जन्म कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

तीसरे भाव का सूर्य जातक को परिश्रमी बनाता है। ऐसे जातक को सरकारी संस्थानों से लाभ और सहयोग प्राप्त होता है। सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों से सहयोग प्राप्त होता है। तीसरे भाव का सूर्य बड़े भाई के सुख की कमी करता है, जातक को अत्यधिक परिश्रमी बनाता है। जन्म कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और माणिक धारण करने से लाभ की प्राप्ति तो होती है, लेकिन यह देखना जरुरी होता है की सूर्य की सिंह राशि किस भाव का संचालन कर रही है।

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जन्म कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

तीसरे भाव में बैठा सूर्य जिन जातकों की कुंडली में होता है, वह किसी भी लग्न का हो सकता है। किसी भी लग्न की कुंडली में सूर्य तीसरे भाव में हो सकता है। इसलिए यह देखना जरुरी हो जाता है की लग्न कौन सा है और सूर्य की राशि किस भाव का प्रतिनिधित्व कर रही है। आइये हर लग्न के अनुसार तीसरे भाव में बैठे सूर्य के परिणाम जानें और यह भी जाने की किस लग्न का जातक माणिक धारण कर सकता है।

मेष लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

मेष लग्न की कुंडली में सूर्य पंचम भाव का स्वामी बनता है जो की शुभ होता है, ऐसे व्यक्ति अपने परिश्रम से जीवन में तरक्की प्राप्त करते है। ऐसे व्यक्ति संतान के जन्म के बाद अपने जीवन में खूब उनत्ति करते है। ऐसे व्यक्तियों की संतान उनकी उनत्ति में सहयोग करती है।
इसलिए जन्म कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और माणिक धारण करने से जीवन में उनत्ति और तरक्की मिलती है, जीवन में मांगलिक कार्यों की संपन्ता होती है।

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वृष लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

वृष लग्न की कुंडली में सूर्य चतुर्थ भाव पर अपना शासन करते हुए स्वयं तीसरे यानि की पराक्रम भाव में विराजमान है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में अपनी मेहनत और परिश्रम से धन संपत्ति, घर-मकान का निर्माण करते है।
वृष लग्न की कुंडली वाले जातक सूर्य की महादशा में माणिक्य धारण करके परिक्षण कर सकते है, अगर उन्हें अच्छा अहसास हो तो ही धारण करें।

मिथुन लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

मिथुन लग्न की कुंडली में सूर्य की सिंह राशि तीसरे ही भाव में होगी और सूर्य देव भी तीसरे भाव में ही उपस्थित होंगे। यह योग जातक को अपने परिश्रम से तरक्की और प्रसिद्धि प्रदान करेगा। जातक को सरकारी संस्थाओं और सरकारी अधिकारियों से लाभ प्राप्त होगा।
लेकिन तीसरा भाव मारक स्थान होने की वजय से मिथुन लग्न के जातकों को माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए।

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कर्क लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

कर्क लग्न में सूर्य दूसरे भाव यानि की धन भाव के स्वामी हुए और सूर्यदेव स्वयं तीसरे स्थान यानि की मेहनत और परिश्रम के भाव में बैठे है। ऐसी स्तिथि में जातक को मेहनत और परिश्रम अधिक करना पड़ेगा और उस हिसाब से धन नहीं आएगा। अगर ऐसी स्तिथि में माणिक धारण किया तो और अधिक मेहनत करनी पड़ेगी और धन कम आएगा। कहने का मतलब हुआ की आपका धन परिश्रम में अधिक लगेगा।
इसलिए कर्क लग्न और तीसरे भाव में सूर्य हो तो माणिक धारण ना करें।

सिंह लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

सिंह लग्न यानि की सूर्य की सिंह राशि प्रथम भाव में और सूर्यदेव तीसरे भाव में। ऐसे जातक बहुत परिश्रमी और ताकतवर होते है। उन्हें अपनी मेहनत से प्रसिद्धि प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्तियों को जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त होती है, ऐसे व्यक्तियों को अपने पराक्रम और सभी कार्यों की सफलता के लिए माणिक जरूर धारण करना चाहिए। लेकिन माणिक्य धारण करने से परिवार में अनबन रह सकती है।

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कन्या लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

कन्या लग्न में सिंह राशि द्वादश भाव में यानि की व्यय भाव में हुई और सूर्य तीसरे भाव में। इसका मतलब यह हुआ की सूर्य आपको जिंदगी में केवल मेहनत करवाएगा और जो धन होगा उसे भी व्यर्थ खर्च करवाएगा। ऐसे में सूर्य का माणिक धारण करके को अपने को बर्बाद करना चाहेगा।
एक बात जरूर है की अगर ऐसे व्यक्ति विदेश में हो तो अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते है।

तीसरे भाव में सूर्य और माणिक्य धारण
तीसरे भाव में सूर्य और माणिक्य धारण

तुला लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

तुला लग्न में सूर्य ग्यारहवें भाव यानि की लाभ भाव के स्वामी हुए और सूर्य तीसरे स्थान में। ऐसे जातकों को सूर्य लाभ प्राप्त करवाते है। ऐसे व्यक्ति जैसे जैसे धन कमाते जाते है वैसे वैसे उनकी शक्ति और प्रसिद्धि भी बढ़ती जाती है।
लेकिन शत्रु लग्न और ग्यारहवां भाव मारक स्थान होने की वजय से माणिक्य धारण करने से बचना चाहिए। लेकिन फिर भी माणिक्य धारण करने की खुजली हो तो सूर्य की महादशा में माणिक्य धारण करके परिक्षण कर लें, लेकिन साथ में हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनियां धारण ना करें।

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वृश्चिक लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

वृश्चिक लग्न में सूर्य की मुख्य भूमिका रहती है क्योंकि इस लग्न में सूर्य दशम भाव यानि की कारोबार, नौकरी, उच्च पदों, प्रसिद्धि और राजनीती का कारक होता है। वृश्चिक लग्न में तीसरे भाव का सूर्य व्यक्ति को अपनी मेहनत और लगन से तरक्की और प्रसिद्धि प्राप्त करवाता है। ऐसे जातकों के कारोबार में खूब वृद्धि होती है और पदोउनत्ती भी होती है।
वृश्चिक लग्न और तीसरे भाव में सूर्य है तो जातक को अपने जीवन में माणिक्य जरूर धारण करना चाहिए।

धनु लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

धनु लग्न में सूर्य भाग्येश होकर तीसरे भाव में विराजमान है। जो की अच्छा योग बनता है। जातक अपने जन्म स्थान से दूर जाकर उनत्ति और प्रसिद्धि प्राप्त करता है। लेकिन जातक के जीवन में पारिवारिक विवाद रह सकते है। जातक और उसके पिता के तालमेल में बहुत दूरियां हो सकती है। भाग्य से जातक कमजोर हो सकता है, जीवन में अधिक परिश्रम करना पड़ सकता है।
धनु लग्न और तीसरे भाव में सूर्य है तो माणिक्य धारण करना बहुत जरुरी हो जाता है अन्यथा जतक को जीवन में बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।

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मकर लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

मकर लग्न में सूर्य अष्ठम भाव के स्वामी हुए और सूर्यदेव तीसरे भाव में। जातक के जीवन में सूर्य के शुभ प्रभाव कभी नहीं मिलेंगे। जब जब जीवन में सूर्य की अन्तर्दशा आएगी, महादशा चलेगी जातक को कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए माणिक्य धारण करने की कभी सोचे भी ना। हो सके तो सूर्य मंत्रो का जाप और पाठ करते रहें।

कुंभ लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

कुम्भ लग्न में सूर्य की सिंह राशि सप्तम भाव में हुई। सप्तम भाव के सूर्य और सूर्य की तीसरे भाव में उपस्थिति, यह शुभ योग नहीं है। जातक को जीवन में वैवाहिक जीवन की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कारोबार की दृष्टि से सूर्य के अच्छे प्रभाव मिल सकते है। क्योकि तीसरे भाव में सूर्य उच्च के हुए।
कुंभ लग्न और तीसरे भाव में सूर्य हो तो माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए।

मीन लग्न और तीसरे भाव में सूर्य

इस लग्न में सूर्य छठे भाव के स्वामी हुए। छठा भाव जातक को रोग और ऋण देगा। हो सकता है की जातक इन परेशानियों से ग्रसित रहें। ऐसे योग में जातक को अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए, हो सके तो कर्ज लेने से बचें।
मीन लग्न और तीसरे भाव में सूर्य हो तो माणिक्य कभी भी धारण ना करें। सूर्य देव की पूजा आराधना करें।

तो इस पोस्ट से आपने जाना की अगर सूर्य तीसरे भाव में हो तो किस किस लग्न के जातकों को कैसे कैसे प्रभाव मिलते है और यह भी जाना की ऐसे स्तिथि में किन जातकों को माणिक्य धारण करना चाहिए और किसे नहीं।

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