्रभाव देने ख़त्म कर देता है।
इसलिए यह जरुरी हो जाता है की की अगर कोई रत्न साधारण दर्जे का या कम कीमत का है हो उसे बदल लिया जाए, अगर रत्न कीमती और अच्छे दर्जे का है तो उस रत्न की दोबारा पूजा अर्चना, प्राण प्रतिष्ठा करके धारण किया जाए। ऐसा करने से वह रत्न दोबारा जाग्रत हो जाता है और अपने पूर्ण प्रभावों में आ जाता है।
इसलिए आप भी अपने धारण किये गए रत्न के समय का ध्यान रखें और पूर्ण लाभ प्राप्त करें।
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आइये जानते है 9 मुख्य रत्नों और कुछ उपरत्नों की प्रभावी समय सीमा की।
रत्न | समय सीमा |
---|---|
माणिक्य | 4 साल 4 महीने |
मोती | 2 साल 2 महीने |
लाल मूंगा | 3 साल 3 महीने |
पन्ना | 3 साल 3 महीने |
पुखराज | 4 साल 4 महीने |
हीरा | 7 साल 7 महीने |
नीलम | 5 साल 5 महीने |
गोमेद | 3 साल 3 महीने |
लहसुनियां | 3 साल 3 महीने |
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उपरत्न | समय सीमा |
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गार्नेट, सूर्यकान्त मणि | 1 साल |
मून स्टोन(चंद्रकांत मणि) | 1 साल |
पन्ना के उपरत्न | 1 साल |
सुनहेला(सिट्रीन) | 1 साल 1 महीनें |
जिरकॉन | 1 साल 6 महीने |
नीलम के उपरत्न | 1 साल |
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