रत्नों को ज्योतिष अनुसार बहुत सी अलग अलग परिस्थितियों में रत्न धारण करने का विधान है, आज हम इन्हीं रत्नों को धारण करने के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
आइये सबसे पहले यह जानते है की किन रत्नों का सम्बन्ध किन के किन विषयों को लेकर विशेष रहता है।
रत्नों के विभाग के अनुसार रत्न धारण
विवाह, वैवाहिक सुख, पौरुष शक्ति, सांसारिक सुख, सुंदरता, सौंदर्य प्रसाधन व्यवसाय, कला एव संगीत, फूल व्यवसाय, विवाह कार्य, मनोरंजन के क्षेत्र, फिल्म निर्माण, अभिनेता जैसे क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करने के लिए हीरा रत्न धारण किया जाता है।
व्यवसाय, कारोबार, कंप्यूटर, एकाउंट्स, शिक्षा, गणित, रेलवे, बैंक, इंश्योरेंस, शिक्षण संस्थानों, लेखा विभागों, टीवी एंकर, नगर निगम कर्मचारी, दुकानदार, कुरीर सर्विसेस, लेखन, प्रिंटिंग कार्य आदि जैसे कार्यों में सफलता प्राप्ति के लिए पन्ना रत्न धारण किया जाता है।
मुकदमों में सफलता, दुश्मनों पर विजय, होटल व्यवसाय, जमीन दलाली, प्रॉपर्टी डीलर, साहसी कार्य, सर्जन, अस्ति रोग विशेषज्ञ, इलेक्ट्रीशियन, बिजली विभाग, अग्निशमन विभाग, रसायन विभाग, वन विभाग, खनिज विभाग, बर्तन कार्य, मांस व्यवसाय, वकालत, जज, सेना, पुलिस विभाग, खेल कूद, शस्त्र विभाग, ईंट भट्टा व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में सफलता और धन अर्जन करने के लिए लाल मूंगा धारण किया जाता है।
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सरकारी विभागों, सरकारी नौकरी, सरकारी अधिकारी, सरकारी ठेकों, राजनीती, प्रसिद्धि, उच्चाधिकारी, राजनेता, औषधि व्यवसाय, हृदय रोग विशेषज्ञ, जौहरी जैसे क्षेत्रों में सफलता के लिए माणिक्य धारण किया जाता है।
मनोचिकित्सक, उदर, फेफड़े, छाती, स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉक्टर, दुकानदार, ट्रेवल एजेंसी, एयर होस्टेस, सफ़ेद चीजों से सम्बंधित व्यवसाय, मिठाई दुकान, सरकारी क्षेत्र और नौकरी जैसे क्षेत्रों में लाभ एव सफलता के लिए मोती धारण किया जाता है।
विवाह के लिए, वक्ता, ज्ञान, न्यायाधीश, विद्वान, ज्योतिषी, राजनेता, राजनीती, मठाधीश, संसथान का प्रमुख, उच्च शिक्षा, उदर रोग विशेषज्ञ, स्वर्ण व्यवसाय, विदेश यात्रा, इम्पोर्ट एक्सपोर्ट जैसे क्षेत्रों में सफलता प्राप्ति के लिए पीला पुखराज धारण किया जाता है।
इंजीनियरिंग, सफाई कार्य, कृषि कार्य, खनन कार्य, तेल व्यवसाय, कलपुर्ज़े व्यवसाय, कबाड़ी, लोहा व्यवसाय, उद्योग-कारखाने स्वामित्व, ट्रांसपोर्ट व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में नीलम धारण करने से अत्यंत सफलता की प्राप्ति होती है।
गोमेद और लहसुनियां दोनों छाया ग्रह राहु के केतु के रत्न है, इन रत्नों का संबंध विशेषकर कुंडली में इन अनुपस्थिति के अनुसार होता है, आप जान ले की अचानक सफलता, राजनीती में सफलता, लाटरी-सट्टे में सफलता के लिए राहु का रत्न गोमेद और आध्यात्म में प्रसिद्धि और सफलता के लिए विशेष तौर पर इन दोनों रत्नों को धारण किया जाता है।
यह तो आपकी जानकारी प्राप्त हो गई की किस रत्न के पास क्या क्या विभाग है और उन्हें धारण करने से उन ग्रहों से सम्बंधित कार्यों में खास सफलता मिलती है।
रत्न धारण करने का विधान
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राशि के अनुसार रत्न धारण
राशि के अनुसार भी रत्न धारण का विधान है, जैसा की आपने सुना ही होगा की टीवी हो या समाचार या इंटरनेट सब जगह रोजाना आपकी राशि के बारे में जानकारी दी जाती है और साथ ही आपके भाग्यशाली राशि रत्न के बारे में भी जानकारी दी जाती है, तो राशि के अनुसार भी रत्न धारण करते हुए लाभ लिए जा सकते है, लेकिन इसके लिए पहले यह देखना जरुरी होता है की आपकी राशि के ग्रह की आपकी जन्म कुंडली में क्या स्तिथि है।
भावों के अनुसार रत्न धारण
भाव यानि की जन्म पत्रिका के डब्बे, जन्म पत्रिका में 12 भाव होते है, इनमें केंद्र भाव (पहला, चौथा, सातवां और दसवां) को शुभ माना जाता है, दूसरा त्रिकोण भाव ( पहला, पांचवा और नवम) भाव को शुभ माना जाता है, इसलिए केंद्र और त्रिकोण भावों के रत्न धारण करने से सफलता और उनत्ति की प्राप्ति होती है। लेकिन इसमें भी पहले कुंडली विश्लेषण की जरुरत पड़ती है।
लग्न, पंचम और नवम भाव के रत्न
लग्न, पंचम और नवम भाव यह 3 ऐसे भाव है जो सदैव लाभ ही प्रदान करते है, इन भावों से सम्बंधित ग्रहों के रत्न आप बगैर कुंडली विश्लेषण के भी धारण कर सकते है, इन भावों के रत्नों को धारण करने से खास सफलता और उनत्ति की प्राप्ति होती है।
ग्रह की महादशा के अनुसार रत्न धारण
किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसकी जन्म स्तिथि के अनुसार ग्रह की महादशा चलती है, हर व्यक्ति की कुंडली अनुसार ग्रह की महादशा चलती है। जिस ग्रह की महादशा वर्तमान में चल रही हो वह ग्रह उस समय पूर्ण रूप से व्यक्ति पर हावी रहता है, अगर महादशा चलनेवाला ग्रह लाभकारी है तो उसका रत्न बहुत अधिक लाभ और उनत्ति देता है, रत्न धारण से ग्रह को बल और शक्ति प्राप्त होती है, इसलिए ग्रह की महादशा के अनुसार भी रत्न धारण करना महत्वपूर्ण होता है।
लेकिन धारण करने से पहले यह जान लेना जरुरी होता है की कहीं महादशा वाला ग्रह अनिष्टकारी तो नहीं है।
देखिये, ऐसा नहीं है की की हम कोई भी रत्न कभी भी धारण कर सकते है, रत्न धारण का भी एक विधान है, जिसे फॉलो करना बहुत जरुरी है, नहीं तो हम लाभ की जगह अपना बहुत बड़ा अनिष्ट भी कर सकते है।
इसलिए सबसे अच्छा तो यही होगा की रत्न अपनी जन्म कुंडली के विश्लेषण के आधार पर ही धारण किया जाये।
धन्यवाद !
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